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श्री कृष्ण जन्माष्ठमम पज
ू ा
Check List
3. Matchbox, Agarbatti
6. Puujaa Conch, Bell, One aaratii (for Karpoor), Two Aaratiis with wicks
11. Betel nuts 6, Betel nut Leaves 12, Bananas 6, Banana Leaves 2, Mango Leaves 5-25
13. Panchaamrita - Milk, Curd, Honey, Ghee, Sugar, Tender Coconut Water
पन
ु राचमन
द्र्र्वराचम्य (Repeat Achamana 2 - given above)
ॐ आपोज्योनत रसोमत
ृ ं ब्रह्म भूभर्व
ुि स्सुर्वरोम ् ||
ॐ केशर्वाय स्र्वािाः. ॐ नारायणाय स्र्वािाः. (Apply water to eyes and understand that you are of
ॐ माधर्वाय स्र्वािाः.
the nature of Brahman)
सकल पज
ू ार्े अक्षतान ् समपियासम ||
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१२ कलश पूजन
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(continue with second kalasha)
११ र्वरुण पूजन
कलशस्य मुखे र्र्वष्णुः कण्ठे रुद्रः समाधश्रतः .
(On the second kalasha)
तत्र्वायासम शन
ु ः शेपोः र्वरुण त्रिष्टुप ् कलशे मूले ति स्स्र्तो ब्रह्मा मध्ये मातग
ृ णाः स्मत
ृ ाः ||
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः . र्वरुणाय नमः. नैर्वेद्यं समपियासम ||
|| कलशः प्रार्िनाः ||
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः . र्वरुणाय नमः .
सकल राजोपचारार्े अक्षतान ् समपियासम ||
(This shaNkha has now become like the pAnchajanya, १६ षट् पाि पूजा
which has come out of the ocean and which is the ( put tulasi leaves or axatAs in empty vessels)
hands of Lord MahaviShNu. Our prostrations to the
ॐ अस्य श्री प्राण प्रनतष्ठापन मिा मन्िस्य ॐ अिं सः सोऽिं सोऽिं अिं सः ||
आं बीजम ् | ह्ीं शस्कतः | क्रौम ् कीलकम ् | श्रोि स्जह्र्वा िाणैः र्वाकर्वाणण पादपायोपस्र्ानन
अस्यां मत
ू ौ प्राण प्रनतष्ठापने र्र्वननयोगः || प्राण अपान व्यान उदान समान अिागत्य
सुखेन धचरं नतष्ठन्तु स्र्वािाः |
|| करन्यासः ||
असुनीते पुनरस्मासु चक्षुर्वः पुनः प्राणसमिीनो
आं अंगुष्ठाभ्यां नमः || दे हिभोगं ज्योक्ष क्षेम सूयम
ि ुच्चरन्तम ् अनुमते
ह्ीं तजिनीभ्यां नमः ||
ॐ ॐ (repeat 15 times)
ॐ तमद्भुतं बालकम ् अम्बुजेक्षणम ् आत्मा दे र्वानां भुर्वनस्य गभो यर्ार्वशं चरनत दे र्वेषः |
चतुभज
ुि शंख गदाद्युधायुदम ् । घोषा इदस्य शस्ण्र्विरे न रूपं तस्मै र्वातायिर्र्वषा र्र्वधेम ।।
ध्यायेत ् चतुभज
ुि ं कृष्णं, शंख चक्र गदाधरम ् । प्रसीद प्रसीद ।।
----------------------------------------------------------------------------- २७ आचमनीयं
२५ पाद्यं (offer water or axathaa/ leave/flower)
(offer water)
एतार्वानस्य महिमा अतो ज्यायागंश्च पूरुषः । तस्माद्र्र्वराडजायत र्र्वराजो अधध पूरुषः ।
पादोऽस्य र्र्वश्र्वा भूतानन त्रिपादस्यामत
ृ ं हदर्र्व ।। स जातो अत्यररच्यत पश्चाद्भूसममर्ो पुरः ।।
अच्युतानन्द गोर्र्वन्द प्रणतानति र्र्वनाशन | नमः सत्याय शुद्धाय ननत्याय ज्ान रूर्पणे |
पाहि मां पन्
ु डरीकाक्ष प्रसीद परु
ु षोत्तम || गि
ृ ाणाचमनं कृष्ण सर्वि लोकैक नायक ||
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। पादोयो पाद्यं ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । आचमनीयं समपियासम।।
समपियासम।।
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्र्वलंतीं धश्रयं लोके
अश्र्वपूर्वां रर्मध्यां िस्स्तनादप्रमोहदनीम ् । दे र्वजुष्टामुदाराम ् ।
धश्रयं दे र्वीमप
ु ह्र्वये श्रीमाि दे र्वी जष
ु ताम ् ।। तां पद्समनीमीं शरणमिं प्रपद्येऽलक्ष्मीमे नश्यतां त्र्वां
पादोयो पाद्यं समपियासम ।। र्वण
ृ े ।।
आचमनीयं समपियासम ।।
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२६ अघ्यं -----------------------------------------------------------------------------
(offer water) २८ स्नानं
त्रिपादध्ू र्वि उदै त्परु
ु षः पादोऽस्येिाभर्वात्पन
ु ः । यत्परु
ु षेण िर्र्वषा दे र्वा यज्मतन्र्वत ।
ततो र्र्वश्र्वङ्व्यक्रामत ् साशनानशने असभ ।। र्वसन्तो अस्यासीदाज्यम ् ग्रीष्म इध्मश्शरद्धर्र्वः ।।
ॐ मधर्व
ु ात ऋतायते मधक्ष
ु रं नत ससन्धर्वः मास्ध्र्वनः
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पयः स्नानं समपियासम।। संतोष्र्वधीः
पयः स्नानानंतर शद्
ु धोदक स्नानं समपियासम ।। मधन
ु कता मत
ु ोषसो मधम
ु त ् पाधर्िर्वं रजः मधद्
ु यौ
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।। रस्तुनः र्पता
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मधम
ु ान्नो र्वनस्पनतर् मधम
ु ााँ अस्तु सय
ू ःि
२८. १. २ दधध स्नानं (curd bath) माध्र्वीगािर्वो भर्वंतु नः ||
ॐ दधधक्राव्णो अकाररषं स्जष्णोरश्र्वस्यर्वास्जनः । सर्वौषधध समत्ु पन्नं पीयष
ु सदृशं मधु ।
सुरसभनो मुखाकरत ् प्राण आयुंर्ष ताररषत ् ।। स्नानार्ं मया दत्तं गि
ृ ाण परमेश्र्वर ।।
चन्द्र मन्डल सम्काशं सर्वि दे र्व र्प्रयं हि यत ् । ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । मधु स्नानं समपियासम।।
दधध ददासम दे र्वेश स्नानार्ं प्रनतगह्
ृ यताम ् ।। मधु स्नानानंतर शद्
ु धोदक स्नानं समपियासम ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । दधध स्नानं समपियासम।। सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
दधध स्नानानंतर शद्
ु धोदक स्नानं समपियासम ।।
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२८. १. ५ शकिरा स्नानं (sugar bath)
ॐ सिस्रशीषाि परु
ु षः सिस्राक्षः सिस्रपात ् । उरू तदस्य यद्र्वैश्यः पद्भ्यां शद्र
ू ो अजायत ।। १२।।
स भूसमं र्र्वश्र्वतो र्वत्ृ र्वा अत्यनतष्ठद्दशाङ्गुलम ् ।। चन्द्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत ।
१।। मख
ु ाहदन्द्रश्चास्ग्नश्च प्राणाद्र्वायरु जायत ।। १३।।
पुरुष एर्वेदगं सर्विम ् यद्भूतं यच्छ भव्यम ् । नाभ्या आसीदन्तररक्षम ् शीष्णो द्यौः समर्वतित ।
उतामत
ृ त्र्वस्येशानः यदन्नेनानतरोिनत ।। २।। पदभ्यां भसू महदि शः श्रोिात ् तर्ा लोकााँ
पादोऽस्य र्र्वश्र्वा भत
ू ानन त्रिपादस्यामत
ृ ं हदर्र्व ।। ३।। र्वेदािमेतं परु
ु षं मिान्तम ्
तुलसी कुन्द मन्दार, जाजी पुन्नाग चम्पकैः । ॐ परमात्मने नमः | उदरं पूजयासम ||
ॐ र्वासद
ु े र्वाय नमः । कंठं पज
ू यासम ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पि पष्ु पाणण,र्वनमालां च
ॐ सनातनाय नमः । र्वदनं पूजयासम ।।
समपियासम ।।
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ॐ र्वसद
ु े र्वात्मजाय नमः । नाससकां पज
ू यासम ।।
ॐ पुण्याय नमः । श्रोिे पूजयासम ।।
३८ नाना अलंकार
ॐ श्रीशाय नमः । नेिाणण पज
ू यासम ।।
ॐ श्री कृष्णाय नमः | पादौ पूजयासम || ॐ श्री बालकृष्णाय नमः सर्वांगाणण पूजयासम||
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ॐ श्री कृष्णाय नमः । करर्वीर पुष्पं समपियासम ।। ॐ नर्वनीत चोराय नमः । दाडडमा पुष्पं समपियासम।।
ॐ सुभद्राग्रजाय नमः । जाजी पुष्पं समपियासम।। ॐ सकलगुण संपन्नाय नमः । दे र्व दारु पुष्पं
ॐ शाश्र्वताय नमः । चम्पका पुष्पं समपियासम ।। समपियासम ।।
ॐ राजीर्वलोचनाय नमः । र्वकुल पुष्पं समपियासम ।। ॐ पूतनान्तकाय नमः । सुगन्ध राज पुष्पं
ॐ श्रीमते नमः । शतपि पुष्पं समपियासम ।। समपियासम।।
ॐ र्वेदान्तसाराय नमः । कमल पुष्पं समपियासम ।।
ॐ राजेन्द्राय नमः । कल्िार पुष्पं समपियासम ।। ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पुष्पपूजां समपियासम ।।
ॐ यदप
ु ुङ्गर्वाय नमः । सेर्वस्न्तका पुष्पं
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४१ अर् पि पूजा
समपियासम।।
ॐ रुस्कमणीर्वल्लभाय नमः । मस्ल्लका पष्ु पं
ॐ श्री कृष्णाय नमः | तुलसी पिं समपियासम ||
समपियासम ।।
ॐ आहदपुरुशाय नमः | जाजी पिं समपियासम ||
ॐ र्वेणन
ु ादर्प्रयाय नमः । इरुर्वंनतका पष्ु पं
ॐ धस्न्र्वने नमः | चम्पका पिं समपियासम ||
समपियासम।।
ॐ र्पिु भकताय नमः | त्रबल्र्व पिं समपियासम ||
ॐ स्जतासमिाय नमः । धगररकणणिका पष्ु पं
ॐ र्वरप्रदाय नमः । दर्व
ू ाियग्ु मं समपियासम ।।
समपियासम।।
The time was auspicious. It had the charm of all the ॐ श्री बालकृष्णाय नमः |
six seasons. The planets and the stars were in the -----------------------------------------------------------------------------
position from where they showered peace and joy to
the world. The four quarters were clear and placid
and the star Rohini was in the ascent, the star which ४३ अष्टोत्तर पूजा (chant dhyAna shloka )
is governed by Prajapati. The sky was clear and
studded with stars which were shining brightly. The
कृष्णाय र्वसुदेर्वाय िरये परमात्मने |
waters in the river were clear and sweet. The lakes
were filled with flowers, lotuses and utpalas. The प्रणत कलेशनाशाय गोर्र्वन्दाय नमो नमः ||
trees were covered with flowers. The gentle breeze
was flowing and it brought intense scents of the
flowers with it. The fire which were kindled by the ॐ श्री कृष्णाय नमः |
Brahmins were burning without smoke and an air of ॐ कमलानार्ाय नमः |
peace and tranquility pervaded the earth. The mind
of all men were happy for no reasons, only Kamsa ॐ र्वासुदेर्वाय नमः |
was unhappy. The divine dundubhi was being ॐ सनातनाय नमः |
played in the havens, kinnaras were singing and so
were Gandharvas. Siddhas and Charanas were ॐ र्वसुदेर्वात्मजाय नमः |
ॐ पण्
ु याय नमः |
chanting the words of praise. The Apsaras and
Vidyadharas women were dancing with abandon.
The Devas and Rishis showered flowers on the ॐ लीलामानुषर्र्वग्रिाय नमः |
earth. There was heard a great rumbling from the
ॐ श्रीर्वत्स कौस्तभ
ु धराय नमः |
clouds which was like roar of the ocean. It was
midnight. The Muhurtha was “Abhijeet” and ॐ यशोदार्वत्सलाय नमः |
Narayana, who is in the hearts of everyone, was
born to Devaki, wife of Vasudeva.
ॐ िरये नमः |
ॐ शक
ु र्वागमत
ृ ाब्धीन्दर्वे नमः |
ॐ मधघ्
ु ने नमः |
ॐ गोर्र्वन्दाय नमः |
ॐ मर्रु ानार्ाय नमः |
ॐ गोर्र्वदां पतये नमः |
ॐ द्र्वारकानायकाय नमः |
ॐ र्वत्सर्वाटचराय नमः |
ॐ बसलने नमः |
ॐ अनन्ताय नमः |
ॐ र्वद
ृ ार्वनान्तसञ्चाररणे नमः |
ॐ धेनुकासुरमदि नाय नमः |
ॐ तुलसीदामभूषणाय नमः |
ॐ तण
ृ ीकृततण
ृ ार्वतािय नमः |
ॐ स्यमन्तकमणेिििे नमः |
ॐ यमलाजन
ुि भञ्जनाय नमः |
ॐ नरनारायणात्मकाय नमः |
ॐ उत्तालतालभेिे नमः |
ॐ कुब्जाकृष्णाम्बरधराय नमः |
ॐ तमालश्यामलाकृतये नमः |
(sprinkle water around the naivedya) ईस्प्सतं मे र्वरं दे हि इिि च परां गनतम ् ।।
जिााँ से प्रगट भयी गंगा, गंगा पदभ्यां भूसमहदि शः श्रोिात ् तर्ा लोकााँ अकल्पयन ्।।
ॐ धश्रयः कान्ताय कल्याण ननधये ननधयेऽधर्िनां । ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पाद्यं समपियासम ।
सर्विदा सर्वि कायेषु नास्स्त तेषां अमङ्गलम ् । ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पञ्चामत
ृ स्नानं
येषां हृहदस्र्ो भगर्वान ् मङ्गलायतनो िररः ।। समपियासम ।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । मिा असभषेकं
येषां इन्दीर्वर श्यामो हृदयस्तो जनादि नः ।। ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। र्वस्ियुग्मं समपियासम।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। यज्ोपर्वीतं समपियासम।
अकाल मत्ृ यु िरणं सर्वि व्याधध ननर्वारणम ् | ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । गन्धं समपियासम ।
सर्वि पाप उपशमनम ् र्र्वष्णु पादोदकं शुभम ् || ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । नाना पररमल द्रव्यं
----------------------------------------------------------------------------- समपियासम ।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । िस्तभूषणं समपियासम।
पूजांते छिं समपियासम | चामरं समपियासम | नमस्करोसम | श्री बालकृष्ण स्र्वामी दे र्वता प्रसादं
नत्ृ यं समपियासम | गीतं समपियासम | सशरसा गह्
ृ णासम ||
र्वाद्यं समपियासम | आंदोसलक आरोिणं समपियासम| -------------------------------------------------------------
अश्र्वारोिणं समपियासम | गजारोिणं समपियासम |