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श्री कृष्ण जन्माष्ठमम पूजा

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श्री कृष्ण जन्माष्ठमम पज
ू ा

Check List

1. Altar, Deity (statue/photo)

2. Two big brass lamps (with wicks, oil/ghee)

3. Matchbox, Agarbatti

4. Karpoor, Gandha Powder, Kumkum, gopichandan, haldi

5. Sri Mudra (for Sandhyaavandan), Vessel for Tirtha, Yajnopaviita

6. Puujaa Conch, Bell, One aaratii (for Karpoor), Two Aaratiis with wicks

7. Flowers, Akshata (in a container), tulsi leaves, tulsi garland

8. Decorated Copper or Silver Kalasha, Two pieces of cloth (new),

9. Coconut, 1/2 kg. Rice, gold coin, gold chain

10. Extra Kalasha, 3 trays, 3 vessels for Abhisheka

11. Betel nuts 6, Betel nut Leaves 12, Bananas 6, Banana Leaves 2, Mango Leaves 5-25

12. Dry Fruits, 5 bananas, 1 coconut - all for naivedya

13. Panchaamrita - Milk, Curd, Honey, Ghee, Sugar, Tender Coconut Water

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१ At the regular altar ॐ उपें द्राय नमः . ॐ िरये नमः .
श्री कृष्णाय नमः ||
ॐ सर्वेभ्यो गुरुभ्यो नमः | -----------------------------------------------------------------------------

ॐ सर्वेभ्यो दे र्वेभ्यो नमः | ३ प्राणायामः


(Due to pranayam, the rajas component decreases
ॐ सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः || and the sattva component increases.)
प्रारं भ कायं ननर्र्विघ्नमस्तु | शुभं शोभनमस्तु |
इष्ट दे र्वता कुलदे र्वता सुप्रसन्ना र्वरदा भर्वतु || ॐ प्रणर्वस्य परब्रह्म ऋर्षः . परमात्मा दे र्वता .

अनुज्ां दे हि || दै र्वी गायिी छन्दः . प्राणायामे र्र्वननयोगः ||

At the श्री कृष्ण altar


ॐ भःू . ॐ भर्व
ु ः . ॐ स्र्वः . ॐ मिः .
-----------------------------------------------------------------------------
२ आचमनः ॐ जनः . ॐ तपः . ॐ सत्यं .
(Sip one spoon of water after each mantra. ॐ भभ
ू र्व
ुि ः स्र्वः |
Take a little water from the vessel for worship with an offering
spoon onto the palm and sip it. This is called achaman.. Just as ॐ तत्सर्र्वतुर्वरि े ण्यं भगो दे र्वस्य धीमिी
bathing causes external purification, partaking water in this
way is responsible for internal purification. This act is धधयो यो नः प्रचोदयात ् ||
repeated thrice. Thus physical, psychological and spiritual,
internal purification is brought about.)

पन
ु राचमन
द्र्र्वराचम्य (Repeat Achamana 2 - given above)
ॐ आपोज्योनत रसोमत
ृ ं ब्रह्म भूभर्व
ुि स्सुर्वरोम ् ||
ॐ केशर्वाय स्र्वािाः. ॐ नारायणाय स्र्वािाः. (Apply water to eyes and understand that you are of
ॐ माधर्वाय स्र्वािाः.
the nature of Brahman)

ॐ गोर्र्वंदाय नमः . ॐ र्र्वष्णर्वे नमः . -----------------------------------------------------------------------------


४ सङ्कल्पः
ॐ मधस
ु ूदनाय नमः . ॐ त्रिर्र्वक्रमाय नमः . (Holding unbroken consecrated rice (akshata) and an offering
ॐ र्वामनाय नमः . ॐ श्रीधराय नमः . spoon (pali) with water in the cup of one’s hand one should
chant the mantra with the resolve, ‘I of the .....lineage (gotra),
ॐ हृषीकेशाय नमः . ॐ पद्मनाभाय नमः . ..... am performing the .... ritual to obtain the benefit according
to the Shrutis, Smrutis and Puranas in order to acquire ....
ॐ दामोदराय नमः . ॐ सङ्कषिणाय नमः . result and then should offer the water from the hand into the
circular, shelving metal dish (tamhan). Offering the water into
ॐ र्वासुदेर्वाय नमः . ॐ प्रद्युम्नाय नमः . the circular, shelving dish signifies the completion of an act.)

ॐ अननरुद्धाय नमः . ॐ पुरुषोत्तमाय नमः .


सर्वि दे र्वता प्रार्िना
ॐ अधोक्षजाय नमः . ॐ नारससंिाय नमः .
(Stand and hold a fruit in hand during sankalpa)
ॐ अच्युताय नमः . ॐ जनादि नाय नमः .
ॐ श्रीमान ् मिागणाधधपतये नमः .

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श्री गुरुभ्यो नमः . श्री सरस्र्वत्यै नमः .
(Whoever chants or hears these 12 names of Lord
Ganesha will not have any obstacles in any of their
श्री र्वेदाय नमः . श्री र्वेदपुरुषाय नमः . endeavours)

इष्टदे र्वताभ्यो नमः |


(Prostrations to your favorite deity) शुकलांबरधरं दे र्वं शसशर्वणं चतुभज
ुि म ् |
कुलदे र्वताभ्यो नमः | प्रसन्नर्वदनं ध्यायेत ् सर्वि र्र्वघ्नोपशांतये ||
(Prostrations to your family deity)
स्र्ान दे र्वताभ्यो नमः | सर्विमङ्गल माङ्गल्ये सशर्वे सर्वािर्ि साधधके |
शरण्ये त्र्यंबके दे र्वी नारायणी नमोऽस्तुते ||
(Prostrations to the deity of this house)
ग्रामदे र्वताभ्यो नमः |
(Prostrations to the deity of this place) (We completely surrender ourselves to that Goddess
who embodies auspiciousness, who is full of
र्वास्तद
ु े र्वताभ्यो नमः | auspicious-ness and who brings auspicousness to us)
(Prostrations to the deity of all the materials we have
collected)
शचीपुरंदराभ्यां नमः | सर्विदा सर्वि कायेषु नास्स्त तेषां अमङ्गलम ् |
(Prostrations to the Indra and shachii) येषां हृहदस्र्ो भगर्वान ् मङ्गलायतनो िररः ||
उमामिे श्र्वराभ्यां नमः |
(Prostrations to Shiva and pArvati) (When Lord Hari, who brings auspiciousness is
लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः | situated in our hearts, then there will be no more
(Prostrations to the Lords who protect us - LakShmi and inauspiciousness in any of our undertakings)
NArAyaNa)
मातार्पतभ्
ृ यां नमः | तदे र्व लग्नं सुहदनं तदे र्व ताराबलं चंद्रबलं तदे र्व .
(Prostrations to our parents)
सर्वेभ्यो दे र्वेभ्यो नमो नमः | र्र्वद्याबलं दै र्वबलं तदे र्व लक्ष्मीपतेः तें निऽयग
ु ं
(Prostrations to all the Gods) स्मरासम ||
सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमो नमः | (What is the best time to worship the Lord? When our
hearts are at the feet of Lord Narayana, then the
(Prostrations to all Brahamanas - those who are in the religious
strength of the stars, the moon, the strength of
path)
knowledge and all the Gods will combine and make it
एतद्कमि प्रधान दे र्वताभ्यो नमो नमः | the most auspicious time and day to worship the Lord)
(Prostrations to Lord Krishna, the main deity of this puja) लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः .
|| अर्र्वघ्नमस्तु ||
येषां इस्न्दर्वरश्यामो हृदयस्र्ो जनादि नः ||
सुमुखश्च एकदं तश्च कर्पलो गजकणिकः . (When the Lord is situated in a person's heart, he
will always have profit in his work and victory in all
लंबोदरश्च र्र्वकटो र्र्वघ्ननाशो गणाधधपः || that he takes up and there is no question of defeat
for such a person)
धम्र
ू केतुगण
ि ाध्यक्षो बालचन्द्रो गजाननः .
द्र्वादशैतानन नामानन यः पठे त ् श्रण
ु य
ु ादर्प || र्र्वनायकं गरु
ु ं भानंु ब्रह्मार्र्वष्णम
ु िे श्र्वरान ् |
र्र्वद्यारं भे र्र्वर्वािे च प्रर्वेशे ननगिमे तर्ा . सरस्र्वतीं प्रणम्यादौ सर्वि कायािर्ि ससद्धये ||
संग्रामे संकटे चर्व
ै र्र्वघ्नः तस्य न जायते ||

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५.(१) षडङ्ग न्यास
(To achieve success in our work and to find
fulfillment we should first offer our prayers
to Lord Vinayaka and then to our teacher, then (Purifying hands and various parts of the body )
to the Sun God and to the holy trinity of Brahma,
ViShNu and Shiva)
ॐ ह्ां कृष्णाय नमः | अंगुष्ठाभ्यायां नमः | हृदयाय
नमः ||
श्रीमद् भगर्वतो मिापुरुषस्य र्र्वष्णोराज्या
(touch the thumbs)
प्रर्वतिमानस्य अद्य ब्रह्मणो द्र्र्वतीय पराधे र्र्वष्णप
ु दे ॐ ह्ीं बलभद्राय नमः | तजिनीभ्यां नमः | सशरसे
श्री श्र्वेतर्वराि कल्पे र्वैर्वस्र्वत मन्र्वन्तरे --------------- स्र्वािाः ||
दे श,े शासलर्वािन शके र्वतिमाने व्यर्विाररके ------------ (touch both fore fingers)

नाम संर्वत्सरे ---------------- आयणे --------------


ॐ ह्ुं र्वासुदेर्वाय नमः | मध्यमाभ्यां नमः | सशखायै
ऋतौ ------------------ मासे -------------- पक्षे -----
र्वषट् ||
नतर्ौ ----- नक्षिे ----- र्वासरे सर्वि ग्रिे षु यर्ा रासश
(touch middle fingers)
स्र्ान स्स्र्तेषु सत्सु एर्वं गण
ु र्र्वशेषेण र्र्वसशष्टायां
शुभपुण्यनतर्ौ मम आत्मन श्रनु तस्मनृ त पुराणोकत ॐ ह्ैं अननरुद्धाय नमः | अनासमकाभ्यां नमः |
फलप्राप्यर्ं मम सकुटुम्बस्य क्षेम स्र्ैयि आयरु ारोग्य कर्वचाय िुम ् ||
चतुर्र्विध पुरुषार्ि ससध्यर्ं अंगीकृत श्री कृष्ण (touch ring fingers)

जन्माष्ठसम व्रतांगत्र्वेन संपाहदत सामग्रव्या गणेश ॐ ह्ौं यदप


ु ुङ्गर्वाय नमः | कननस्ष्ठकाभ्यां नमः |
र्वरुण ब्रह्मा सूयािहद नर्वग्रि इंद्राहद अष्टलोकपाल नेिियाय र्वौषट् ||
गणपनत चतुष्ट दे र्वता पूजनपूर्वक
ि ं श्री बालकृष्ण (touch little fingers)

प्रीत्यर्ं यर्ा शकत्या यर्ा समसलता उपचार द्रव्यैः


ॐ ह्ः रुस्कमणीर्वल्लभाय नमः | करतलकरपष्ृ ठाभ्यां
पुरुषसूकत, श्री सूकत पुराणोकत मन्िैश्च ध्यान
नमः | अस्िाय फट् ||
आर्वािनाहद षोडशोपचारे श्री बालकृष्ण प्रीत्यर्ं पूजनं (touch palms and over sleeve of hands)
तर्ा व्रतोकत कर्ा श्रर्वणं च कररष्ये || -----------------------------------------------------------------------------
५.(२) हदग्बन्धन
इदं फलं मया दे र्व स्र्ार्पतं पुरतस्तर्व |
( show mudras)
तेन मे सुफलार्वास्प्तर् भर्वेत ् जन्मनन जन्मनन ||
ॐ बालकृष्णेनत हदग्बन्धः |
(keep fruits in front of the Lord)

----------------------------------------------------------------------------- (snap fingers, circle head clockwise and clap hands)

५. षडङ्ग न्यास हदशो बद्नासम ||


(Purifying the body) (shut off all directions i.e. distractions so that we can
concentrate on the Lord)
-----------------------------------------------------------------------------
-----------------------------------------------------------------------------

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६ गणपनत पूजा ॐ मिागणपतये नमः. र्वस्िं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. यज्ोपर्वीतं समपियासम |
(To prevent any obstacle from disrupting an auspicious
occasion, it is begun with the worship of Lord Ganapati.)
ॐ मिागणपतये नमः. चंदनं समपियासम |
आदौ ननर्र्विघ्नता ससध्यर्ं मिा गणपनत पज
ू नं ॐ मिागणपतये नमः. पररमल द्रव्यं समपियासम |
कररष्ये . ॐ मिागणपतये नमः. पुष्पाणण समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. धप
ू ं समपियासम |
ॐ गणानां त्र्वा शौनको गत्ृ समदो गणपनतजिगती
ॐ मिागणपतये नमः. दीपं समपियासम |
गणपत्यार्वािने र्र्वननयोगः ||
ॐ मिागणपतये नमः. नैर्वेद्यं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. ताम्बूलं समपियासम |
(pour water)

ॐ मिागणपतये नमः. फलं समपियासम |


ॐ गणानां त्र्वा गणपनतं िर्वामिे
ॐ मिागणपतये नमः. दक्षक्षणां समपियासम |
कर्र्वं कर्वीनामप
ु म श्रर्वस्तमं |
ॐ मिागणपतये नमः. आनतिकयं समपियासम |
ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत
ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः.
आ नः शण्ृ र्वन्ननू तसभः सीदसादनं ||
मन्िपष्ु पं समपियासम |
भूः गणपनतं आर्वाियासम .
ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः |
भर्व
ु ः गणपनतं आर्वाियासम .
प्रदक्षक्षणा नमस्कारान ् समपियासम |
स्र्वः गणपनतं आर्वाियासम .
ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः. छिं समपियासम |
ॐ भभ
ू र्व
ुि स्र्वः सांगं सपररर्वारं सायध
ु ं सशस्कतकं
ॐ मिागणपतये नमः. चामरं समपियासम |
मिागणपनतं आर्वाियासम |
(O great Ganapati come along with Riddhi, Buddhi, ॐ मिागणपतये नमः. गीतं समपियासम |
your entire family, all your weapons and might’)
ॐ मिागणपतये नमः. नत्ृ यं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. र्वाद्यं समपियासम |
ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः ध्यायासम. ध्यानम ्
ॐ मिागणपतये नमः. सर्वि राजोपचारान ्
समपियासम |
समपियासम||
ॐ मिागणपतये नमः. आर्वािनं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. आसनं समपियासम | || अर् प्रार्िना ||

ॐ मिागणपतये नमः. पाद्यं समपियासम |


ॐ र्वक्रतुण्ड मिाकाय कोहटसूयि समप्रभ.
ॐ मिागणपतये नमः. अघ्यं समपियासम |
ननर्र्विघ्नं कुरु मे दे र्व सर्वि कायेषु सर्विदा ||
ॐ मिागणपतये नमः. आचमनीयं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. स्नानं समपियासम |

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ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः. प्रार्िनां समपियासम|
of either gold, silver, copper or unbroken earthen pots
should be placed on these two heaps.)

अनया पूजया र्र्वघ्निताि मिागणपनतः प्रीयताम ् || ॐ आ कलशेषु धार्वनत पर्र्विे पररससंच्यते

(Offering of flowers - May Shri Mahaganapati, the vanquisher


उकतैयज्
ि ेषु र्वधिते ||
of all obstacles be appeased with this worship of mine’, (keep kalasha on top of rice pile)
chanting thus water should be released.) ॐ इमं मे गङ्गे यमुने सरस्र्वती शुतुहद्र स्तोमं
----------------------------------------------------------------------------- सचता परुष्ण्या .
७ दीप स्र्ापना
अससकन्य मरुद्र्वध
ृ े र्र्वतस्तयाजीकीये श्रण
ु ुह्या
सुषोमया ||
अर् दे र्वस्य र्वाम भागे दीप स्र्ापनं कररष्ये | (fill kalasha with water)
अस्ग्ननािस्ग्नः ससमध्यते कर्र्वग्रििपनतयर्व
ुि ा िव्यर्वात ् ॐ गंधद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपुष्टां करीर्षणीं .
जर्व
ु ास्यः || ईश्र्वरीं सर्विभत
ू ानां तासमिोपह्र्वयेधश्रयं ||
(sprinkle in/apply ga.ndha to kalasha)
(light the lamps)
ॐ या फसलनीयाि अफला अपुष्पायाश्च पुस्ष्पणीः .
-----------------------------------------------------------------------------
बि
ृ स्पनत प्रसोतास्र्ानो मंचत्र्वं ि सः ||
८ भूसम प्रार्िना
(put betel nut in kalasha)
(open palms and touch the ground.
first the earth (ground) on the right hand side (since the host ॐ सहिरत्नानन दाशुषुसुर्वानत सर्र्वता भगः .
performing the religious ceremony is facing the east, the hand
touching the ground is in the southern direction) and then the तम्भागं धचिमीमिे ||
earth on the left hand side, in front of oneself (that is the (put jewels / washed coin in kalasha)
northern direction) should be touched. Energies from the south
are distressing. To prevent them from causing distress, one ॐ हिरण्यरूपः हिरण्य सस्न्द्रग्पान्न पात्स्येद ु हिरण्य
र्वणिः .
offers obeisance to them by touching the earth. The energies
from the north are however saluted as they are pleasant.)
मिीध्यौः पधृ र्र्वीचन इमं यज्ं समसमक्षतां हिरण्ययात ् पररयोनेननिषद्या हिरण्यदा ददत््यन ्
र्पप्रतान्नो भरीमसभः || नमस्मै ||
----------------------------------------------------------------------------- (put gold / daxina in kalasha)
९ धान्य रासश ॐ काण्डात ् काण्डात ् प्ररोिं ती परुषः परुषः परर
एर्वानो दर्व
ू े प्रतनु सिस्रेण शतेन च ||
ॐ औषधाय संर्वदं ते सोमेन सिराज् . (put duurva / karika )
ॐ अश्र्वत्र्ेर्वो ननशदनं पणणिर्वो र्वसनतश्कृत .
यस्मै कृणेनत ब्राह्मणस्र्ं राजन ् पारयामसस ||
(Touch the grains/rice/wheat)
गो भाज इस्त्कला सर्यत्स नर्वर् परु
ू षं ||
(put five leaves in kalasha)
----------------------------------------------------------------------------- ॐ या फसलनीयाि अफला अपुष्पायाश्च पुस्ष्पणीः .
१० कलश स्र्ापना
बि
ृ स्पनत प्रसोतास्र्ानो मंचत्र्वं ि सः ||
(Two small heaps of rice should be made on the ground
amidst chanting mantras. Later, chanting the mantra two pots (place coconut on kalasha)

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ॐ युर्वासुर्वासः परीर्वीतागात ् स उश्रेयान ् भर्वनत अर्वते िे ळो र्वरुण नमोसभररर्व यज्ेसभरीमिे िर्र्वसभिः .
जायमानः . क्षयं नमस्मभ्यं सुरप्रचेता राजन ् नेनांसस सशश्रर्ः
तं धीरासः कार्वयः उन्नयंनत स्र्वाद्ध्यो स्र्वाद्ध्यो कृतानन ||
मनसा दे र्वयंतः|| र्वरुणाय नमः . मन्ि पुष्पं समपियासम ||
प्रदक्षक्षणा नमस्कारान ् समपियासम ||
(tie cloth for kalasha)
ॐ पूणािदर्र्वि परापत सुपूणाि पुनरापत .
र्वस्ने र्व र्र्वक्रीणार्वः इषमूजं शतक्रतो ||
अनया पूजया भगर्वान ् श्री मिा र्वरुण प्रीयताम ् ||
(decorate copper plate and ashhTadala with kuMkuM)
इनत कलशं प्रनतष्ठापयासम || सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ||

सकल पज
ू ार्े अक्षतान ् समपियासम ||
-----------------------------------------------------------------------------
१२ कलश पूजन
-----------------------------------------------------------------------------
(continue with second kalasha)
११ र्वरुण पूजन
कलशस्य मुखे र्र्वष्णुः कण्ठे रुद्रः समाधश्रतः .
(On the second kalasha)
तत्र्वायासम शन
ु ः शेपोः र्वरुण त्रिष्टुप ् कलशे मूले ति स्स्र्तो ब्रह्मा मध्ये मातग
ृ णाः स्मत
ृ ाः ||

र्वरुणार्वािने र्र्वननयोगः || कुक्षौतु सागराः सर्वे सप्त द्र्वीपा र्वसुंधराः .


ऋग्र्वेदोर् यजुर्वेदः सामर्वेदोह्यर्र्विणः ||
ॐ तत्र्वायासम ब्रह्मणा र्वन्दमानस्तदा शास्ते अंगैश्च सहिताः सर्वे कलशंतु समाधश्रताः .
यजमानो िर्र्वसभिः . अि गायिी सार्र्विी शांनत पुस्ष्टकरी तर्ा ||
आिे लमानो र्वरुणः बोध्युरुशं समान आयुः प्रमोर्षः
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः र्वरुणाय नमः .चंदनं समपियासम || आयान्तु दे र्व पूजार्ं असभषेकार्ि ससद्धये ||
(add to kalasha)
ॐ ससताससते सररते यि संगर्े तिाप्लुतासो
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः . र्वरुणाय नमः . अक्षतान ्
हदर्वमुत्पतंनत .
समपियासम||
(add to kalasha) ये र्वैतन्र्वं र्र्वस्रजस्न्त धीरास्ते जनासो अमत
ृ त्त्र्वं
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः . र्वरुणाय नमः . िररद्रा कंु कुमं भजस्न्त ||
समपियासम ||
(Those who want to attain immortality take a
dip in the confluence of the Ganges, yamuna and
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः . र्वरुणाय नमः. धप
ू ं समपियासम ||
sarasvati rivers at the prayag. Let the water
in this kalasha become like the water from the
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः . र्वरुणाय नमः. दीपं समपियासम || holy rivers)

ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः . र्वरुणाय नमः. नैर्वेद्यं समपियासम ||
|| कलशः प्रार्िनाः ||
ॐ भूभर्व
ुि ःस्र्वः . र्वरुणाय नमः .
सकल राजोपचारार्े अक्षतान ् समपियासम ||

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कलशः कीनतिमायुष्यं प्रज्ां मेधां धश्रयं बलम ् |
pAnchajanya)
पाञ्चजन्याय र्र्वद्मिे . पार्वमानाय धीमहि .
योग्यतां पापिाननं च पुण्यं र्वद्
ृ धधं च साधयेत ् ||
तन्नो शङ्खः प्रचोदयात ् ||
(Let this kalasha increase our life span, presence
शङ्खाय नमः .
of mind, intellect,wealth, strength and status, destroy
our sins and increase our merits or puNya)
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ||
सर्वि तीर्िमयो यस्मात ् सर्वि दे र्वमयो यतः . -----------------------------------------------------------------------------
१४ घंटाचिना
अतः िररर्प्रयोऽसस त्र्वं पूणक
ि ंु भं नमोऽस्तुते ||
(Pour drops of water from sha~Nkha on top of the bell
(All the holy waters, and all the Gods are now
apply ga.ndha, flower)
present in this kalasha. Our prostrations to this
puurNakumbha which is hence dear to Lord Hari)
कलशदे र्वताभ्यो नमः . आगमार्िन्तु दे र्वानां गमनार्िन्तु राक्षसाम ् |
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम || कुर्वे घंटारर्वं ति दे र्वताह्र्वा लक्षणम ् ||
ज्ानर्ोऽज्ानतोर्वार्प कांस्य घंटान ् नर्वादयेत ् |
|| मुद्रा ||
राक्षसानां र्पशाचनां तद्दे शे र्वसनतभिर्वेत ् |
(Show mudras as you chant )
तस्मात ् सर्वि प्रयत्नेन घंटानादं प्रकारयेत ् ||
(When the bell is rung, knowingly or unknowingly,
ननर्वीषी करणार्े ताक्षि मद्र
ु ा . (to remove poison) all the good spirits are summoned and all the evil
spirits are driven away)
अमत
ृ ी करणार्े धेनु मुद्रा . (to provide nectar - amrit)
पर्र्विी करणार्े शङ्ख मद्र
ु ा . (to make auspicious)
घंट दे र्वताभ्यो नमः |
संरक्षणार्े चक्र मुद्रा . (to protect)
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ||
र्र्वपल
ु माया करणार्े मेरु मद्र
ु ा . (to remove mAyA)
(Ring the gha.nTA)
-----------------------------------------------------------------------------
१३ शङ्ख पूजन ---------------------------------------------------------------
(pour water from kalasha to shaNkha १५ आत्मशुद्धध
add gandha flower)
( Sprinkle water from sha~Nkha on puja items and
devotees)
शङ्खं चंद्राकि दै र्वतं मध्ये र्वरुण दे र्वताम ् |
पष्ृ ठे प्रजापनतं र्र्वंद्याद् अग्रे गंगा सरस्र्वतीम ् || अपर्र्विः पर्र्विो र्वा सर्वािर्वस्र्ांगतोऽर्प र्वा |

त्र्वं पुरा सागरोत्पन्नो र्र्वष्णुना र्र्वधत


ृ ः करे | यः स्मरे त ् पंड
ु रीकाक्षं सः बाह्याभ्यंतरः शधु चः||

नसमतः सर्वि दे र्वैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तुते || -----------------------------------------------------------------------------

(This shaNkha has now become like the pAnchajanya, १६ षट् पाि पूजा
which has come out of the ocean and which is the ( put tulasi leaves or axatAs in empty vessels)
hands of Lord MahaviShNu. Our prostrations to the

http://www.mantraaonline.com/ Shri Krishna Janmashtami Puja 9|P age


पीठस्य अधोभागे आधार शकत्यै नमः || कूमािय
र्वायव्ये अघ्यं | नमः ||
नैऋत्ये पाद्यं | दक्षक्षणे क्षीरोदधधये नमः | ससंिाय नमः ||
ईशान्ये आचमनीयं | ससंिासनस्य आग्नेय कोणे र्वरािाय नमः ||
आग्नेये मधप
ु कं | नैऋत्य कोणे ज्ानाय नमः ||
पूर्वे स्नानीयं | र्वायव्य कोणे र्वैराग्याय नमः ||
पस्श्चमे पुनराचमनं | ईशान्य कोणे ऐश्र्वयािय नमः ||
----------------------------------------------------------------------------- पूर्वि हदशे धमािय नमः ||
१७ पञ्चामत
ृ पूजा दक्षक्षण हदशे ज्ानाय नमः ||
( put tulasi leaves or axataas in vessels|
Panchamrit is nectar of five ingredients - पस्श्चम हदशे र्वैराग्याय नमः ||
उत्तर हदशे अनैश्चराय नमः ||
a mixture of milk, curds, clarified butter (ghee), honey and
sugar|)
पीठ मध्ये मल
ू ाय नमः ||

क्षीरे गोर्र्वन्दाय नमः |(keep milk in the centre) नालाय नमः ||

दधधनन र्वामनाय नमः | (curd facing east ) पिेभ्यो नमः ||

घत केसरे भ्यो नमः ||


ृ े र्र्वष्णर्वे नमः | (Ghee to the south)
मधनु न मधस
ु ूदनाय नमः | ( Honey to west ) कणणिकायै नमः ||

शकिरायां अच्युताय नमः | ( Sugar to north) कणणिका मध्ये सं सत्त्र्वाय नमः ||


----------------------------------------------------------------------------- रं रजसे नमः || तं तमसे नमः ||
१८ द्र्वारपालक पूजा सूयम
ि ण्डलाय नमः ||
सय
ू म
ि ण्डलाधधपतये ब्रह्मणे नमः ||
पूर्वद्
ि र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | र्वसुदेर्वाय नमः || सोममण्डलाय नमः ||
दक्षक्षणद्र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | दे र्वकयै नमः || सोममण्डलाधधपतये र्र्वष्णर्वे नमः ||
पस्श्चमद्र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | नन्दाय नमः || र्वस्ह्नमण्डलाय नमः ||
उत्तरद्र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | यशोदाय नमः || र्वस्ह्नमण्डलाधधपतये ईश्र्वराय नमः ||
मध्ये नर्व रत्नखधचत हदव्य ससंिासनस्योपरर
श्री बालकृष्णाय नमः || श्री बालकृष्ण स्र्वासमने नमः | पीठ पूजां समपियासम||
द्र्वारपालक पूजां समपियासम || -----------------------------------------------------------------------------
----------------------------------------------------------------------------- २० हदग्पालक पूजा (start from east of kalasha or
१९ पीठ पूजा deity)

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इंद्राय नमः, क्रौं मध्यमाभ्यां नमः ||
अग्नये नमः, आं अनासमकाभ्यां नमः ||
यमाय नमः, ह्ीं कननस्ष्ठकाभ्यां नमः ||
नैऋतये नमः, क्रौं करतलकरपष्ृ ठाभ्यां नमः ||
र्वरुणाय नमः,
|| अङ्ग न्यासः ||
र्वायर्वे नमः,
कुबेराय नमः,
आं हृदयाय नमः ||
ईशानाय नमः,
ह्ीं सशरसे स्र्वािाः ||
इनत हदग्पालक पज
ू ां समपियासम क्रौं सशखायै र्वषट् ||
आं कर्वचाय िुं ||
-----------------------------------------------------------------------------
२१ प्राण प्रनतष्ठा
ह्ीं नेिियाय र्वौषट् ||
(hold flowers/axata in hand)
क्रौं अस्िाय फट् ||
ध्यायेत ् सत्यम ् गुणातीतं गुणिय समस्न्र्वतं
भभ
ू र्व
ुि स्र्वरोम ् इनत हदग्बन्धः ||
लोकनार्ं त्रिलोकेशं कौस्तभ
ु ाभरणं िररम ् |
नीलर्वणं पीतर्वासं श्रीर्वत्सपदभूर्षतं
आं ह्ीं क्रौम ् क्रौम ् ह्ीं आं |
गोकुलानन्दं ब्रह्माध्यैरर्प पस्ू जतम ् ||
य र ल र्व श ष स ि |

ॐ अस्य श्री प्राण प्रनतष्ठापन मिा मन्िस्य ॐ अिं सः सोऽिं सोऽिं अिं सः ||

ब्रह्मा र्र्वष्णु मिे श्र्वरा ऋषयः |


ऋग्यजःु सामार्र्वािणण छन्दांसस | अस्यां मत
ू े प्राणः नतष्ठं तःु | अस्यां मत
ू े जीर्वः

सकलजगत्सस्ृ ष्टस्स्र्नत संिारकाररणी नतष्ठन्तु |

प्राणशस्कतः परा दे र्वता | अस्यां मत


ू े सर्वेस्न्द्रयाणण मनस्त्र्वत ् चक्षुः

आं बीजम ् | ह्ीं शस्कतः | क्रौम ् कीलकम ् | श्रोि स्जह्र्वा िाणैः र्वाकर्वाणण पादपायोपस्र्ानन

अस्यां मत
ू ौ प्राण प्रनतष्ठापने र्र्वननयोगः || प्राण अपान व्यान उदान समान अिागत्य
सुखेन धचरं नतष्ठन्तु स्र्वािाः |
|| करन्यासः ||
असुनीते पुनरस्मासु चक्षुर्वः पुनः प्राणसमिीनो
आं अंगुष्ठाभ्यां नमः || दे हिभोगं ज्योक्ष क्षेम सूयम
ि ुच्चरन्तम ् अनुमते
ह्ीं तजिनीभ्यां नमः ||

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मड
ृ यान स्र्वस्स्त अमत
ृ ं र्वै प्राणा अमत
ृ मापः ॐ सिस्रशीषाि पुरुषः सिस्राक्षः सिस्रपात ् ।
प्राणानेर्व यर्ा स्र्ानं उपह्र्वयेत ् || स भूसमं र्र्वश्र्वतो र्वत्ृ र्वा अत्यनतष्ठद्दशाङ्गुलम ् ।।
स्र्वासमन ् सर्वि जगन्नार् यार्वत्पूजार्वसानकं आगच्छ दे र्वदे र्वेश तेजोराशे जगत्पते ।
तार्वत्र्वम ् प्रीनतभार्वेन त्रबम्बेस्स्मन ् कलशेस्स्मन ् कक्रयमाणां मया पूजां गि
ृ ाण सुरसत्तमे ।।
प्रनतमायां सस्न्नधधं कुरु ||
इनत प्राणं प्रनतष्ठापयासम || आर्वाियासम दे र्व त्र्वां र्वसुदेर्व कुलोद्भर्वम ्
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम || प्रनतमायां सुर्वणािहदननसमितायां यर्ार्र्वधध ।
कृष्णम ् च बलबध्रं च र्वसुदेर्वं च दे र्वकीम ्
-----------------------------------------------------------------------------
२२ ध्यानं
नन्दगोप यशोदाम ् च सुभद्राम ् ति पूजयेत ् ।।

ॐ ॐ (repeat 15 times)
ॐ तमद्भुतं बालकम ् अम्बुजेक्षणम ् आत्मा दे र्वानां भुर्वनस्य गभो यर्ार्वशं चरनत दे र्वेषः |

चतुभज
ुि शंख गदाद्युधायुदम ् । घोषा इदस्य शस्ण्र्विरे न रूपं तस्मै र्वातायिर्र्वषा र्र्वधेम ।।

श्री र्वत्स लक्ष्मम ् गल शोसभ कौस्तुभं


पीतम्बरं सान्द्र पयोद सौभगं ।। श्री कलीं कृष्णाय नमः, स पररर्वार सहित,
श्री बालकृष्णं आर्वाियासम ।।

मिािि र्वैढूयि ककरीटकुन्डल (offer flowers to Lord)

स्त्र्वशा पररष्र्वकत सिस्रकुन्डलम ् ।


उद्धम कांचनगदा कङ्गणाहदसभर् आर्वाहितो भर्व । स्र्ार्पतो भर्व । सस्न्नहितो भर्व ।

र्र्वरोचमानं र्वसुदेर्व ऐक्षत ।। सस्न्नरुद्धो भर्व । अर्वकुस्ण्ठतो भर्व । सुप्रीतो भर्व ।


सप्र
ु सन्नो भर्व । सम
ु ख
ु ो भर्व । र्वरदो भर्व ।

ध्यायेत ् चतुभज
ुि ं कृष्णं, शंख चक्र गदाधरम ् । प्रसीद प्रसीद ।।

पीतम्बरधरं दे र्वं माला कौस्तभ


ु भर्ू षतम ् ।। (show mudras to Lord)
-----------------------------------------------------------------------------
२४ आसनं
(you can add more related shlokas)
ॐ श्री कृष्णाय नमः ।
पुरुष एर्वेदगं सर्विम ् यद्भूतं यच्छ भव्यम ् ।
ध्यानात ् ध्यानं समपियासम ।।
उतामत
ृ त्र्वस्येशानः यदन्नेनानतरोिनत ।।
-----------------------------------------------------------------------------
२३ आर्वािनं
( hold flowers in hand) राजाधधराज राजेन्द्र बालकृष्ण मिीपते ।

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रत्न ससंिासनं तुभ्यं दास्यासम स्र्वीकुरु प्रभो ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । आसनं समपियासम ।। ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । अघ्यिम ् समपियासम।।
(offer flowers/axathaas) कांसोस्स्म तां हिरण्यप्राकारामाद्रां ज्र्वलन्तीं तप्ृ तां
तपियन्तीम ् ।
तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ् । पद्मेस्स्र्तां पद्मर्वणां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् ।।
यस्यां हिरण्यं र्र्वन्दे यं गामश्र्वं पुरुषानिम ् ।। अघ्यं समपियासम ।।
आसनं समपियासम ।।
-----------------------------------------------------------------------------

----------------------------------------------------------------------------- २७ आचमनीयं
२५ पाद्यं (offer water or axathaa/ leave/flower)
(offer water)
एतार्वानस्य महिमा अतो ज्यायागंश्च पूरुषः । तस्माद्र्र्वराडजायत र्र्वराजो अधध पूरुषः ।
पादोऽस्य र्र्वश्र्वा भूतानन त्रिपादस्यामत
ृ ं हदर्र्व ।। स जातो अत्यररच्यत पश्चाद्भूसममर्ो पुरः ।।

अच्युतानन्द गोर्र्वन्द प्रणतानति र्र्वनाशन | नमः सत्याय शुद्धाय ननत्याय ज्ान रूर्पणे |
पाहि मां पन्
ु डरीकाक्ष प्रसीद परु
ु षोत्तम || गि
ृ ाणाचमनं कृष्ण सर्वि लोकैक नायक ||

ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। पादोयो पाद्यं ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । आचमनीयं समपियासम।।
समपियासम।।
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्र्वलंतीं धश्रयं लोके
अश्र्वपूर्वां रर्मध्यां िस्स्तनादप्रमोहदनीम ् । दे र्वजुष्टामुदाराम ् ।
धश्रयं दे र्वीमप
ु ह्र्वये श्रीमाि दे र्वी जष
ु ताम ् ।। तां पद्समनीमीं शरणमिं प्रपद्येऽलक्ष्मीमे नश्यतां त्र्वां
पादोयो पाद्यं समपियासम ।। र्वण
ृ े ।।
आचमनीयं समपियासम ।।
-----------------------------------------------------------------------------
२६ अघ्यं -----------------------------------------------------------------------------
(offer water) २८ स्नानं
त्रिपादध्ू र्वि उदै त्परु
ु षः पादोऽस्येिाभर्वात्पन
ु ः । यत्परु
ु षेण िर्र्वषा दे र्वा यज्मतन्र्वत ।
ततो र्र्वश्र्वङ्व्यक्रामत ् साशनानशने असभ ।। र्वसन्तो अस्यासीदाज्यम ् ग्रीष्म इध्मश्शरद्धर्र्वः ।।

पररपूणि परानन्द नमो नमो कृष्णाय र्वेधसे | ब्रह्माण्डोदर मध्यस्र्ैस्स्तर्ैश्च रघुनन्दन ।


गि
ृ ाणाघ्यं मया दत्तं कृष्णा र्र्वष्णोजिनादि न || स्नापनयश्याम्यिं भकत्या त्र्वं गि
ृ ाण जनादि ना ।।

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ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । मलापकशि स्नानं सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
समपियासम ।।
-----------------------------------------------------------------------------
२८. १. ३ घत
ृ स्नानं (ghee bath)

आहदत्यर्वणे तपसोऽधधजातो र्वनस्पनतस्तर्व र्वक्ष


ृ ोऽर्
ॐ घत
ृ ं समसमक्षे घत
ृ मस्य योननघत
ि ृ े धश्रतो
त्रबल्र्वः ।
घत
ृ ंर्वस्यधाम
तस्य फलानन तपसानुदन्तुमायान्तरायाश्च बाह्या
अनुष्ठधमार्वि मादयस्र्व स्र्वािाकृतं र्वष
ृ भ र्वक्षक्षिव्यं।।
अलक्ष्मीः ।।
-----------------------------------------------------------------------------
२८. १ पञ्चामत
ृ स्नानं आज्यं सुरानां आिारं आज्यं यज्े प्रनतस्ष्ठतम ् ।
२८.१. १ पय स्नानं (milk bath) आज्यं पर्र्विं परमं स्नानार्ं प्रनतगह्
ृ यताम ् ।।

ॐ आप्याय स्र्व स्र्वसमेतुते ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । घत


ृ स्नानं समपियासम।।
र्र्वश्र्वतः सोमर्वष्ृ ण्यं भर्वार्वाजस्य संगर्े ।। घत
ृ स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियासम ।।
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
सरु भेस्तु समत्ु पन्नं दे र्वानां अर्प दल
ु भ
ि म् ।
-----------------------------------------------------------------------------
२८. १. ४ मधु स्नानं (honey bath)
पयो दधासम दे र्वेश स्नानार्ं प्रनतगह्
ृ यताम ् ।।

ॐ मधर्व
ु ात ऋतायते मधक्ष
ु रं नत ससन्धर्वः मास्ध्र्वनः
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पयः स्नानं समपियासम।। संतोष्र्वधीः
पयः स्नानानंतर शद्
ु धोदक स्नानं समपियासम ।। मधन
ु कता मत
ु ोषसो मधम
ु त ् पाधर्िर्वं रजः मधद्
ु यौ
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।। रस्तुनः र्पता
-----------------------------------------------------------------------------
मधम
ु ान्नो र्वनस्पनतर् मधम
ु ााँ अस्तु सय
ू ःि
२८. १. २ दधध स्नानं (curd bath) माध्र्वीगािर्वो भर्वंतु नः ||
ॐ दधधक्राव्णो अकाररषं स्जष्णोरश्र्वस्यर्वास्जनः । सर्वौषधध समत्ु पन्नं पीयष
ु सदृशं मधु ।
सुरसभनो मुखाकरत ् प्राण आयुंर्ष ताररषत ् ।। स्नानार्ं मया दत्तं गि
ृ ाण परमेश्र्वर ।।

चन्द्र मन्डल सम्काशं सर्वि दे र्व र्प्रयं हि यत ् । ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । मधु स्नानं समपियासम।।
दधध ददासम दे र्वेश स्नानार्ं प्रनतगह्
ृ यताम ् ।। मधु स्नानानंतर शद्
ु धोदक स्नानं समपियासम ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । दधध स्नानं समपियासम।। सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
दधध स्नानानंतर शद्
ु धोदक स्नानं समपियासम ।।
-----------------------------------------------------------------------------
२८. १. ५ शकिरा स्नानं (sugar bath)

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ॐ स्र्वाधःु पर्वस्य हदव्याय जन्मने अभ्यंगार्ं मिीपाल तैलं पुष्पाहद संभर्वं ।
स्र्वादरु रन्द्राय सुिर्वीतु नाम्ने सुगंध द्रव्य संसमश्रं संगि
ृ ाण जगत्पते ।।
स्र्वादसु मििाय र्वरुणाय र्वायर्वे
बि
ृ स्पतये मधम
ु ााँ अदाभ्यः || ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । अभ्यंग स्नानं
समपियासम।
इक्षु दण्डात ् समुत्पन्ना, रसस्स्नग्धतरा शुभा सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
शकिरे यं मया दत्ता, स्नानातं प्रनतगह्
ृ यताम ्
-----------------------------------------------------------------------------
२८. ४ अंगोद्र्वतिनकं (To clean the body)

ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । शकिरा स्नानं


अंगोद्र्वतिनकं दे र्व कस्तूयािहद र्र्वसमधश्रतं ।
समपियासम।।
लेपनार्ं गि
ृ ाणेदं िररद्रा कंु कुमैयत
ुि ं ।।
शकिरा स्नानानंतर शद्
ु धोदक स्नानं समपियासम ।।
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
----------------------------------------------------------------------------- ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । अंगोद्र्वतिनं समपियासम।।
२८. २ गंधोदक स्नानं (Sandalwood water सकल पज
ू ार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
bath)
-----------------------------------------------------------------------------
२८. ५ उष्णोदक स्नानं (Hot water bath)

ॐ गंधद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपुष्टां करीर्षणीं |


नाना तीर्ािदाहृतं च तोयमुष्णं मयाकृतं ।
ईश्र्वरीं सर्वि भत
ू ानां तासम िोप व्ियेधश्रयं ||
स्नानार्ं च प्रयच्छासम स्र्वीकुरुश्र्व दयाननधे ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । उष्णोदक स्नानं
िरर चंदन संभत
ू ं िरर प्रीतेश्च गौरर्वात ् ।
समपियासम ।।
सुरसभ र्प्रय गोर्र्वन्द गंध स्नानाय गह्
ृ यतां ।।
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । गंधोदक स्नानं -----------------------------------------------------------------------------
समपियासम ।। २८. ६ शद्
ु धोदक स्नानं (Pure water bath)
सकल पज
ू ार्े अक्षतान ् समपियासम ।। sprinkle water all around
-----------------------------------------------------------------------------
ॐ आपोहिष्टा मयो भर्व
ु ः । ता न ऊजे दधातन ।
२८. ३ अभ्यंग स्नानं (Perfumed Oil bath)
मिे रणाय चक्षसे । यो र्वः सशर्वतमो रसः
ॐ कननक्रदज्र्वनश
ु ं प्रभ्रर्व
ु ान। इयधर्र्वािचमररतेर्व नार्वं।
तस्यभाजयते ि नः ।
सुमंगलश्च शकुने भर्वासस मात्र्वा काधचदसभभार्र्वश्व्या
र्र्वदत ।।

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उशतीररर्व मातरः । तस्मा अरं गमामर्वो । यस्य तं यज्ं बहििर्ष प्रौक्षन ् पुरुषं जातमग्रतः ।
क्षयाय स्जन्र्वर् । आपो जनयर्ा च नः ।। तेन दे र्वा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये ।। ७।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । शुद्धोदक स्नानं तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः संभत
ृ ं पष
ृ दाज्यम ् ।
समपियासम ।। पशूगाँस्तागंश्चक्रे र्वायव्यान ् आरण्यान ्
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।। ग्राम्याश्चये।।८।।
(after sprinkling water around throw one तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः ऋचः सामानन जक्षज्रे ।
tulasi leaf to the north) छन्दााँसस जक्षज्रे तस्मात ् यजुस्तस्मादजायत ।।९।।
तस्मादश्र्वा अजायन्त ये के चोभयादतः ।
-----------------------------------------------------------------------------

२९ मिा असभषेकः गार्वो ि जक्षज्रे तस्मात ् तस्माज्जाता

(Sound the bell pour water from kalasha) अजार्वयः।।१०।।


यत्पुरुषं व्यदधःु कनतधा व्यकल्पयन ् ।

२९.१ पुरुष सूकत मख


ु ं ककमस्य कौ बािू कार्वरू
ू पादार्वच्
ु येते ।। ११।।
ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत ् बािू राजन्यः कृतः ।

ॐ सिस्रशीषाि परु
ु षः सिस्राक्षः सिस्रपात ् । उरू तदस्य यद्र्वैश्यः पद्भ्यां शद्र
ू ो अजायत ।। १२।।

स भूसमं र्र्वश्र्वतो र्वत्ृ र्वा अत्यनतष्ठद्दशाङ्गुलम ् ।। चन्द्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत ।

१।। मख
ु ाहदन्द्रश्चास्ग्नश्च प्राणाद्र्वायरु जायत ।। १३।।

पुरुष एर्वेदगं सर्विम ् यद्भूतं यच्छ भव्यम ् । नाभ्या आसीदन्तररक्षम ् शीष्णो द्यौः समर्वतित ।

उतामत
ृ त्र्वस्येशानः यदन्नेनानतरोिनत ।। २।। पदभ्यां भसू महदि शः श्रोिात ् तर्ा लोकााँ

एतार्वानस्य महिमा अतो ज्यायागंश्च पूरुषः । अकल्पयन ्।।१४।।

पादोऽस्य र्र्वश्र्वा भत
ू ानन त्रिपादस्यामत
ृ ं हदर्र्व ।। ३।। र्वेदािमेतं परु
ु षं मिान्तम ्

त्रिपादध्ू र्वि उदै त्पुरुषः पादोऽस्येिाभर्वात्पुनः । आहदत्यर्वणं तमसस्तु पारे ।

ततो र्र्वश्र्वङ्व्यक्रामत ् साशनानशने असभ ।। ४।। सर्वािणण रूपाणण र्र्वधचत्य धीरः

तस्माद्र्र्वराडजायत र्र्वराजो अधध पूरुषः । नामानन कृत्र्वाऽसभर्वदन ् यदास्ते ।। १५।।

स जातो अत्यररच्यत पश्चाद्भसू ममर्ो परु ः ।। ५।। धाता पुरस्ताद्यमुदाजिार

यत्पुरुषेण िर्र्वषा दे र्वा यज्मतन्र्वत । शक्रः प्रर्र्वद्र्वान्प्रहदशश्चतस्रः ।

र्वसन्तो अस्यासीदाज्यम ् ग्रीष्म इध्मश्शरद्धर्र्वः तमेर्वं र्र्वद्यानमत


ृ इि भर्वनत

।।६।। नान्यः पन्र्ा अयनाय र्र्वद्यते ।। १६।।

सप्तास्यासन ् पररधयः त्रिस्सप्त ससमधः कृताः । यज्ेन यज्मयजन्त दे र्वाः

दे र्वा यद्यज्ं तन्र्वानाः अबध्नन्पुरुषं पशुम ् । तानन धमािणण प्रर्मान्यासन ् ।

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ते ि नाकं महिमानः सचन्ते ईश्र्वरीं सर्विभूतानां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् || ९ ||
यि पूर्वे साध्याः सस्न्त दे र्वाः ।। १७।। मनसः काममाकूनतं र्वाचः सत्यमशीमहि |
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पुरुषसूकत स्नानं पशूनां रूपमन्नस्य मनय श्रीः श्रयतां यशः || १० ||
समपियासम। ।। कदि मेन प्रजाभूतामनय सम्भर्वकदि म |
धश्रयं र्वासय मे कुले मातरं पद्ममासलनीम ् || ११ ||
-----------------------------------------------------------------------------
२९.२ श्री सूकत
आपः सज
ृ न्तु स्स्नग्धानन धचकलीतर्वसमे गि
ृ े |
ननचदे र्वीं मातरं धश्रयं र्वासय मे कुले || १२ ||
हिरण्यर्वणां िररणीं सुर्वणिरजतस्रजाम ् |
आद्रां पुष्कररणीं पुस्ष्टं सुर्वणां िे ममासलनीम ् |
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो ममार्वि || १||
सूयां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि || १३ ||
तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ् |
आद्रां यःकररणीं यस्ष्टं र्पङ्गलां पद्ममासलनीम ् |
यस्यां हिरण्यं र्र्वन्दे यं गामश्र्वं पुरुषानिम ् || २ ||
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि || १४ ||
अश्र्वपूर्वां रर्मध्यां िस्स्तनादप्रमोहदनीम ् |
तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ् |
धश्रयं दे र्वीमुपह्र्वये श्रीमाि दे र्वी जुषताम ् || ३ ||
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गार्वोदास्योश्र्वास्न्र्वन्दे यं
कांसोस्स्म तां हिरण्यप्राकारामाद्रां ज्र्वलन्तीं तप्ृ तां
परु
ु षानिम ् || १५ ||
तपियन्तीम ् |
यः शुधचः प्रयतो भूत्र्वा जुिुयादाज्यमन्र्विम ् |
पद्मेस्स्र्तां पद्मर्वणां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् || ४ ||
सक
ू तं पञ्चदशचं च श्रीकामः सततं जपेत ् || १६ ||
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्र्वलंतीं धश्रयं लोके
पद्मानने पद्म ऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भर्वे |
दे र्वजुष्टामुदाराम ् |
तन्मेभजसस पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यिम ् || १७
तां पद्समनीमीं शरणमिं प्रपद्येऽलक्ष्मीमे नश्यतां त्र्वां
||
र्वण
ृ े || ५ ||
अश्र्वदायी गोदायी धनदायी मिाधने |
आहदत्यर्वणे तपसोऽधधजातो र्वनस्पनतस्तर्व र्वक्ष
ृ ोऽर्
धनं मे जुषतां दे र्र्व सर्विकामांश्च दे हि मे || १८ ||
त्रबल्र्वः |
पद्मानने पद्मर्र्वपद्मपिे पद्मर्प्रये पद्मदलायताक्षक्ष
तस्य फलानन तपसानद
ु न्तम
ु ायान्तरायाश्च बाह्या
|
अलक्ष्मीः ।। ६ ।।
र्र्वश्र्वर्प्रये र्र्वश्र्वमनोनुकूले त्र्वत्पादपद्मं मनय
उपैतु मां दे र्वसखः कीनतिश्च मणणना सि |
संननधत्स्र्व || १९ ||
प्रादभ
ु त
ूि ोऽस्स्म राष्रे स्स्मन्कीनतिमद्
ृ धधं ददातु मे || ७ ||
पुिपौिं धनं धान्यं िस्त्यश्र्वाहदगर्वेरर्म ् |
क्षुस्त्पपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यिम ् |
प्रजानां भर्वसस माता आयुष्मन्तं करोतु मे || २० ||
अभूनतमसमद्
ृ धधं च सर्वां ननणुद
ि मे गि
ृ ात ् || ८ ||
धनमस्ग्नधिनं र्वायुधन
ि ं सूयो धनं र्वसुः |
गन्धद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपुष्टां करीर्षणीम ् |
धनसमन्द्रो बि
ृ स्पनतर्विरुणं धनमस्तु ते || २१ ||

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र्वैनतेय सोमं र्पब सोमं र्पबतु र्वि
ृ िा | तद् र्र्वष्णोः परमं पदं सदा पश्यस्न्त सूरयः ।
सोमं धनस्य सोसमनो मह्यं ददातु सोसमनः || २३ || हदर्वीर्व चक्षुराततम ् ।।
न क्रोधो न च मात्सयं न लोभो नाशुभा मनतः । । तद् र्र्वप्रासो र्र्वपन्यर्वो जागर्व
ृ ााँसस्सममन्धते ।
भर्वस्न्त कृतपुण्यानां भकतानां श्रीसूकतं जपेत ्।।२४ ।। र्र्वष्णोर् यत ् परमं पदं ।।
सरससजननलये सरोजिस्ते दे र्वस्य त्र्वा सर्र्वतुः प्रसर्वेऽस्श्र्वनोबाििुभ्यां पूष्णो
धर्वलतरांशुकगन्धमाल्यशोभे । िस्ताभ्याम ् ।
भगर्वनत िररर्वल्लभे मनोज्े त्रिभुर्वनभूनतकरर प्रसीद अग्नेस्तेजसा सूयश्ि च अचिसेन्द्रस्यं
मह्यम ् ।। २५ ।। इस्न्द्रयेनासभसशञ्चासम ।।
र्र्वष्णुपत्नीं क्षमादे र्वीं माधर्वीं माधर्वर्प्रयाम ् । बलाय धश्रयै यशसेन्नाध्याय अम्रुतासभषेको अस्तु ।
लक्ष्मीं र्प्रयसखीं दे र्वीं नमाम्यच्युतर्वल्लभाम ् ।।२६ ।। शास्न्तः पुस्ष्टः तुस्ष्टः च अस्तु ।।
मिालक्ष्मी च र्र्वद्मिे र्र्वष्णुपत्नी च धीमहि ।
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात ् ।। २७ ।। ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । मिा असभषेक स्नानं
श्रीर्वचिस्र्वमायुष्यमारोग्यमार्र्वधाच्छोभमानं मिीयते । समपियासम ।।
धान्यं धनं पशंु बिुपि
ु लाभं शतसंर्वत्सरं
-----------------------------------------------------------------------------
३० प्रनतष्ठापना
दीघिमायुः।।२८।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | (repeat 12 times)

ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | श्री सूकत स्नानं ॐ तदस्


ु तु समिा र्वरुणा तदग्ने शंयोरस्मभ्यसमदम
समपियासम || स्तश
ु स्तम ् |
-----------------------------------------------------------------------------
अशीमहि गाधमुत प्रनतष्ठां नमो हदर्वे बि
ृ ते
२९. ३ र्र्वष्णु सूकत
साधनाय||
ॐ गि
ृ ार्वै प्रनतष्ठासूकतं तत ् प्रनतस्ष्टत तमया र्वाचा |
अतो दे र्वा अर्वन्तु नो यतो र्र्वष्णुर्र्विचक्रमे ।
शं स्तव्यं तस्माद्यद्यर्पदरू इर्व पशन
ू ् लभते |
पधर्िव्याः सप्त धामसभः ।।
ग्रिानेर्वै नानास्जगसमशनत गि
ृ ाहि पशूनां प्रनतष्ठा
इदं र्र्वष्णुर्र्विचक्रमे िेधा ननदधे पदं ।
प्रनतष्ठा ||
समढ
ू मस्यपााँसरु े ।।
िीणण पदा र्र्वचक्रमे र्र्वष्णुगोपा अदाभ्यः ।
ॐ श्री बालकृष्णाय सांगाय सपररर्वाराय सायुधाय
ततो धमािणण धारयन ् ।।
सशस्कतकाय नमः । श्री बालकृष्णं सांगं सपररर्वारं
र्र्वष्णोः कमािणण पश्यत यतो व्रतानन पस्पशे ।
सायुधं सशस्कतकं आर्वाियासम ।।
इन्द्रस्य युज्यः सखा ।।
पररर्वार सहित श्री बालकृष्णाय नमः ।।

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सुप्रनतष्ठमस्तु ।। गन्धद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपुष्टां करीर्षणीम ् |
ईश्र्वरीं सर्विभूतानां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् ||
-----------------------------------------------------------------------------
३१ र्वस्ि
कुम्कुमागरु कस्तूरर कपरूि ं चन्दनं तता |
(offer two pieces of cloth for the Lord)
तुभ्यं दास्यासम राजेन्द्र श्री कृष्णा स्र्वीकुरु प्रभो ।।

ॐ तं यज्ं बहििर्ष प्रौक्षन ् पुरुषं जातमग्रतः ।


ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | गंधं समपियासम ||
तेन दे र्वा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये ।। -----------------------------------------------------------------------------
३४ आभरणं िस्तभूषण
ॐ उपैतु मां दे र्वसखः कीनतिश्च मणणना सि |
गि
ृ ाण नानाभरणानन कृष्णाय ननसमितानन ।
प्रादभ
ु त
ूि ोऽस्स्म राष्रे स्स्मन्कीनतिमद्
ृ धधं ददातु मे ||
ललाट कंठोत्तम कणि िस्त ननतम्ब िस्तांगुसल
भूषणानन ।।
तप्त कान्चन संकाशं पीताम्बरं इदं िरे
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । आभरणानन समपियासम।।
संगि
ृ ाण जगन्नार् बालकृष्ण नमोऽस्तुते
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | िस्तभूषणं समपियासम||
-----------------------------------------------------------------------------
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | र्वस्ियग्ु मं समपियासम || ३५ नाना पररमल द्रव्य
-----------------------------------------------------------------------------
३२ यज्ोपर्वीत
अहिररर्व भोगैः पयेनत बािुं जयाया िे नतं
पररबाधमानः|
तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः संभत
ृ ं पष
ृ दाज्यम ् ।
िस्तघ्नो र्र्वश्र्वा र्वयन
ु ानन र्र्वद्र्वान्पुमान्पम
ु ांसं परर
पशग
ू ाँस्तागंश्चक्रे र्वायव्यान ् आरण्यान ् ग्राम्याश्चये।।
पातु र्र्वश्र्वतः ||
क्षुस्त्पपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यिम ् |
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | नाना पररमल द्रव्यं
अभनू तमसमद्
ृ धधं च सर्वां ननणद
ुि मे गि
ृ ात ् ||
समपियासम ||
श्री बाल कृष्ण दे र्वेश श्रीधरानन्त राघर्व ।
-----------------------------------------------------------------------------
ब्रह्मसि
ु म्चोत्तरीयं गि
ृ ाण यदन
ु न्दन ।। ३६ अक्षत
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | यज्ोपर्वीतम ्
समपियासम|| तस्मादश्र्वा अजायन्त ये के चोभयादतः ।
----------------------------------------------------------------------------- गार्वो ि जक्षज्रे तस्मात ् तस्माज्जाता अजार्वयः।।
३३ गंध
मनसः काममाकूनतं र्वाचः सत्यमशीमहि |
पशूनां रूपमन्नस्य मनय श्रीः श्रयतां यशः ||
तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः ऋचः सामानन जक्षज्रे ।
श्र्वेत तण्डुल संयक
ु तान ् कुङ्कुमेन र्र्वरास्जतान ् |
छन्दााँसस जक्षज्रे तस्मात ् यजस्
ु तस्मादजायत ।।
अक्षतान ् गह्
ृ यताम ् दे र्व नारायण नमोऽस्तुते ||

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ॐ राजीर्वलोचनाय नमः | गुल्फौ पूजयासम ||
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः| अक्षतान ् समपियासम||
ॐ नरकान्तकाय नमः | जानुनी पूजयासम ||
-----------------------------------------------------------------------------
३७ पुष्प ॐ र्वाचस्पतये नमः | जंघै पूजयासम ||
ॐ र्र्वश्र्वरूपाय नमः | ऊरून ् पूजयासम ||
माल्यादीनन सुगन्धीनन माल्यतादीनन र्वैप्रभो ।
मया हह्तानन पूजार्ं पुष्पाणण प्रनतगह्
ृ यताम ् ।। ॐ बलभद्रानुजाय नमः | गुह्यं पूजयासम ||

ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पुष्पाणण समपियासम।। ॐ र्र्वश्र्वमूतय


ि े नमः | जघनं पूजयासम ||
ॐ गोपीजन र्प्रयाय नमः | कहटं पूजयासम ||

तुलसी कुन्द मन्दार, जाजी पुन्नाग चम्पकैः । ॐ परमात्मने नमः | उदरं पूजयासम ||

कदम्ब करर्वीरै श्च कुसुमे शतपिकैः ।। ॐ श्रीकण्टाय नमः | हृदयं पज


ू यासम ||

ॐ यक्षज्ने नमः | पाश्र्वौ पज


ू यासम ||
जलाम्बज
ु ैत्रबिल्र्वपिैश्चम्पकै यादर्वं र्र्वभम
ु ्।
ॐ त्रिर्र्वक्रमाय नमः | पष्ृ ठदे िं पूजयासम ||
पूजनयष्याम्यिं भकत्या संगि
ृ ाण जनादि न ।।
ॐ पद्मनाभाय नमः | स्कन्धौ पज
ू यासम ||
ॐ सर्वािस्िधाररणे नमः | बािून ् पूजयासम ||
तुलसी कुन्दमन्दार पाररजाताम्बुजैयत
ुि ां ।
ॐ कमलानार्ाय नमः । िस्तान ् पज
ू यासम ।।
र्वनमालां प्रदास्यासम गि
ृ ाण जगदीश्र्वर ।।

ॐ र्वासद
ु े र्वाय नमः । कंठं पज
ू यासम ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पि पष्ु पाणण,र्वनमालां च
ॐ सनातनाय नमः । र्वदनं पूजयासम ।।
समपियासम ।।
-----------------------------------------------------------------------------
ॐ र्वसद
ु े र्वात्मजाय नमः । नाससकां पज
ू यासम ।।
ॐ पुण्याय नमः । श्रोिे पूजयासम ।।
३८ नाना अलंकार
ॐ श्रीशाय नमः । नेिाणण पज
ू यासम ।।

कहट सूताङ्गुली येच कुण्डले मुकुठं तर्ा ।


ॐ नन्दगोपर्प्रयाय नमः । भ्रर्वौ पूजयासम ।।
र्वनमालां कौस्तभ
ु ं च गि
ृ ाण परु
ु षोत्तम ।।
ॐ दे र्वकीनन्दनाय नमः । भ्रूमध्यं पूजयासम ।।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | नाना अलंकारान ्
ॐ शकटासुरमधिनाय नमः । ललाटं पूजयासम ।।
समपियासम ||
----------------------------------------------------------------------------- ॐ श्री कृष्णाय नमः । सशरः पूजयासम ।।
३९ अर् अङ्गपूजा

ॐ श्री कृष्णाय नमः | पादौ पूजयासम || ॐ श्री बालकृष्णाय नमः सर्वांगाणण पूजयासम||
-----------------------------------------------------------------------------

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४० अर् पुष्प पूजा ॐ दष्ु टध्र्वस्म्सने नमः । पूग पुष्पं समपियासम ।।

ॐ श्री कृष्णाय नमः । करर्वीर पुष्पं समपियासम ।। ॐ नर्वनीत चोराय नमः । दाडडमा पुष्पं समपियासम।।
ॐ सुभद्राग्रजाय नमः । जाजी पुष्पं समपियासम।। ॐ सकलगुण संपन्नाय नमः । दे र्व दारु पुष्पं
ॐ शाश्र्वताय नमः । चम्पका पुष्पं समपियासम ।। समपियासम ।।
ॐ राजीर्वलोचनाय नमः । र्वकुल पुष्पं समपियासम ।। ॐ पूतनान्तकाय नमः । सुगन्ध राज पुष्पं
ॐ श्रीमते नमः । शतपि पुष्पं समपियासम ।। समपियासम।।
ॐ र्वेदान्तसाराय नमः । कमल पुष्पं समपियासम ।।
ॐ राजेन्द्राय नमः । कल्िार पुष्पं समपियासम ।। ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पुष्पपूजां समपियासम ।।
ॐ यदप
ु ुङ्गर्वाय नमः । सेर्वस्न्तका पुष्पं
-----------------------------------------------------------------------------
४१ अर् पि पूजा
समपियासम।।
ॐ रुस्कमणीर्वल्लभाय नमः । मस्ल्लका पष्ु पं
ॐ श्री कृष्णाय नमः | तुलसी पिं समपियासम ||
समपियासम ।।
ॐ आहदपुरुशाय नमः | जाजी पिं समपियासम ||
ॐ र्वेणन
ु ादर्प्रयाय नमः । इरुर्वंनतका पष्ु पं
ॐ धस्न्र्वने नमः | चम्पका पिं समपियासम ||
समपियासम।।
ॐ र्पिु भकताय नमः | त्रबल्र्व पिं समपियासम ||
ॐ स्जतासमिाय नमः । धगररकणणिका पष्ु पं
ॐ र्वरप्रदाय नमः । दर्व
ू ाियग्ु मं समपियासम ।।
समपियासम।।

ॐ स्जतक्रोधाय नमः | सेर्वस्न्तका पिं समपियासम ||


ॐ जनादि नाय नमः । आर्सी पुष्पं समपियासम ।।
ॐ जगद्गुरर्वे नमः | मरुग पिं समपियासम ||
ॐ नन्दगोपर्प्रयाय नमः । पाररजात पष्ु पं
ॐ मिादे र्वाय नमः | दर्वन पिं समपियासम ||
समपियासम ।।
ॐ मिाभुजाय नमः | करर्वीर पिं समपियासम ||
ॐ दन्ताय नमः । पन्
ु नाग पष्ु पं समपियासम।।
ॐ सौम्याय नमः | र्र्वष्णु क्रास्न्त पिं समपियासम।।
ॐ र्वास्ग्मने नमः । कुन्द पुष्पं समपियासम ।।
ॐ सत्यर्वाचे नमः । मालनत पुष्पं समपियासम ।।
ॐ ब्रह्मण्याय नमः | माधच पिं समपियासम||
ॐ मुननसंस्तुतये नमः | मस्ल्लका पिं समपियासम ||
ॐ सत्यर्र्वक्रमाय नमः । केतकी पुष्पं समपियासम ।।
ॐ मिायोधगने नमः | इरुर्वस्न्तका पिं समपियासम ।।
ॐ सत्यर्वत
ृ ाय नमः । मन्दार पुष्पं समपियासम ।।
ॐ मिोदराय नमः । अपामागि पिं समपियासम ।।
ॐ र्वत
ृ धराय नमः । पातली पुष्पं समपियासम ।।
ॐ परमपुरुषाय नमः । पाररजात पिं समपियासम ।।
ॐ दे र्वकीनन्दनाय नमः । अशोक पुष्पं समपियासम।।

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Kamsa, however knew that she was glowing with
an unearthly light. Devaki was holding the lord in
ॐ पुण्योदयाय नमः । दाडडमा पिं समपियासम।। her womb and the entire house was bathed in a
ॐ दयासागराय नमः | बदरी पिं समपियासम ||
strange light since she was there.Her lips bore a
beautiful smile and Kamsa, looking at her spoke to
ॐ स्स्मतर्वकिाय नमः | दे र्वदारु पिं समपियासम || himself and said
ॐ समतभर्षणे नमः | शमी पिं समपियासम || “Devaki has never looked like this before. It seems
ॐ पूर्वभ
ि ार्षणे नमः | आम्र पिं समपियासम || to me this strange glow in her is there because of
the child that is to be born. I think it is Narayana
who is to be born and that is why she looks so very
ॐ यादर्वाय नमः । मन्दार पिं समपियासम ।। beautiful. I must take proper precautions lest he
should do what he was promised to do! I do not
ॐ यशोदार्वत्सलाय नमः । र्वट पिं समपियासम ।। want to die. I could kill her now. But then she is a
ॐ स्जतर्वाराशये नमः । कमल पिं समपियासम ।। woman; she is my sister and she is with the child.
Each killing in itself is an unforgivable crime and
ॐ िरये नमः । र्वेणु पिं समपियासम ।। the world will condemn me if I kill her now. All my
fame and all my wealth and even my life-span will
suffer because of this sin. Is it not the fact that a
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पिपूजां समपियासम ।। man who lives in constant association with terrible
deeds is but a walking corps? When he is alive
----------------------------------------------------------------------------- people will curse him and when he dies he will go
४२ Katha to the hell, which goes by the name of Andhatmas.
Kamsa desisted from killing his sister and awaited
for the birth of the child with impatience. The
Lord Narayana who is the soul of the Universe, who
thoughts of the coming child had become with him
is the refuge of everyone, entered the mind of
an obsession. While sitting down on a seat he would
Vasudeva. People were amazed to see the glow that
suddenly stop and look at the seat since he thought
emanated from Vasudeva. He shone like noonday
he saw a child on the seat. He would tell himself,
sun since the Lord had found an abode in him.
there was a child on the seat and I was about to sit
on it ! Terrible ! He would then go tot bed and try to
Devaki received in her the embodiment of
lie down and there too he would see the child. He
auspiciousness, the essence of all wealth and glory
would move away from there and stand far away.
of the Universe, the soul of the Universe, the
Looking down he would see a child at his feet. He
indestructible atman which resides in every living
would go and sit down to eat . Instead of food he
and non living things. Devaki had the great fortune
would see child on the plate. He would get up in
of becoming the mother of the Lord of the Lords.
disgust and walk from there. At every step the child
Like the East glows with the newly risen moon, she
would persist on his way. To Kamsa, the entire
looked beautiful. Her form was radiant. But the
world seemed to be pervaded by the Lord of The
world could not see it since she was captive in the
Lords in the form of a mere child.
house of Kamsa. Her glory was hidden like a lamp
placed inside a pot; like Saraswati, the goddess of
The time was drawing near. Brahma, Mahadeva and
learning is hidden in the mind of a pandit who is
all the devas went to the presence of Devaki and
greedy about his learning and refuses to impart with
stood in front of her with folded palms and praised
others.
the Lord. They said “salutations to Thee, O Lord,

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you were gracious to take different forms at Devaki gave birth to Narayana like the east brings
different times to save us from despair. You were the glorious moon.
Matsya, Hayagreeva, Kurma, Narasimha, Varaha,
Hamsa, Parashurama, Rama Yadna and Kapila. The story of the lord Krishna’s birth shows how
Many other forms were assumed by you. Now, loving and powerful Lord is. Whenever evil in the
when the earth needs you, please save the world world becomes unbearable God himself comes to
form the great suffering she is undergoing. We bow save us in the form of incarnation like Lord
down to you.” Krishna. Not even a mightiest evil can do anything
against God.
They then spoke to Devaki and said you are
fortunate princess, since you will be the mother of Hence daily we should pray to god and remember
Narayana himself. Adishesha is already born to you him by repeatedly chanting his name in everything
and this child which is to be born will be the saviour we do.
of the world. You need have no more fear of
Kamsa. His days are numbered. Having pacified her
and encouraged her, Brahma and rest of the celestial ॐ श्री बालकृष्णाय नमः |
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः |
hosts vanished from their presence.

The time was auspicious. It had the charm of all the ॐ श्री बालकृष्णाय नमः |
six seasons. The planets and the stars were in the -----------------------------------------------------------------------------
position from where they showered peace and joy to
the world. The four quarters were clear and placid
and the star Rohini was in the ascent, the star which ४३ अष्टोत्तर पूजा (chant dhyAna shloka )
is governed by Prajapati. The sky was clear and
studded with stars which were shining brightly. The
कृष्णाय र्वसुदेर्वाय िरये परमात्मने |
waters in the river were clear and sweet. The lakes
were filled with flowers, lotuses and utpalas. The प्रणत कलेशनाशाय गोर्र्वन्दाय नमो नमः ||
trees were covered with flowers. The gentle breeze
was flowing and it brought intense scents of the
flowers with it. The fire which were kindled by the ॐ श्री कृष्णाय नमः |
Brahmins were burning without smoke and an air of ॐ कमलानार्ाय नमः |
peace and tranquility pervaded the earth. The mind
of all men were happy for no reasons, only Kamsa ॐ र्वासुदेर्वाय नमः |
was unhappy. The divine dundubhi was being ॐ सनातनाय नमः |
played in the havens, kinnaras were singing and so
were Gandharvas. Siddhas and Charanas were ॐ र्वसुदेर्वात्मजाय नमः |
ॐ पण्
ु याय नमः |
chanting the words of praise. The Apsaras and
Vidyadharas women were dancing with abandon.
The Devas and Rishis showered flowers on the ॐ लीलामानुषर्र्वग्रिाय नमः |
earth. There was heard a great rumbling from the
ॐ श्रीर्वत्स कौस्तभ
ु धराय नमः |
clouds which was like roar of the ocean. It was
midnight. The Muhurtha was “Abhijeet” and ॐ यशोदार्वत्सलाय नमः |
Narayana, who is in the hearts of everyone, was
born to Devaki, wife of Vasudeva.
ॐ िरये नमः |

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ॐ चतुभज
ुि ात्त चक्रासस गदाशङ्खाद्युधाय नमः | ॐ गोपगोपीश्र्वराय नमः |
ॐ दे र्वकीनन्दनाय नमः | ॐ योधगने नमः |
ॐ श्रीशाय नमः | ॐ कोहटसूयस
ि मप्रभाय नमः |
ॐ नन्दगोपर्प्रयात्मजाय नमः | ॐ इलापतये नमः |
ॐ यमुनार्वेगसंिाररणे नमः | ॐ परस्मैज्योनतषे नमः |
ॐ बलभद्रर्प्रयानुजाय नमः | ॐ यादर्वेन्द्राय नमः |
ॐ पूतनाजीर्र्वतिराय नमः | ॐ यदद्
ु र्विाय नमः |
ॐ शकटासुरभञ्जनाय नमः | ॐ र्वनमासलने नमः |

ॐ नन्दव्रजजनानस्न्दने नमः | ॐ पीतर्वाससे नमः |


ॐ सस्च्चदानन्दर्र्वग्रिाय नमः | ॐ पाररजातापिारकाय नमः |
ॐ नर्वनीतर्र्वसलप्ताङ्गाय नमः | ॐ गोर्वधिनाचलोध्दिे नमः |
ॐ नर्वनीतनटाय नमः | ॐ गोपालाय नमः |
ॐ अनघाय नमः | ॐ सर्विपालकाय नमः |
ॐ नर्वनीतनर्वािाराय नमः | ॐ अजाय नमः |
ॐ मच
ु क
ु ु न्दप्रसादकाय नमः | ॐ ननरञ्जनाय नमः |
ॐ षोडशस्िीसिस्रेशाय नमः | ॐ कामजनकाय नमः |
ॐ त्रिभङ्गीमधरु ाकृतये नमः | ॐ कञ्जलोचनाय नमः |

ॐ शक
ु र्वागमत
ृ ाब्धीन्दर्वे नमः |
ॐ मधघ्
ु ने नमः |
ॐ गोर्र्वन्दाय नमः |
ॐ मर्रु ानार्ाय नमः |
ॐ गोर्र्वदां पतये नमः |
ॐ द्र्वारकानायकाय नमः |
ॐ र्वत्सर्वाटचराय नमः |
ॐ बसलने नमः |
ॐ अनन्ताय नमः |
ॐ र्वद
ृ ार्वनान्तसञ्चाररणे नमः |
ॐ धेनुकासुरमदि नाय नमः |
ॐ तुलसीदामभूषणाय नमः |
ॐ तण
ृ ीकृततण
ृ ार्वतािय नमः |
ॐ स्यमन्तकमणेिििे नमः |
ॐ यमलाजन
ुि भञ्जनाय नमः |
ॐ नरनारायणात्मकाय नमः |
ॐ उत्तालतालभेिे नमः |
ॐ कुब्जाकृष्णाम्बरधराय नमः |

ॐ तमालश्यामलाकृतये नमः |

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ॐ मानयने नमः | ॐ पार्िसारर्ये नमः |
ॐ परमपूरुषाय नमः | ॐ अव्यकताय नमः |
ॐ मुस्ष्टकासुरचाणूरमल्लयुध्द र्र्वशारदाय नमः | ॐ गीतामत
ृ मिोदधये नमः |
ॐ संसारर्वैररणे नमः | ॐ काळीयफणणमाणणकयरं स्जत श्रीपदांबुजाय नमः |
ॐ कंसारये नमः | ॐ दामोदराय नमः |
ॐ मुरारये नमः | ॐ यज्भोकिे नमः |
ॐ नरकान्तकाय नमः | ॐ दानर्वेन्द्रर्र्वनाशनाय नमः |
ॐ अनाहदब्रह्मचाररणे नमः | ॐ नारायणाय नमः |
ॐ कृष्णाव्यसनकषिकाय नमः | ॐ परब्रह्मणे नमः |

ॐ सशशुपालसशरश्छे िे नमः | ॐ पन्नगाशन र्वािनाय नमः |


ॐ दय
ु ोधनकुलान्तकाय नमः | ॐ जलक्रोडासमासकत गोपीर्वस्िापिारकाय नमः |
ॐ र्र्वदरु ाक्रूरर्वरदाय नमः | ॐ पुण्यश्लोकाय नमः |
ॐ र्र्वश्र्वरूपप्रदशिकाय नमः | ॐ तीर्िपादाय नमः |
ॐ सत्यर्वाचे नमः | ॐ र्वेदर्वेद्याय नमः |
ॐ सत्यसङ्कल्पाय नमः | ॐ दयाननधये नमः |
ॐ सत्यभामारताय नमः | ॐ सर्विभूतात्मकाय नमः |
ॐ जनयने नमः | ॐ सर्विग्रिरूर्पणे नमः |
ॐ सुभद्रापूर्वज
ि ाय नमः | ॐ परात्पराय नमः |

इनत अष्टोत्तर पूजां समपियासम ||


ॐ र्र्वष्णर्वे नमः |
-----------------------------------------------------------------------------
ॐ भीष्ममस्ु कतप्रदायकाय नमः | ४४ धप
ू ं
ॐ जगद्गुरर्वे नमः | र्वनस्पत्युद्भर्वो हदव्यो गन्धद्यो गन्ध उत्तमः |
ॐ जगन्नार्ाय नमः | बालकृष्ण मिीपालो धप
ू ोयं प्रनतगह्
ृ यतां ||
ॐ र्वेणुनादर्र्वशारदाय नमः |
ॐ र्वष
ृ भासरु र्र्वध्र्वंससने नमः | यत्पुरुषं व्यदधःु कनतधा व्यकल्पयन ् ।
ॐ बाणासुरकरान्तकाय नमः | मुखं ककमस्य कौ बािू कार्वूरू पादार्वुच्येते ।।
ॐ युधधस्ष्ठर प्रनतष्ठािे नमः |
ॐ बहििबिार्वितंसकाय नमः | ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | धप
ू ं आिापयासम ||
-----------------------------------------------------------------------------

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४५ दीपं भोः! स्र्वासमन ् भोजनार्ं आगच्छाहद र्र्वज्ाप्य |
साज्यं त्रिर्वनति सम्युकतं र्वस्ह्नना योस्जतुम ् मया | (request Lord to come for dinner)
गि
ृ ाण मङ्गलं दीपं िैलोकय नतसमरापिम ् ||
भकत्या दीपं प्रयश्चासम दे र्वाय परमात्मने । सौर्वणे स्र्ासलर्वैये मणणगण खधचते गोघत
ृ ां
िाहि मां नरकात ् घोरात ् दीपं ज्योनतनिमोस्तुते ।। सुपकर्वां भक्ष्यां भोज्यां च लेह्यानर्प
सकलमिं जोष्यम्न नीधाय नाना शाकैरूपेतं
ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत ् बािू राजन्यः कृतः । समधु दधध घत
ृ ं क्षीर पानीय युकतं
उरू तदस्य यद्र्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत ।। तांबूलं चार्प श्री कृष्णं प्रनतहदर्वसमिं मनसा
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | दीपं दशियासम || धचंतयासम ||
------------------------------------------------------------- अद्य नतष्ठनत यस्त्कस्ञ्चत ् कस्ल्पतश्चापरं धग्रिे
४६ नैर्वेद्यं पकर्वान्नं च पानीयं यर्ोपस्कर संयुतं
(dip finger in water and write a square and 'shrii' यर्ाकालं मनष्ु यार्े मोक्ष्यमानं शरीररसभः
mark inside the square. Place naivedya on 'shrii'|
remove lid and sprinkle water around the vessel; तत्सर्वं कृष्णपूजास्तु प्रयतां मे जनादि न
सध
ु ारसं सर्ु र्वपल
ु ं आपोषणसमदं
place in each food item one washed tulsi leaf or
flower or akshata)
तर्व गि
ृ ाण कलशानीतं यर्ेष्टमुपभुज्ज्यताम ् ||
ॐ कृष्णाय र्र्वद्मिे । बलभद्राय धीमहि । ॐ श्री बालकृष्णाय नमः |
तन्नो र्र्वष्णु प्रचोदयात ् ।। अमत
ृ ोपस्तरणमसस स्र्वािाः |
(drop water from shankha)
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | (show mudras) ;
ॐ प्राणात्मने नारायणाय स्र्वािा ।
ननर्वीषी करणार्े ताक्षि मुद्रा | ॐ अपानात्मने र्वासुदेर्वाय स्र्वािा ।
अमत
ृ ी करणार्े धेनु मुद्रा | ॐ व्यानात्मने सङ्कषिणाय स्र्वािा ।
पर्र्विी करणार्े शंख मुद्रा | ॐ उदानात्मने प्रद्युम्नाय स्र्वािा ।
संरक्षणार्े चक्र मुद्रा | ॐ समानात्मने अननरुद्धाय स्र्वािा ।
र्र्वपुलमाय करणार्े मेरु मुद्रा |
ॐ नमः बालकृष्णाय ।

(Touch naivedya and chant 9 times)'ॐ'


ॐ सत्यंतर्वतेन पररर्षंचासम नैर्वेद्यं गह्
ृ यतां दे र्व भस्कत मे अचलां कुरुः ।

(sprinkle water around the naivedya) ईस्प्सतं मे र्वरं दे हि इिि च परां गनतम ् ।।

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श्री कृष्ण नमस्तुभ्यम ् मिा नैर्वेद्यं उत्तमम ्| ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | करोद्र्वतिनार्े चंदनं
संगि
ृ ाण सुरश्रेस्ष्ठन ् भस्कत मुस्कत प्रदायकम ् || समपियासम ||
-----------------------------------------------------------------------------

ॐ चन्द्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत । ५० तांबूलं

मुखाहदन्द्रश्चास्ग्नश्च प्राणाद्र्वायुरजायत ।। पूगीफलं सतांबूलं नागर्वस्ल्ल दलैयत


ुि म ् |
ताम्बूलं गह्
ृ यतां दे र्व येल लर्वङ्ग सम्युकतम ् ||
ॐ आद्रां पुष्कररणीं पुस्ष्टं सुर्वणां िे ममासलनीम ् | ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | पूगीफल ताम्बूलं

सूयां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि || समपियासम ||


-----------------------------------------------------------------------------
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | नैर्वेद्यं समपियासम ।।
५१ दक्षक्षणा
(cover face with cloth and chant gayatri mantra five
times or repeat 12 times श्री बालकृष्णाय नमः) हिरण्य गभि गभिस्र् िे मबीज र्र्वभार्वसोः |
अनन्त पुण्य फलदा अर्ः शास्न्तं प्रयच्छ मे ||
सर्विि अमत
ृ ोर्पधान्यमसस स्र्वािाः || ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | सुर्वणि पुष्प दक्षक्षणां
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । समपियासम ||
उत्तरापोषणं समपियासम || -----------------------------------------------------------------------------

(let flow water from shankha) ५२ मिा नीराजन


-----------------------------------------------------------------------------
४७ मिा फलं
ॐ धश्रयै जातः धश्रय अननररयाय धश्रयं र्वयो
(put tulsi / axathaa on a big fruit)
इदं फलं मयादे र्व स्र्ार्पतं पुरतस्तर्व | जररतभ्
ृ यो ददानत
तेन मे सफलार्वास्प्तभिर्वेत ् जन्मनन जन्मनन || धश्रयं र्वसाना अमत
ृ त्र्वमायन ् भर्वंनत सत्य स
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | मिाफलं समपियासम | समर्ासमतद्रौ
----------------------------------------------------------------------------- धश्रय एर्वैनं तत ् धश्रयामादधानत संततमच
ृ ा र्वषट्कृत्यं
४८ फलाष्टक (put tulsi/akshata on fruits)
संतत्यै संधीयते प्रजया पशसु भः य एर्वं र्वेद ||
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | मिानीराजनं दीपं
कूष्माण्ड मातसु लङ्गं च ककिठी दाडडमी फलम ् |
समपियासम ||
रम्भा फलं जम्बीरं बदरं तर्ा ||
-----------------------------------------------------------------------------
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | फलाष्टकं समपियासम || ५३ कपरूि दीप
-----------------------------------------------------------------------------
४९ करोद्र्वतिन
अचित प्राचित र्प्रयमेधासो अचित |
करोद्र्वतिनकं दे र्व मया दत्तं हि भस्कततः | अचिन्तु पि
ु का उत परु ं धष्ृ णर्वचित ||
चारु चंद्र प्रभां हदव्यं गि
ृ ाण जगदीश्र्वर ||

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कपरूि कं मिाराज रं भोद्भूतं च दीपकम ् | स्मरण से िोत मोि भंगा, भंगा
मङ्गलार्ं मिीपाल सङ्गि
ृ ाण जगत्पते || बसी सशर्व शीश,
जटा के बीच,
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | कपरूि दीपं समपियासम||
िरे अघ कीच
-----------------------------------------------------------------------------
चरण छर्र्व श्री बनर्वारी की
५४ आरती
श्री धगररधर कृष्ण मुरारी की ..

आरती काँु ज त्रबिारी की


कनकमय मोर मुकुट त्रबलसै, त्रबलसै
श्री धगररधर कृष्ण मुरारी की ..
दे र्वता दरसन को तरसै, तरसै
गगन सों सुमन रासश बरसै, बरसै
गले में र्वैजन्ती माला, माला
बजेमुरचन
बजार्वे मरु ली मधरु बाला, बाला
मधरु मद
ृ ंग
श्रर्वण में कुण्डल झलकाला, झलकाला
मासलनन संग
नन्द के नन्द,
अतल
ु रनत गोप कुमारी की
श्री आनन्द कन्द,
श्री धगररधर कृष्ण मुरारी की ..
मोिन बॄज चन्द
राधधका रमण त्रबिारी की
चमकती उज्ज्र्वल तट रे ण,ु रे णु
श्री धगररधर कृष्ण मरु ारी की ..
बज रिी बन्ृ दार्वन र्वेण,ु र्वेणु
चिुाँ हदसस गोर्प काल धेनु, धेनु
गगन सम अंग कास्न्त काली, काली
कसक मद
ृ मंग,
राधधका चमक रिी आली, आली
चााँदनन चन्द,
लसन में ठाड़े र्वनमाली, र्वनमाली
खटक भर्व भन्ज
भ्रमर सी अलक,
टे र सुन दीन सभखारी की
कस्तरू ी नतलक,
श्री धगररधर कृष्ण मुरारी की ..
चन्द्र सी झलक
-----------------------------------------------------------------------------
लसलत छर्र्व श्यामा प्यारी की ५५ प्रदक्षक्षणा
श्री धगररधर कृष्ण मुरारी की ..
ॐ नाभ्या आसीदन्तररक्षम ् शीष्णो द्यौः समर्वतित ।

जिााँ से प्रगट भयी गंगा, गंगा पदभ्यां भूसमहदि शः श्रोिात ् तर्ा लोकााँ अकल्पयन ्।।

कलुष कसल िाररणण श्री गंगा, गंगा

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आद्रां यःकररणीं यस्ष्टं र्पङ्गलां पद्ममासलनीम ् | शात्येनार्प नमस्कारान ् कुर्वितः शाङ्िगपाणये |
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि || शत जन्माधचितम ् पापम ् तत्क्षणमेर्व नश्यनत ||
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | नमस्कारान ् समपियासम ||
यानन कानन च पापानन जन्मांतर कृतानन च | -----------------------------------------------------------------------------
तानन तानन र्र्वनश्यस्न्त प्रदक्षक्षण पदे पदे || ५७ राजोपचार
अन्यर्ा शरणं नास्स्त त्र्वमेर्व शरणं मम | गि
ृ ाण परमेशान सरत्ने छि चामरे |
तस्मात ् कारुण्य भार्वेन रक्ष रक्ष रमापते || दपिणं व्यजनं चैर्व राजभोगाय यत्नतः ||
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | प्रदक्षक्षणान ् समपियासम || ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | छिं समपियासम ||
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | चामरं समपियासम ||
-----------------------------------------------------------------------------
५६ नमस्कार
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | गीतं समपियासम ||
नमो ब्रह्मण्य दे र्वाय गोब्राह्मणहिताय च ।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | नत्ृ यं समपियासम ||
जगदीशाय कृष्णाय गोर्र्वन्दाय नमो नमः ॥
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | र्वाद्यं समपियासम ||
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | समस्त राजोपचारार्े
कृष्णाय र्वासुदेर्वाय िरये परमात्मने ।
अक्षतान ् समपियासम ||
प्रणतकलेशनाशाय गोर्र्वन्दाय नमो नमः ॥ -----------------------------------------------------------------------------
५८ मंि पुष्प
नमस्तुभ्यं जगन्नार् दे र्वकीतनय प्रभो
र्वसद
ु े र्वात्मजानन्द यशोदानन्दर्वधिन यज्ेन यज्मयजन्त दे र्वाः
तानन धमािणण प्रर्मान्यासन ् ।
गोर्र्वन्द गोकुलादर गोपीकान्त नमोस्तत
ु े ते ि नाकं महिमानः सचन्ते
यि पूर्वे साध्याः सस्न्त दे र्वाः ।।
सप्तास्यासन ् पररधयः त्रिस्सप्त ससमधः कृताः ।
दे र्वा यद्यज्ं तन्र्वानाः अबध्नन्पुरुषं पशुम ् । यः शुधचः प्रयतो भूत्र्वा जुिुयादाज्यमन्र्विम ् |
सक
ू तं पञ्चदशचं च श्रीकामः सततं जपेत ् ||
तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ् |
यस्यां हिरण्यं र्र्वन्दे यं गामश्र्वं परु
ु षानिम ् || र्र्वद्या बद्
ु धध धनेश्र्वयि पि
ु पौिाहद संपदः |
नमः सर्वि हितार्ािय जगदाधार िे तर्वे | पुष्पांजसल प्रदानेन दे हिमे ईस्प्सतं र्वरम ् ||
साष्टाङ्गोयं प्रणामस्ते प्रयत्नेन मया कृतः |
ऊरूसा सशरसा दृष्ट्र्वा मनसा र्वाचसा तर्ा | नमो (अ)स्तु अनंताय सिस्र मूतय
ि े सिस्र पादाक्षक्ष
पद्भ्यां कराभ्यां जानुभ्यां प्रणामोष्टाङ्गं उच्यते || सशरोरु बािर्वे ।

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सिस्र नाम्ने पुरुषाय शाश्र्वते सिस्र कोटी युगधाररणे ५९ शङ्ख ब्रमण (make three rounds of shankha with
नम: ।। water like arati and pour down; chant ॐ 9 times
and show mudras)

ॐ नमो मिद्भ्यो नमो अभिकेभ्यो नमो युर्वभ्यो नम


इमां आपसशर्वतम इमं सर्विस्य भेषजे |
आसशनेभ्यः ।
इमां राष्रस्य र्वधधिनन इमां राष्र भ्रतोमत ||
यजां दे र्वान्यहद शकनर्वाम मा ज्यायसः शंसमार्वक्षृ क्ष -----------------------------------------------------------------------------

दे र्वाः ।। ६० अघ्यि प्रदानम ्

ॐ ममत्तु नः पररज्मा र्वसिाि ममत्तु र्वातो अपां


र्वष
ृ ण्र्वान ् । कुम्भ प्रार्िना

सशशीतसमन्द्रापर्विता युर्वं नस्तन्नो र्र्वश्र्वे र्वररर्वस्यन्तु


नमस्ते दे र्वदे र्वेश नमस्ते धरणी धर |
दे र्वाः ॥
नमस्ते पद्मनाभाय सध
ु ाकुम्भ नमोस्तत
ु े ||
ॐ कर्ा तेअग्ने शच
ु यन्त आयोदि दाशर्व
ु ािजेसभराशष
ु ाणाः।
उभे यत्तोके तनये दधाना ऋतस्य सामन्रणयन्त दे र्वाः ॥ ॐ ज्योत्स्नांपते नमस्तभ्
ु यं नमस्ते ज्योनतषांपते |
नमस्ते रोहिणीकान्त सुधाकुम्भ नमोस्तुते ||
ॐ राजाधध राजाय प्रसह्य साहिने
नमो र्वयं र्वैश्रर्वणाय कूमििे अघ्यि मंि

समे कामान ् काम कामाय मह्यं


ॐ जात कंस र्वधार्ािय भूभारोत्तारणाय च |
कामेश्र्वरो र्वैश्रर्वणो दधातु
कौरर्वाणां र्र्वनाशाय दै त्यानां ननधनाय च |
कुबेराय र्वैश्रर्वणाय मिाराजाय नमः ।।
पाण्डर्वानाम ् हितार्ािय धर्म सम्स्र्ापनाय च |
गि
ृ ाणाघ्यं मयादत्तं दे र्वकया सहितो िरे ||
ॐ स्र्वस्स्त साम्राज्यं भोज्यं स्र्वाराज्यं र्वैराज्यं
पारमेष्ठां राज्यं मिाराज्यमाधधपत्यमयं समंत दे र्वकी सहित श्री कृष्णाय इदं अघ्यं दत्तं न मम
पयाियी स्यात ् सार्विभौमः सार्वाियुष आंतादा
क्षीरोदाणिर्व सम्भूत अत्रिगोि समुद्भर्व
पराधाित ् पधृ र्व्यै समुद्रपयंताया एकरासळनत तदप्येषः
गि
ृ ाणाघ्यं मयादत्तं रोहिण्या सहितः शसशन ्
श्लोकोऽसभगीतो मरूतः पररर्वेष्टारो मरुतस्या र्वसन ्
रोहिनी सहित चन्द्राय इदं अघ्यं दत्तं न मम
ग्रिे आर्वीक्षक्षतस्य कामप्रेर्र्विश्र्वेदेर्वा सभासद इनत ||

नतर्े परम कल्याणण मातमंगलदानयनन


ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | मंिपुष्पं समपियासम ||
नक्षि तारके तभ्
ु यं ग्रिाणाघ्यं नमोस्तत
ु े
नक्षि तारक सहित नतर्य इदमघ्यं दत्तं न मम

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प्रार्िना: ६२ र्र्वसजिन पूजा

कृष्णं च बलभद्रं च र्वसुदेर्वं च दे र्वकीं |


आराधधतानां दे र्वतानां पुनः पूजां कररष्ये ||
नन्दगोपं यशोदां च सुभद्रां ति पूजयेत ् ||
श्री बालकृष्ण स्र्वासम दे र्वताभ्यो नमः ।।

अद्यस्स्तत्र्व ननरािारः श्र्वोभुते परमेश्र्वर |


पुनः पूजा
भोक्ष्यासम पुन्डरीकाक्ष अस्स्मन ् जन्माष्टमी व्रते ||

ॐ शान्ताकारम ् भुजग शयनं, पद्मनाभम ् सुरेशं


मन्ििीनम ्, कक्रयािीनम ्, भस्कतिीनम ् जनादि न |
र्र्वश्र्वाधरम ् गगन सदृशम ् मेघ र्वणं शुभान्गं
यत ् पस्ू जतम ् मयादे र्व पररपण
ू म
ि ् तदस्तु मे ||
लक्ष्मीकान्तम ् कमलनयनं, योधगसभर् ध्यान गम्यं
यस्य स्मत्ृ या च नाम्नोकत्या तपः पज
ू ा कक्रयाहदषु | र्वन्दे र्र्वष्णुं भर्वबयह्ं , सर्वि लोकैक नार्ं
न्यूनं सम्पूणत
ि ां यानत सद्यो र्वन्दे तं अच्युतम ् ||
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । ध्यायासम, ध्यानं
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | प्रार्िनां समपियासम ||
-----------------------------------------------------------------------------
समपियासम ।

६१ तीर्ि प्राशन ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । आर्वाियासम ।


ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । आसनं समपियासम ।

ॐ धश्रयः कान्ताय कल्याण ननधये ननधयेऽधर्िनां । ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पाद्यं समपियासम ।

श्रीर्वेङ्कटननर्वासाय श्रीननर्वासाय मङ्गलम ्॥ ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । अघ्यं समपियासम ।


ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। आचमनीयं समपियासम।

सर्विदा सर्वि कायेषु नास्स्त तेषां अमङ्गलम ् । ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पञ्चामत
ृ स्नानं
येषां हृहदस्र्ो भगर्वान ् मङ्गलायतनो िररः ।। समपियासम ।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । मिा असभषेकं

लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः । समपियासम।

येषां इन्दीर्वर श्यामो हृदयस्तो जनादि नः ।। ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। र्वस्ियुग्मं समपियासम।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। यज्ोपर्वीतं समपियासम।

अकाल मत्ृ यु िरणं सर्वि व्याधध ननर्वारणम ् | ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । गन्धं समपियासम ।

सर्वि पाप उपशमनम ् र्र्वष्णु पादोदकं शुभम ् || ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । नाना पररमल द्रव्यं
----------------------------------------------------------------------------- समपियासम ।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । िस्तभूषणं समपियासम।

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ॐ श्री बालकृष्णाय नमः ।अक्षतान ् समपियासम । ॐ श्री बालकृष्णाय नमः | समस्त राजोपचार
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पुष्पं समपियासम । दे र्वोपचार शकत्युपचार भकत्युपचार पूजां समपियासम||
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । नाना अलंकारं
-----------------------------------------------------------------------------
६३ आत्म समपिण
समपियासम ।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । अंग पूजां समपियासम।
यस्य स्मत्ृ या च नाम्नोकत्या तपः पूजा कक्रयाहदषु |
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। पुष्प पूजां समपियासम।
न्यूनं सम्पूणत
ि ां यानत सद्यो र्वन्दे तं अच्युतम ् ||
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । पि पूजां समपियासम।
अनेन मया कृतेन, श्रीबालकृष्ण जन्माष्टमी व्रतेन,
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । अष्टोत्तर पूजां
श्री कृष्णः सुप्रीता सुप्रसन्ना र्वरदा भर्वतु ||
समपियासम।
मध्ये मन्ि तन्ि स्र्वर र्वणि न्यूनानतररकत लोप
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । धप
ू ं आिापयासम
दोष प्रायस्श्चत्तार्ं अच्युत अनन्त गोर्र्वंद नामिय
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । दीपं दशियासम
मिामन्ि जपं कररष्ये ||
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । नैर्वेद्यं समपियासम ।
ॐ अच्युताय नमः । ॐ अनंताय नमः । ॐ
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। मिा फलं समपियासम।
गोर्र्वंदाय नमः ।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। फलाष्टकं समपियासम।
ॐ अच्यत
ु ाय नमः । ॐ अनंताय नमः । ॐ
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । करोद्र्वर्िनकं समपियासम।
गोर्र्वंदाय नमः ।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । ताम्बल
ू ं समपियासम ।
ॐ अच्यत
ु ाय नमः । ॐ अनंताय नमः । ॐ
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । दक्षक्षणां समपियासम ।
गोर्र्वंदाय नमः ।
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । मिा नीराजनं
ॐ अच्यत
ु ानन्तगोर्र्वन्दे भ्यो नमः ||
समपियासम।
मन्ििीनम ्, कक्रयािीनम ्, भस्कतिीनम ् जनादि न |
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। कपरूि दीपं समपियासम।
यत ् पस्ू जतम ् मयादे र्व पररपण
ू म
ि ् तदस्तु मे ||
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। प्रदक्षक्षणां समपियासम ।
कायेन र्वाचा मनसेस्न्द्रयैर्वाि बुद्ध्यात्मना र्वा प्रकृनत
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । नमस्कारान ् समपियासम।
स्र्वभार्वात ् |
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः। राजोपचारं समपियासम।
करोसम यद्यत ् सकलं परस्मै नारायणायेनत
ॐ श्री बालकृष्णाय नमः । मन्िपुष्पं समपियासम।
समपियासम ||

पूजांते छिं समपियासम | चामरं समपियासम | नमस्करोसम | श्री बालकृष्ण स्र्वामी दे र्वता प्रसादं
नत्ृ यं समपियासम | गीतं समपियासम | सशरसा गह्
ृ णासम ||
र्वाद्यं समपियासम | आंदोसलक आरोिणं समपियासम| -------------------------------------------------------------
अश्र्वारोिणं समपियासम | गजारोिणं समपियासम |

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६४ क्षमापनं

अपराध सिस्राणण कक्रयन्ते अिननिशं मया |


दासोऽयसमनत मां मत्र्वा क्षमस्र्व पुरुषोत्तम||

यान्तु दे र्व गणाः सर्वे पूजां आदाय पाधर्िर्वीम ् |


इष्ट काम्यार्ि ससद्ध्यर्ं पुनरागमनाय च ||
(shake the kalasha)
|| श्री कृष्णापिणमस्तु ||
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Puja Text – Sri S.A.Bhandarkar
Transliterated by Sowmya Ramkumar
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Last updated on Aug 26, 2013
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