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me/TheHindu_Zone_official
नई सदलंली । बृहसंपसतवार, 29 नवंबर 201८
कृसि
सकिी भी िभंयता
और पंसथर अथंावंयवसंथा
निर््ीक पत््कानिता का आठधां दशक की आिारसशला है...
खिमंबाबंवे के पाखिसंथिखिक
संथापना विंा ः 1948 -एलन िावोरी
खवजंंानी
करतारपुर कॉसरडोर की आिारसशला रखने के कायंाकंम को पासकसंंान ने अपने हक में इसंंेमाल करने की िैिी कोसशश की,
वह उिकी चालाकी तो है ही, खासलसंंानी आतंकी िे पाक िेनाधंयकंं की निदीकी उिके दोहरेपन की भी पोल खोलती है। अंतर्ध्वनि
बी
ते कदनों 30,000 से ज्यादा िारण किसी िाम िे नहीं रह गए हैं। इसिे कि आंध्र प्रदेश और तकमलनाडु में फेडरेशन िु भ ाा ग् य ि श
किसानों ने एि लाख रुपये मुिाबले िेरल िो देखें, जहां राज्य ऋण राहत बनािर िाम िरने से थव-सहायता समूह कविीय ित्येक िमिु
प्रकत एिड़ िी पूरी िृकष आयोग संथथागत और गैर-संथथागत ऋण, दोनों रूप से फायदेमंद हो सिते हैं और अथाव्यवथथा एकत्ि पर—
ऋण माफी िे साथ तरह िे मामले देखता है। इसिे पास किसी िेि िो आगे ले जा सिते हैं। ईश्िर के,
50,000 रुपये सूखा िो आपदा-प्रभाकवत िेि घोकषत िरने िे साथ ही इसिे साथ ही, पायलट प्रोजेतट िे माध्यम से राजनीवि के
मुआवजे िी मांग िो लेिर सबिे कलए ऋण वसूली पर एितरफा रोि िा कनयकमत व कनबााध आधारभूत आय बढ़ाना और जनिा के
ठाणे से मुंबई ति माचा किया। इस समय नाकसि आदेश जारी िरने िा भी अकधिार है। सीमांत किसानों िे कलए फायदेमंद होगा। सेवा,
और मराठवाड़ा कजले िे अलग-अलग कहथसों में राज्य सरिारों िो िेरल मॉडल से सीख लेनी यूकनसेफ 2014 िे अध्ययन िा िहना है कि एकत्ि पर—
िई गांवों िो पानी िी िमी (औसतन 30 चाकहए, कजसने भरपूर फंड िे साथ ऐसा ऋण कनयकमत बुकनयादी आय होने से सीमांत किसानों आधावरि है।
फीसदी) िा सामना िरना पड़ रहा है, जबकि राहत आयोग बनाया है, जो पहले से िाम िे िो संिट िे हालात (जैसे कि बीमारी या इस िरह की
यहां िे किसान पहले से ही िम फायदेमंद बोझ तले दबी और उदासीन सरिारी मशीनरी पर भुखमरी) में िजा िे दुचचि में फंसने िे बजाय, मानवसकिा को लेकर हम िजािंि की ओर
खरीफ फसलों में कनवेश िे चलते िजा तले दबे ऐसे िामों िा बोझ डालने िे बजाय फौरी राहत प्रभावी रूप से कनपटने में मदद कमलेगी। यह बाल कभी नहीं बढ़ सकिे, क्योंवक िजािंि िूसरे
हुए हैं। अब यहां िे ग्रामीणों िो मजदूरी िी प्रकिया शुरू िर सिता है। ग्रामीण कदवाकलयापन मजदूरी प्रथा िो भी िम िर सिता है, और को अपने से वभन्न समझने पर आधावरि है।
तलाश में रोजाना आसपास िे शहरी इलािों में िी पीड़ारकहत घोषणा िे कलए एि व्यापि ऋण माता-कपता िो अपने बच्चों िो थिूल भेजने िे आप यह नहीं सोच सकिे हैं वक आप ही
भटिते देखा जा सिता है। कपछले िुछ वषोों में कनपटान मॉडल िानून िी जरूरत है। हमें कलए प्रोत्साकहत िरेगा। इस तरह गांवों में बदलाव सत्यिािी हैं, िूसरा नहीं हो सकिा है।
कवदभा और देश िे बहुत से दूसरे उपेकित इलािों कृसि िंकट िे सनपटने के सलए हमें अपनी किसानों िो खुद िो कदवाकलया घोकषत िरने िी आएगा और वहां िे लोगों िी आय में कनयकमत मनुष्य अपनी कृवि में अपनी अवममिा की
िी अपनी यािाओं िे दौरान सीमांत किसानों िी अनुमकत देने से ितई कहचकिचाना नहीं चाकहए- बढ़ोतरी होगी।
खथता हालत और िृकष िजा माफी िे कलए वंयवसंथा को सफर िे दुरंसं करना होगा। कनजी तौर पर किसानों िे कलए एि नई शुरुआत किसान ऋण पर चचाा िे हमारे अंदाज में भी
रचना करिा है। अिीि की ओर लौट जाने
के वलए क्रांवि नहीं होिी। मैं एक वनरंकुशिा
उनिी जरूरतों से मेरा सामना हुआ है। इस साल राजंय िरकारों को केरल मॉडल िे िीख मुमकिन होनी चाकहए; आकखरिार, हाकलया बदलाव िी जरूरत है। भारत िे कविीय का विरोध एक िूसरी वनरंकुशिा के वलए
िम बाकरश िो देखते हुए आगामी रबी िी बैंकिंग एनपीए पर औद्योकगि घरानों िो ऐसा कवशेषज्ञों में किसानों िो दी गई किसी भी सरिारी
फसल से भी िम ही उम्मीद है। लेनी चासहए, सििने भरपूर फंड के िाथ िरने िी इजाजत दी जा रही है। मदद (अनुदान, भोजन िा अकधिार, ऋण
नहीं करिा। यवि हम धमा को राज्य से
यह िोई नई बात नहीं है। अभी हाल ही में, ऋण राहत आयोग बनाया है। माइिो-फाइनेंस में और सुधार जरूरी हैं। हमें माफी) िी पेशिश िो खाकरज िरने िी तीव्र अलग नहीं करिे और उसे शरीयि कानून
बंगलूरू में हजारों किसानों ने िृकष ऋण माफी िी थव-सहायता समूहों िो प्रोत्साकहत िरना चाकहए, इच्छा कदखाई देती है, जबकि उद्योग िो छूट देने से मुक्ि नहीं करिे, िो हम और िानाशाह
मांग िे साथ कवधानसभा िा घेराव किया था। इस जो बचत िे कलए एि सुरकित मौिा देते हैं। जो पर उनिा रुख नरमी भरा होता है। हमें अपने बना िेंगे। सैवनक िानाशाही आपके मानस
बीच, नेशनल सैंपल सववे ऑकफस िी 2013 िी वरंण गांधी, भािपा सांसद छोटे बैंि िी तरह िाम िरते हैं, सदथयों िो राष्ट्रीय बजट िो िृकष िी कदशा में मोड़ने िी को वनयंविि करिी है, लेवकन धावमाक
एि करपोटट िे अनुसार, पंजाब में प्रकत व्यकतत पैसे देते हैं। इनिा सिारात्मि आकथाि प्रभाव जरूरत है। िृकष िेि में मांग वाले उपिरणों िा िानाशाही आपके मन और शरीर िोनों का
औसत बिाया ऋण तिरीबन 1,19,500 रुपये िे बाद भारत में िृकष ऋण माफी कनयकमत रूप बात है कि ग्रामीण अथाव्यवथथा में बड़ी कहथसेदारी अच्छी तरह प्रमाकणत है, खासतौर से बैंकिंग िी सुधार िायािम (जैसे कि मौजूदा कसंचाई पंप िी वनयंिण करिी है। ऐसी सिा को आसीन
है। पीटीआई िी नवंबर महीने िी एि करपोटट िे से इथतेमाल िी जाने वाली नीकतगत उपिरण रही गैर-संथथागत ऋण (साहूिारों िे ऋण) िी है। आदत डालते हुए औसत शुि आय और रोजगार जगह एनजीा-सेवर मॉडल लाना) लागू िरना होना चावहए, जो धमा-वनरपेक्ष, िजािांविक,
मुताकबि, पंजाब में किसानों द्वारा फसल ऋण िा है। यहां ति कि पंजाब जैसी जगहों पर, जहां कजला ऋण कनपटान फोरम (पंजाब िृकष जैसे मानिों पर। हालांकि, बैंि थव-सहायता होगा। हमें दीघािाकलि ग्रामीण ऋण नीकत िो बहुलिािािी हो। जब मैं कहिा हूं वक अरब
भुगतान नहीं िरने िे मामले कनरंतर बढ़ रहे हैं, दशिों से िृकष कविास कनकचचत रूप से सबसे िजादारी समाधान अकधकनयम, 2016) िे समूहों िो बढ़ावा देने में अपना फायदा पहचान बढ़ावा देना चाकहए, कजसमें सूखे और बाढ़ िी संसार समाप्ि हो गया है, िो उसका एकमाि
कजस िारण िृकष िेि में गैर-कनष्पाकदत संपकि अच्छा रहा है, िृकष से जुड़ी अकनकचचतताओं से अलावा ऋण समझौता बोडट (पंजाब िजादारी से पाने में नािाम रहे हैं। थव-सहायता समूहों िे घटनाओं िे प्रकत लचीलापन हो। सरिार द्वारा अथा यही है वक उसकी रचनात्मक
(एनपीए) बढ़िर 9,000 िरोड़ रुपये से कनपटने िे कलए संथथागत उपाय महत्वपूणा रूप राहत अकधकनयम, 1934 िे तहत) दशिों से माध्यम से गरीबों िो उधार देने में िम लागत है, प्रथताकवत फसल बीमा, बाजार और मौसम िी उपवमथवि निारि है। कलाएं िमिुओं और
अकधि हो गई है। से कविकसत किए गए हैं। किसी भी कवचारधारा अकथतत्व में है, लेकिन ऐसे संथथान (उनिे हाल और यह गलत चयन व नैकति संिट से मुतत अकनकचचतता िे कखलाफ बीमा िी आदत िो शब्िों के वरश्िों को बिल सकिी हैं, िावक
िृकष संिट से कनपटने िे कलए हमें अपनी िी सरिार हो, सभी अतसर संथथागत ऋण िे में अकथतत्व में आए नए अवतारों- मंडलीय ऋण है। थव-सहायता समूह और बैंकिंग िेि िे बीच संथथागत बनाने िी कदशा में एि थवागतयोग्य संसार की एक नई िविमा बन सके।
व्यवथथा िो कफर से दुरुथत िरना होगा। आजादी कलए ऋण माफी िा सहारा लेती हैं। ये अलग कनपटान फोरम) फंड और प्रकतभा िी िमी िे िा करचता महत्वपूणा है। अध्ययनों ने कदखाया है िदम है।
-सीवरया में जन्मे मशहूर कवि
मंखिलें औि भी हैं
पंंवीण चौहान घटते मेंढकों का खाममयाजा हखियाली औि िासंंा
शरारती बच्चा और
यद ही हमने गौर किया हो कि
मांग से स्थानीय बुनकरों के जीवन में भी बड़ा बदलाव आया है। जो बुनकर वकिाबों की आलमारी की िरफ जाने लगीं।
िारण आपिी आंखों से आंसू बह रहे हैं।
मांग न रह जाने के कारण कभी यह काम छोड़ना चाहते थे, वे अब अिनी उनके हाथ में मोटे गिे िाली वकिाब िेख
नई िीढ़ी को इससे जोड़ने की मुवहम में उत्साह से लगे हैं।
यह हमारे द्वारा किए गए गलत िाम िा
वकंजल समझ गया वक आज इसी से वपटाई
मेरा यह भी मानना है वक गया में वजस काम को मैंने अंजाम वदया, वैसा ही सतंसंग पकरणाम है। बुि ने उिर कदया, वत्स, चोट
होनी है। िह वसर झुकाए खड़ा था। टीचर ने
3,967%
काम देश के दूसरे तीथषस्थलों में भी वकया जा सकता है। बनारस, मथुरा, लगने िे िारण मेरी आंखों से आंसू नहीं
उसे वकिाब पकड़ाई और कहा, यह लो।
1,365%
1,619%
वृंदावन आवद जगहों में टनों फूल बासी होने के बाद फेंक वदए जाते हैं। चूंवक िुम ब्रह्मांड के बारे में जानना चाहिे थे न?
ये िाकृवतक उत्िाद हैं, ऐसे में, इनका बेहतर इस्तेमाल करने के बारे में सोचा तुम्हें मीठे आम कदए, लेकिन जब पत्थर मुझे लगा, तो तुम्हें डर िे यह शीशा िोड़ने की सजा नहीं, बवकक सच
जाना चावहए। मेरी क्षमता सीवमत है। लेवकन मुझे ववश्वास है वक देर-सबेर मारे थर-थर िांपना पड़ा। तुम्हें डरा हुआ देखिर मेरी आंखों में आंसू बोलने का इनाम है। वकंजल की खुशी का
ऐसा काम दूसरी जगहों में भी होने लगेगा। हमारे यहां रोजगार के अवसर आए हैं। ये आंसू इसकलए भी हैं कि तुमने पत्थरों से इस पेड़ िो चोट वठकाना नहीं था।
जरूर सीवमत होते गए हैं। िर अगर आिके िास नए आइविया हों, तो काम पहुंचाई। तया पेड़ िो कबना चोट पहुंचाए तुम आम नहीं तोड़ सिते?
की कमी नहीं हो सकती। भगवान बुि िी िरुणा भावना देखिर बच्चे हैरान रह गए। उन्होंने सच बोलने वालों को कभी पछताना
कतर इटली आयरलैंड मालदीव सिंगापुर कफर िभी पेड़ िो चोट न पहुंचाने िा उन्हें भरोसा कदलाया।
-विविन्न साक्षात्कारों पर आधावरत।
संंोत-िंयुकंत राषंं आसंथाक एवं िामासिक मामले सवभाग, इंटरनेशनल माइगंंेट संटॉक, 2017
नहीं पड़ता।
-संकमित
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