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अनन्त पद्मनाभ व्रत पूजा

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अनन्त पद्मनाभ व्रत पज
ू ा

Check List

1. Altar, Deity (statue/photo),

2. Two big brass lamps (with wicks, oil/ghee)

3. Matchbox, Agarbatti

4. Karpoor, Gandha Powder, Kumkum, gopichandan, haldi

5. Sri Mudra (for Sandhyaavandan), Vessel for Tirtha, Yajnopaviita

6. Puujaa Conch, Bell, One aaratii (for Karpoor), Two Aaratiis with wicks

7. Flowers, Akshata (in a container), tulsi leaves, tulsi garland

8. Decorated Copper or Silver Kalasha, Two pieces of cloth (new),

9. Coconut, 1/2 kg. Rice, gold coin, gold chain

10. Extra Kalasha, 3 trays, 3 vessels for Abhisheka

11. Betel nuts 6, Betel nut Leaves 12, Bananas 6, Banana Leaves 2, Mango Leaves 5-25

12. Dry Fruits, 5 bananas, 1 coconut - all for naivedya

13. Panchaamrita - Milk, Curd, Honey, Ghee, Sugar, Tender Coconut Water

14. Puja Books

http://www.mantraaonline.com/ 2|P age


१ At the regular altar ॐ उपें द्राय नमः . ॐ िरये नमः .
श्री कृष्णाय नमः ||
ॐ सर्वेभ्यो गुरुभ्यो नमः | ------------------------------------------------------------------------

ॐ सर्वेभ्यो दे र्वेभ्यो नमः | ३ प्राणायामः


(Due to pranayam, the rajas component decreases
ॐ सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः || and the sattva component increases.)
प्रारं भ कायं ननर्र्विघ्नमस्तु | शुभं शोभनमस्तु |
इष्ट दे र्वता कुलदे र्वता सुप्रसन्ना र्वरदा भर्वतु || ॐ प्रणर्वस्य परब्रह्म ऋर्षः . परमात्मा दे र्वता .

अनुज्ां दे हि || दै र्वी गायिी छन्दः . प्राणायामे र्र्वननयोगः ||

At the श्री अनन्त पद्मनाभ altar


ॐ भःू . ॐ भर्व
ु ः . ॐ स्र्वः . ॐ मिः .
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२ आचमनः ॐ जनः . ॐ तपः . ॐ सत्यं .
ॐ भभ
ू र्व
ुि ः स्र्वः |

द्र्र्वराचम्य ॐ तत्सर्र्वतुर्वरि े ण्यं भगो दे र्वस्य धीमिी


धधयो यो नः प्रचोदयात ् ||
ॐ केशर्वाय स्र्वािाः. ॐ नारायणाय स्र्वािाः.
ॐ माधर्वाय स्र्वािाः. पन
ु राचमन
(Sip one spoon of water after each of the above three mantras. (Repeat Achamana 2 - given above)
ॐ आपोज्योनत रसोमत
ृ ं ब्रह्म भूभर्व
ुि स्सुर्वरोम ् ||
Take a little water from the vessel for worship with an offering
spoon onto the palm and sip it. This is called achaman.. Just as
bathing causes external purification, partaking water in this
way is responsible for internal purification. This act is (Apply water to eyes and understand that you are of
repeated thrice. Thus physical, psychological and spiritual, the nature of Brahman)
internal purification is brought about.)
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ॐ गोर्र्वंदाय नमः . ॐ र्र्वष्णर्वे नमः . ४ सङ्कल्पः


(Holding unbroken consecrated rice (akshata) and an offering
ॐ मधस
ु ूदनाय नमः . ॐ त्रिर्र्वक्रमाय नमः . spoon (pali) with water in the cup of one’s hand one should
chant the mantra with the resolve, ‘I of the .....lineage (gotra),
ॐ र्वामनाय नमः . ॐ श्रीधराय नमः . ..... am performing the .... ritual to obtain the benefit according
ॐ हृषीकेशाय नमः . ॐ पद्मनाभाय नमः .
to the Shrutis, Smrutis and Puranas in order to acquire ....
result and then should offer the water from the hand into the
ॐ दामोदराय नमः . ॐ सङ्कषिणाय नमः . circular, shelving metal dish (tamhan). Offering the water into
the circular, shelving dish signifies the completion of an act.)
ॐ र्वासुदेर्वाय नमः . ॐ प्रद्युम्नाय नमः .
ॐ अननरुद्धाय नमः . ॐ पुरुषोत्तमाय नमः . सर्वि दे र्वता प्रार्िना
ॐ अधोक्षजाय नमः . ॐ नारससंिाय नमः .
(Stand and hold a fruit in hand during sankalpa)

ॐ अच्युताय नमः . ॐ जनादि नाय नमः .


ॐ श्रीमान ् मिागणाधधपतये नमः .

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श्री गुरुभ्यो नमः . श्री सरस्र्वत्यै नमः . संग्रामे संकटे चर्व
ै र्र्वघ्नः तस्य न जायते ||
श्री र्वेदाय नमः . श्री र्वेदपुरुषाय नमः .
(Whoever chants or hears these 12 names of Lord
Ganesha will not have any obstacles in any of their
इष्टदे र्वताभ्यो नमः | endeavours)

(Prostrations to your favorite deity)


कुलदे र्वताभ्यो नमः | शक
ु लांबरधरं दे र्वं शसशर्वणं चतभ
ु ज
ुि म ् |
(Prostrations to your family deity)
प्रसन्नर्वदनं ध्यायेत ् सर्वि र्र्वघ्नोपशांतये ||
स्र्ान दे र्वताभ्यो नमः |
सर्विमङ्गल माङ्गल्ये सशर्वे सर्वािर्ि साधधके |
(Prostrations to the deity of this house)
ग्रामदे र्वताभ्यो नमः |
(Prostrations to the deity of this place)
शरण्ये त्र्यंबके दे र्वी नारायणी नमोऽस्तत
ु े ||
र्वास्तद
ु े र्वताभ्यो नमः | (We completely surrender ourselves to that Goddess
(Prostrations to the deity of all the materials we have who embodies auspiciousness, who is full of
collected) auspicious-ness and who brings auspicousness to us)

शचीपुरंदराभ्यां नमः |
(Prostrations to the Indra and shachii) सर्विदा सर्वि कायेषु नास्स्त तेषां अमङ्गलम ् |
उमामिे श्र्वराभ्यां नमः |
येषां हृहदस्र्ो भगर्वान ् मङ्गलायतनो िररः ||
(Prostrations to Shiva and pArvati)
लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः |
(When Lord Hari, who brings auspiciousness is
(Prostrations to the Lords who protect us - LakShmi and
situated in our hearts, then there will be no more
NArAyaNa)
inauspiciousness in any of our undertakings)
मातार्पतभ्
ृ यां नमः |
(Prostrations to our parents)
सर्वेभ्यो दे र्वेभ्यो नमो नमः | तदे र्व लग्नं सहु दनं तदे र्व ताराबलं चंद्रबलं तदे र्व .
(Prostrations to all the Gods) र्र्वद्याबलं दै र्वबलं तदे र्व लक्ष्मीपतेः तें निऽयुगं
सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमो नमः | स्मरासम ||
(Prostrations to all Brahamanas - those who are in the religious
(What is the best time to worship the Lord? When our
path)
hearts are at the feet of Lord Narayana, then the
एतद्कमि प्रधान दे र्वताभ्यो नमो नमः | strength of the stars, the moon, the strength of
knowledge and all the Gods will combine and make it
(Prostrations to Lord Anantapadmanabha Swamy, the main
the most auspicious time and day to worship the Lord)
deity of this puja)
|| अर्र्वघ्नमस्तु || लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः .
येषां इस्न्दर्वरश्यामो हृदयस्र्ो जनादि नः ||
सुमुखश्च एकदं तश्च कर्पलो गजकणिकः . (When the Lord is situated in a person's heart, he
लंबोदरश्च र्र्वकटो र्र्वघ्ननाशो गणाधधपः || will always have profit in his work and victory in all
that he takes up and there is no question of defeat
धम्र
ू केतुगण
ि ाध्यक्षो बालचन्द्रो गजाननः . for such a person)

द्र्वादशैतानन नामानन यः पठे त ् श्रण


ु ुयादर्प ||
र्र्वद्यारं भे र्र्वर्वािे च प्रर्वेशे ननगिमे तर्ा .

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र्र्वनायकं गुरुं भानुं ब्रह्मार्र्वष्णुमिे श्र्वरान ् |
------------------------------------------------------------------------
५.(१) षडङ्ग न्यास
सरस्र्वतीं प्रणम्यादौ सर्वि कायािर्ि ससद्धये || (Purifying hands and various parts of the body )

(To achieve success in our work and to find


fulfillment we should first offer our prayers ॐ यत्परु
ु षं व्यदधःु कनतधा व्यकल्पयन ् ।
to Lord Vinayaka and then to our teacher, then
to the Sun God and to the holy trinity of Brahma, मुखं ककमस्य कौ बािू कार्वूरू पादार्वुच्येते ।।
ViShNu and Shiva)
ॐ ह्ां | अंगुष्ठाभ्यायां नमः | हृदयाय नमः ||
(touch the thumbs)
श्रीमद् भगर्वतो मिापरु
ु षस्य र्र्वष्णोराज्या
प्रर्वतिमानस्य अद्य ब्रह्मणो द्र्र्वतीय पराधे र्र्वष्णुपदे ॐ ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत ् बािू राजन्यः कृतः ।

श्री श्र्वेतर्वराि कल्पे र्वैर्वस्र्वत मन्र्वन्तरे --------------- उरू तदस्य यद्र्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत ।।

दे श,े शासलर्वािन शके र्वतिमाने व्यर्विाररके ------------ ॐ ह्ीं | तजिनीभ्यां नमः | सशरसे स्र्वािाः ||
(touch both fore fingers)
नाम संर्वत्सरे दक्षक्षणायणे र्वषाि ऋतौ भाद्रपद मासे
शुकल पक्षे चतुदिश्याम ् नतर्ौ ----- नक्षिे ----- र्वासरे ॐ चन्द्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत ।
सर्वि ग्रिे षु यर्ा रासश स्र्ान स्स्र्तेषु सत्सु एर्वं मुखाहदन्द्रश्चास्ग्नश्च प्राणाद्र्वायुरजायत ।।
गुणर्र्वशेषेण र्र्वसशष्टायां शुभपुण्यनतर्ौ मम आत्मन ॐ ह्ुं | मध्यमाभ्यां नमः | सशखायै र्वषट् ||
श्रनु तस्मनृ त परु ाणोकत फलप्राप्यर्ं मम सकुटुम्बस्य (touch middle fingers)

क्षेम स्र्ैयि आयुरारोग्य चतुर्र्विध पुरुषार्ि ससध्यर्ं


अंगीकृत श्री अनन्तपद्मनाभ व्रतांगत्र्वेन संपाहदत ॐ नाभ्या आसीदन्तररक्षम ् शीष्णो द्यौः समर्वतित ।

सामग्रव्या गणेश र्वरुण ब्रह्मा सूयािहद नर्वग्रि इंद्राहद पदभ्यां भूसमहदि शः श्रोिात ् तर्ा लोकााँ अकल्पयन ्।।

अष्टलोकपाल गणपनत चतुष्ट दे र्वता पूजनपूर्वक


ि ं श्री
ॐ ह्ैं | अनासमकाभ्यां नमः | कर्वचाय िुम ् ||
अनन्तपद्मनाभ प्रीत्यर्ं यर्ा शकत्या यर्ा समसलता (touch ring fingers)

उपचार द्रव्यैः पुरुषसूकत, श्री सूकत पुराणोकत


मन्िैश्च ध्यान आर्वािनाहद षोडशोपचारे श्री ॐ धाता पुरस्ताद्यमुदाजिार
अनन्तपद्मनाभ पूजनं तर्ा व्रतोकत कर्ा श्रर्वणं च शक्रः प्रर्र्वद्र्वान्प्रहदशश्चतस्रः ।
कररष्ये || तमेर्वं र्र्वद्यानमत
ृ इि भर्वनत
इदं फलं मया दे र्व स्र्ार्पतं पुरतस्तर्व | नान्यः पन्र्ा अयनाय र्र्वद्यते ।।
तेन मे सुफलार्वास्प्तर् भर्वेत ् जन्मनन जन्मनन || ॐ ह्ौं | कननस्ष्ठकाभ्यां नमः | नेिियाय र्वौषट् ||
(keep fruits in front of the Lord) (touch little fingers)
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५. षडङ्ग न्यास यज्ेन यज्मयजन्त दे र्वाः
(Purifying the body)

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तानन धमािणण प्रर्मान्यासन ् । स्र्वः गणपनतं आर्वाियासम .
ते ि नाकं महिमानः सचन्ते ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः सांगं सपररर्वारं सायुधं सशस्कतकं
यि पूर्वे साध्याः सस्न्त दे र्वाः ।। मिागणपनतं आर्वाियासम |
ॐ ह्ः | करतलकरपष्ृ ठाभ्यां नमः | अस्िाय फट् ||
(O great Ganapati come along with Riddhi, Buddhi,
your entire family, all your weapons and might’)
(touch palms and over sleeve of hands)

ॐ भभ
ू र्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः ध्यायासम. ध्यानम ्
------------------------------------------------------------------------
५.(२) हदग्बन्धन
( show mudras)
समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. आर्वािनं समपियासम |
ॐ अनन्तपद्मनाभ इनत हदग्बन्धः | ॐ मिागणपतये नमः. आसनं समपियासम |
(snap fingers, circle head clockwise and clap hands)
ॐ मिागणपतये नमः. पाद्यं समपियासम |
हदशो बद्नासम ||
(shut off all directions i.e. distractions so that we can ॐ मिागणपतये नमः. अघ्यं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. आचमनीयं समपियासम |
concentrate on the Lord)

------------------------------------------------------------------------
ॐ मिागणपतये नमः. स्नानं समपियासम |

६ गणपनत पज
ू ा ॐ मिागणपतये नमः. र्वस्िं समपियासम |
(To prevent any obstacle from disrupting an auspicious ॐ मिागणपतये नमः. यज्ोपर्वीतं समपियासम |
occasion, it is begun with the worship of Lord Ganapati.)
ॐ मिागणपतये नमः. चंदनं समपियासम |
आदौ ननर्र्विघ्नता ससध्यर्ं मिा गणपनत पज
ू नं ॐ मिागणपतये नमः. पररमल द्रव्यं समपियासम |
कररष्ये . ॐ मिागणपतये नमः. पुष्पाणण समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. धप
ू ं समपियासम |
ॐ गणानां त्र्वा शौनको गत्ृ समदो गणपनतजिगती ॐ मिागणपतये नमः. दीपं समपियासम |
गणपत्यार्वािने र्र्वननयोगः || ॐ मिागणपतये नमः. नैर्वेद्यं समपियासम |
(pour water)
ॐ मिागणपतये नमः. ताम्बूलं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. फलं समपियासम |
ॐ गणानां त्र्वा गणपनतं िर्वामिे
ॐ मिागणपतये नमः. दक्षक्षणां समपियासम |
कर्र्वं कर्वीनामुपम श्रर्वस्तमं |
ॐ मिागणपतये नमः. आनतिकयं समपियासम |
ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत
ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः.
आ नः शण्ृ र्वन्नूनतसभः सीदसादनं ||
मन्िपष्ु पं समपियासम |
भूः गणपनतं आर्वाियासम .
ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः |
भर्व
ु ः गणपनतं आर्वाियासम .
प्रदक्षक्षणा नमस्कारान ् समपियासम |

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ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः. छिं समपियासम |
offers obeisance to them by touching the earth. The energies
from the north are however saluted as they are pleasant.)
ॐ मिागणपतये नमः. चामरं समपियासम | मिीध्यौः पधृ र्र्वीचन इमं यज्ं समसमक्षतां
ॐ मिागणपतये नमः. गीतं समपियासम | र्पप्रतान्नो भरीमसभः ||
ॐ मिागणपतये नमः. नत्ृ यं समपियासम | ------------------------------------------------------------------------
९ धान्य रासश
ॐ मिागणपतये नमः. र्वाद्यं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. सर्वि राजोपचारान ्
ॐ औषधाय संर्वदं ते सोमेन सिराज् .
समपियासम||
यस्मै कृणेनत ब्राह्मणस्र्ं राजन ् पारयामसस ||
|| अर् प्रार्िना || (Touch the grains/rice/wheat)

------------------------------------------------------------------------
ॐ र्वक्रतुण्ड मिाकाय कोहटसूयि समप्रभ.
१० कलश स्र्ापना
ननर्र्विघ्नं कुरु मे दे र्व सर्वि कायेषु सर्विदा || (Two small heaps of rice should be made on the ground
amidst chanting mantras. Later, chanting the mantra two pots
ॐ भभ
ू र्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः. प्रार्िनां समपियासम|
of either gold, silver, copper or unbroken earthen pots
should be placed on these two heaps.)

अनया पज
ू या र्र्वघ्निताि मिागणपनतः प्रीयताम ् || ॐ आ कलशेषु धार्वनत पर्र्विे पररससंच्यते
उकतैयज्
ि ेषु र्वधिते ||
(Offering of flowers - May Shri Mahaganapati, the vanquisher
of all obstacles be appeased with this worship of mine’, (keep kalasha on top of rice pile)
chanting thus water should be released.) ॐ इमं मे गङ्गे यमन
ु े सरस्र्वती शत
ु हु द्र स्तोमं
------------------------------------------------------------------------ सचता परुष्ण्या .
७ दीप स्र्ापना अससकन्य मरुद्र्वध
ृ े र्र्वतस्तयाजीकीये श्रण
ु ुह्या
सुषोमया ||
अर् दे र्वस्य र्वाम भागे दीप स्र्ापनं कररष्ये | (fill kalasha with water)
अस्ग्ननािस्ग्नः ससमध्यते कर्र्वग्रििपनतयर्व
ुि ा िव्यर्वात ् ॐ गंधद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपष्ु टां करीर्षणीं .
जर्व
ु ास्यः || ईश्र्वरीं सर्विभूतानां तासमिोपह्र्वयेधश्रयं ||
(sprinkle in/apply ga.ndha to kalasha)
(light the lamps)
ॐ या फसलनीयाि अफला अपष्ु पायाश्च पस्ु ष्पणीः .
------------------------------------------------------------------------
बि
ृ स्पनत प्रसोतास्र्ानो मंचत्र्वं ि सः ||
८ भूसम प्रार्िना
(put betel nut in kalasha)
(open palms and touch the ground.
first the earth (ground) on the right hand side (since the host ॐ सहिरत्नानन दाशष
ु स
ु र्व
ु ानत सर्र्वता भगः .
performing the religious ceremony is facing the east, the hand
touching the ground is in the southern direction) and then the तम्भागं धचिमीमिे ||
earth on the left hand side, in front of oneself (that is the (put jewels / washed coin in kalasha)
ॐ हिरण्यरूपः हिरण्य सस्न्द्रग्पान्न पात्स्येद ु हिरण्य
northern direction) should be touched. Energies from the south
are distressing. To prevent them from causing distress, one

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र्वणिः . ११. २ यमुना आर्वािनं
हिरण्ययात ् पररयोनेननिषद्या हिरण्यदा ददत््यन ्
नमस्मै || यमुने ते नमस्तुभ्यं सर्वि कामप्रदानयनन |
सर्वि सौभाग्यदे दे र्र्व यमुने ते नमोस्तुते ||
(put gold / daxina in kalasha)
ॐ काण्डात ् काण्डात ् प्ररोिं ती परुषः परुषः परर
ॐ हिरण्यर्वणां िररणीं सुर्वणिरजतस्रजाम ् ।
एर्वानो दर्व
ू े प्रतनु सिस्रेण शतेन च ||
(put duurva / karika )
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो ममार्वि ||
ॐ अश्र्वत्र्ेर्वो ननशदनं पणणिर्वो र्वसनतश्कृत .
गो भाज इस्त्कला सर्यत्स नर्वर् पूरुषं || श्री यमुना दे र्वतायै नमः| आर्वािनं समपियासम ||
(put five leaves in kalasha) ------------------------------------------------------------------------
ॐ या फसलनीयाि अफला अपुष्पायाश्च पुस्ष्पणीः . ११. ३ यमुना आसनं
बि
ृ स्पनत प्रसोतास्र्ानो मंचत्र्वं ि सः ||
(place coconut on kalasha)
र्वेदपादे नमस्तुभ्यं सर्विलोक हितेरते |
ॐ युर्वासुर्वासः परीर्वीतागात ् स उश्रेयान ् भर्वनत
सर्वि शाप प्रशमने तुङ्गभद्रे नमोस्तुते ||
जायमानः .
तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ् ।
तं धीरासः कार्वयः उन्नयंनत स्र्वाद्ध्यो स्र्वाद्ध्यो
यस्यां हिरण्यं र्र्वन्दे यं गामश्र्वं परु
ु षानिम ् ||
मनसा दे र्वयंतः||
(tie cloth for kalasha)
ॐ पूणािदर्र्वि परापत सुपूणाि पुनरापत . श्री यमन
ु ा दे र्वतायै नमः| आसनं समपियासम ||
------------------------------------------------------------------------
र्वस्ने र्व र्र्वक्रीणार्वः इषमूजं शतक्रतो ||
११. ५ यमुना अघ्यं
(decorate copper plate and ashhTadala with kuMkuM)
इनत कलशं प्रनतष्ठापयासम ||
कृष्णर्वेण्यै नमस्तुभ्यं कृष्ण र्वणे सुलोचने |
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ||
कृष्णमत
ू े नमस्तभ्
ु यं दे र्र्व कृष्णे नमोस्तत
ु े ||
------------------------------------------------------------------------
११. १ यमन
ु ा पज
ू न
(On the second kalasha) कांसोस्स्म तां हिरण्यप्राकारामाद्रां ज्र्वलन्तीं तप्ृ तां
११. १ यमुना ध्यानं तपियन्तीम ् ।
पद्मेस्स्र्तां पद्मर्वणां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् ||
क्षीरोदाणिर्व संभूते इन्द्रनील समप्रभे |
सुप्रसन्ने मिादे र्र्व र्र्वष्णुमूते नमोस्तुते ||
श्री यमुना दे र्वतायै नमः | अघ्यं समपियासम ||
------------------------------------------------------------------------
श्री यमुना दे र्वतायै नमः| ध्यानम ् समपियासम ||
११. ६ यमन
ु ा आचमनं
------------------------------------------------------------------------

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सत्कमि ननरते दे र्वी ज्ान मूर्त्ति प्रकासशनन | ॐ आपोहिष्टा मयो भुर्वः । ता न ऊजे दधातन ।
आत्मज्योनत मिामूर्त्ति सर्विनुष्ठान काररणण || मिे रणाय चक्षसे । यो र्वः सशर्वतमो रसः
तस्यभाजयते ि नः ।
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्र्वलंतीं धश्रयं लोके उशतीररर्व मातरः । तस्मा अरं गमामर्वो । यस्य
दे र्वजुष्टामुदाराम ् । क्षयाय स्जन्र्वर् । आपो जनयर्ा च नः ||
तां पद्समनीमीं शरणमिं प्रपद्येऽलक्ष्मीमे नश्यतां त्र्वां -------------------------------------------------------------
र्वण
ृ े || ११. ९ यमुना र्वस्िं

श्री यमुना दे र्वतायै नमः| आचमनीयं समपियासम || ससंिपादे नमस्तुभ्यं नारससम्ह्यै नमोस्तुते |
------------------------------------------------------------------------ सर्विलक्षण संयुकते यमुने ते नमोस्तुते ||
११. ७ यमुना मधप
ु कं

उपैतु मां दे र्वसखः कीनतिश्च मणणना सि |


सर्वािगम नमस्काये प्रधानोधचत दे र्वते | प्रादभ
ु त
ूि ोऽस्स्म राष्रे स्स्मन्कीनतिमद्
ृ धधं ददातु मे ||
इदम ् ग्रिाण दे र्वेसश मधप
ु कं ददासमते ||

श्री यमुना दे र्वतायै नमः | र्वस्िं समपियासम||


श्री यमन
ु ा दे र्वतायै नमः| मधप
ु कं समपियासम || ------------------------------------------------------------------------
------------------------------------------------------------------------ ११. १० यमुना कञ्चक
ु ीं
११. ८ यमन
ु ा पञ्चामत
ृ स्नानं

कृष्ण पादाब्ज सम्भूते गंगे त्रिपर्गासमनन |


नस्न्द पादे नमस्तभ्
ु यं शङ्कराधि शरीररणण | जटा जट
ू समद्भत
ू े भागीर्यै नमोस्तत
ु े ||
सर्विलोकनुते दे र्र्व भीम रत्यै नमोस्तुते ||

श्री यमन
ु ा दे र्वतायै नमः| कञ्चक
ु ीं समपियासम||
श्री यमुना दे र्वतायै नमः| पञ्चामत
ृ स्नानं ------------------------------------------------------------------------

समपियासम|| ११. ११ यमुना आभरणं


श्री यमुना दे र्वतायै नमः| गन्धोदक स्नानं
समपियासम|| गोदार्वरर नमस्तुभ्यं सर्वािभीष्ट प्रदानयनन |
श्री यमुना दे र्वतायै नमः| शुद्धोदक स्नानं सर्वािलङ्कार संयुकते गोदार्वयै नमोस्तुते ||
समपियासम||
श्री यमुना दे र्वतायै नमः| सर्वािभरणानन समपियासम||

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------------------------------------------------------------------------ सौभाग्यार्े प्रयच्छासम दे र्र्वत्र्वं प्रनतग्रह्यताम ् ||

श्री यमुना दे र्वतायै नमः| कंु कुमं समपियासम||


११. १२ यमुना उपर्वीतं ------------------------------------------------------------------------

काञ्चनं ब्रह्मसूिं च ब्रह्मणा ननसमितं पुरा | ११. १६ यमुना पुष्पं


अिम ् दास्यासम दे र्वेसश यमुने ते नमोस्तुते ||
मन्दार पाररजाताद्यै केतकी पतलाहदसभः |
श्री यमुना दे र्वतायै नमः| उपर्वीतं समपियासम|| मस्ल्लका पुष्प सम्घातेर ् अचिये त्र्व शुभप्रदे ||
------------------------------------------------------------------------

११. १३ यमुना चन्दनं मनसः काममाकूनतं र्वाचः सत्यमशीमहि |


पशन
ू ां रूपमन्नस्य मनय श्रीः श्रयतां यशः ||
चन्दनागरु कस्तूरर रोचनम ् कंु कुमं तर्ा |
कपरूि े ण समायक
ु तं गन्धं ददासम च भस्कततः || श्री यमन
ु ा दे र्वतायै नमः| पष्ु पपज
ू ां समपियासम||
------------------------------------------------------------------------

गन्धद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपष्ु टां करीर्षणीम ् | ११. १७ अर्ाङ्ग पज


ू ा
ईश्र्वरीं सर्विभूतानां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् ||
श्री यमन
ु ा दे र्वतायै नमः| गन्धं समपियासम|| चञ्चलायै नमः | पादौ पज
ू यासम||
------------------------------------------------------------------------ चपलायै नमः | जानुनी पूजयासम||
११. १४ यमुना अक्षतान ् कमलर्वाससन्यै नमः | जंघै पज
ू यासम||
मन्मर्र्वाससन्यै नमः | ऊरून ् पूजयासम||
श्र्वेतांश्च चन्द्र र्वणािभान ् िररद्रा रागरस्ञ्जतान ् | कमलनेिे नमः | कहटं पूजयासम||
अक्षतान्श्च सुरश्रेष्ठे ददासम यमुनेश्र्वरी ||

दष्ु टिन्त्र्यै नमः | नासभं पूजयासम


श्री यमुना दे र्वतायै नमः| अलङ्काराते अक्षतान ् लसलतायै नमः | भुजौ पूजयासम||
समपियासम|| रकतर्वणाियै नमः | कण्ठं पूजयासम||
------------------------------------------------------------------------
गङ्गायै नमः | मुखं पूजयासम||
११. १५ यमुना कंु कुमं
कृष्णर्वेण्यै नमः | ललाटं पूजयासम||

कंु कुमं कामदं हदव्यं स्िीणां बालस्य भूषणम ् |

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गौयै नमः | नेिे पूजयासम||
भागीरत्यै नमः | सशरः पूजयासम|| अघनासशन्यै नमः | पाररजात पुष्पं समपियासम||
यमुनायै नमः | सर्वािङ्गानन पूजयासम|| भर्विन्त्र्यै नमः | सुगस्न्ध पुष्पं समपियासम||
------------------------------------------------------------------------ गौयै नमः | केतकी पुष्पं समपियासम||
११. १८ यमुना पिपूजा उत्कस्ण्टन्यै नमः | जाजी पुष्पं समपियासम||
यमुनायै नमः | जाजी पिं समपियासम|| मिामायायै नमः | शत पुष्पं समपियासम||
गङ्गायै नमः| शत पिं समपियासम||
लोकर्वस्न्दतायै नमः| चत
ू पिं स्मपियासम|| तेजसे नमः | मस्ल्लका पुष्पं समपियासम||
लोकपार्वनायै नमः| शामी पिं समपियासम|| मन्मर्र्वाससन्यै नमः | चम्पका पुष्पं समपियासम||
कमलर्वाससन्यै नमः| दत्तरू पिं समपियासम|| लोकपार्वनायै नमः | अशोक पुष्पं समपियासम||
लोकर्वस्न्दतायै नमः | अगस्त्य पुष्पं समपियासम||
मिामायायै नमः| पाररजात पिं समपियासम|| गङ्गायै नमः | पग
ू पष्ु पं समपियासम||
गोदार्वयै नमः| र्वेणु पिं समपियासम||
उत्कस्ण्टन्यै नमः| मरुग पिं समपियासम|| यमन
ु ायै नमः | समस्त पष्ु पाणण समपियासम||
भर्वित्र्यै नमः | दे र्वदारु पिं समपियासम|| ------------------------------------------------------------------------

अघनासशन्यै नमः | अपामागि पिं समपियासम|| ११. २० अर्ः नामपज


ू ा

कान्त्यै नमः | धाती पिं समपियासम|| सर्वि पाप िरे दे र्वी सर्वोपद्रर्व नासशनन |
र्र्वन्द्यर्वाससन्यै नमः | अगस्त्य पिं समपियासम|| सर्विर्व्रतसखे दे र्र्व यमुने ते नमोस्तुते ||
भागीरत्यै नमः | तल
ु सी पिं समपियासम||
सुरासुरपूस्जतायै नमः | समस्त पिाणण समपियासम|| शीताकसशिण्यै नमः ||
------------------------------------------------------------------------ शभ्र
ु र्वणाियै नमः ||
११. १९ अर्ः पुष्प पूजा कनकायै नमः ||
कण्ठोत्पलायै नमः ||
भागीरत्यै नमः | कमल पुष्पं समपियासम|| त्रिगुणास्त्मकायै नमः ||
र्र्वन्द्यर्वाससन्यै नमः | नीलोत्पल पुष्पं समपियासम||
कौमायै नमः | नन्दार्वति पुष्पं समपियासम|| ब्रह्मरूपायै नमः ||
काळ्यै नमः | मन्दार पुष्पं समपियासम|| मिारूपायै नमः ||
कान्त्यै नमः | सुरस्न्ग पुष्पं समपियासम|| गौयै नमः ||

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अभीष्टदात्र्यै नमः || कदि मेन प्रजाभूतामनय सम्भर्वकदि म |
धात्र्यै नमः || धश्रयं र्वासय मे कुले मातरं पद्ममासलनीम ् ||
िररर्प्रयायै नमः || श्री यमुना दे र्वतायै नमः| धप
ू ं समपियासम ||
ससन्धच
ु ड
ू ायै नमः || ------------------------------------------------------------------------

सशर्वायै नमः || ११. २२ यमुना दीपं

शङ्कराधिशरीररण्यै नमः ||
सरस्र्वत्यै नमः || घत
ृ र्वनति समायुकतं भर्वान्यै च ननर्वेहदतम ् |
ग्रिाण मङ्गलं दीपं सर्वेश्र्वयि प्रदानयनन ||

गायत्रियै नमः || आपः सज


ृ न्तु स्स्नग्धानन धचकलीतर्वसमे गि
ृ े |

गोदार्वयै नमः || ननचदे र्वीं मातरं धश्रयं र्वासय मे कुले ||

गोमत्यै नमः || श्री यमुना दे र्वतायै नमः| दीपं समपियासम ||


------------------------------------------------------------------------
गरुडायै नमः ||
११. २३ यमुना नैर्वेद्यं
धगररजायै नमः ||

कदळी नाररकेळे श्च चणकाहद समस्न्र्वतम ् |


चन्द्रचड
ू ायै नमः ||
ग्रिाण मङ्गलं दीपं सर्वेश्र्वयि प्रदानयनन ||
कार्वेयै नमः ||
क्षुस्त्पपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यिम ् |
गङ्गायै नमः ||
अभनू तमसमद्
ृ धधं च सर्वां ननणद
ुि मे गि
ृ ात ् ||
तङ्
ु गायै नमः ||
श्री यमुना दे र्वतायै नमः| नैर्वेद्यं समपियासम ||
नमिदायै नमः ||
प्राणाय स्र्वािा
अपानाय स्र्वािा
कृष्णर्वेण्यै नमः ||
व्यानाय स्र्वािा
भीमरत्यै नमः ||
उदानाय स्र्वािा
श्री यमुनायै नमः ||
------------------------------------------------------------------------ समानाय स्र्वािा

११. २१ यमुना धप
ू ः
श्री यमुना दे र्वतायै नमः| उत्तरापोषणं समपियासम ||
------------------------------------------------------------------------
दशाङ्गम ् गुग्गुलम ् धप
ू ं चन्दनागरु संयुतम ् |
११. २४ यमुना पानीयं
येतेशव्े योत्तमं धप
ू ं यमुने ते नमोस्तुते ||

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पानीयं पार्वनं श्रेष्टं गङ्गाहद ससललोद्भर्वम ् | हिरण्य गभि गभिस्र् िे मबीज र्र्वभार्वसोः |
मुखं प्रक्षालनं दे र्र्व ग्रिाणत्र्वां नमोस्तुते || अनन्त पुण ्य फलदा अर्ः शास्न्तं प्रयच्छ मे ||
श्री गङ्गायै नमः| मुखप्रक्षालनं समपियासम ||
------------------------------------------------------------------------ श्री यमुना दे र्वतायै नमः | दक्षक्षणां समपियासम ||
११. २५ यमुना करोद्र्वतिनकं ------------------------------------------------------------------------

११. २९ यमुना नीराजनं


कपरूि े ण समायुकतं नागर्वस्ल्लदलैयत
ुि म ् |
चण
ू ि कपरूि संयुकतं ताम्बूलं प्रनतगह्
ृ यताम ् || मङ्गलं च मिादे र्र्व मङ्गलं च शुभप्रदे |
मङ्गलं सर्वि पापघ्ने मङ्गलं मङ्गलप्रदं ||
आद्रां पष्ु कररणीं पस्ु ष्टं सर्व
ु णां िे ममासलनीम ् | तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ् ।
सूयां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि || यस्यां हिरण्यं र्र्वन्दे यं गामश्र्वं पुरुषानिम ् ||
श्री गङ्गायै नमः| करोद्र्वतिनार्े चन्दनं समपियासम ||
------------------------------------------------------------------------ श्री यमुना दे र्वतायै नमः | नीराजनं समपियासम ||
११. २६ यमन
ु ा ताम्बल
ू ं ------------------------------------------------------------------------

११. ३० यमुना पुष्पांजसल


पधू गफलम ् समायक
ु तं नागर्वस्ल्ल दलैयत
ुि म ् |
चण
ू क
ि परूि संयुकतं ताम्बूलं प्रनतगह्
ृ यताम ् || सरससजननलये सरोजिस्ते धर्वलतरां
शक
ु गन्धमाल्यशोभे |
श्री यमुना दे र्वतायै नमः | ताम्बूलं समपियासम || भगर्वनत िररर्वल्लभे मनोज्े त्रिभुर्वन भूनतकरर प्रसीद
------------------------------------------------------------------------ मह्यम ् ||
११. २७ यमुना फल समपिणं

श्री यमुना दे र्वतायै नमः | पुष्पांजसलं समपियासम ||


इदं फलं मया दे र्र्व स्र्ार्पतं पुरतस्तर्व | ------------------------------------------------------------------------

तेन मे सुफलार्वास्प्तर् भर्वेत ् जन्मनन जन्मनन || ११. ३१ यमुना प्रदक्षक्षणा

श्री यमुना दे र्वतायै नमः | फलम ् समपियासम || प्रदक्षक्षण ियं दे र्र्व प्रयत्नेन मयाक्रतं |
------------------------------------------------------------------------ अनन्त सागरात ् पूर्वं सर्वि सौभाग्यदानयनन ||
११. २८ यमुना दक्षक्षणा

श्री यमुना दे र्वतायै नमः | प्रदक्षक्षणां समपियासम ||


------------------------------------------------------------------------

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११. ३२ यमुना नमस्कारः ------------------------------------------------------------------------

११. २. २ शेष आसनं

कररष्यासम व्रतं दे र्र्व त्र्वद् भकत्यात ् त्र्वत ् प्रसादतः | नर्वनाग कुलाधीश शेशोधारक काश्यप |

र्र्वघ्नानन प्रशमं याव्रताद्यन्तु त्र्वदाग्नया || नानारत्न समायुकतं आसनं प्रनतगह्


ृ यतां ||

श्री यमुना दे र्वतायै नमः | नमस्करान ् समपियासम || पुरुष एर्वेदगं सर्विम ् यद्भूतं यच्छ भव्यम ् ।
उतामत
ृ त्र्वस्येशानः यदन्नेनानतरोिनत ||

यस्य स्मत्ृ या च नाम्नोकत्या तपः पूजा कक्रयाहदषु |


न्यूनं सम्पूणत
ि ां यानत सद्यो र्वन्दे तं अच्युतम ् || श्री शेषाय नमः | आसनं समपियासम ||
------------------------------------------------------------------------

११. २.३ शेष पाद्यं


मन्ििीनं कक्रयािीनं भस्कतिीनं जनादि न |
यत्पूस्जतं मयादे र्र्व पररपूणम
ि ् तदस्तुमे |
अनन्त र्प्रय शेशष
े जगदाधार र्र्वग्रि |
पाद्यम ् ग्रिाण भकत्या त्र्वम ् काद्रर्वेय नमोस्तुते ||
अनेन यमुनापुजनेन यमुनान्तगित |
एतार्वानस्य महिमा अतो ज्यायागंश्च परु
ू षः ।
श्रीमद् अनन्तः प्रीयताम ् प्रीतो भर्वतु ||
------------------------------------------------------------------------ पादोऽस्य र्र्वश्र्वा भूतानन त्रिपादस्यामत
ृ ं हदर्र्व ||

११. २ अर्ः शेष पज


ू नं
श्री शेषाय नमः | पाद्यं समपियासम ||
------------------------------------------------------------------------
ब्रह्माण्ड आदार भत
ू म ् च यमन
ु ान्तर र्वससनं |
११. २.४ शेष अघ्यं
फणा सप ्त समायुकतम ् ध्यायेऽनन्तं िररर्प्रयम ् ||

कश्यपानन्द जनक मुननर्वस्न्दत भो प्रभो |


श्री शेषाय नमः ध्यायासम ||
------------------------------------------------------------------------ अघ्यं ग्रिाण सर्विग्न सागरं शंकरर्प्रये ||

११. २. १ शेष आर्वािनं त्रिपादध्ू र्वि उदै त्पुरुषः पादोऽस्येिाभर्वात्पुनः ।


ततो र्र्वश्र्वङ्व्यक्रामत ् साशनानशने असभ ||

शेषम ् सप्त फणायुकतम ् काल पन्नग नायकम ् |


अनन्त शयनातं त्र्वां भकत्याह्यार्वाियांयिम ् || श्री शेषाय नमः | अघ्यं समपियासम ||
------------------------------------------------------------------------

११. २.५ शेष आचमनं


ॐ सिस्रशीषाि पुरुषः सिस्राक्षः सिस्रपात ् ।
स भूसमं र्र्वश्र्वतो र्वत्ृ र्वा अत्यनतष्ठद्दशाङ्गुलम ् ||
सिस्र फणणरूपेण र्वसुधोधारक प्रभो |

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ग्रिाणाचमनं दे र्व पार्वनं च सुशीतलं || श्री शेषाय नमः | शुद्धोदक स्नानम ् समपियासम ||
तस्माद्र्र्वराडजायत र्र्वराजो अधध पूरुषः । ------------------------------------------------------------------------

स जातो अत्यररच्यत पश्चाद्भूसममर्ो पुरः || ११. २.९ शेष र्वस्िं

श्री शेषाय नमः | आचमनं समपियासम || कौशेय युग्मम ् दे र्वेश प्रीत्य तर्व मयार्पितम ् |
------------------------------------------------------------------------ पन्नगाधधश नागेश ताक्ष्यिशिो नमोस्तुते ||
११. २.६ शेष मधप
ु कं तं यज्ं बहििर्ष प्रौक्षन ् पुरुषं जातमग्रतः ।
कुमाररूर्पणे तुभ्यं दधधमध्र्वज्य सम्युतं | तेन दे र्वा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये ||
मधप
ु कं प्रदास्यासम सपिराज नमोस्तुते ||
यत्पुरुषेण िर्र्वषा दे र्वा यज्मतन्र्वत । श्री शेषाय नमः | र्वस्िं समपियासम ||
र्वसन्तो अस्यासीदाज्यम ् ग्रीष्म इध्मश्शरद्धर्र्वः || ------------------------------------------------------------------------

११. २. १० शेष यज्ोपर्वीतं

श्री शेषाय नमः | मधप


ु कं समपियासम ||
------------------------------------------------------------------------ सुर्वणि ननसमितं सूिं ग्रस्न्र्तं कण्टिारकम ् |
११. २.७ शेष पंचामत
ृ स्नानं अनेकरत्नयेखधचतं सपिराज नमोस्तत
ु े ||
तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः ऋचः सामानन जक्षज्रे ।
श्री शेषाय नमः | पयः स्नानं समपियासम || छन्दााँसस जक्षज्रे तस्मात ् यजस्
ु तस्मादजायत ||
श्री शेषाय नमः | दधध स्नानं समपियासम ||
श्री शेषाय नमः | घत
ृ स्नानं समपियासम || श्री शेषाय नमः | यज्ोपर्वीतं समपियासम ||
श्री शेषाय नमः | मधु स्नानं समपियासम || ------------------------------------------------------------------------

श्री शेषाय नमः | शकिरा स्नानं समपियासम || ११. २. ११ शेष आभरणं

श्री शेषाय नमः | पंचामत


ृ स्नानं समपियासम ||
अनेक रत्नास्न्र्वत िे मकुन्डले माणणकय सम्कासशत
------------------------------------------------------------------------ कन्कणद्र्वयम ् |
११. २.८ शेष स्नानं िै मान्गुलीयं कृत रत्न मुहद्रकं िै मं ककरीटं
(chant purusha sukta shlokas in the pages below)
फणणरास्जतेर्पितं ||

गङ्गाहद पुण्य तीर्े त्र्वाम ् अस्भ्शन्चेयमादरात ् |


श्री शेषाय नमः | सर्वािभरणानन समपियासम ||
बलबद्रार्वतारे श नन्दनः श्रीपतेः सणखन ् ||
------------------------------------------------------------------------
सप्तास्यासन ् पररधयः त्रिस्सप्त ससमधः कृताः । ११. २. १२ शेष गन्धं
दे र्वा यद्यज्ं तन्र्वानाः अबध्नन्परु
ु षं पशम
ु ् ||

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श्रीकन्डं चन्दनं हदव्यं गन्धाड्यम ् सुमनोिरं |
र्र्वलेपनं सुरश्रेश्ट चन्दनं प्रनतगह्
ृ यताम ् || गम्भीरनाभाय नमः | नासभं पूजयासम ||
तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः संभत
ृ ं पष
ृ दाज्यम ् । पर्वनाशाय नमः | उदरं पूजयासम ||
पशूगाँस्तागंश्चक्रे र्वायव्यान ् आरण्यान ् ग्राम्याश्चये || उरगाय नमः | िस्तौ पूजयासम ||
श्री शेषाय नमः | गन्धं समपियासम || कालीयाय नमः | भुजौ पूजयासम ||
------------------------------------------------------------------------ कम्बुकण्टाय नमः | कण्टं पूजयासम ||
११. २. १३ शेष अक्षताः

र्र्वशर्वकिाय नमः | र्वकिं पूजयासम ||


अक्षताश्च सुरश्रेश्ट कुङ्कुमाकतः सुशोसभताः | फणाभूषणाय नमः | ललाटं पूजयासम ||
मया ननर्वेहदता भकत्या ग्रिाण परमेश्र्वर || लक्ष्मणाय नमः | सशरः पूजयासम ||
अनन्त र्प्रयाय नमः | सर्वािङ्गानन पूजयासम ||
श्री शेषाय नमः | अक्षतान ् समपियासम || ------------------------------------------------------------------------
------------------------------------------------------------------------ ११. २. १६ शेष धप
ू ं
११. २. १४ शेष पष्ु पमाला

र्वनस्पनत रसोद्भूतो गन्दाड्यो गन्ध उत्तमः |


करर्वीयि जास्ज कुसम
ु ैस्चम्पकै बकुले शब
ु ै | आिेय सर्वि दे र्वानाम ् धप
ू ोयम ् प्रनतगय
ृ ताम ् ||
शतपिैश्च कल्िारै अचियेत ् परमेश्र्वर || यत्पुरुषं व्यदधःु कनतधा व्यकल्पयन ् ।
तस्मादश्र्वा अजायन्त ये के चोभयादतः । मख
ु ं ककमस्य कौ बािू कार्वरू
ू पादार्वच्
ु येते ||
गार्वो ि जक्षज्रे तस्मात ् तस्माज्जाता अजार्वयः ||

श्री शेषाय नमः | धप


ू ं समपियासम ||
श्री शेषाय नमः | पुष्पाणण समपियासम || ------------------------------------------------------------------------
------------------------------------------------------------------------ ११. २. १७ शेष दीपं
११. २. १५ अर्ः शेष अङ्ग पूजा

साज्यं त्रिर्वनति सम्युकतं र्वस्ह्नना योस्जतुम ् मया |


सिस्रपादाय नमः | पादौ पूजयासम || दीपं गि
ृ ाण दे र्वेश िैलोकय नतसमरापिम ् ||
गूडगुल्फाय नमः | गुल्फौ पूजयासम || भकत्या दीपं प्रयश्चासम दे र्वाय परमात्मने |
िे मजङ्घाय नमः | जंघै पूजयासम || िाहि मां नरकात ् घोरात ् दीपं ज्योनतर् नमोस्तुते ||
मन्द गतये नमः | जानुनी पूजयासम ||
पीताम्बरधराय नमः | कहटं पूजयासम || ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत ् बािू राजन्यः कृतः ।

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उरू तदस्य यद्र्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत || श्री शेषाय नमः करोद्र्वतिनार्े चंदनं समपियासम ||

श्री शेषाय नमः । दीपं समपियासम || पूगीफलं मिाद्हदव्यं नागर्वस्ल्ल दलैयत


ुि म ् |
------------------------------------------------------------------------ कपरूि े ळसमायुकतं ताम्बूलं प्रनतगह्
ृ यताम ् ||
११. २. १८ शेष नैर्वेद्यं ------------------------------------------------------------------------

११. २. १९ शेष दक्षक्षणां


नैर्वेद्यं गह्
ृ यतां दे र्व भस्कत मे अचलां कुरुः |
ईस्प्सतं मे र्वरं दे हि इिि च परां गनतम ् || हिरण्य गभि गभिस्र् िे मबीज र्र्वभार्वसोः |
शकिराख़न्डख़ाद्यानन दधधक्षीरगत
ृ ानन च | अनन्त पुण्य फलदा अर्ः शास्न्तं प्रयच्छ मे ||
आिारं भ्क्ष्य भोज्यं च नैर्वेद्यं प्रनतगह्
ृ यताम ् ||
ॐ श्री शेषाय नमः | सुर्वणि पुष्प दक्षक्षणां
चन्द्रमा मनसो जातः चक्षोः सय
ू ो अजायत । समपियासम||
मुखाहदन्द्रश्चास्ग्नश्च प्राणाद्र्वायुरजायत || ------------------------------------------------------------------------

११. २. २० मिा फलं


(put tulsi / axathA on a big fruit)
श्री शेषाय नमः | नैर्वेद्यं समपियासम ||

इदं फलं मयादे र्व स्र्ार्पतं पुरतस्र्र्व |


नैर्वेद्यात ् पूर्वे आचमनीयं समपियासम ||
तेन मय ् सफलार्वास्प्तभिर्वेत ् जन्मनन जन्मनन ||

प्राणाय स्र्वािा
ॐ श्री शेषाय नमः | मिाफलं समपियासम ||
अपानाय स्र्वािा
------------------------------------------------------------------------
व्यानाय स्र्वािा ११. २. २१ मिा नीराजन
उदानाय स्र्वािा
समानाय स्र्वािा ॐ धश्रयै जातः धश्रय अननररयाय धश्रयं र्वयो
जररतभ्
ृ यो ददानत
मध्ये पानीयं समपियासम | धश्रयं र्वसाना अमत
ृ त्र्वमायन ् भर्वंनत सत्य स
उत्तरापोशनं समपियासम || समर्ासमतद्रौ
धश्रय एर्वैनं तत ् धश्रयामादधानत संततमच
ृ ा र्वषट्कृत्यं
श्री शेषाय नमः | िस्त प्रक्षाळनं समपियासम || संतत्यै संधीयते प्रजया पशुसभः य एर्वं र्वेद ||
श्री शेषाय नमः | मुखप्रक्षाळनं समपियासम || कपरूि दीपं करुणार्वतारं संसार सारं भज
ु गेन्द्रिारम ् |

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सदार्वसन्तं हृदयारर्र्वन्दे भर्वं भर्वानी सहितं नमासम||
श्री शेषाय नमः | प्रार्िनां समपियासम ||
नाभ्या आसीदन्तररक्षम ् शीष्णो द्यौः समर्वतित । अनेन कृत पूजनेन श्री शेषः र्प्रयताम ् ||
पदभ्यां भूसमहदि शः श्रोिात ् तर्ा लोकााँ अकल्पयन ् || श्रीमद् अनन्त पूजा
ॐ श्री शेषाय नमः | मिानीराजन दीपं समपियासम|| (keep a few red threads each with 14 knots smeared with
kumkum on the altar )
------------------------------------------------------------------------ ------------------------------------------------------------------------
११. २. २२ पुष्पांजली १२ कलश पूजन
(continue with second kalasha)
कलशस्य मुखे र्र्वष्णुः कण्ठे रुद्रः समाधश्रतः |
नानाकुसुम संयुकतं पुष्पांजलीसममं प्रभो |
मूले ति स्स्र्तो ब्रह्मा मध्ये मातग
ृ णाः स्मत
ृ ाः ||
कश्यपानन्द जनक सपेश प्रनतगह्
ृ यताम ् ||
कुक्षौतु सागराः सर्वे सप्त द्र्वीपा र्वसुंधराः |
ऋग्र्वेदोर् यजुर्वेदः सामर्वेदोह्यर्र्विणः ||
श्री शेषाय नमः | पष्ु पांजलीं समपियासम ||
------------------------------------------------------------------------ अंगैश्च सहिताः सर्वे कलशंतु समाधश्रताः |

११. २. २३ प्रदक्षक्षणः नमस्कारः अि गायिी सार्र्विी शांनत पुस्ष्टकरी तर्ा ||

आयान्तु दे र्व पूजार्ं असभषेकार्ि ससद्धये ||


यानन कानन च पापानन जन्मांतर कृतानन च |
तानन तानन र्र्वनश्यस्न्त प्रदक्षक्षण पदे पदे || ॐ ससताससते सररते यि संगर्े तिाप्लुतासो
नमो (अ)स्तु अनंताय सिस्र मत
ू य
ि े सिस्र पादाक्षक्ष हदर्वमुत्पतंनत |
सशरोरु बािर्वे । ये र्वैतन्र्वं र्र्वस्रजस्न्त धीरास्ते जनासो अमत
ृ त्त्र्वं
सिस्र नाम्ने परु
ु षाय शाश्र्वते सिस्र कोटी यग
ु धाररणे भजस्न्त ||
(Those who want to attain immortality take a
नम: || dip in the confluence of the Ganges, yamuna and
सप्तास्यासन ् पररधयः त्रिस्सप्त ससमधः कृताः ।
sarasvati rivers at the prayag. Let the water
in this kalasha become like the water from the
दे र्वा यद्यज्ं तन्र्वानाः अबध्नन्पुरुषं पशुम ् | holy rivers)

|| कलशः प्रार्िनाः ||
श्री शेषाय नमः | प्रदक्षक्षणः नमस्कारान ् समपियासम||
------------------------------------------------------------------------ कलशः कीनतिमायुष्यं प्रज्ां मेधां धश्रयं बलम ् |
११. २. २४ प्रार्िना योग्यतां पापिाननं च पण्
ु यं र्वद्
ृ धधं च साधयेत ् ||
अनन्तकल्पोकतफलं दे हिमे त्र्वं मिे श्र्वर |
(Let this kalasha increase our life span, presence
त्र्वत्पूजारहितच्छाधं फलं प्राप्नोनत मानर्वः || of mind, intellect,wealth, strength and status, destroy
our sins and increase our merits or puNya)

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तन्नो शङ्खः प्रचोदयात ् ||शङ्खाय नमः .
सर्वि तीर्िमयो यस्मात ् सर्वि दे र्वमयो यतः | सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ||
अतः िररर्प्रयोऽसस त्र्वं पूणक
ि ंु भं नमोऽस्तुते || ------------------------------------------------------------------------
(All the holy waters, and all the Gods are now १४ घंटाचिना
present in this kalasha. Our prostrations to this
(Pour drops of water from sha~Nkha on top of the bell
puurNakumbha which is hence dear to Lord Hari)
apply ga.ndha, flower)
कलशदे र्वताभ्यो नमः |
सकल पज
ू ार्े अक्षतान ् समपियासम || आगमार्िन्तु दे र्वानां गमनार्िन्तु राक्षसाम ् |
कुर्वे घंटारर्वं ति दे र्वताह्र्वा लक्षणम ् ||
|| मद्र
ु ा ||
ज्ानर्ोऽज्ानतोर्वार्प कांस्य घंटान ् नर्वादयेत ् |
(Show mudras as you chant )
राक्षसानां र्पशाचनां तद्दे शे र्वसनतभिर्वेत ् |
तस्मात ् सर्वि प्रयत्नेन घंटानादं प्रकारयेत ् ||
ननर्वीषी करणार्े ताक्षि मुद्रा | (to remove poison)
(When the bell is rung, knowingly or unknowingly,
अमत
ृ ी करणार्े धेनु मद्र
ु ा | (to provide nectar - amrit) all the good spirits are summoned and all the evil
spirits are driven away)
पर्र्विी करणार्े शङ्ख मुद्रा | (to make auspicious)
संरक्षणार्े चक्र मुद्रा | (to protect)
घंट दे र्वताभ्यो नमः |
र्र्वपुलमाया करणार्े मेरु मुद्रा | (to remove mAyA)
सकल पज
ू ार्े अक्षतान ् समपियासम ||
---------------------------------------------------------------
१३ शङ्ख पूजन (Ring the gha.nTA)
(pour water from kalasha to shaNkha
add gandha flower) ---------------------------------------------------------------
१५ आत्मशद् ु धध
( Sprinkle water from shaNkha on puja items and
शङ्खं चंद्राकि दै र्वतं मध्ये र्वरुण दे र्वताम ् |
devotees)
पष्ृ ठे प्रजापनतं र्र्वंद्याद् अग्रे गंगा सरस्र्वतीम ् ||

अपर्र्विः पर्र्विो र्वा सर्वािर्वस्र्ांगतोऽर्प र्वा |


त्र्वं पुरा सागरोत्पन्नो र्र्वष्णुना र्र्वधत
ृ ः करे |
यः स्मरे त ् पुंडरीकाक्षं सः बाह्याभ्यंतरः शुधचः||
नसमतः सर्वि दे र्वैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तुते ||
------------------------------------------------------------------------
१६ नर्वग्रि अष्ट एर्वं चतद
ु ि ल दे र्वता पज
ू न
(This shaNkha has now become like the pAnchajanya,
which has come out of the ocean and which is the
hands of Lord MahaviShNu. Our prostrations to the
नर्वग्रि दे र्वता पूजन
pAnchajanya)

(begin at east go clockwise)


पाञ्चजन्याय र्र्वद्मिे . पार्वमानाय धीमहि .

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आकृष्णेनाङ्गीरसो हिरण्यस्तुपः सर्र्वता त्रिष्टुप ्
सुयािर्वािने र्र्वननयोगः || शुक्रांते भारद्र्वाजः शुक्रः त्रिष्टुप ्
हिरण्ययेन सर्र्वतारतेन ् दे र्वो यानत भुर्वनानन पश्यन ् शुक्रार्वािने र्र्वननयोगः ||
सूयािय नमः | सूयं आर्वाियासम || ॐ शुक्रांते अन्यद्य जतन्ते अन्यद्र्र्वशुरुषे अिनन
दौररर्वासस र्र्वश्र्वहिमाया अर्वसस स्र्वाध्र्वो भद्रते
आप्यायस्र्वेनत गौतमः सोमो गायत्रि पूशस्न्नहिरानतरस्तु
चन्द्रार्वािने र्र्वननयोगः || शुक्राय नमः | शुक्रं आर्वाियासम ||
ॐ आप्यायस्र्वसमेतुते र्र्वश्र्वतः सोमर्वष्ृ णं
भर्वर्वाजस्यसन्घदे संघदे शमस्ग्नररररंत्रबरः शनैश्चर उस्ष्णक्
चंद्राय नमः | चन्द्रं आर्वाियासम || कन्यार्वािाने र्र्वननयोगः ||
ॐ शमस्ग्नरास्ग्नसभः करश्चन्न तपतु सूयःि
अस्ग्न मध
ू ि र्र्वरूपाङ्गारको गायत्रि शंर्वातो र्वात्र्वरपा अपसध
ृ ः
अङ्गारकार्वािने र्र्वननयोगः|| शनैश्चराय नमः | शनैश्चरं आर्वाियासम ||
ॐ अस्ग्नमध
ू ािहदर्वः ककु्पनतः प्रनतव्यायं
आपां रे तांसस स्जंर्वनत कयानो र्वामदे र्वो रािुगय
ि त्रि राह्र्वािने र्र्वननयोगः ||
अङ्गारकाय नमः| अंगारकं आर्वाियासम || ॐ कयानासशि आभर्व
ू दधू र् सदार्वध
ृ ः सखा
उद्भुद्दद्र्वं सौम्यो बुधः त्रिष्टुप ् कयाशधचष्टया र्वर्
ृ ा
बध
ु ार्वािने र्र्वननयोगः|| रािर्वे नमः | रािुं आर्वाियासम ||
ॐ उद्भुद्दद्र्वं समनसः सखायः
समस्ग्न र्र्वंद्र्वं बिर्वः सनीलः केतंु कृण्र्वन ् मधश्ु चंदः केतग
ु ाियत्रि
दधधक्रामस्ग्न मशसंच दे र्वीसमंद्रर्वतो केत्र्वार्वािने र्र्वननयोगः ||
र्वसननह्र्वयेर्वः ॐ केतु कृण्र्वन ् केतर्वे पेशोमयि आपेशसे
बुधाय नमः | बुधं आर्वाियासम || समुषड्सभरजायतः
केतर्वे नमः | केतुं आर्वाियासम ||
बि
ृ स्पते घत्ृ समधो बि
ृ स्पनतत्रिष्टुप ्
बि
ृ स्पत्यार्वािने र्र्वननयोगः || || अष्टदल दे र्वता पूजन ||
बि
ृ स्पते अधर्यदयो अिािद्युमद्र्र्वभानत कृतुमज्जनेषु
यद्धधदयश्चर्वास रत प्रजाततदस्मासुद्रर्र्वणं दे हि धचिं ॐ इंद्राय नमः | अग्नये नमः |
बि
ृ स्पतये नमः | बि
ृ स्पनतं आर्वाियासम || यमाय नमः | नैऋतये नमः |

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र्वरुणाय नमः | र्वायर्वे नमः | अनया पूजया नर्वग्रिाहद दे र्वता प्रीयताम ् ||
सोमाय नमः | ईशानाय नमः |
------------------------------------------------------------------------
१७ षट् पाि पूजा
( put tulasi leaves or axatAs in empty vessels)
|| चतुदिल दे र्वता || र्वायव्ये अघ्यं |
नैऋत्ये पाद्यं |
ॐ गणपतये नमः | ॐ दग
ु ाियै नमः | ईशान्ये आचमनीयं |
ॐ क्षेिपालाय नमः | ॐ र्वसोष्पतये नमः | आग्नेये मधप
ु कं |
पूर्वे स्नानीयं |
रव्याहद नर्वग्रि अष्टदल चतुदिलेषु स्स्र्त पस्श्चमे पुनराचमनं |
सर्विदेर्वताभ्यो नमः ||
------------------------------------------------------------------------
ध्यायासम ध्यानं समपियासम | १८ पञ्चामत
ृ पूजा
आर्वािनं समपियासम | ( put tulasi leaves or axataas in vessels|
Panchamrit is nectar of five ingredients -
आसनं समपियासम | a mixture of milk, curds, clarified butter (ghee), honey and
sugar|)
पाद्यं समपियासम |
अघ्यं समपियासम |
क्षीरे गोर्र्वन्दाय नमः | (keep milk in the
आचमनं समपियासम |
centre)
स्नानं समपियासम |
दधधनन र्वामनाय नमः | (curd facing east )
र्वस्िं समपियासम |
घत
ृ े र्र्वष्णर्वे नमः | (Ghee to the south)
यज्ोपर्वीतं समपियासम |
मधनु न मधस
ु ध
ू नाय नमः | ( Honey to west )
गंधं धप
ू ं दीपं समपियासम |
शकिरायां अच्युर्ाय नमः | ( Sugar to north)
नैर्वेद्यं समपियासम | -----------------------------------------------------------------------
मन्िपष्ु पं समपियासम | १९ मन्डप द्र्वारपालक पज
ू ा
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ||
पर्व
ू द्ि र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः |
यस्य स्मत्ृ याच नाम्नोकत्या तपः पूजा कक्रयाहदषु | जयाय नमः | र्र्वजयाय नमः |
नूनं संपूणत
ि ां याहद सद्यो र्वंदे तमच्युतं || दक्षक्षणद्र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः |
(All mistakes in our tapa, puujaa or kriyaa are removed and we नंदाय नमः | सुनंदाय नमः ||
are purified by thinking of or uttering the name 'Achyut')
पस्श्चमद्र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः |
बलाय नमः | प्रबलाय नमः ||

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उत्तरद्र्वारे द्र्वारधश्रयै नमः | सूयम
ि ण्डलाधधपतये ब्रह्मणे नमः ||
कुमुदाय नमः | कुमुदाक्षाय नमः || सोममण्डलाय नमः ||
सोममण्डलाधधपतये र्र्वष्णर्वे नमः ||
मध्ये नर्व रत्नखधचत हदव्य ससंिासनस्योपरर र्वस्ह्नमण्डलाय नमः ||
श्री अनन्तपद्मनाभ स्र्वासमने नमः || र्वस्ह्नमण्डलाधधपतये ईश्र्वराय नमः ||
द्र्वारपालक पूजां समपियासम ||
श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | पीठ पूजां समपियासम
------------------------------------------------------------------------
२० पीठ पूजा
||
------------------------------------------------------------------------
पीठस्य अधोभागे आधार शकत्यै नमः || कूमािय २१ हदग्पालक पूजा
नमः || (start from east of kalasha or deity)

दक्षक्षणे क्षीरोदधधये नमः | ससंिाय नमः ||


इंद्राय नमः,
ससंिासनस्य आग्नेय कोणे र्वरािाय नमः ||
अग्नये नमः,
नैऋत्य कोणे ज्ानाय नमः ||
यमाय नमः,
र्वायव्य कोणे र्वैराग्याय नमः ||
नैऋतये नमः,
ईशान्य कोणे ऐश्र्वयािय नमः ||
र्वरुणाय नमः,
पर्व
ू ि हदशे धमािय नमः || र्वायर्वे नमः,
दक्षक्षण हदशे ज्ानाय नमः ||
कुबेराय नमः,
पस्श्चम हदशे र्वैराग्याय नमः ||
ईशानाय नमः,
उत्तर हदशे अनैश्चराय नमः ||
पीठ मध्ये मल
ू ाय नमः || इनत हदग्पालक पूजां समपियासम
------------------------------------------------------------------------
नालाय नमः ||
२२ प्राण प्रनतष्ठा
पिेभ्यो नमः ||
(hold flowers/axata in hand)
केसरे भ्यो नमः ||
ध्यायेत ् सत्यम ् गण
ु ातीतं गण
ु िय समस्न्र्वतं
कणणिकायै नमः ||
लोकनार्ं त्रिलोकेशं कौस्तुभाभरणं िररम ् |
कणणिका मध्ये सं सत्त्र्वाय नमः ||
नीलर्वणं पीतर्वासं श्रीर्वत्सपदभर्ू षतं
रं रजसे नमः || तं तमसे नमः ||
गोकुलानन्दं ब्रह्माध्यैरर्प पूस्जतम ् ||

सूयम
ि ण्डलाय नमः ||

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ॐ अस्य श्री प्राण प्रनतष्ठापन मिा मन्िस्य ॐ अिं सः सोऽिं सोऽिं अिं सः ||
ब्रह्मा र्र्वष्णु मिे श्र्वरा ऋषयः |
ऋग्यजुः सामार्र्वािणण छन्दांसस | अस्यां मूते प्राणः नतष्ठं तुः | अस्यां मूते जीर्वः
सकलजगत्सस्ृ ष्टस्स्र्नत संिारकाररणी नतष्ठन्तु |
प्राणशस्कतः परा दे र्वता | अस्यां मूते सर्वेस्न्द्रयाणण मनस्त्र्वत ् चक्षुः
आं बीजम ् | ह्ीं शस्कतः | क्रौम ् कीलकम ् | श्रोि स्जह्र्वा िाणैः र्वाकर्वाणण पादपायोपस्र्ानन
अस्यां मूतौ प्राण प्रनतष्ठापने र्र्वननयोगः || प्राण अपान व्यान उदान समान अिागत्य
सुखेन धचरं नतष्ठन्तु स्र्वािाः |
|| करन्यासः ||

असुनीते पुनरस्मासु चक्षुर्वः पुनः प्राणसमिीनो


आं अंगुष्ठाभ्यां नमः || दे हिभोगं ज्योक्ष क्षेम सूयम
ि ुच्चरन्तम ् अनुमते
ह्ीं तजिनीभ्यां नमः || मड
ृ यान स्र्वस्स्त अमत
ृ ं र्वै प्राणा अमत
ृ मापः
क्रौं मध्यमाभ्यां नमः || प्राणानेर्व यर्ा स्र्ानं उपह्र्वयेत ् ||
आं अनासमकाभ्यां नमः ||
ह्ीं कननस्ष्ठकाभ्यां नमः ||
स्र्वासमन ् सर्वि जगन्नार् यार्वत्पूजार्वसानकं
क्रौं करतलकरपष्ृ ठाभ्यां नमः ||
तार्वत्र्वम ् प्रीनतभार्वेन त्रबम्बेस्स्मन ् कलशेस्स्मन ्

|| अङ्ग न्यासः || प्रनतमायां सस्न्नधधं कुरु ||


इनत प्राणं प्रनतष्ठापयासम ||

आं हृदयाय नमः || सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ||

ह्ीं सशरसे स्र्वािाः ||


------------------------------------------------------------------------
२३ ध्यानं
क्रौं सशखायै र्वषट् ||
आं कर्वचाय िुं || ॐ ॐ (repeat 15 times)
ह्ीं नेिियाय र्वौषट् || ॐ शान्ताकारम ् भज
ु गशयनम ् पद्मनाभम ् सरु े शम ्।
क्रौं अस्िाय फट् || र्र्वश्र्वाधारम ् गगनसदृशम ् मेघर्वणिम ् शुभाङ्गम ्॥
भूभर्व
ुि स्र्वरोम ् इनत हदग्बन्धः || लक्ष्मीकान्तम ् कमलनयनम ् योधगहृद्धयानगम्यम ्।
र्वन्दे र्र्वष्णुम ् भर्वभयिरम ् सर्विलोकैकनार्म ्॥
आं ह्ीं क्रौम ् क्रौम ् ह्ीं आं |
य र ल र्व श ष स ि | (you can add more related shlokas)

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ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । २५ आसनं
ध्यानात ् ध्यानं समपियासम
पुरुष एर्वेदगं सर्विम ् यद्भूतं यच्छ भव्यम ् ।
------------------------------------------------------------------------
२४ आर्वािनं
उतामत
ृ त्र्वस्येशानः यदन्नेनानतरोिनत ।।
( hold flowers in hand)

ॐ सिस्रशीषाि पुरुषः सिस्राक्षः सिस्रपात ् । अनन्ताय नमस्तेस्तु सिस्र सशरसे नमः।

स भूसमं र्र्वश्र्वतो र्वत्ृ र्वा अत्यनतष्ठद्दशाङ्गुलम ् ।। नमोस्तु पद्मनाभाय नागाधधपतये नमः ।।


ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । आसनं

आगच्छ दे र्वदे र्वेश तेजोराशे जगत्पते । समपियासम।।

कक्रयमाणां मया पूजां गि


ृ ाण सुरसत्तमे ।। (offer flowers/axathaas)

ॐ हिरण्यर्वणां िररणीं सुर्वणिरजतस्रजाम ् । तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ् ।

चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो ममार्वि ।। यस्यां हिरण्यं र्र्वन्दे यं गामश्र्वं पुरुषानिम ् ।।
आसनं समपियासम ।।
------------------------------------------------------------------------
श्री लक्ष्मी सहित श्री अनन्तपद्मनाभाय
२६ पाद्यं
सांगाय सपररर्वाराय सायध
ु ाय
(offer water)
सशस्कतकाय नमः ।
एतार्वानस्य महिमा अतो ज्यायागंश्च पूरुषः ।
श्री लक्ष्मी सहित श्री अनन्तपद्मनाभं सांगं
पादोऽस्य र्र्वश्र्वा भत
ू ानन त्रिपादस्यामत
ृ ं हदर्र्व ।।
सपररर्वारं सायुधं सशस्कतकं आर्वाियासम ।।
(offer flowers to Lord)
अनन्त दे र्वदे र्वेश परु ाण परु
ु षोत्तम |
पाद्यम ् गि
ृ ाण भगर्वन ् गन्धपुष्पाक्षतैयत
ुि ं .
आर्वाहितो भर्व । स्र्ार्पतो भर्व । सस्न्नहितो भर्व ।
सस्न्नरुद्धो भर्व । अर्वकुस्ण्ठतो भर्व । सुप्रीतो भर्व । ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । पादोयो पाद्यं
सप्र
ु सन्नो भर्व । सम
ु ख
ु ो भर्व । र्वरदो भर्व । समपियासम ।।
प्रसीद प्रसीद ।। अश्र्वपूर्वां रर्मध्यां िस्स्तनादप्रमोहदनीम ् ।
(show mudras to Lord) धश्रयं दे र्वीमुपह्र्वये श्रीमाि दे र्वी जुषताम ् ।।
पादोयो पाद्यं समपियासम ।।
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२७ अघ्यं चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्र्वलंतीं धश्रयं लोके
(offer water) दे र्वजुष्टामुदाराम ् ।
तां पद्समनीमीं शरणमिं प्रपद्येऽलक्ष्मीमे नश्यतां त्र्वां
त्रिपादध्ू र्वि उदै त्पुरुषः पादोऽस्येिाभर्वात्पुनः । र्वण
ृ े ।।
ततो र्र्वश्र्वङ्व्यक्रामत ् साशनानशने असभ ।। आचमनीयं समपियासम ।।
------------------------------------------------------------------------
२९ स्नानं
अनन्त दे र्वदे र्वेश अनन्त फलदायक ।
यत्पुरुषेण िर्र्वषा दे र्वा यज्मतन्र्वत ।
अनन्त मूते र्र्वश्र्वात्मान ् ग्रिाणघ्यं नमोस्तुते ।।
र्वसन्तो अस्यासीदाज्यम ् ग्रीष्म इध्मश्शरद्धर्र्वः ।।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । अघ्यिम ्
समपियासम।।
गङ्गाच यमुनाश्चैर्व नमिदाश्च सरस्र्वती ।
तार्प पयोस्ष्ण रे र्वच ताभ्यः स्नानार्िमाहृतं ।।
कांसोस्स्म तां हिरण्यप्राकारामाद्रां ज्र्वलन्तीं तप्ृ तां
तपियन्तीम ् ।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । मलापकशि स्नानं
पद्मेस्स्र्तां पद्मर्वणां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् ।।
समपियासम ।।
अघ्यं समपियासम ।।
------------------------------------------------------------------------
२८ आचमनीयं आहदत्यर्वणे तपसोऽधधजातो र्वनस्पनतस्तर्व र्वक्ष
ृ ोऽर्
(offer water or axathaa/ leave/flower) त्रबल्र्वः ।
तस्य फलानन तपसानद
ु न्तम
ु ायान्तरायाश्च बाह्या
तस्माद्र्र्वराडजायत र्र्वराजो अधध पूरुषः । अलक्ष्मीः ।।
स जातो अत्यररच्यत पश्चाद्भसू ममर्ो परु ः ।।
------------------------------------------------------------------------
२९. १ पञ्चामत
ृ स्नानं
२९.१. १ पय स्नानं (milk bath)
कपरूि र्वाससतं तोयं मन्दाककन्यः समाहृतम ् ।
आचम्यतां जगन्नार् मयाधत्तं हि भस्कतर्ः ।।
ॐ आप्याय स्र्व स्र्वसमेतुते
र्र्वश्र्वतः सोमर्वष्ृ ण्यं भर्वार्वाजस्य संगर्े ।।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । आचमनीयं
समपियासम ।।
सरु भेस्तु समत्ु पन्नं दे र्वानां अर्प दल
ु भ
ि म् ।
पयो दधासम दे र्वेश स्नानार्ं प्रनतगह्
ृ यताम ् ।।

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ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । पयः स्नानं
------------------------------------------------------------------------
२९. १. ४ मधु स्नानं (Honey bath)
समपियासम ।।
पयः स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियासम ।। ॐ मधर्व
ु ात ऋतायते मधक्ष
ु रं नत ससन्धर्वः मास्ध्र्वनः
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।। संतोष्र्वधीः
------------------------------------------------------------------------
मधन
ु कता मुतोषसो मधम
ु त ् पाधर्िर्वं रजः मधद्
ु यौ
२९. १. २ दधध स्नानं (curd bath)
रस्तुनः र्पता
मधम
ु ान्नो र्वनस्पनतर् मधम
ु ााँ अस्तु सूयःि
ॐ दधधक्राव्णो अकाररषं स्जष्णोरश्र्वस्यर्वास्जनः ।
माध्र्वीगािर्वो भर्वंतु नः ||
सुरसभनो मुखाकरत ् प्राण आयुंर्ष ताररषत ् ।।
सर्वौषधध समुत्पन्नं पीयुष सदृशं मधु ।
स्नानार्ं मया दत्तं गि
ृ ाण परमेश्र्वर ।।
चन्द्र मन्डल सम्काशं सर्वि दे र्व र्प्रयं हि यत ् ।
दधध ददासम दे र्वेश स्नानार्ं प्रनतगह्
ृ यताम ् ।।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । मधु स्नानं
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । दधध स्नानं
समपियासम ।।
समपियासम ।।
मधु स्नानानंतर शद्
ु धोदक स्नानं समपियासम ।।
दधध स्नानानंतर शद्
ु धोदक स्नानं समपियासम ।।
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
------------------------------------------------------------------------
------------------------------------------------------------------------
२९. १. ५ शकिरा स्नानं (sugar bath)
२९. १. ३ घत
ृ स्नानं (ghee bath)

ॐ स्र्वाधःु पर्वस्य हदव्याय जन्मने


ॐ घत
ृ ं समसमक्षे घत
ृ मस्य योननघत
ि ृ े धश्रतो
स्र्वादरु रन्द्राय सुिर्वीतु नाम्ने
घत
ृ ंर्वस्यधाम
स्र्वादसु मििाय र्वरुणाय र्वायर्वे
अनष्ु ठधमार्वि मादयस्र्व स्र्वािाकृतं र्वष
ृ भ र्वक्षक्षिव्यं।।
बि
ृ स्पतये मधम
ु ााँ अदाभ्यः ||

आज्यं सरु ानां आिारं आज्यं यज्े प्रनतस्ष्ठतम ् ।


इक्षु दण्डात ् समुत्पन्ना, रसस्स्नग्धतरा शुभा
आज्यं पर्र्विं परमं स्नानार्ं प्रनतगह्
ृ यताम ् ।।
शकिरे यं मया दत्ता, स्नानातं प्रनतगह्
ृ यताम ्

ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । घत


ृ स्नानं
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । शकिरा स्नानं
समपियासम ।।
समपियासम ।।
घत
ृ स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियासम ।।
शकिरा स्नानानंतर शद्
ु धोदक स्नानं समपियासम ।।
सकल पज
ू ार्े अक्षतान ् समपियासम ।।

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सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । अंगोद्र्वतिनं
------------------------------------------------------------------------
२९. २ गंधोदक स्नानं (Sandalwood water
समपियासम ।।
bath)
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
------------------------------------------------------------------------
ॐ गंधद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपुष्टां करीर्षणीं | २९. ५ उष्णोदक स्नानं (Hot water bath)
ईश्र्वरीं सर्वि भूतानां तासम िोप व्ियेधश्रयं ||
नाना तीर्ािदाहृतं च तोयमुष्णं मयाकृतं ।
िरर चंदन संभूतं िरर प्रीतेश्च गौरर्वात ् । स्नानार्ं च प्रयच्छासम स्र्वीकुरुश्र्व दयाननधे ।।
सुरसभ र्प्रय गोर्र्वन्द गंध स्नानाय गह्
ृ यतां ।। ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । उष्णोदक स्नानं
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । गंधोदक स्नानं समपियासम ।।
समपियासम ।। सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
------------------------------------------------------------------------

------------------------------------------------------------------------ २९. ६ शुद्धोदक स्नानं (Pure water bath)


२९. ३ अभ्यंग स्नानं (Perfumed Oil bath) sprinkle water all around
ॐ कननक्रदज्र्वनुशं प्रभ्रुर्वान। इयधर्र्वािचमररतेर्व नार्वं। ॐ आपोहिष्टा मयो भुर्वः । ता न ऊजे दधातन ।
सुमंगलश्च शकुने भर्वासस मात्र्वा काधचदसभभार्र्वश्व्या मिे रणाय चक्षसे । यो र्वः सशर्वतमो रसः
र्र्वदत ।। तस्यभाजयते ि नः ।
उशतीररर्व मातरः । तस्मा अरं गमामर्वो । यस्य
अभ्यंगार्ं मिीपाल तैलं पष्ु पाहद संभर्वं । क्षयाय स्जन्र्वर् । आपो जनयर्ा च नः ।।
सुगंध द्रव्य संसमश्रं संगि
ृ ाण जगत्पते ।।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । शद्
ु धोदक स्नानं
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । अभ्यंग स्नानं समपियासम ।।
समपियासम। सकल पज
ू ार्े अक्षतान ् समपियासम ।।
सकल पूजार्े अक्षतान ् समपियासम ।। (after sprinkling water around throw one
tulasi leaf to the north)
------------------------------------------------------------------------
२९. ४ अंगोद्र्वतिनकं (To clean the body) ------------------------------------------------------------------------
३० मिा असभषेकः
अंगोद्र्वतिनकं दे र्व कस्तय
ू ािहद र्र्वसमधश्रतं । (Sound the bell pour water from kalasha)
लेपनार्ं गि
ृ ाणेदं िररद्रा कंु कुमैयत
ुि ं ।।

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३०.१ पुरुष सूकत मुखं ककमस्य कौ बािू कार्वूरू पादार्वुच्येते ।। ११।।
ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत ् बािू राजन्यः कृतः ।
ॐ सिस्रशीषाि पुरुषः सिस्राक्षः सिस्रपात ् । उरू तदस्य यद्र्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत ।। १२।।
स भूसमं र्र्वश्र्वतो र्वत्ृ र्वा अत्यनतष्ठद्दशाङ्गुलम ् ।। चन्द्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत ।
१।। मुखाहदन्द्रश्चास्ग्नश्च प्राणाद्र्वायुरजायत ।। १३।।
पुरुष एर्वेदगं सर्विम ् यद्भूतं यच्छ भव्यम ् । नाभ्या आसीदन्तररक्षम ् शीष्णो द्यौः समर्वतित ।
उतामत
ृ त्र्वस्येशानः यदन्नेनानतरोिनत ।। २।। पदभ्यां भूसमहदि शः श्रोिात ् तर्ा लोकााँ
एतार्वानस्य महिमा अतो ज्यायागंश्च पूरुषः । अकल्पयन ्।।१४।।
पादोऽस्य र्र्वश्र्वा भूतानन त्रिपादस्यामत
ृ ं हदर्र्व ।। ३।। र्वेदािमेतं पुरुषं मिान्तम ्
त्रिपादध्ू र्वि उदै त्पुरुषः पादोऽस्येिाभर्वात्पुनः । आहदत्यर्वणं तमसस्तु पारे ।
ततो र्र्वश्र्वङ्व्यक्रामत ् साशनानशने असभ ।। ४।। सर्वािणण रूपाणण र्र्वधचत्य धीरः
तस्माद्र्र्वराडजायत र्र्वराजो अधध परु
ू षः । नामानन कृत्र्वाऽसभर्वदन ् यदास्ते ।। १५।।
स जातो अत्यररच्यत पश्चाद्भूसममर्ो पुरः ।। ५।। धाता पुरस्ताद्यमुदाजिार
यत्परु
ु षेण िर्र्वषा दे र्वा यज्मतन्र्वत । शक्रः प्रर्र्वद्र्वान्प्रहदशश्चतस्रः ।
र्वसन्तो अस्यासीदाज्यम ् ग्रीष्म इध्मश्शरद्धर्र्वः तमेर्वं र्र्वद्यानमत
ृ इि भर्वनत
।।६।। नान्यः पन्र्ा अयनाय र्र्वद्यते ।। १६।।
सप्तास्यासन ् पररधयः त्रिस्सप्त ससमधः कृताः । यज्ेन यज्मयजन्त दे र्वाः
दे र्वा यद्यज्ं तन्र्वानाः अबध्नन्परु
ु षं पशम
ु ्। तानन धमािणण प्रर्मान्यासन ् ।
तं यज्ं बहििर्ष प्रौक्षन ् पुरुषं जातमग्रतः । ते ि नाकं महिमानः सचन्ते
तेन दे र्वा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये ।। ७।। यि पर्व
ू े साध्याः सस्न्त दे र्वाः ।। १७।।
तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः संभत
ृ ं पष
ृ दाज्यम ् । ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । पुरुषसूकत स्नानं
पशग
ू ाँस्तागंश्चक्रे र्वायव्यान ् आरण्यान ् समपियासम। ।।
ग्राम्याश्चये।।८।।
------------------------------------------------------------------------
३०.२ श्री सूकत
तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः ऋचः सामानन जक्षज्रे ।
छन्दााँसस जक्षज्रे तस्मात ् यजुस्तस्मादजायत ।।९।।
हिरण्यर्वणां िररणीं सुर्वणिरजतस्रजाम ् |
तस्मादश्र्वा अजायन्त ये के चोभयादतः ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो ममार्वि || १||
गार्वो ि जक्षज्रे तस्मात ् तस्माज्जाता
तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ् |
अजार्वयः।।१०।।
यस्यां हिरण्यं र्र्वन्दे यं गामश्र्वं पुरुषानिम ् || २ ||
यत्पुरुषं व्यदधःु कनतधा व्यकल्पयन ् ।

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अश्र्वपूर्वां रर्मध्यां िस्स्तनादप्रमोहदनीम ् | तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ् |
धश्रयं दे र्वीमुपह्र्वये श्रीमाि दे र्वी जुषताम ् || ३ || यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गार्वोदास्योश्र्वास्न्र्वन्दे यं
कांसोस्स्म तां हिरण्यप्राकारामाद्रां ज्र्वलन्तीं तप्ृ तां पुरुषानिम ् || १५ ||
तपियन्तीम ् | यः शुधचः प्रयतो भूत्र्वा जुिुयादाज्यमन्र्विम ् |
पद्मेस्स्र्तां पद्मर्वणां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् || ४ || सूकतं पञ्चदशचं च श्रीकामः सततं जपेत ् || १६ ||
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्र्वलंतीं धश्रयं लोके पद्मानने पद्म ऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भर्वे |
दे र्वजुष्टामुदाराम ् | तन्मेभजसस पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यिम ् || १७
तां पद्समनीमीं शरणमिं प्रपद्येऽलक्ष्मीमे नश्यतां त्र्वां ||
र्वण
ृ े || ५ || अश्र्वदायी गोदायी धनदायी मिाधने |
आहदत्यर्वणे तपसोऽधधजातो र्वनस्पनतस्तर्व र्वक्ष
ृ ोऽर् धनं मे जुषतां दे र्र्व सर्विकामांश्च दे हि मे || १८ ||
त्रबल्र्वः | पद्मानने पद्मर्र्वपद्मपिे पद्मर्प्रये पद्मदलायताक्षक्ष
तस्य फलानन तपसानद
ु न्तम
ु ायान्तरायाश्च बाह्या |
अलक्ष्मीः ।। ६ ।। र्र्वश्र्वर्प्रये र्र्वश्र्वमनोनुकूले त्र्वत्पादपद्मं मनय
उपैतु मां दे र्वसखः कीनतिश्च मणणना सि | संननधत्स्र्व || १९ ||
प्रादभ
ु त
ूि ोऽस्स्म राष्रे स्स्मन्कीनतिमद्
ृ धधं ददातु मे || ७ || पुिपौिं धनं धान्यं िस्त्यश्र्वाहदगर्वेरर्म ् |
क्षुस्त्पपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यिम ् | प्रजानां भर्वसस माता आयष्ु मन्तं करोतु मे || २० ||
अभूनतमसमद्
ृ धधं च सर्वां ननणुद
ि मे गि
ृ ात ् || ८ || धनमस्ग्नधिनं र्वायुधन
ि ं सूयो धनं र्वसुः |
गन्धद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपष्ु टां करीर्षणीम ् | धनसमन्द्रो बि
ृ स्पनतर्विरुणं धनमस्तु ते || २१ ||
ईश्र्वरीं सर्विभूतानां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् || ९ || र्वैनतेय सोमं र्पब सोमं र्पबतु र्वि
ृ िा |
मनसः काममाकूनतं र्वाचः सत्यमशीमहि | सोमं धनस्य सोसमनो मह्यं ददातु सोसमनः || २३ ||
पशूनां रूपमन्नस्य मनय श्रीः श्रयतां यशः || १० || न क्रोधो न च मात्सयं न लोभो नाशुभा मनतः । ।
कदि मेन प्रजाभत
ू ामनय सम्भर्वकदि म | भर्वस्न्त कृतपण्
ु यानां भकतानां श्रीसक
ू तं जपेत ्।।२४ ।।
धश्रयं र्वासय मे कुले मातरं पद्ममासलनीम ् || ११ || सरससजननलये सरोजिस्ते
आपः सज
ृ न्तु स्स्नग्धानन धचकलीतर्वसमे गि
ृ े | धर्वलतरांशुकगन्धमाल्यशोभे ।
ननचदे र्वीं मातरं धश्रयं र्वासय मे कुले || १२ || भगर्वनत िररर्वल्लभे मनोज्े त्रिभुर्वनभूनतकरर प्रसीद
आद्रां पुष्कररणीं पुस्ष्टं सुर्वणां िे ममासलनीम ् | मह्यम ् ।। २५ ।।
सूयां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि || १३ || र्र्वष्णुपत्नीं क्षमादे र्वीं माधर्वीं माधर्वर्प्रयाम ् ।
आद्रां यःकररणीं यस्ष्टं र्पङ्गलां पद्ममासलनीम ् | लक्ष्मीं र्प्रयसखीं दे र्वीं नमाम्यच्युतर्वल्लभाम ् ।।२६ ।।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि || १४ || मिालक्ष्मी च र्र्वद्मिे र्र्वष्णुपत्नी च धीमहि ।

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तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात ् ।। २७ ।। ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । मिा असभषेक
श्रीर्वचिस्र्वमायुष्यमारोग्यमार्र्वधाच्छोभमानं मिीयते । स्नानं समपियासम ।।
धान्यं धनं पशुं बिुपुिलाभं शतसंर्वत्सरं
------------------------------------------------------------------------
३१ प्रनतष्ठापना
दीघिमायुः।।२८।।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | (repeat 12 times)

ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | श्री सूकत स्नानं ॐ तदस्


ु तु समिा र्वरुणा तदग्ने शंयोरस्मभ्यसमदम
समपियासम || स्तुशस्तम ् |
------------------------------------------------------------------------
अशीमहि गाधमुत प्रनतष्ठां नमो हदर्वे बि
ृ ते
३०. ३ र्र्वष्णु सूकत
साधनाय||
ॐ गि
ृ ार्वै प्रनतष्ठासूकतं तत ् प्रनतस्ष्टत तमया र्वाचा |
अतो दे र्वा अर्वन्तु नो यतो र्र्वष्णुर्र्विचक्रमे ।
शं स्तव्यं तस्माद्यद्यर्पदरू इर्व पशून ् लभते |
पधर्िव्याः सप्त धामसभः ।।
ग्रिानेर्वै नानास्जगसमशनत गि
ृ ाहि पशूनां प्रनतष्ठा
इदं र्र्वष्णुर्र्विचक्रमे िेधा ननदधे पदं ।
प्रनतष्ठा ||
समूढमस्यपााँसुरे ।।
िीणण पदा र्र्वचक्रमे र्र्वष्णग
ु ोपा अदाभ्यः ।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय सांगाय सपररर्वाराय
ततो धमािणण धारयन ् ।।
सायध
ु ाय
र्र्वष्णोः कमािणण पश्यत यतो व्रतानन पस्पशे ।
सशस्कतकाय नमः । श्री अनन्तपद्मनाभं सांगं
इन्द्रस्य युज्यः सखा ।।
सपररर्वारं सायध
ु ं सशस्कतकं आर्वाियासम ।।
तद् र्र्वष्णोः परमं पदं सदा पश्यस्न्त सरू यः ।
श्री लक्ष्मी सहित श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः ।।
हदर्वीर्व चक्षुराततम ् ।।
सप्र
ु नतष्ठमस्तु ।।
तद् र्र्वप्रासो र्र्वपन्यर्वो जागर्व
ृ ााँसस्सममन्धते । ------------------------------------------------------------------------
र्र्वष्णोर् यत ् परमं पदं ।। ३२ र्वस्ि
दे र्वस्य त्र्वा सर्र्वतःु प्रसर्वेऽस्श्र्वनोबाििुभ्यां पष्ू णो (offer two pieces of cloth for the Lord)
िस्ताभ्याम ् ।
अग्नेस्तेजसा सय
ू श्ि च अचिसेन्द्रस्यं ॐ तं यज्ं बहििर्ष प्रौक्षन ् परु
ु षं जातमग्रतः ।

इस्न्द्रयेनासभसशञ्चासम ।। तेन दे र्वा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये ।।

बलाय धश्रयै यशसेन्नाध्याय अम्रत


ु ासभषेको अस्तु ।
शास्न्तः पुस्ष्टः तुस्ष्टः च अस्तु ।। ॐ उपैतु मां दे र्वसखः कीनतिश्च मणणना सि |
प्रादभ
ु त
ूि ोऽस्स्म राष्रे स्स्मन्कीनतिमद्
ृ धधं ददातु मे ||

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तप्त कान्चन संकाशं पीताम्बरं इदं िरे ३३. ५ कंु कुम
संगि
ृ ाण जगन्नार् अनन्तपद्मनाभ नमोऽस्तुते
कंु कुमं कामदां हदव्यं कासमनी काम संभर्वं ।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | र्वस्ियुग्मं कंु कुमाधचिते दे र्वी सौभाग्यार्ं प्रनतगह्
ृ यतां ।।
समपियासम || ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः । कंु कुमं समपियासम ।।
------------------------------------------------------------------------ ------------------------------------------------------------------------
३३ श्री मिा लक्ष्मी पूजा ३३. ६ कज्जल
३३. १ कंचक
ु ी
सुनील भ्रमराभसं कज्जलं नेि मण्डनं ।
नर्वरत्नासभदि धां सौर्वणैश्चैर्व तंतुसभः । मयादत्तसमदं भकत्या कज्जलं प्रनतगह्
ृ यतां ।।
ननसमितां कंचक
ु ीं भकत्या गि
ृ ाण परमेश्र्वरी ।। ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः । कज्जलं समपियासम ।।
ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः। कंचक
ु ीं समपियासम ।।
------------------------------------------------------------------------

------------------------------------------------------------------------ ३३. ७ ससंदरू


३३. २ कण्ठ सूि र्र्वद्युत ् कृशाणु संकाशं जपा कुसुमसस्न्नभं ।
ससन्दरू ं ते प्रदास्यासम सौभाग्यं दे हि मे धचरं ।।
मांगल्य तंतुमणणसभः मुकतैश्चैर्व र्र्वरास्जतं । ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः । ससन्दरू ं समपियासम ।।
सौमंगल्ल्यासभर्वध्
ृ यर्ं कंठसूिं ददासमते ।।
------------------------------------------------------------------------
३३. ८ नाना आभरणं
ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः । कंठसूिं समपियासम ।।
------------------------------------------------------------------------
३३. ३ ताडपिाणण स्र्वभार्वा सुन्दरांधग त्र्वं नाना रत्न युतानन च ।
भूषणानन र्र्वधचिाणण प्रीत्यर्ं प्रनतगह्
ृ यतां ।।
ताडपिाणण हदव्याणण र्र्वधचिाणण शुभानन च । ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः । नाना आभरणानन
कराभरणयक
ु तानन मातस्तत्प्रनतगह्
ृ यतां ।। समपियासम ।।
ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः ताडपिाणण समपियासम ।।
------------------------------------------------------------------------

------------------------------------------------------------------------ ३३. ९ नाना पररमल द्रव्य


३३. ४ िररद्रा
नाना सुगस्न्धकं द्रव्यं चण
ू ीकृत्य प्रयत्नतः ।
िररद्रा रं स्जते दे र्वी सख
ु सौभाग्य दानयनी । ददासम ते नमस्तभ्
ु यं प्रीत्यर्ं प्रनतगह्
ृ यतां ।।
िररद्रांते प्रदास्यासम गि
ृ ाण परमेश्र्वरर ।। ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः । नाना पररमल द्रव्यं
ॐ श्री मिा लक्ष्म्यै नमः । िररद्रा समपियासम ।। समपियासम ।।
------------------------------------------------------------------------ ------------------------------------------------------------------------

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३४ यज्ोपर्वीत ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | गंधं समपियासम||
------------------------------------------------------------------------

तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः संभत
ृ ं पष
ृ दाज्यम ् । ३७ नाना पररमल द्रव्य

पशूगाँस्तागंश्चक्रे र्वायव्यान ् आरण्यान ् ग्राम्याश्चये।।


अहिररर्व भोगैः पयेनत बािुं जयाया िे नतं
क्षुस्त्पपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यिम ् |
पररबाधमानः|
अभूनतमसमद्
ृ धधं च सर्वां ननणुद
ि मे गि
ृ ात ् ||
िस्तघ्नो र्र्वश्र्वा र्वयुनानन र्र्वद्र्वान्पुमान्पुमांसं परर
ब्रह्मा र्र्वष्णु मिे शश्च ननसमितं ब्रह्मसूिकं ।
पातु र्र्वश्र्वतः ||
यज्ोपर्वीतं तद्दानात ् प्रीयतां कमलापनतः ।।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | नाना पररमल

ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | यज्ोपर्वीतम ् द्रव्यं समपियासम ||


------------------------------------------------------------------------
समपियासम ||
३८ अक्षत
------------------------------------------------------------------------
३५ आभरणं िस्तभष
ू ण
तस्मादश्र्वा अजायन्त ये के चोभयादतः ।

गि
ृ ाण नानाभरणानन अनन्तपद्मनाभाय ननसमितानन । गार्वो ि जक्षज्रे तस्मात ् तस्माज्जाता अजार्वयः।।

ललाट कंठोत्तम कणि िस्त ननतम्ब िस्तांगुसल मनसः काममाकूनतं र्वाचः सत्यमशीमहि |

भष
ू णानन ।। पशूनां रूपमन्नस्य मनय श्रीः श्रयतां यशः ||

ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । आभरणानन श्र्वेत तण्डुल संयक


ु तान ् कुङ्कुमेन र्र्वरास्जतान ् |
समपियासम ।। अक्षतान ् गह्
ृ यताम ् दे र्व नारायण नमोऽस्तुते ||
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | िस्तभूषणं
श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः| अक्षतान ् समपियासम ||
समपियासम || ------------------------------------------------------------------------
------------------------------------------------------------------------
३९ पष्ु प
३६ गंध

माल्यादीनन सग
ु न्धीनन माल्यतादीनन र्वैप्रभो ।
तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः ऋचः सामानन जक्षज्रे ।
मया हह्तानन पूजार्ं पुष्पाणण प्रनतगह्
ृ यताम ् ।।
छन्दााँसस जक्षज्रे तस्मात ् यजस्
ु तस्मादजायत ।।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । पष्ु पाणण
गन्धद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपुष्टां करीर्षणीम ् |
समपियासम।।
ईश्र्वरीं सर्विभूतानां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् ||
गौरोचन चंदन दे र्वदारु कपरूि कृष्णागरु नागराणण ।
तुलसी कुन्दमन्दार पाररजाताम्बुजैयत
ुि ां
कस्तूररका केसर समधश्रतानन यर्ोधचतं
पञ्चसभग्रिधर्ता माला र्वैजयंनत क्यते ।।
अनन्तमयार्पितानन ।।

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ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । र्वैजयंती माला ॐ शेषाय नमः | चतुर्ि ग्रस्न्र्ं पूजयासम ||
समपियासम ।। ॐ तालकाय नमः | पंचम ग्रस्न्र्ं पूजयासम ||
ॐ कामपालाय नमः | षष्ठ ग्रस्न्र्ं पूजयासम ||
------------------------------------------------------------------------
४० नाना अलंकार
ॐ िलायुधाय नमः | सप्तम ग्रस्न्र्ं पूजयासम ||

कहट सूताङ्गुली येच कुण्डले मुकुठं तर्ा । ॐ सशरः पाणये नमः | अष्टम ग्रस्न्र्ं पूजयासम ||

र्वनमालां कौस्तुभं च गि
ृ ाण पुरुषोत्तम ।। ॐ बलबद्राय नमः | नर्वम ग्रस्न्र्ं पूजयासम ||

ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | नाना अलंकारान ् ॐ मुससलने नमः | दशम ग्रस्न्र्ं पूजयासम ||

समपियासम || ॐ अच्युताय नमः | एकादश ग्रस्न्र्ं पूजयासम ||


------------------------------------------------------------------------ ॐ कालनाताय नमः | द्र्वादश ग्रस्न्र्ं पूजयासम ||
४१ अर् अङ्गपूजा
ॐ सिस्रफणामननभूसशताय नमः | ियोदश ग्रस्न्र्ं
पूजयासम ||
ॐ मत्स्याय नमः । पादौ पूजयासम ।।
ॐ सिस्रसशरसे नमः | चतद
ु ि श ग्रस्न्र्ं पज
ू यासम ||
ॐ कूमािय नमः । गुल्फ़ौ पूजयासम ।।
------------------------------------------------------------------------
ॐ र्वरािाय नमः । जानुनी पूजयासम ।। ४२ अर् पुष्प पूजा
ॐ नारससम्िाय नमः । जंघै पूजयासम ।। ॐ कृष्णाय नमः । करर्वीर पष्ु पं समपियासम ।।
ॐ र्वामनाय नमः । ऊरून ् पूजयासम ।। ॐ ब्रह्मणे नमः । जाजी पुष्पं समपियासम ।।
ॐ परशरु ामाय नमः । गह्
ु यं पज
ू यासम ।। ॐ भास्कराय नमः । चम्पका पष्ु पं समपियासम ।।
ॐ रामाय नमः । जघनं पूजयासम ।। ॐ सशर्वाय नमः । र्वकुल पुष्पं समपियासम ।।
ॐ कृष्णाय नमः । कहटं पज
ू यासम ।। ॐ र्र्वष्णर्वे नमः । शतपि पष्ु पं समपियासम ।।
ॐ बुद्धाय नमः । उदरं पूजयासम ।।
ॐ कस्ल्कने नमः । हृदयं पज
ू यासम ।। ॐ िरये नमः । कल्िार पष्ु पं समपियासम ।।
ॐ शेषाय नमः । सेर्वस्न्तका पुष्पं समपियासम।।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः सर्वािङ्गानन ॐ सर्विव्यार्पने नमः । मस्ल्लका पष्ु पं समपियासम ।।
पूजयासम।। ॐ ईश्र्वराय नमः । इरुर्वंनतका पुष्पं समपियासम।।
------------------------------------------------------------------------
ॐ र्र्वश्र्वरूपाय नमः । धगररकणणिका पष्ु पं
४१. १ अर् ग्रस्न्र् पज
ू ा
समपियासम।।

ॐ अनन्ताय नमः | प्रर्म ग्रस्न्र्ं पज


ू यासम ||
ॐ मिाकायाय नमः । आर्सी पुष्पं समपियासम ।।
ॐ कर्पलाय नमः | द्र्र्वतीय ग्रस्न्र्ं पूजयासम ||
ॐ नागाधधपतये नमः | तत
ृ ीय ग्रस्न्र्ं पज
ू यासम ||

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ॐ सस्ृ ष्ट स्स्र्त्यन्तकाय नमः । पाररजात पुष्पं ॐ अनन्तपद्मनाभ स्र्वासमने नमः । पिपूजां
समपियासम ।। समपियासम ।।
ॐ अनन्ताय नमः । पुन्नाग पुष्पं समपियासम।।
ॐ नागाधधपतये नमः । कुन्द पुष्पं समपियासम ।।
------------------------------------------------------------------------
४४ नाम पूजा
श्री अनन्तपद्मनाभ स्र्वासमने नमः । पुष्पपूजां
समपियासम ।।
------------------------------------------------------------------------ ॐ केशर्वाय नमः । ॐ नारायणाय नमः ।
४३ अर् पि पूजा ॐ माधर्वाय नमः । ॐ गोर्र्वंदाय नमः ।
ॐ र्र्वष्णर्वे नमः । ॐ मधस
ु ूदनाय नमः ।
ॐ जगन्नार्ाय नमः । तुलसी पिं समपियासम ।। ॐ त्रिर्र्वक्रमाय नमः । ॐ र्वामनाय नमः ।
ॐ र्वरािाय नमः । जाजी पिं समपियासम ।। ॐ श्रीधराय नमः । ॐ हृषीकेशाय नमः ।
ॐ धरणीधराय नमः । चम्पका पिं समपियासम ।। ॐ पद्मनाभाय नमः । ॐ दामोदराय नमः ।
ॐ मुकुन्दाय नमः । त्रबल्र्व पिं समपियासम ।। ॐ संकषिणाय नमः । ॐ र्वासुदेर्वाय नमः ।
ॐ सिस्राक्षाय नमः । दर्व
ू ाियुग्मं समपियासम ।। ॐ प्रद्युम्नाय नमः । ॐ अननरुद्धाय नमः ।
ॐ परु
ु षोत्तमाय नमः । ॐ अधोक्षजाय नमः ।
ॐ अचंचलाय नमः । सेर्वस्न्तका पिं समपियासम ।। ॐ नारससंिाय नमः । ॐ अच्युताय नमः ।
ॐ कृष्णाय नमः । मरुग पिं समपियासम ।। ॐ जनादि नाय नमः । ॐ उपें द्राय नमः ।
ॐ र्र्वष्णर्वे नमः । दर्वन पिं समपियासम ।। ॐ िररये नमः । ॐ श्री कृष्णाय नमः ।
ॐ सशर्वाय नमः । करर्वीर पिं समपियासम ।। ॐ परशरु ामाय नमः । ॐ रामाय नमः ।
ॐ भास्कराय नमः । र्र्वष्णु क्रास्न्त पिं ॐ बुद्धाय नमः । ॐ कस्ल्कने नमः
समपियासम।।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः ।
ॐ त्रिमत
ू य
ि े नमः । माधच पिं समपियासम ।। नाम पज
ू ां समपियासम
ॐ पद्मनाभाय नमः । मस्ल्लका पिं समपियासम ।।
------------------------------------------------------------------------
४५ लक्ष्मी नाम पूजा
ॐ मधस
ु द
ू नाय नमः। इरुर्वस्न्तका पिं समपियासम ।।
ॐ सर्विव्यार्पने नमः । अपामागि पिं समपियासम ।।
ॐ मिालक्ष्म्यै नमः ।
ॐ र्र्वश्र्वरूपाय नमः । पाररजात पिं समपियासम ।।
ॐ कमलायै नमः ।
ॐ पद्मासनयै नमः ।
ॐ सोमायै नमः ।

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ॐ चस्न्डकायै नमः । श्री अनन्तपद्मनाभ स्र्वासमने नमः
ॐ अनघायै नमः । प्रर्मार्वरण पूजां समपियासम।
ॐ रमायै नमः ।
------------------------------------------------------------------------
४६. २ द्र्र्वतीयार्वरण पूजा
ॐ पीताम्बरधाररण्यै नमः ।
ॐ ऋग्र्वेदाय नमः ।
ॐ हदव्यगन्धानुलेपनायै नमः ।
ॐ यजुर्वेदाय नमः ।
ॐ सुरूपायै नमः ।
ॐ सामर्वेदाय नमः ।
ॐ रत्नदीप्तायै नमः ।
ॐ अर्र्विण र्वेदाय नमः ।
ॐ र्वास्ञ्चतार्िप्रदानयन्यै नमः ।
ॐ र्वस्ह्नमण्डलाय नमः ।
ॐ इंहदरायै नमः ।
ॐ सूयम
ि ण्डलाय नमः ।
ॐ नारायणायै नमः ।
ॐ सोमैमण्डलाय नमः ।
ॐ कंबु ग्रीर्वायै नमः ।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभ स्र्वासमने नमः ।
ॐ िररर्प्रयायै नमः ।
द्र्र्वतीयार्वरण पूजां समपियासम
ॐ शुभदायै नमः ।
------------------------------------------------------------------------
ॐ लोकमािे नमः । ४६. ३ तत
ृ ीयार्वरण पूजा
ॐ दै त्यदपािपिाररण्यै नमः । ॐ केशर्वाय नमः ।
ॐ सरु ासरु पस्ू जतायै नमः । ॐ नारायणाय नमः ।
ॐ मिा लक्ष्म्यै नमः । ॐ माधर्वाय नमः ।
ॐ लक्ष्मी नाम पज
ू ां समपियासम। ॐ गोर्र्वंदाय नमः ।
------------------------------------------------------------------------
ॐ र्र्वष्णर्वे नमः ।
४६ आर्वरण पूजा
------------------------------------------------------------------------ ॐ मधस
ु ूदनाय नमः ।
४६. १ प्रर्मार्वरण पज
ू ा ॐ त्रिर्र्वक्रमाय नमः ।
ॐ नारायणाय नमः । ॐ र्वामनाय नमः ।
ॐ नराय नमः । ॐ श्रीधराय नमः ।
ॐ अच्युताय नमः । ॐ हृषीकेशाय नमः ।
ॐ आहदमध्यांत शन्
ू याय नमः । ॐ पद्मनाभाय नमः ।
ॐ र्र्वष्णर्वे नमः । ॐ दामोदराय नमः ।
ॐ िरये नमः । ॐ संकषिणाय नमः ।
ॐ सस्ृ ष्टस्स्र्नतसंिारकाय नमः । ॐ र्वासद
ु े र्वाय नमः ।
ॐ दामोदराय नमः ॐ प्रद्युम्नाय नमः ।

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ॐ अननरुद्धाय नमः । ॐ यमाय नमः ।
ॐ पुरुषोत्तमाय नमः । ॐ नैऋतये नमः ।
ॐ अधोक्षजाय नमः । ॐ र्वरुणाय नमः ।
ॐ नारससंिाय नमः । ॐ र्वायव्ये नमः ।
ॐ अच्युताय नमः । ॐ कुबेराय नमः ।
ॐ जनादि नाय नमः । ॐ ईशानाय नमः ।
ॐ उपें द्राय नमः । ॐ श्री अनन्तपद्मनाभ स्र्वासमने नमः ।
ॐ िरये नमः । ॐ पञ्चमार्वरण पूजां समपियासम
श्री कृष्णाय नमः ।
------------------------------------------------------------------------
४६. ६ षष्ठार्वरण पूजा
श्री अनन्तपद्मनाभ स्र्वासमने नमः ।
तत
ृ ीयार्वरण पूजां समपियासम
------------------------------------------------------------------------ ॐ मेशाय नमः ।
४६. ४ चतुर्ािर्वरण पूजा ॐ र्वष
ृ भाय नमः ।
ॐ समर्न
ु ाय नमः ।
ॐ सय
ू ािय नमः । ॐ कटकाय नमः ।
ॐ सोमाय नमः । ॐ ससंिाय नमः ।
ॐ अङ्गारकाय नमः । ॐ कन्यायै नमः ।
ॐ बुधाय नमः । ॐ तुलायै नमः ।
ॐ बि
ृ स्पतये नमः । ॐ र्वस्ृ श्चकाय नमः ।
ॐ शुक्राय नमः । ॐ धनुषे नमः ।
ॐ शनैश्चराय नमः । ॐ मकराय नमः ।
ॐ रािर्वे नमः ॐ कंु भाय नमः ।
ॐ केतर्वे नमः । ॐ मीनाय नमः ।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभ स्र्वासमने नमः । ॐ श्री अनन्तपद्मनाभ स्र्वासमने नमः ।
चतर्
ु ािर्वरण पज
ू ां समपियासम षष्ठार्वरण पज
ू ां समपियासम
------------------------------------------------------------------------
४६. ५ पञ्चमार्वरण पूजा
------------------------------------------------------------------------
४६. ७ सप्तमार्वरण पूजा

ॐ इंद्राय नमः ।
ॐ ब्राह्म्यै नमः ।
ॐ अग्नये नमः ।

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ॐ मािे श्र्वयै नमः ।
Lord Krishna says “Yes there is a great vrata which
ॐ कौमायै नमः । destroys all your sins, removes all your difficulties,
ॐ र्वैष्णव्यै नमः ।
promotes your material prosperity and will
eventually give you moksha( liberation) . The vrata
ॐ र्वाराह्यै नमः । is called Ananta Padmanabha vrata. This vrita needs
ॐ नारससंिायै नमः । to be done a day prior to pournami (भाद्रपद शुकल

ॐ चामुण्डायै नमः । चतदु ि सश) of the month of bhadrapada. In respect of


protecting devotees this vrata is reputed to be the
ॐ इन्द्राण्यै नमः । foremost”. Dharmaraja (Yudishtra) wants to know
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभ स्र्वासमने नमः । now who this Ananta represents; whether he is
Adishesha or Taxaka, or Brahma.
सप्तमार्वरण पूजां समपियासम
------------------------------------------------------------------------ Lord Krishna replies that Ananta is none other than
४६. ८ अष्टमार्वरण पूजा He Himself; Ananta is the endless time. You can
call him Hari, Vishnu, Krishna, Shiva, Surya,
Adishesha or Brahma. Having resided in the hearts
ॐ मत्स्याय नमः । of all creatures, and assuming different Avatar for
protecting the good and punishing the wicked, I am
ॐ कूमािय नमः । that Parameshwar Himself. In me reside all the 14
ॐ र्वरािाय नमः । Lokas, 14 Indras, 12 Adityas, 11 Rudras, 8 Vasus, 7
Rishis,the Earth and the sky, rivers and mountains.
ॐ नारससंिाय नमः । Saying thus the Lord displays his Vishwaroopa to
ॐ र्वामनाय नमः ।
Dharmaraja.

ॐ परशुरामाय नमः । Overwhelmed at seeing the Lord's


Vishwaswaroopa, Dharmaraja wants to know more
ॐ रामाय नमः ।
details of the Vrata; how to perform the Vrata, what
ॐ कृष्णाय नमः । benefits one gets and who all have done this Vrata
earlier. The Lord now pleased narrates the story of
ॐ बद्
ु धाय नमः । this vrata which took place in Kritayuga.
ॐ कस्ल्कने नमः । There was a Brahmin called Sumanta born in
Vasishta Gotra and who had married Brigu's
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभ स्र्वासमने नमः । daughter Dheeksha. They had a charming daughter
अष्टमार्वरण पूजां समपियासम called Susheela. When Susheela was a young girl,
she lost her mother. Her father married a woman
------------------------------------------------------------------------
called Karkashe who was a hard hearted,
४७ Katha quarrelsome, termagant. She made the life of
Suheela miserable. In spite of these difficulties at
When Pandava kings were banished for 12 years home, Susheela grew to be a fine lady ready to be
from their kingdom, and were in the jungle, Lord married. When Sumanta was worried over her
Krishna visits them. Yudhishtira, the eldest among marriage, there came to his house a Rishi called
them asks Lord Krishna an easy way out of all their Kaundinya who was looking for a bride. Sumanta
difficulties. gives his daughter to Kaundiya rishi in marriage.

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With his wife being uncooperative, he could give (Vasudeva! I am drowning in this huge Ocean of
to his son in law only some fried wheat flour as a Samsara; kindly liberate me from the depths of the
marriage gift. Ocean and let me be absorbed me into you!).

Kaundinya accompanied by his wife Susheela Susheela wore the red thread and with the thoughts
travels and by afternoon reaches the bank of a river. of Ananta Padmanabha, accompanied her husband
That day being Bhadrapada Shukla Chaturdashi to his ashram. Because of the power of Anantavrata,
many Brahmins and their wives who were wearing Kaundinya's ashram acquired beauty and wealth.
red dress, were worshipping Ananta Padmanabha. All his relatives were eagerly waiting to do the
Curious Susheela approaches these ladies and asks Anantavrata. Susheela had acquired an aura of
them for details of the vrata. They say that the Vrata brilliance.
is called Ananta Vrata and the fruits are infinite(
अनन्त) ; when Susheela showed interest to do the One day Kaundinya sees the red thread on
Susheela's hand and asks for an explanation; In spite
Vrata, they tell Susheela the details as follows :
of her telling him the truth, in a fit of anger and
jealousy, Kaundinya forcibly removes the thread
The Vrata is to be performed on Bhadrapada Shukla
and throws in the fire.Sushila picks up the half
Chaturdashi. Having taken bath and wearing a clean
burnt thread and immerses it in milk. His behaviour
dress, decorate the altar with devotion. Keep a
proved very dear to Kaundinya; pretty soon all his
kalasha on the south of the altar in which you invite
wealth was lost; his relatives desert him; his cattle
the Lord. Keep 7 darbhas tied to each other to
died and he now knows that this was on account of
represent Ananta. Keep a red thread with 14 knots
his rudeness to Ananta Padmanabha swami in the
on the altar. Worship lord with 14 variety of flowers
form of red thread.
and 14 variety of leaves. The prasad for this vrata is
Atiras. Make 28 of them and serve them to
Kaundinya leaves his house in search of Anantha
brahmanas. Those attendning should be given food
padmanabha. Like a demented person he enters the
and respect. Do this vrata for 14 years each year
jungle and asks a mango tree full of mangoes, have
replacing the thread that was worn in the earlier
you seen Ananta Padmanabha swami? He goes
year. In the 15th year do the udyapana (conclusion
further and asks a cow along with its calf the same
with donation of gifts to Brahmanas)
question. A little further he meets a bullock to who
he poses this question. His travel brings him near
Having listened to the narration with attention, faith
two lakes which were overflowing to whom he puts
and devotion, Susheela performed the puja with
the same question. The next in line were a donkey
those gathered there, distributed half of the fried
and an elephant who could not answer his question.
wheat flour to brahmanas. She prepared a ‘Thoran’
By now he was tired and heartbroken. He falls
(thread) mixed with turmeric powder with fourteen
down there. Lord in His infinite compassion comes
‘Grandhis’ (knots), offered to the Lord and tied on
there in the form an old Brahman, revives him and
left hand wrist for women and on right wrist on men
takes him to a palace where he shows him his four
and while winding up the Thoran, recited the
armed form along with Mahalakshmi. Kaundinya
following Mantra:
praises the Lord in many stotras. The Lord please
gives him three boons viz., Removal of poverty,
अनंत संसार मिासमद्र
ु े मग्नान ् समभ्यद्
ु धर र्वासद
ु े र्व. ability to follow dharma, mukti saubhagya.
अनंत रुपे र्र्वननयोस्जतात्मा अनंत रूपाय नमो नमस्ते
Now Kaundinya asks the Lord about the strange
sights he saw on the way to Him. The Lord

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explains. The man who was full of knowledge but ॐ ज्ानाय नमः |
did not teach his disciples and was useless became
the mango tree. Although wealthy one who never ॐ ज्ानर्प्रयाय नमः |
ate himsef and did not give to others became this
ॐ पद्मनाभाय नमः |
cow. The king who gave non productive lands as
gifts is born now as a bullock. The two lakes which
overflow are dharma and adharma. One ॐ पुरुषोत्तमाय नमः |
whoneglected his ancestors' dharma has become an
ॐ प्रभर्वे नमः |
elephant. The donkey represents the person who
condemned others and lived through unrighteous ॐ ईश्र्वराय नमः |
methods. Do this vrita for 14 years and I shall grant
you a permanent place in the heavens. ॐ अधोक्षजाय नमः |
ॐ पर्र्विाय नमः |
Kaundinya returned home and did the puja with
shraddha and bhakti. He lived a life of wealth and ॐ मंगलाय नमः |
happiness. In the bygone days, sages like Agastya, ॐ श्रीगभािय नमः |
kings like Janaka, Sagara, Dilipa, Harischandra
have done this vrita. You too do this vrita and all ॐ प्रजापतये नमः |
your troubles will be over.
ॐ त्रिर्र्वक्रमाय नमः |
Listening to this the exiled king Dharmaraja also
performed this vrita. One who hears this story or ॐ ससद्धाय नमः |
narrates it will be rid of all woes and difficulties and
will acquire all kinds of wealth. ॐ रार्वणच्छे दनाय नमः |
------------------------------------------------------------------------ ॐ मिार्वीराय नमः |
४८ अष्टोत्तर पज
ू ा (chant dhyAna shloka )
ॐ श्रीर्वत्सलाय नमः |
ॐ धमािय नमः |
ॐ शान्ताकारम ् भज
ु गशयनम ् पद्मनाभम ् सरु े शम ्।
ॐ सस्ृ ष्टकिे नमः |
र्र्वश्र्वाधारम ् गगनसदृशम ् मेघर्वणिम ् शुभाङ्गम ्॥
ॐ संतुष्टाय नमः |
लक्ष्मीकान्तम ् कमलनयनम ् योधगहृद्धयानगम्यम ्।
ॐ र्वरािाय नमः |
र्वन्दे र्र्वष्णुम ् भर्वभयिरम ् सर्विलोकैकनार्म ्॥

ॐ नारायणाय नमः |
ॐ श्रीमद् अनन्ताय नमः |
ॐ पूणािय नमः |
ॐ कृष्णाय नमः |
ॐ औषधाय नमः |
ॐ अच्युताय नमः |
ॐ शाश्र्वताय नमः |
ॐ पुरुषाय नमः |
ॐ श्रीपतये नमः |
ॐ अनन्ताय नमः |
ॐ र्र्वभर्वे नमः |
ॐ साक्षक्षणे नमः |
ॐ ज्येष्ठाय नमः |
ॐ योगाय नमः |

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ॐ श्रेष्ठाय नमः | ॐ सुरानंदाय नमः |
ॐ र्र्वक्रसमणे नमः | ॐ सागराय नमः |

ॐ धस्न्र्वने नमः | ॐ तपसे नमः |


ॐ मेधाय नमः | ॐ ससंिाय नमः |
ॐ अजाय नमः | ॐ मग
ृ ाय नमः |
ॐ पुण्याय नमः | ॐ लोकपालकाय नमः |
ॐ कालाय नमः | ॐ स्स्र्ताय नमः |
ॐ र्वत्सलाय नमः | ॐ अनन्तऔषधाय नमः |
ॐ र्र्वश्र्वाय नमः | ॐ हदकपालकाय नमः |
ॐ सनातनाय नमः | ॐ धनुधरि ाय नमः |
ॐ रुद्राय नमः | ॐ अम्बज
ु ाय नमः |

ॐ ब्रह्मणे नमः | ॐ र्वाकयाय नमः |


ॐ अमत
ृ ाय नमः | ॐ गुरर्वे नमः |
ॐ र्वेदांगाय नमः | ॐ शोभनाय नमः |
ॐ चतुरात्मने नमः | ॐ र्वरश्रेष्ठाय नमः |
ॐ भोकिे नमः | ॐ संर्वत
ृ ाय नमः |
ॐ सुचये नमः | ॐ सम्प्रदाय नमः |
ॐ अचंचलाय नमः | ॐ र्वह्नये नमः |
ॐ इंद्राय नमः | ॐ र्वायुर्वे नमः |
ॐ िरये नमः | ॐ सशखराय नमः |

ॐ स्र्वगािय नमः | ॐ अनेकाय नमः |


ॐ अनन्तमूतय
ि े नमः | ॐ आनतिनाय नमः |
ॐ मेधाय नमः | ॐ श्रीशाय नमः |
ॐ र्वेद्याय नमः | ॐ गुह्याय नमः |
ॐ दपिग्ने नमः | ॐ कमलाय नमः |
ॐ मायाय नमः | ॐ दपिग्ने नमः |
ॐ मोिाय नमः | ॐ अनन्तिस्ताय नमः |

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ॐ अनन्त उदराय नमः | मुखं ककमस्य कौ बािू कार्वूरू पादार्वुच्येते ।।
ॐ अनन्तहृदयाय नमः | ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | धप
ू ं आिापयासम||
------------------------------------------------------------------------

ॐ अनन्तबािर्वे नमः | ५० दीपं

ॐ अनन्तमुखाय नमः | साज्यं त्रिर्वनति सम्युकतं र्वस्ह्नना योस्जतुम ् मया |

ॐ अनन्तस्जह्र्वाय नमः | गि
ृ ाण मङ्गलं दीपं िैलोकय नतसमरापिम ् ||
ॐ अनन्त दौंष्राय नमः | भकत्या दीपं प्रयश्चासम दे र्वाय परमात्मने ।

ॐ अनन्त चक्षसे नमः | िाहि मां नरकात ् घोरात ् दीपं ज्योनतनिमोस्तुते ।।

ॐ अनन्त सशरसे नमः |


ॐ दयाननधये नमः | ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत ् बािू राजन्यः कृतः ।

ॐ श्रोिाय नमः | उरू तदस्य यद्र्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत ।।

ॐ मक
ु ु टाय नमः | ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | दीपं दशियासम ||
-------------------------------------------------------------
ॐ अंबराय नमः | ५१ नैर्वेद्यं
ॐ अनघाय नमः | (dip finger in water and write a square and 'shrii'
mark inside the square. Place naivedya on 'shrii'|
ॐ परमपरु
ू षाय नमः | remove lid and sprinkle water around the vessel;
ॐ िररर्वल्लभाय नमः | place in each food item one washed tulsi leaf or
flower or akshata)
ॐ गप्ु ताय नमः |
ॐ पुष्कराय नमः | ॐ अनन्ताय र्र्वद्मिे । पद्मनाभाय धीमहि ।
ॐ दृढाय नमः | तन्नो र्र्वष्णु प्रचोदयात ् ।।
ॐ स्र्वणिनाभाय नमः |
ॐ अनेकमत
ू य
ि े नमः | ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | (show mudras)
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभ दे र्वताभ्यो नमः ।
इनत अष्टोत्तर पूजां समपियासम ।। ननर्वीषी करणार्े ताक्षि मुद्रा |
------------------------------------------------------------------------ अमत
ृ ी करणार्े धेनु मुद्रा |
४९ धप
ू ं पर्र्विी करणार्े शंख मुद्रा |
र्वनस्पत्युद्भर्वो हदव्यो गन्धद्यो गन्ध उत्तमः | संरक्षणार्े चक्र मुद्रा |
अनन्तपद्मनाभ मिीपालो धप
ू ोयं प्रनतगह्
ृ यतां || र्र्वपुलमाय करणार्े मेरु मुद्रा |

यत्पुरुषं व्यदधःु कनतधा व्यकल्पयन ् । (Touch naivedya and chant 9 times)'ॐ'

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ॐ सत्यंतर्वतेन पररर्षंचासम ईस्प्सतं मे र्वरं दे हि इिि च परां गनतम ् ।।
(sprinkle water around the naivedya) श्री अनन्तपद्मनाभ नमस्तुभ्यम ् मिा नैर्वेद्यं
भोः! स्र्वासमन ् भोजनार्ं आगच्छाहद र्र्वज्ाप्य | उत्तमम ्|
(request Lord to come for dinner) संगि
ृ ाण सुरश्रेस्ष्ठन ् भस्कत मुस्कत प्रदायकम ् ||

ॐ चन्द्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत ।


सौर्वणे स्र्ासलर्वैये मणणगण खधचते गोघत
ृ ां
मुखाहदन्द्रश्चास्ग्नश्च प्राणाद्र्वायुरजायत ।।
सुपकर्वां भक्ष्यां भोज्यां च लेह्यानर्प
सकलमिं जोष्यम्न नीधाय नाना शाकैरूपेतं
ॐ आद्रां पुष्कररणीं पुस्ष्टं सुर्वणां िे ममासलनीम ् |
समधु दधध घत
ृ ं क्षीर पानीय युकतं
सय
ू ां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि ||
तांबूलं चार्प र्र्वष्णु प्रनतहदर्वसमिं मनसा धचंतयासम ||
अद्य नतष्ठनत यस्त्कस्ञ्चत ् कस्ल्पतश्चापरं धग्रिे
ॐ नमो नारायणाय ।
पकर्वान्नं च पानीयं यर्ोपस्कर संयत
ु ं
श्री लक्ष्मीसहित अनन्त पद्मनाभाय नमः ।
यर्ाकालं मनुष्यार्े मोक्ष्यमानं शरीररसभः
नैर्वेद्यं समपियासम ।।
तत्सर्वं र्र्वष्णप
ु ज
ू ास्तु प्रयतां मे जनादि न
(cover face with cloth and chant gayatri mantra five
सुधारसं सुर्र्वपुलं आपोषणसमदं
times or repeat 12 times श्री अनन्तपद्मनाभाय
तर्व गि
ृ ाण कलशानीतं यर्ेष्टमप
ु भज्
ु ज्यताम ् || नमः)

ॐ नमो नारायणाय । श्री लक्ष्मी नारायणाय नमः।। सर्विि अमत


ृ ोर्पधान्यमसस स्र्वािाः ||
अमत
ृ ोपस्तरणमसस स्र्वािाः | ॐ श्री लक्ष्मीसहित अनन्त पद्मनाभाय नमः ।
(drop water from shankha) उत्तरापोषणं समपियासम ||

ॐ प्राणात्मने नारायणाय स्र्वािा ।


(let flow water from shankha)
------------------------------------------------------------------------
ॐ अपानात्मने र्वासुदेर्वाय स्र्वािा । ५२ मिा फलं
ॐ व्यानात्मने सङ्कषिणाय स्र्वािा । (put tulsi / axathaa on a big fruit)

ॐ उदानात्मने प्रद्युम्नाय स्र्वािा । इदं फलं मयादे र्व स्र्ार्पतं पुरतस्तर्व |

ॐ समानात्मने अननरुद्धाय स्र्वािा । तेन मे सफलार्वास्प्तभिर्वेत ् जन्मनन जन्मनन ||


ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | मिाफलं
ॐ नमः अनन्तपद्मनाभाय । समपियासम |
------------------------------------------------------------------------
५३ फलाष्टक (put tulsi/akshata on fruits)
नैर्वेद्यं गह्
ृ यतां दे र्व भस्कत मे अचलां कुरुः ।

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कूष्माण्ड मातुसलङ्गं च ककिठी दाडडमी फलम ् | धश्रय एर्वैनं तत ् धश्रयामादधानत संततमच
ृ ा र्वषट्कृत्यं
रम्भा फलं जम्बीरं बदरं तर्ा || संतत्यै संधीयते प्रजया पशुसभः य एर्वं र्वेद ||
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | फलाष्टकं ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | मिानीराजनं दीपं
समपियासम || समपियासम ||
------------------------------------------------------------------------ ------------------------------------------------------------------------
५४ करोद्र्वतिन ५८ कपरूि दीप

करोद्र्वतिनकं दे र्व मया दत्तं हि भस्कततः |


अचित प्राचित र्प्रयमेधासो अचित |
चारु चंद्र प्रभां हदव्यं गि
ृ ाण जगदीश्र्वर ||
अचिन्तु पुिका उत पुरं धष्ृ णर्वचित ||
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | करोद्र्वतिनार्े
चंदनं समपियासम ||
कपरूि कं मिाराज रं भोद्भत
ू ं च दीपकम ् |
------------------------------------------------------------------------
५५ तांबूलं मङ्गलार्ं मिीपाल सङ्गि
ृ ाण जगत्पते ||

पूगीफलं सतांबूलं नागर्वस्ल्ल दलैयत


ुि म ् |
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | कपरूि दीपं
ताम्बूलं गह्
ृ यतां दे र्व येल लर्वङ्ग सम्युकतम ् ||
समपियासम||
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | पूगीफल ताम्बूलं ------------------------------------------------------------------------
समपियासम || ५९ आरती
------------------------------------------------------------------------
५६ दक्षक्षणा
ॐ जय जगदीश िरे स्र्वामी जय जगदीश िरे
हिरण्य गभि गभिस्र् िे मबीज र्र्वभार्वसोः |
भकत जनों के संकट, दास जनों के संकट,
अनन्त पुण्य फलदा अर्ः शास्न्तं प्रयच्छ मे ||
क्षण में दरू करे , ॐ जय जगदीश िरे
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | सुर्वणि पुष्प
दक्षक्षणां समपियासम || जो ध्यार्वे फल पार्वे, दख
ु त्रबनसे मन का
------------------------------------------------------------------------
स्र्वामी दख
ु त्रबनसे मन का
५७ मिा नीराजन
सख
ु सम्मनत घर आर्वे, सख
ु सम्मनत घर आर्वे,
कष्ट समटे तन का, ॐ जय जगदीश िरे
ॐ धश्रयै जातः धश्रय अननररयाय धश्रयं र्वयो
जररतभ्
ृ यो ददानत मात र्पता तुम मेरे, शरण गिूं मैं ककसकी
धश्रयं र्वसाना अमत
ृ त्र्वमायन ् भर्वंनत सत्य स स्र्वामी शरण गिूं मैं ककसक .
समर्ासमतद्रौ
तुम त्रबन और न दज
ू ा, तुम त्रबन और न दज
ू ा,
आस करूं मैं स्जसकी. ॐ जय जगदीश िरे

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स्र्वामी दख
ु त्रबनसे मन का
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी
सुख सम्पनत घर आर्वे, सुख सम्पनत घर आर्वे,
स्र्वामी तुम अंतरयामी
कष्ट समटे तन का, ॐ जय जगदीश िरे
पारब्रह्म परमेश्र्वर, पारब्रह्म परमेश्र्वर,
तुम सब के स्र्वामी, ॐ जय जगदीश िरे मात र्पता तुम मेरे, शरण गिूं मैं ककसकी
स्र्वामी शरण गिूं मैं ककसकी
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकताि
तुम त्रबन और न दज
ू ा, तुम त्रबन और न कोयी,
स्र्वामी तुम पालनकताि,
आस करूं मैं स्जसकी, ॐ जय जगदीश िरे
मैं मूरख खल कामी, मैं सेर्वक तुम स्र्वामी,
कृपा करो भताि, ॐ जय जगदीश िरे तम
ु परू ण परमात्मा, तम
ु अंतरयामी
स्र्वामी तुम अंतरयामी
तम
ु िो एक अगोचर, सबके प्राणपनत,
पारब्रह्म परमेश्र्वर, पारब्रह्म परमेश्र्वर,
स्र्वामी सबके प्राणपनत,
तुम सब के स्र्वामी, ॐ जय जगदीश िरे
ककस र्र्वधध समलंू दयामय, ककस र्र्वधध समलंू कृपामय,
तुमको मैं कुमनत, ॐ जय जगदीश िरे तुम करुणा के सागर, तुम पालनकताि
स्र्वामी तम
ु पालनकताि,
दीनबंधु दख
ु िताि, तुम रक्षक मेरे,
मैं मूरख खल कामी, मैं सेर्वक तुम स्र्वामी,
स्र्वामी तम
ु रक्षक मेरे,
कृपा करो भताि, ॐ जय जगदीश िरे
अपने िार् उठाओ, अपने शरण लगाओ
द्र्वार पडा तेरे, ॐ जय जगदीश िरे ॐ जय जगदीश िरे , स्र्वामी जय जगदीश िरे
भकत जनों के संकट, दास जनों के संकट,
र्र्वषय र्र्वकार समटाओ, पाप िरो दे र्वा,
क्षण में दरू करे , ॐ जय जगदीश िरे ’
स्र्वामी पाप िरो दे र्वा,. ------------------------------------------------------------------------

श्रद्धा भस्कत बढाओ, श्रद्धा प्रेम बढाओ, ६० प्रदक्षक्षणा

संतन की सेर्वा, ॐ जय जगदीश िरे


ॐ नाभ्या आसीदन्तररक्षम ् शीष्णो द्यौः समर्वतित ।

‘ॐ जय जगदीश िरे , स्र्वामी जय जगदीश िरे पदभ्यां भूसमहदि शः श्रोिात ् तर्ा लोकााँ अकल्पयन ्।।

भकत जनों के संकट, दास जनों के संकट,


आद्रां यःकररणीं यस्ष्टं र्पङ्गलां पद्ममासलनीम ् |
क्षण में दरू करे , ॐ जय जगदीश िरे
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो म आर्वि ||

जो ध्यार्वे फल पार्वे, दख
ु त्रबनसे मन का

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यानन कानन च पापानन जन्मांतर कृतानन च | गि
ृ ाण परमेशान सरत्ने छि चामरे |
तानन तानन र्र्वनश्यस्न्त प्रदक्षक्षण पदे पदे || दपिणं व्यजनं चैर्व राजभोगाय यत्नतः ||
अन्यर्ा शरणं नास्स्त त्र्वमेर्व शरणं मम | ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | छिं समपियासम ||
तस्मात ् कारुण्य भार्वेन रक्ष रक्ष रमापते || ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | चामरं समपियासम||
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | प्रदक्षक्षणान ् ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | गीतं समपियासम ||
समपियासम|| ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | नत्ृ यं समपियासम ||
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | र्वाद्यं समपियासम ||
------------------------------------------------------------------------
६१ नमस्कार
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | दपिणं समपियासम||
सप्तास्यासन ् पररधयः त्रिस्सप्त ससमधः कृताः ।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | व्यजनं
दे र्वा यद्यज्ं तन्र्वानाः अबध्नन्पुरुषं पशुम ् ।
समपियासम||
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | आन्दोलनं
तां म आर्वि जातर्वेदो लक्ष्मीमनपगासमनीम ् |
समपियासम||
यस्यां हिरण्यं र्र्वन्दे यं गामश्र्वं पुरुषानिम ् ||
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | राजोपचारान ्
नमः सर्वि हितार्ािय जगदाधार िे तर्वे |
समपियासम ||
साष्टाङ्गोयं प्रणामस्ते प्रयत्नेन मया कृतः |
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | सर्वोपचारान ्
ऊरूसा सशरसा दृष्ट्र्वा मनसा र्वाचसा तर्ा |
समपियासम ||
पद्भ्यां कराभ्यां जानुभ्यां प्रणामोष्टाङ्गं उच्यते ||
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | समस्त
शात्येनार्प नमस्कारान ् कुर्वितः शाङ्िगपाणये |
राजोपचारार्े अक्षतान ् समपियासम ||
शत जन्माधचितम ् पापम ् तत्क्षणमेर्व नश्यनत || ------------------------------------------------------------------------
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | नमस्कारान ् ६३ मंि पुष्प
समपियासम ||
यज्ेन यज्मयजन्त दे र्वाः
------------------------------------------------------------------------
६१.१ चतुदिश नमस्कारः
तानन धमािणण प्रर्मान्यासन ् ।
(Offer 14 prostrations at the chant of 14 names of
shrii ananthapadmanAbha from ashtothara) ते ि नाकं महिमानः सचन्ते
यि पर्व
ू े साध्याः सस्न्त दे र्वाः ।।
ॐ श्रीमद् अनन्ताय नमः | चतुदिश नमस्कारान ्
यः शुधचः प्रयतो भूत्र्वा जुिुयादाज्यमन्र्विम ् |
समपियासम ||
------------------------------------------------------------------------ सक
ू तं पञ्चदशचं च श्रीकामः सततं जपेत ् ||
६२ राजोपचार र्र्वद्या बुद्धध धनेश्र्वयि पुि पौिाहद संपदः |
पुष्पांजसल प्रदानेन दे हिमे ईस्प्सतं र्वरम ् ||

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नमो (अ)स्तु अनंताय सिस्र मूतय
ि े सिस्र पादाक्षक्ष ६४ शङ्ख ब्रमण
सशरोरु बािर्वे । (make three rounds of shankha with water like arati
and pour down; chant ॐ 9 times and show mudras)
सिस्र नाम्ने पुरुषाय शाश्र्वते सिस्र कोटी युगधाररणे
नम: ।।
इमां आपसशर्वतम इमं सर्विस्य भेषजे |
इमां राष्रस्य र्वधधिनन इमां राष्र भ्रतोमत ||
ॐ नमो मिद्भ्यो नमो अभिकेभ्यो नमो युर्वभ्यो नम ------------------------------------------------------------------------

आसशनेभ्यः । ६५ डोर ग्रिणं (accepting the thread)

यजां दे र्वान्यहद शकनर्वाम मा ज्यायसः शंसमार्वक्षृ क्ष


दे र्वाः ।। स्र्वीकरोसम शुभं सूिम ् अज्ानं च िरम ् परं

ॐ ममत्तु नः पररज्मा र्वसिाि ममत्तु र्वातो अपां डोररूपेण मा रक्ष पुराण पुरुषोत्तम

र्वष
ृ ण्र्वान ् ।
सशशीतसमन्द्रापर्विता यर्व
ु ं नस्तन्नो र्र्वश्र्वे र्वररर्वस्यन्तु डोर बन्दनं (tie the thread)

दे र्वाः ॥
ॐ कर्ा तेअग्ने शच
ु यन्त आयोदि दाशर्व
ु ािजेसभराशष
ु ाणाः। संसार सागरगि
ु ां सस
ु ख
ु म ् र्र्वितम
ुि ्

उभे यत्तोके तनये दधाना ऋतस्य सामन्रणयन्त दे र्वाः ॥ र्वाञ्छस्न्त ये कुरुकुलोद्भर्व शद्धसत्र्वाः
सम्पज्
ू य च त्रिभर्व
ु नेशमनन्त दे र्वं

ॐ राजाधध राजाय प्रसह्य साहिने बन्धस्न्त दक्षक्षणकरे र्वर दोरकम ् मे

नमो र्वयं र्वैश्रर्वणाय कूमििे अनन्त गण


ु रत्नाय र्र्वश्र्वरूपधराय च

समे कामान ् काम कामाय मह्यं सूि ग्रस्न्तशु सम्स्ताप्य श्री अनन्ताय नमो नमः

कामेश्र्वरो र्वैश्रर्वणो दधातु


कुबेराय र्वैश्रर्वणाय मिाराजाय नमः ।। पूर्वि डोर र्र्वसजिनम ् (removing the old thread)

ॐ स्र्वस्स्त साम्राज्यं भोज्यं स्र्वाराज्यं र्वैराज्यं


पारमेष्ठां राज्यं मिाराज्यमाधधपत्यमयं समंत र्र्वसजियासम दे र्वेश सूिप
ं ूर्वं ध्रतंपरं

पयाियी स्यात ् सार्विभौमः सार्वाियुष आंतादा सम्पण


ू ि व्रतमस्त्र्वद्य दे र्व दे र्व नमोस्तत
ु े

पराधाित ् पधृ र्व्यै समुद्रपयंताया एकरासळनत तदप्येषः


श्लोकोऽसभगीतो मरूतः पररर्वेष्टारो मरुतस्या र्वसन ् र्र्वसस्जित ् डोर नमस्कारः

ग्रिे आर्वीक्षक्षतस्य कामप्रेर्र्विश्र्वेदेर्वा सभासद इनत || (offering respects to the previous thread)
(chant १४ names of ananta padmanAbha from
ashtothara)
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | मंिपुष्पं समपियासम||
------------------------------------------------------------------------ ------------------------------------------------------------------------

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६६ तीर्ि प्राशन दे र्वस्य त्र्वा सर्र्वतुः प्रसर्वेऽस्श्र्वनोबाििुभ्यां पूष्णो
िस्ताभ्याम ् ।
ॐ धश्रयः कान्ताय कल्याण ननधये ननधयेऽधर्िनां । अग्नेस्तेजसा सूयश्ि च अचिसेन्द्रस्यं
श्रीर्वेङ्कटननर्वासाय श्रीननर्वासाय मङ्गलम ्॥ इस्न्द्रयेनासभसशञ्चासम ।।

बलाय धश्रयै यश सेन्नद्याय श्री


सर्विदा सर्वि कायेषु नास्स्त तेषां अमङ्गलम ् ।
अनन्तपद्मनाभस्र्वासमने नमः |
येषां हृदनयस्र्ो भगर्वान ् मङ्गलायतनो िररः ।।
र्वायनदानं प्रनतगह्
ृ णातु (प्रनतगह्
ृ णा र्र्वलानत
प्रनतर्वचनं )
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः ।
येषां इन्दीर्वर श्यामो हृदयस्तो जनादि नः ।। ------------------------------------------------------------------------
६८ र्र्वसजिन पूजा

अकाल मत्ृ यु िरणं सर्वि व्याधध ननर्वारणम ् |


आराधधतानां दे र्वतानां पुनः पूजां कररष्ये ||
सर्वि पाप उपशमनम ् र्र्वष्णु पादोदकं शुभम ् ||
------------------------------------------------------------------------ श्री अनन्तपद्मनाभ स्र्वासम दे र्वताभ्यो नमः ।।
६७ उपायन दानं
पुनः पूजा
ब्राह्मण सुिाससनन पूजा
(wash feet wipe offer gandha, kumkum, flowers,
fruits and gifts and make obeisances) ॐ शान्ताकारम ् भुजग शयनं, पद्मनाभम ् सुरेशं
र्र्वश्र्वाधरम ् गगन सदृशम ् मेघ र्वणं शभ
ु ान्गं
इष्ट काम्यार्ि प्रयुकत सम्यग ् आचररत श्री अनन्त
लक्ष्मीकान्तम ् कमलनयनं, योधगसभर् ध्यान गम्यं
पद्मनाभ व्रत सम्पण
ू ि फल र्वाप्यर्ं
र्वन्दे र्र्वष्णंु भर्वबयह्ं , सर्वि लोकैक नार्ं
श्री अनन्तपद्मनाभ स्र्वरूपाय ब्राह्मणाय र्वायन दानं
कररष्ये ।।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । ध्यायासम, ध्यानं

श्री अनन्तपद्मनाभ स्र्वरूपाय ब्राह्मणाय आर्वािन समपियासम ।

पूर्वक
ि आसनं गन्ध अक्षत धप ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । आर्वाियासम ।
ू दीपाहद सकलाराधनै
स्र्वधचितम ् ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । आसनं
समपियासम।
नारायण प्रनतगह्
ृ णातु नारायणो र्वै ददानत च ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । पाद्यं समपियासम।
नारायणो तारकोभ्यां नारायणाय नमो नमः । ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । अघ्यं समपियासम।

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ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः। आचमनीयं ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । अष्टोत्तर पूजां
समपियासम। समपियासम ।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । पञ्चामत
ृ स्नानं ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । धप
ू ं आिापयासम
समपियासम । ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । दीपं दशियासम
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । मिा असभषेकं ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । नैर्वेद्यं
समपियासम । समपियासम।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः। र्वस्ियुग्मं ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः। मिा फलं
समपियासम। समपियासम।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः। यज्ोपर्वीतं ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः। फलाष्टकं
समपियासम। समपियासम।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । गन्धं समपियासम। ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । करोद्र्वर्िनकं
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । नाना पररमल समपियासम ।
द्रव्यं समपियासम । ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । ताम्बूलं
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । िस्तभष
ू णं समपियासम।
समपियासम। ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । दक्षक्षणां
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः ।अक्षतान ् समपियासम।
समपियासम। ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । मिा नीराजनं
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । पष्ु पं समपियासम । समपियासम ।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । नाना अलंकारं ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः। कपरूि दीपं
समपियासम । समपियासम।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । अंग पूजां ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः। प्रदक्षक्षणां
समपियासम। समपियासम।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः। पुष्प पूजां ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । नमस्कारान ्
समपियासम। समपियासम ।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । पि पूजां ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः। राजोपचारं
समपियासम। समपियासम।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । आर्वरण पूजां ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । मन्िपुष्पं
समपियासम । समपियासम।

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पूजांते छिं समपियासम | चामरं समपियासम | नमस्करोसम | श्री अनन्तपद्मनाभ स्र्वामी दे र्वता
नत्ृ यं समपियासम | गीतं समपियासम | प्रसादं सशरसा गह्
ृ णासम ||
र्वाद्यं समपियासम | आंदोसलक आरोिणं समपियासम| -------------------------------------------------------------
अश्र्वारोिणं समपियासम | गजारोिणं समपियासम | ७० क्षमापनं
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | समस्त राजोपचार
दे र्वोपचार शकत्युपचार भकत्युपचार पूजां समपियासम|| अपराध सिस्राणण कक्रयन्ते अिननिशं मया |
तानन सर्वािणण मे दे र्व क्षमस्र्व पुरुषोत्तम ||
------------------------------------------------------------------------
६९ आत्म समपिण

यान्तु दे र्व गणाः सर्वे पूजां आदाय पाधर्िर्वीम ् |


यस्य स्मत्ृ या च नाम्नोकत्या तपः पूजा कक्रयाहदषु |
इष्ट काम्यार्ि ससद्ध्यर्ं पुनरागमनाय च ||
न्यूनं सम्पूणत
ि ां यानत सद्यो र्वन्दे तं अच्युतम ् || (shake the kalasha)
अनेन मया कृतेन, श्रीअिनन्तपद्मनाभ दे र्वता सुप्रीता ------------------------------------------------------------------------
Puja Text – Sri S.A.Bhandarkar
सुप्रसन्ना र्वरदा भर्वतु || Transliterated by Sowmya Ramkumar
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मध्ये मन्ि तन्ि स्र्वर र्वणि न्यूनानतररकत लोप
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दोष प्रायस्श्चत्तार्ं अच्यत
ु अनन्त गोर्र्वंद नामिय
मिामन्ि जपं कररष्ये ||
ॐ अच्यत
ु ाय नमः । ॐ अनंताय नमः । ॐ
गोर्र्वंदाय नमः ।
ॐ अच्यत
ु ाय नमः । ॐ अनंताय नमः । ॐ
गोर्र्वंदाय नमः ।
ॐ अच्यत
ु ाय नमः । ॐ अनंताय नमः । ॐ
गोर्र्वंदाय नमः ।
ॐ अच्यत
ु ानन्तगोर्र्वन्दे भ्यो नमः ||
मन्ििीनम ्, कक्रयािीनम ्, भस्कतिीनम ् जनादि न |
यत ् पस्ू जतम ् मयादे र्व पररपण
ू म
ि ् तदस्तु मे ||
कायेन र्वाचा मनसेस्न्द्रयैर्वाि बुद्ध्यात्मना र्वा प्रकृनत
स्र्वभार्वात ् |
करोसम यद्यत ् सकलं परस्मै नारायणायेनत
समपियासम ||

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