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नई सदलंली । बृहसंपसतवार, 29 नवंबर 201८
कृसि
सकिी भी िभंयता
और पंसथर अथंावंयवसंथा
निर््ीक पत््कानिता का आठधां दशक की आिारसशला है...
खिमंबाबंवे के पाखिसंथिखिक
संथापना विंा ः 1948 -एलन िावोरी
खवजंंानी

करतारपुर कॉसरडोर की आिारसशला रखने के कायंाकंम को पासकसंंान ने अपने हक में इसंंेमाल करने की िैिी कोसशश की,
वह उिकी चालाकी तो है ही, खासलसंंानी आतंकी िे पाक िेनाधंयकंं की निदीकी उिके दोहरेपन की भी पोल खोलती है। अंतर्ध्वनि

करतारपुर के बहाने कश्मीर


अदूसनि

मनुष्य अपनी कृमत


िे बाद पाकिथतान में िरतारपुर िॉकरडोर िी कजस कदया गया कि वह सािक सम्मेलन िे कलए भारत िे प्रधानमंिी िो किया, वह भी इथलामाबाद िी िूटनीकति चालािी िा कहथसा है, में अपनी अमममता
भारत उत्साह िे साथ आधारकशला रखी गई, वह सुखद
है, तयोंकि इससे अगले साल ति कसख श्रिालुओं
िे िरतारपुर साकहब ति पहुंचने िा राथता साफ
आमंकित िरेगा। जाकहर है, इस संदेश िा िोई मतलब नहीं था,
तयोंकि एि तो सािक िा िायािम सदथय देशों िी मंजूरी से तय
होता है, और अभी इस बारे में िुछ तय नहीं हुआ है। दूसरे,
कजसिे जकरये उसने दुकनया भर में अपनी बेहतर छकव पेश िरने
िी िोकशश िी। पर आयोजन थथल िा नजारा पाकिथतान िी
पोल खोल देने िे कलए िाफी था। अव्वल तो ऐसे एि आयोजन की रचना करता है
हो गया है। कसख श्रिालुओं िे कलए तो यह एि भारत िह चुिा है, और कवदेश मंिी सुषमा थवराज ने तत्परता िे में पाि सेनाध्यि िमर जावेद वाजवा िी मौजूदगी ही असामान्य
ऐकतहाकसि अवसर है ही, जैसा कि उद्घाटन िे अवसर पर पाि साथ पाकिथतान िो याद भी कदलाया कि आतंि और बातचीत थी। कतस पर उन्हें एि ऐसे शख्स से हाथ कमलाते हुए पाया गया, अरब संसार में कवियों और कलाकारों में
प्रधानमंिी िे अलावा भारत से गए मंकियों िे भाषणों से थपष्ट साथ-साथ संभव नहीं है। िरतारपुर िॉकरडोर िी आधारकशला जो आतंिी सरगना हाकफज सईद िा िरीबी है और कजसिे तार राजनीविक रूप से िविबद्ध होने की ििृवि
हुआ, यह घटनािम उन सभी िे कलए महत्व रखता है, जो शांकत रखने िा िायािम आपसी सहमकत िे आधार पर तय हुआ है, खाकलथतानी कहंसा से जुड़े हैं। हैरानी इस बात पर है कि ऐसे एि विखाई िेिी है। मैं िविबद्धिा के विरुद्ध नहीं
और कथथरता चाहते हैं। अलबिा पाकिथतान ने इस अवसर िा कजसिी मांग भारत बीस साल से िर रहा था। यह एि पकवि आयोजन िे अवसर पर भी पाकिथतान अपने दोहरनेपन हूं और न उनके विरुद्ध हूं, लेवकन मैं उन
अपने हि में िूटनीकति इथतेमाल िरने िे अलावा दोहरेपन िा सद्भावना संदेश है, कजसे भारत-पाि िे बीत वाताा शुरू िरने िा पकरचय देने से बाज नहीं आया। इससे भारत िे रुख िो जैसा भी नहीं हूं। एक रचनाकार को हमेशा,
कजस तरह पकरचय कदया, उसिी भी अनदेखी नहीं िी जा सिती। िा आधार नहीं माना जा सिता। इमरान खान ने अपने भाषण में और मजबूती ही कमली है कि पाकिथतान जब ति कहंसा िा राथता जो क्रांविकारी है, उसके साथ होना होिा है,
िायािम से एि कदन पहले ही पाकिथतान िी ओर से यह संदेश िरतारपुर िे बहाने िचमीर समथया हल िरने िा जो कजि नहीं छोड़ता, तब ति उसिे साथ बातचीत संभव नहीं है। लेवकन िह कभी क्रांविकावरयों जैसा नहीं हो
सकिा। िह न िो उनकी जैसी भाषा में बोल

खकसानों को देखने का निखिया बदलें


सकिा है और न िह उनके जैसे राजनीविक
पवरिेश में काम कर सकिा है। मैं विचारों
की एकवनष्ठिा पर केंविि विचारधारा के
विरुद्ध हूं।
हमारी परंपरा में

बी
ते कदनों 30,000 से ज्यादा िारण किसी िाम िे नहीं रह गए हैं। इसिे कि आंध्र प्रदेश और तकमलनाडु में फेडरेशन िु भ ाा ग् य ि श
किसानों ने एि लाख रुपये मुिाबले िेरल िो देखें, जहां राज्य ऋण राहत बनािर िाम िरने से थव-सहायता समूह कविीय ित्येक िमिु
प्रकत एिड़ िी पूरी िृकष आयोग संथथागत और गैर-संथथागत ऋण, दोनों रूप से फायदेमंद हो सिते हैं और अथाव्यवथथा एकत्ि पर—
ऋण माफी िे साथ तरह िे मामले देखता है। इसिे पास किसी िेि िो आगे ले जा सिते हैं। ईश्िर के,
50,000 रुपये सूखा िो आपदा-प्रभाकवत िेि घोकषत िरने िे साथ ही इसिे साथ ही, पायलट प्रोजेतट िे माध्यम से राजनीवि के
मुआवजे िी मांग िो लेिर सबिे कलए ऋण वसूली पर एितरफा रोि िा कनयकमत व कनबााध आधारभूत आय बढ़ाना और जनिा के
ठाणे से मुंबई ति माचा किया। इस समय नाकसि आदेश जारी िरने िा भी अकधिार है। सीमांत किसानों िे कलए फायदेमंद होगा। सेवा,
और मराठवाड़ा कजले िे अलग-अलग कहथसों में राज्य सरिारों िो िेरल मॉडल से सीख लेनी यूकनसेफ 2014 िे अध्ययन िा िहना है कि एकत्ि पर—
िई गांवों िो पानी िी िमी (औसतन 30 चाकहए, कजसने भरपूर फंड िे साथ ऐसा ऋण कनयकमत बुकनयादी आय होने से सीमांत किसानों आधावरि है।
फीसदी) िा सामना िरना पड़ रहा है, जबकि राहत आयोग बनाया है, जो पहले से िाम िे िो संिट िे हालात (जैसे कि बीमारी या इस िरह की
यहां िे किसान पहले से ही िम फायदेमंद बोझ तले दबी और उदासीन सरिारी मशीनरी पर भुखमरी) में िजा िे दुचचि में फंसने िे बजाय, मानवसकिा को लेकर हम िजािंि की ओर
खरीफ फसलों में कनवेश िे चलते िजा तले दबे ऐसे िामों िा बोझ डालने िे बजाय फौरी राहत प्रभावी रूप से कनपटने में मदद कमलेगी। यह बाल कभी नहीं बढ़ सकिे, क्योंवक िजािंि िूसरे
हुए हैं। अब यहां िे ग्रामीणों िो मजदूरी िी प्रकिया शुरू िर सिता है। ग्रामीण कदवाकलयापन मजदूरी प्रथा िो भी िम िर सिता है, और को अपने से वभन्न समझने पर आधावरि है।
तलाश में रोजाना आसपास िे शहरी इलािों में िी पीड़ारकहत घोषणा िे कलए एि व्यापि ऋण माता-कपता िो अपने बच्चों िो थिूल भेजने िे आप यह नहीं सोच सकिे हैं वक आप ही
भटिते देखा जा सिता है। कपछले िुछ वषोों में कनपटान मॉडल िानून िी जरूरत है। हमें कलए प्रोत्साकहत िरेगा। इस तरह गांवों में बदलाव सत्यिािी हैं, िूसरा नहीं हो सकिा है।
कवदभा और देश िे बहुत से दूसरे उपेकित इलािों कृसि िंकट िे सनपटने के सलए हमें अपनी किसानों िो खुद िो कदवाकलया घोकषत िरने िी आएगा और वहां िे लोगों िी आय में कनयकमत मनुष्य अपनी कृवि में अपनी अवममिा की
िी अपनी यािाओं िे दौरान सीमांत किसानों िी अनुमकत देने से ितई कहचकिचाना नहीं चाकहए- बढ़ोतरी होगी।
खथता हालत और िृकष िजा माफी िे कलए वंयवसंथा को सफर िे दुरंसं करना होगा। कनजी तौर पर किसानों िे कलए एि नई शुरुआत किसान ऋण पर चचाा िे हमारे अंदाज में भी
रचना करिा है। अिीि की ओर लौट जाने
के वलए क्रांवि नहीं होिी। मैं एक वनरंकुशिा
उनिी जरूरतों से मेरा सामना हुआ है। इस साल राजंय िरकारों को केरल मॉडल िे िीख मुमकिन होनी चाकहए; आकखरिार, हाकलया बदलाव िी जरूरत है। भारत िे कविीय का विरोध एक िूसरी वनरंकुशिा के वलए
िम बाकरश िो देखते हुए आगामी रबी िी बैंकिंग एनपीए पर औद्योकगि घरानों िो ऐसा कवशेषज्ञों में किसानों िो दी गई किसी भी सरिारी
फसल से भी िम ही उम्मीद है। लेनी चासहए, सििने भरपूर फंड के िाथ िरने िी इजाजत दी जा रही है। मदद (अनुदान, भोजन िा अकधिार, ऋण
नहीं करिा। यवि हम धमा को राज्य से
यह िोई नई बात नहीं है। अभी हाल ही में, ऋण राहत आयोग बनाया है। माइिो-फाइनेंस में और सुधार जरूरी हैं। हमें माफी) िी पेशिश िो खाकरज िरने िी तीव्र अलग नहीं करिे और उसे शरीयि कानून
बंगलूरू में हजारों किसानों ने िृकष ऋण माफी िी थव-सहायता समूहों िो प्रोत्साकहत िरना चाकहए, इच्छा कदखाई देती है, जबकि उद्योग िो छूट देने से मुक्ि नहीं करिे, िो हम और िानाशाह
मांग िे साथ कवधानसभा िा घेराव किया था। इस जो बचत िे कलए एि सुरकित मौिा देते हैं। जो पर उनिा रुख नरमी भरा होता है। हमें अपने बना िेंगे। सैवनक िानाशाही आपके मानस
बीच, नेशनल सैंपल सववे ऑकफस िी 2013 िी वरंण गांधी, भािपा सांसद छोटे बैंि िी तरह िाम िरते हैं, सदथयों िो राष्ट्रीय बजट िो िृकष िी कदशा में मोड़ने िी को वनयंविि करिी है, लेवकन धावमाक
एि करपोटट िे अनुसार, पंजाब में प्रकत व्यकतत पैसे देते हैं। इनिा सिारात्मि आकथाि प्रभाव जरूरत है। िृकष िेि में मांग वाले उपिरणों िा िानाशाही आपके मन और शरीर िोनों का
औसत बिाया ऋण तिरीबन 1,19,500 रुपये िे बाद भारत में िृकष ऋण माफी कनयकमत रूप बात है कि ग्रामीण अथाव्यवथथा में बड़ी कहथसेदारी अच्छी तरह प्रमाकणत है, खासतौर से बैंकिंग िी सुधार िायािम (जैसे कि मौजूदा कसंचाई पंप िी वनयंिण करिी है। ऐसी सिा को आसीन
है। पीटीआई िी नवंबर महीने िी एि करपोटट िे से इथतेमाल िी जाने वाली नीकतगत उपिरण रही गैर-संथथागत ऋण (साहूिारों िे ऋण) िी है। आदत डालते हुए औसत शुि आय और रोजगार जगह एनजीा-सेवर मॉडल लाना) लागू िरना होना चावहए, जो धमा-वनरपेक्ष, िजािांविक,
मुताकबि, पंजाब में किसानों द्वारा फसल ऋण िा है। यहां ति कि पंजाब जैसी जगहों पर, जहां कजला ऋण कनपटान फोरम (पंजाब िृकष जैसे मानिों पर। हालांकि, बैंि थव-सहायता होगा। हमें दीघािाकलि ग्रामीण ऋण नीकत िो बहुलिािािी हो। जब मैं कहिा हूं वक अरब
भुगतान नहीं िरने िे मामले कनरंतर बढ़ रहे हैं, दशिों से िृकष कविास कनकचचत रूप से सबसे िजादारी समाधान अकधकनयम, 2016) िे समूहों िो बढ़ावा देने में अपना फायदा पहचान बढ़ावा देना चाकहए, कजसमें सूखे और बाढ़ िी संसार समाप्ि हो गया है, िो उसका एकमाि
कजस िारण िृकष िेि में गैर-कनष्पाकदत संपकि अच्छा रहा है, िृकष से जुड़ी अकनकचचतताओं से अलावा ऋण समझौता बोडट (पंजाब िजादारी से पाने में नािाम रहे हैं। थव-सहायता समूहों िे घटनाओं िे प्रकत लचीलापन हो। सरिार द्वारा अथा यही है वक उसकी रचनात्मक
(एनपीए) बढ़िर 9,000 िरोड़ रुपये से कनपटने िे कलए संथथागत उपाय महत्वपूणा रूप राहत अकधकनयम, 1934 िे तहत) दशिों से माध्यम से गरीबों िो उधार देने में िम लागत है, प्रथताकवत फसल बीमा, बाजार और मौसम िी उपवमथवि निारि है। कलाएं िमिुओं और
अकधि हो गई है। से कविकसत किए गए हैं। किसी भी कवचारधारा अकथतत्व में है, लेकिन ऐसे संथथान (उनिे हाल और यह गलत चयन व नैकति संिट से मुतत अकनकचचतता िे कखलाफ बीमा िी आदत िो शब्िों के वरश्िों को बिल सकिी हैं, िावक
िृकष संिट से कनपटने िे कलए हमें अपनी िी सरिार हो, सभी अतसर संथथागत ऋण िे में अकथतत्व में आए नए अवतारों- मंडलीय ऋण है। थव-सहायता समूह और बैंकिंग िेि िे बीच संथथागत बनाने िी कदशा में एि थवागतयोग्य संसार की एक नई िविमा बन सके।
व्यवथथा िो कफर से दुरुथत िरना होगा। आजादी कलए ऋण माफी िा सहारा लेती हैं। ये अलग कनपटान फोरम) फंड और प्रकतभा िी िमी िे िा करचता महत्वपूणा है। अध्ययनों ने कदखाया है िदम है।
-सीवरया में जन्मे मशहूर कवि

मंखिलें औि भी हैं
पंंवीण चौहान घटते मेंढकों का खाममयाजा हखियाली औि िासंंा

शरारती बच्चा और
यद ही हमने गौर किया हो कि

मंमिर के बासी फूिों से शा हमारे आसपास मेंढिों ने टरााना


िम ही नहीं किया, बककि बंद िर
कदया है। वनाा िुछ साल पहले
िल भंडारों के घटने, वनों के सवनाश, सवदेशों में सनयंाात और बीडी फंगि के पंंकोप िे देश
में मेंढक तेिी िे लुपंत हो रहे हैं। इििे मचंछरों की फौि बढं रही है, सिि कारण कई सच का इनाम
बीमासरयां सवकराल होती िा रही हैं। मेंढकों की सवलुपंपत िे िपंादंश के मामले भी बढं रहे हैं।
खािी में नए रंग भरे
एक शरारती बच्चे ककंजल की
ति तो िुछ इलािों में मेंढि साल भर टरााते थे।
िेवल भारत में नहीं, पूरी दुकनया से मेंढि तेजी से कहानी, कजसे पहली बार सच बोलने
लुप्त हो रहे हैं। इसिे कलए जल भंडारों िे नष्ट होने, का इनाम कमला।
रही है, वह कचंताजनि है-खासिर तब, जब उन्हें
जंगलों िे िटने, जलवायु पकरवतान और बीमाकरयां जल िी गुणविा और तापमान िा बेहद
मैं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (वनफ्ट) से िास आउट एक तो कजम्मेदार हैं ही, व्यावसाकयि लाभ िे कलए संवेदनशील िारि माना जाता है। मेंढिों िे बतााव
विजाइनर हूं और वबहार के गया में रहता हूं। कुछ साल िहले तक मैं अिने सामूकहि हत्या से भी उनिी संख्या घटती जा रही और थवाथथ्य िो देखिर जलवायु पकरवतान िा
जीवन से खुश था और व्यस्त भी, लेवकन अिने ही शहर के चवचषत महाबोवि है। जीव कवज्ञानी मेंढिों िी नई प्रजाकतयों िी खोज आभास वैज्ञाकनिों िो किसी यंि िी तुलना में
मंवदर के िास से सुबह-सुबह गुजरते हुए हमेशा ही एक अजीब-सी उदासी से िर रहे हैं, पर कवनाश िी तुलना में उनिी नई खोज आसानी से कमल जाता है।
विर जाता था। दरअसल मंवदर के बाहर रोज टनों बासी फूल यों ही िड़े रहते नगण्य है। प्रिृकत में सभी जीवों िा एि दूसरे िे साथ करचता
थे। देवताओं की मूवतषयों के िास से हटा वदए जाने के बाद उनका कोई इस बीच सुखद रूप से मेंढि रकहत अंडमान द्वीप इतने गहरे तौर पर जुड़ा हुआ है कि एि िे साथ
इस्तेमाल नहीं था। वहां से गुजरते हुए खुशबू का तो सुखद एहसास होता था, समूह में मेंढिों िी नई खेप भी देखने में आई है। यादवेंदं छेड़छाड़ होने िा असर दूसरी जगह कदखाई देता है।
लेवकन इतने बड़े िैमाने िर फूलों की बबाषदी मुझे उदास कर देती थी। मैं मुख्य भूभाग से याकियों िे साथ वहां पहुंचे वे मेंढि कपछले िुछ साल से आंध्र प्रदेश िे िृष्णा कजले में
सोचता रहता था वक क्या इन फूलों का सदुियोग नहीं हो सकता। उसी दौरान थथानीय पाकरकथथकतिी िो नुिसान पहुंचा रहे हैं। सांप िांटने से मरने वालों िी संख्या में अप्रत्याकशत वकंजल शैिावनयों के कारण कक्षा में बिनाम
मंवदर के बासी फूलों से अगरबत्ती बनाने के बारे में मैंने िढ़ा। मैं सोचता, क्या लेकिन मेंढिों िी संख्या में आई भारी िमी िी बताता है कि दुकनया िे िई देशों में मेंढिों िी बढ़ोतरी हुई है। वन्यजीव कवशेषज्ञों िा िहना है कि था। उसकी हरकिों से उसके मािा-वपिा को
ही अच्छा हो, अगर गेंदे के इन फूलों का िीलािन हमारे जीवन में रंग भरने तुलना में अंडमान में मेंढिों िा उत्पात बहुत महत्व अनेि प्रजाकतयों िा सफाया िरने वाला 'बीडी कपछले वषोों में इस इलािे से बड़ी संख्या में मेढिों मकूल से कई बार बुलािा आ चुका था। इस
के काम आएं। नहीं रखता। फंगस' भारत िे भी हर इलािे में पहुंच गया है। यह िो पिड़ िर गैरिानूनी ढंग से चीन भेजा गया है, महीने वपिा ने वकंजल को चेिािनी िी वक
इस बारे में सोचते-सोचते एक वदन मैं इस काम में उतर ही गया। मैंने भारत समेत अन्य गरीब देशों से मेंढिों िी टांग फंगस अब ति दुकनया भर में मेंढिों िी दो सौ कजसिा दुष्प्रभाव अब सपादंश िी घटनाओं में वृकि अगर एक बार भी उसकी शैिावनयों की
पकचचमी देशों में कनयाात िी जाती रही है। फ्रांस और प्रजाकतयों िा सफाया िर चुिा है। वषा 2004 में िे रूप में कदखाई दे रहा है। दरअसल सांपों िे वशकायि आई, िो पॉकेट मनी बंि हो
स्थानीय बुनकर समुदायों से इस बारे में बात
चीन मेंढिों िे बड़े आयाति हैं। वैज्ञाकनि प्रयोगों इसिे चलते पनामा िे जंगलों में मृत मेंढिों िी भोजन िे रूप में प्रािृकति तौर पर उपलब्ध मेंढिों जाएगी। पर उसकी वकममि ही खराब थी।
की। मेरी योजना थी वक इन फूलों को िे कलए भी मेंढिों िो बड़ी संख्या में मारा जाता रहा मीलों दूर ति िालीन कबछी देखी गई थी।
सूखाकर अगर िाई तैयार वकया जाए, तो
िे घटने से मामला गड़बड़ा गया। भारत सकहत लाइब्रेरी की क्लास चल रही थी। सब बच्चे
है। भारत में बीती सदी िे अथसी िे दशि में मेंढि देश िे जाने-माने कवज्ञानी प्रो. एस डी कवजू िे दुकनया िी सभी संथिृकतयों में मेंढिों िा मानव
उसका खादी में बेहतर इस्तेमाल हो सकता है। पर किए जाने वाले प्रयोग पर रोि लगाई गई, पर तब लाइब्रेरी में वकिाब पढ़ रहे थे। िभी विंवसपल
मुताकबि, भारत में मेंढिों िी कवनाश दर 80 समाज िे साथ गहरा संबंध रहा है। हमारे यहां सूखा
इससे खादी को भी नवजीवन वमलेगा और ति बहुत देर हो चुिी थी। नतीजा है, मच्छरों िी फीसदी है और अनेि प्रजाकतयां पूरी तरह लुप्त हो ने लाइब्रेरी टीचर को बुला वलया। बस सनी
पड़ने पर वषाा िे कलए उनिी शादी िरािर प्रसन्न
सूखे फूलों का भी इस्तेमाल हो जाएगा। बढ़ती फौज, कजससे बीमाकरयां भी बढ़ने लगी हैं। चुिी हैं। िरीब पैंतीस िरोड़ साल पहले अकथतत्व ति िरने िी परंपरा रही है। मेंढिों िे घटते जाने और मंटू ने मौका िेखिे ही रबड़ की गेंि से
स्थानीय बुनकरों में से कुछ लोग मेरी योजना मच्छर खाने वाले मेंढि घटे, तो मच्छरों िी आबादी में आए मेंढिों ने बीच में आए तीन महाकवनाशों िो िा जो नतीजा हम भोग रहे हैं, उसे देखते हुए थपष्ट कैच शुरू कर विया। िे वकंजल को भी आने
से उत्सावहत हुए, हालांवक मेरी योजना िर उन्हें और उनिा प्रिोप बढ़ने लगा। वैज्ञाकनि अध्ययन झेल कलया, पर अब कजस तेजी से उनिी संख्या घट है कि मेंढिों िा होना हमारे कलए बहुत जरूरी है। का इशारा कर रहे थे, पर वकंजल चुपचाप
िूरा भरोसा नहीं था। लेवकन मैंने इसकी िरवाह बैठा हुआ था। काफी िेर हो गई। इंटरिल
नहीं की और मातृ नाम से एक संस्था गवित की घंटी भी होने िाली थी। लाइब्रेरी टीचर
सिि काम को मैंने कर काम शुरू कर वदया। सूखे फूलों से बने
खुली खखडंकी अभी िक िापस नहीं आई थीं। सनी बोला,
गया में अंिाम सदया, िाई से खादी के रंगीन किड़े तैयार होने लगे, आ न वकंजल। अब िो इंटरिल भी हो
सवदेशों में भारतीय
बुद्ध के आंसू
वैिा ही काम देश के तो उसकी बढ़ती मांग और लोकवियता हम जाएगा। वकंजल को लगा, एक बार खेलने
दूिरे तीथंासंथलों में भी सबके वलए हैरान करने वाली थी। इससे में क्या हजा है। िह उठा ही था वक मंटू ने
उत्सावहत होकर वे बुनकर भी मातृ से जुड़ने वषष 1990 में जहां हमारे देश के 70 लाख लोग ववदेशों में रह रहे थे, वहीं 2017 में 1.7 उसकी िरफ गेंि फेंक िी। वकंजल ने कैच
सकया िा िकता है। करना चाहा, पर गेंि उसके हाथ से टकरा
के वलए आगे आ गए, वजन्होंने िहले इसमें करोड़ लोग ववदेशों में रहने लगे। विछले 27 वषोों में ववदेशों में रहने वाले लोगों की संख्या भगवान बुि जंगल में आम िे एि वृि िे नीचे बैठिर साधना
बहुत वदलचस्िी नहीं वदखाई थी। यही नहीं, में कुल वमलाकर 143 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सबसे ज्यादा भारतीयों िर रहे थे। िुछ बच्चे आम खाने िे लालच में पेड़ पर पत्थर फेंिने कर वखड़की पर जा लगी। वखड़की का
अनेक लोगों ने इसकी सराहना की और की जनसंख्या में वृवि दर कतर में रही है। लगे। पत्थर लगते ही पेड़ पर से आम कगरे तथा बच्चों ने खुशी-खुशी कांच टूट गया। िभी लाइब्रेरी टीचर क्लास
समथषन तथा सहायता करने का भरोसा वदलाया। चूंवक हमारी इस िवरयोजना उन्हें उठा कलया। तभी एि बच्चे ने आम िो कनशाना बनािर एि में िापस आ गईं। कांच टूटा िेखा, िो
में ियाषवरण को बचाने का संदेश भी है, इसवलए हमने शुरू से िान वलया था छोटा-सा पत्थर फेंिा, लेकिन वह भगवान बुि िे कसर पर आिर चीखिे हुए उन्होंने पूछा, बिाओ, कांच
वक रंगीन खादी में वसफफ िाकृवतक चीजों का ही इस्तेमाल होगा। लगा। उनिे कसर से खून बहने लगा। यह दृचय देखिर आम तोड़ रहे वकसने िोड़ा है? पूरी क्लास चुपचाप बैठी
राष्ट्रीय स्तर िर मातृ की िहचान बनने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर िर भी सारे बच्चे बहुत डर गए। वे भगवान िे पांव रही। टीचर ने कहा, अगर िुम लोग नहीं
लोग हमें जानने-िहचानने लगे। मातृ के जवरये रंगीन खादी को हम लंदन, छूिर उनसे अपने अपराध िी माफी मांगने बोलोगे, िो मैं वकसी को लंच पर नहीं जाने
न्यूयॉकफ, वमलान और िेवरस जैसी जगहों में ले जा चुके हैं। हाल ही में मातृ भारतीय आबादी में लगे। बुि ने कनचछल बच्चों िो सहमे हुए िूगं ी। उनका गुमसा िेख बच्चे डर गए थे।
ने ऑस्ट्रेवलया के वबकॉज ऑफ नेचर जैसी एक ऐसी संस्था से गिजोड़ वकंजल ने टीचर को सब सच-सच बिा
वकया है, जो ियाषवरण अनुकूल किड़े बनाती है। हमारे रंगीन खादी की बढ़ती िवंाासिक वृसंि वाले देखा, तो उनिी आंखें नम हो गईं। एि बच्चे
विया। टीचर िेजी से िापस मुड़ीं और
देश (1990 िे 2017) ने हाथ जोड़िर िहा, कसर में चोट लगने िे
82,669%

मांग से स्थानीय बुनकरों के जीवन में भी बड़ा बदलाव आया है। जो बुनकर वकिाबों की आलमारी की िरफ जाने लगीं।
िारण आपिी आंखों से आंसू बह रहे हैं।
मांग न रह जाने के कारण कभी यह काम छोड़ना चाहते थे, वे अब अिनी उनके हाथ में मोटे गिे िाली वकिाब िेख
नई िीढ़ी को इससे जोड़ने की मुवहम में उत्साह से लगे हैं।
यह हमारे द्वारा किए गए गलत िाम िा
वकंजल समझ गया वक आज इसी से वपटाई
मेरा यह भी मानना है वक गया में वजस काम को मैंने अंजाम वदया, वैसा ही सतंसंग पकरणाम है। बुि ने उिर कदया, वत्स, चोट
होनी है। िह वसर झुकाए खड़ा था। टीचर ने
3,967%

काम देश के दूसरे तीथषस्थलों में भी वकया जा सकता है। बनारस, मथुरा, लगने िे िारण मेरी आंखों से आंसू नहीं
उसे वकिाब पकड़ाई और कहा, यह लो।
1,365%
1,619%

आए हैं। मैंने देखा कि तुम लोगों ने पेड़ िो पत्थर मारा, तो उसने


997%

वृंदावन आवद जगहों में टनों फूल बासी होने के बाद फेंक वदए जाते हैं। चूंवक िुम ब्रह्मांड के बारे में जानना चाहिे थे न?
ये िाकृवतक उत्िाद हैं, ऐसे में, इनका बेहतर इस्तेमाल करने के बारे में सोचा तुम्हें मीठे आम कदए, लेकिन जब पत्थर मुझे लगा, तो तुम्हें डर िे यह शीशा िोड़ने की सजा नहीं, बवकक सच
जाना चावहए। मेरी क्षमता सीवमत है। लेवकन मुझे ववश्वास है वक देर-सबेर मारे थर-थर िांपना पड़ा। तुम्हें डरा हुआ देखिर मेरी आंखों में आंसू बोलने का इनाम है। वकंजल की खुशी का
ऐसा काम दूसरी जगहों में भी होने लगेगा। हमारे यहां रोजगार के अवसर आए हैं। ये आंसू इसकलए भी हैं कि तुमने पत्थरों से इस पेड़ िो चोट वठकाना नहीं था।
जरूर सीवमत होते गए हैं। िर अगर आिके िास नए आइविया हों, तो काम पहुंचाई। तया पेड़ िो कबना चोट पहुंचाए तुम आम नहीं तोड़ सिते?
की कमी नहीं हो सकती। भगवान बुि िी िरुणा भावना देखिर बच्चे हैरान रह गए। उन्होंने सच बोलने वालों को कभी पछताना
कतर इटली आयरलैंड मालदीव सिंगापुर कफर िभी पेड़ िो चोट न पहुंचाने िा उन्हें भरोसा कदलाया।
-विविन्न साक्षात्कारों पर आधावरत।
संंोत-िंयुकंत राषंं आसंथाक एवं िामासिक मामले सवभाग, इंटरनेशनल माइगंंेट संटॉक, 2017
नहीं पड़ता।
-संकमित
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