Sunteți pe pagina 1din 48

पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा : नौिीं निषय : भगू ोल

ikB&1
Hkkjr & vkdkj vkSj fLFkfr
jpukRed ikB;kstuk

ikB;dze vis{kk,a f’k{k.k vf/kxe izfdz;k vf/kxe lwpd


Curricular expectation Pedagogical Learning
Process Indicator
Hkkjr dh fLFkfr ds ckjs esa crkuk A Hkkjr dh fLFkfr ds ckjs eas ekufp= Hkkjr dh v{kak’kh; o
v{kak’kk o ns’kkarj dk Kku nsukA o Xykso dh lgk;rk ls tkudkjh ns’kkarjh; fLFkfr dk
nh tk,xh rFkk blds fy, Kku gSA
v/;kid fdlh Hkh xksy oLrq] ;k
Qy dk iz;ksx djsxk blds vykok
iBu&ikBu lkexzh dk mi;ksx Hkh
dj ldrk gSA
er
He
r
ma
Ku
jay
Vi

Hkkjr ds vkdkj o foLrkj dks le>kukA ekufp= dh lgk;rk lsa Hkkjr ds Hkkjr ds dqy {ks=Qy
vkdkj ds ckjs esa tkudkjh nh dks vU; ns’kksa ls rqyuk
tk,xh A djus esa leFkZ gSaA

Hkkjr ds {ks=Qy ls Nk=ksa dks voxr xzkQ dh lgk;rk ls Hkkjr dk {ks=Qy dh n`f”V ls
djokukA fo’o eas {ks=Qy ds vk/kkj ij Hkkjr dk fo’o eas LFkku
LFkku lqfuf’pr djokukA dk Kku gSA

fn’kkvkas ds ckjs Kku nsuk ekufp= dh lgk;rk ls fofHkUu fn’kkvksa ds okjs esa
fn’kkvksas dh tkudkjh nsuk rkfd tkurk gSA
fo|kFkh Hkkjr dh fLFkfr o iMkslh
ns’kksas ds okjs esa tku ik,xkA blds
fy, cPpksa dks js[kkafdr ekuph=
fn;k tk, ftls cPps vius lkeus
j[kdj fn’kk,a vafdr djsaA
v/;kid mUgs crk,a fd vki ds
nkfguh vksj iwoZ] ck;sa vksj if’pe]
flj dh vksj mÙkj rFkk ikao dh
vksj nf{k.k fn’kk gksxhA

Hkkjr ds ekud le; dh le> dks Hkkjr ds ekufp= ij 82 1@2 Hkkjr ds ekud le; ds
fodflr djokukA ns’kkarj iwoZ n’kkZ;sa rFkk mu fofHkUUk ckjs es tkurk gSA
jkT;ksa ls voxr djok;as tgka ls
;g xqtjrh gSA blds fy, ddZ js[kk dh fLFkfr ls
v/;kid iqLrd ds i`”B la[;k 4 voxr gS A
ij fn, x, fp= 1-3 dks cPpksa ls
cuok, rFkk ;g Hkh lqfuf’pr
djok, fd ;g fdu&fdu jkT;ksa
ls xqtjrh gS LkkFk gh mu jkT;ksa
dks Hkh vafdr djok,a tgka ls ddZ
er
He

js[kk xqtjrh gSA


r
ma
Ku
jay

jkT;ksa o dsUnz ‘kkflr izns’kkssa dks igpkuus Ekkufp= dh lgk;rk ls Hkkjr ds jkT;ksa o dsUnz ‘kkflr
Vi

esa l{ke cukukA 29 jkT;ksa o dsUnz ‘kkflr izns’kksa izns’kksa dh le> gSA
dks js[kkafdr ekufp= ij cPpkasa lsa
vafdr djok,a A

izns’k o ftyk ds iM+kfs l;ksa ls voxr js[kk ekufp= ij v/;kid cPpksa vius vius jkT;ks o ftyk
djokuk ls vius izns’k ds iM+kls h jkT;ksa dks dh fLFkfr dk Kku gS A
vafdr djok,a rFkk mudh vius jkT; o ftys ds
fn’kkokj lwph cuok,a blds vykok iM+kls h izns’kksa ,oe~ ftyk
vius&vius ftyk o iM+kslh ftyk dh igpku gS
dh fLFkfr vafdr djok,a
प्रश्नोत्तर , र्ूलयाांकन एिां श्यार्पट्ट काया :-
प्रश्न 1. नीचे विए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चनु ें।
(i) ककक रे खा वकस राज्य से नहीं गजु रती?
(क) राजस्थान
(ख) उडीसा
(ग) छत्तीसगढ़
(घ) विपरु ा
(ii) भारत को सबसे पिू ी िेशाांतर कौन सा है ?

(क) 97° 25′ प0ू

(ख) 77°6′ प0ू

(ग) 68° 7′ प0ू

(घ) 82° 32′ प0ू


(iii) उत्तराखण्ड, उत्तर प्रिश, वबहार, पविम बांगाल और वसवककम की सीमाएँ वकस िेश को छूती हैं?
er
He
r
ma

(क) चीन
Ku
jay
Vi

(ख) भटू ान
(ग) नेपाल
(घ) मयाांमार
(iv) ग्रीष्मािकाश में आप यवि किरत्ती जाना चाहते हैं तो वकस कें द्र शावसत क्षेि में जाएँगे?
(क) पडु ु च्चेरी।
(ख) लक्षद्वीप
(ग) अांडमान और वनकोबार
(घ) िीि और िमन
(v) मेरे वमि एक ऐसे िेश के वनिासी हैं वजस िेश की सीमा भारत के साथ नहीं लगती है। आप बताइए, िह कौन-सा
िेश है?
(क) भटू ान
(ख) तावजवकस्तान
(ग) बाांग्लािेश
(घ) नेपाल
उत्तर :
(i) (ख)
(ii) (क)
(iii) (ग)
(iv) (ख)
(v) (ख)
er
He

प्रश्न 2. नीचे विए गए प्रश्नों के सवां क्षप्त उत्तर िें।


r
ma
Ku
jay

• अरब सागर तथा बांगाल की खाडी में वस्थत द्वीप समहू के नाम बताइए। िवक्षण में कौन-कौन से द्वीपीय िेश हमारे
Vi

पडोसी हैं?
• उन िेशों के नाम बताइए जो क्षेिफल में भारत से बडे हैं?
• हमारे उत्तर-पविमी, उत्तरी तथा उत्तर-पिू ी पडोसी िेशों के नाम बताइए।
• भारत में वकन-वकन राज्यों से ककक रे खा गजु रती है, उनके नाम बताइए।
उत्तर :
• अरब सागर में लक्षद्वीप तथा बांगाल की खाडी में अांडमान और वनकोबार द्वीप समहू वस्थत हैं। िवक्षण में श्रीलांका तथा
मालिीि द्वीपीय िेश हमारे पडोसी हैं।
• रूस, कनाडा, अमेररका, चीन, ब्राजील और आस्रेवलया क्षेिफल में भारत से बडे हैं।
• हमारे उत्तर-पविमी पडोसी िेश : पावकस्तान, अफगावनस्तान
हमारे उत्तरी पडोसी िेश : चीन (वतब्बत), नेपाल एिां भटू ान।
हमारे उत्तर-पिू ी पडोसी : मयामां ार और बाग्लािेश।
• ककक रे खा गजु रात, मध्य प्रिेश, छत्तीसगढ़, झारखांड, पविम बांगाल, विपरु ा एिां वमजोरम राज्यों से होकर गजु रती है।
प्रश्न 3. सयू ोिय अरुणाचल प्रिेश के पिू ी भाग में गजु रात के पविमी भाग की अपेक्षा 2 घांटे पहले कयों होता है, जबवक
िोनों राज्यों में घडी एक ही समय िशाकती है? स्पष्ट कीवजए।
उत्तर : गजु रात और अरूणाचल प्रिेश में समय का 2 घण्टे का अांतर है। गजु रात की अपेक्षा अरूणाचल प्रिेश में सयू क 2
घण्टे पहले उिय होता है वकन्तु वफर भी िोनों राज्यों में घवडयाँ एक ही समय विखाती हैं। पृथ्िी एक अक्षाश
ां घमू ने में 4
वमनट का समय लेती है। इसवलए, 15 अक्षाांश घूमने में पृथ्िी को 1 घण्टा लगता है। भारत का अक्षाांशीय विस्तार 30°
है। और इसवलए िेश के सबसे पिू ी तथा सबसे पविमी भाग के बीच समय का 2 घण्टे का अांतर है। वकन्तु भारत के
सभी भागों में घवडयाँ एक ही समय विखाती हैं कयोंवक भारतीय मानक समय 82, अक्षाांश के अनसु ार वनर्ाकररत वकया
गया है। इसवलए गजु रात और अरूणाचल प्रिेश िोनों ही राज्यों में घवडयाँ एक ही समय विखाती हैं।
प्रश्न 4. वहिां महासागर में भारत की कें द्रीय वस्थवत से इसे वकस प्रकार लाभ प्राप्त हुआ है?
er
He
r

उत्तर : भारतीय भूखांड पिू ी एिां पविमी एवशया के के न्द्र में वस्थत है। जो भाग एवशया महाद्वीप से जडु ा है। (भू-मागक एिां
ma
Ku

पिकतीय िरों की सहायता से) िही भाग इसे उत्तर, पविम एिां पिू क विशा में इसके पडोसी िेशों से जोडता है।
jay
Vi

िवक्षण प्रायद्वीपीय भाग वहन्ि महासागर के अांिर िरू तक चला गया है वजससे भारत को पविमी तट से पविम एवशयाई,
अफ्रीका और यरू ोप तथा िवक्षणपिू ी एिां पिू ी तट से पिू क एवशया के िेशों के साथ नजिीकी सांबांर् बनाने में मिि
वमलती है। भारत की सामररक वस्थवत ने प्राचीन समय से ही जल एिां थल मागक से विचारों एिां सामान के आिान-प्रिान
में सहायता प्रिान की है। यही कारण है वक वहन्ि महासागर में भारत की वस्थवत अत्यांत महत्त्िपणू क है। उत्तर में पिकतों के
आर-पार जाने िाले विवभन्न िरों से प्राचीन यावियों को आने-जाने का मागक वमलता था। उपवनषिों, रामायण, पच ां तिां
की कहावनयों, भारतीय अांकों और िेश्मलि प्रणाली सांबांवर्त विचार इसी माध्यम से विश्व के अन्य भागों में पहुचँ ा
था।मसाले, मलमल और व्यापार का अन्य सामान भारत से अन्य िेशों में ले जाया जाता था। िसू री ओर यनू ानी
मवू तककला, पविम एवशया से विवभन्न प्रकार के गबांु ि एिां मीनार बनाने की भिनवनमाकण कला िेश के विवभन्न भागों में
िेखी जा सकती है। वहन्ि महासागर में वकसी भी अन्य िेश का समद्रु तट भारत वजतना बडा नहीं हैं और िास्ति में
वहन्ि महासागर में भारत की महत्त्िपणू क वस्थवत के कारण ही इस महासागर का नामकरण भारत के नाम पर वकए जाने
को सही ठहराता है।
मानवचि कौशल
प्रश्न 1: विए गए की मानवचि की सहायता से पहचान कीवजए :
• अरब सागर और बगां ाल की खाडी में वस्थत द्वीप समहू
• भारतीय उपमहाद्वीप वकन िेशों से वमलकर बनता है?
• ककक रे खा कौन-कौन से राज्यों से गजु रती हैं?
• भारतीय मुख्य भूभाग का िवक्षणी शीषक वबांि।ु
• भारत का सबसे उत्तरी अक्षाांश।
• भारत का सबसे पिू ी और पविमी िेशातां र।
• सबसे लांबी तट रे खा िाला राज्य।
• भारत और श्रीलांका को अलग करने िाली जलसांवर्।
• भारत के कें द्र शावसत क्षेि।
er
He

उत्तर :
r
ma
Ku
jay

• लक्षद्वीप एिां अडां मान एिां वनकोबार द्वीप समहू ।


Vi

• पावकस्तान, अफगावनस्तान, चीन (वतब्बत), नेपाल एिां भटू ान, मयाांमार और बाग्लािेश
• गजु रात, मध्य प्रिेश, छत्तीसगढ़, झारखांड, पविम बांगाल, विपरु ा एिां वमजोरम

• 37°6′

• 8°4′

• 68°7′ एिां 97°25


• कन्याकुमारी
• पाक जलडमरू
• अांडमान एिां वनकोबार द्वीप समहू , चांडीगढ, िािरा एिां नगर हिेली, िमन एिां िीि, लक्षद्वीप, पाांडीचेरी, विल्ली।
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा : नौिीं निषय : भगू ोल
IkkB&2
Hkkjr dk HkkSfrd Lo#i
jpukRed ;kstuk

ikB;dze vis{kk,a f’k{k.k vf/kxe izfdz;k vf/kxe lwpd


Curricular Pedagogical Process Learning
expectation Indicator
fo|kfFkZ;ksa dks Hkkjr dh HkkSfrdHkkjr ds ekufp= dh lgk;rk ls HkkSfrd LFkykd`fr;ksa dh
vkd`fr;ksa ls voxr djokukA HkSkfrd LFkkykd`fr;ksa dks n’kkZ;sa RkFkk mRifr ds okjs esa tkurk gS
budh mRifr dhs izfdz;k ls Hkh rFkk mugsa /kjkry ij
voxr djok,xkA bl ds fy, vklkuh ls igpku ikrk
v?;kid स्थानीय@izknsf’kd gSA
Hkwvkd`fr;ksa ds mnkgj.k Hkh ns
ldrk gSA v/;kid lkeqfgd :i
er
He

ls cPpksa }kjk cukbZ xbZ lwfp dks


r
ma

fofHkUu oxksaZ esa oxhZd`r djok,xkA


Ku
jay

Ekgk}hih; foLFkkiu dks le>kukA Ekgk}hih; foLFkkiu ds


Vi

fo’o ds ekufp= ij fofHkUu IysVksa fl}kar dh tkudkjh gSA


dks vafdr djds mu ds foLFkkiu
ls fofHkUu izdkj dh LFkykd`fr;ksa
ds okjs tkudkjh nsxk gS blds fy,
v/;kid ‘;keiV~V o iBu&ikBu
lkexzh dk mi;ksx Hkh djsxk rFkk
Nk=ksa ls lalkj ds ekuph= ij
fofHkUu IysVksa dks vafdr djok, tks
i`”B la[;k 9 ij fp= 2-3 esa n’kkZbZ
xbZ gSA
Nk=ksa dks vukNkUnu o mlds LFkyd`fr;ksa ds fuekZ.k esa
fofHkUu dkjdksa ls voxr djokuk A vukNkUnu dh la d yiuk dks vukNkUnu dh le> gSA
ork,xk rFkk /kjkry ij ik, tkus
okys moM [kkoM iu ds fy,
ftEesnkj fofHkUu dkjdksa TkSls
izokfgr ty] fgekuh o iou vkfn
ls fueZr fofHkUu LFkykd`fr;ksa ls
voxr djok,xkA v/;kid LFkkuh;
unh ;k ukys ij cuh LFkykd`fr;ksa
dk mnkgj.k nsdj bls le>k,xkA

focZrfud IysVksa ds ckjs eas Kku iznku fgeky; dh mRifr esa ;qjsf’k;kbZ fofHkUu focrZuhd IysVksa dh
djukA IysV o bUMks vkLVªfs y;kbZ IysV dk xfr dh le> gSA
mnkgj.k nsdj fofHkUu IysVksa ds
okjs esa ork;k tk ldrk gSAekufp=
ij vafdr fofHkUu fgeky; dh
Jsf.k;ksa dks cPpksa }kjk vafdr
djok,aA
fgeky; dh mRifr] foLrkj o fLFkfr ‘;ke iV ij vk/;kiu lexzh dh fgeky; dh mRifr o
ls voxr djokukA lgk;rk ls cPpksa dks blds foLrkj fofHkUu Jsf.k;ksa ds okjs
o fofHkUu Jsf.k;ksa dh tkudkjh nsxk tkurk gSA
er
He

rFkk viufr o vfHkufr ds okjs esas nwu dh tkudkjh gS rFkk


r
ma

ork,xkAv/;kid vius vkl&ikl Hkkjr ds izeq[k nwuksa ds okjs


Ku
jay

ikbZ tkus okyh igkfM+;ksa o ?kkfV;ksa esa tkurk gSA


Vi

ds mnkgj.k nsdj cPpksa dks buls


voxr djok ldrk gSA

mrj Hkkjr ds eSnkuksa mRifr] foLrkj Hkkjr ds ekufp= ij eSnkuksa dh nksvko dh mRifr o egRo
o fLFkfr dh le> fodflr fLFkfr ls voxr djok,xk rFkk bu dh le> gSA
djokukA dh mRifr] foLrkj o fLFkfr dh [kknj o ckaxj dh le>
tkudkjh nsxkA rFkk nksvkoksa dh gSA
tkudkjh Hkh nsxk rFkk js[kkafdr
djok,xkA

izk;}hih; iBkj dh mRifr] foLrkj ‘;ke iV ij v/;kiu lkexzh dh izk;}hih; iBkj o nf{k.kh
o fLFkfr dks le>kukA lgk;rk ;k js[kkafdr ekufp= ij iBkj dh tkudkjh j[krk
izk;}hih; mRifr] foLrkj o fLFkfr gSA
dh tkudkjh nsxk rFkk v/;kiu
lkexzh dh lkg;rk ls fofHkUu
Jsf.k;ksa dks Hkh vafdr djsxkA

e:LFky dh mRifr] foLrkj o Hkkjr ds ekufp= ij e:LFky iBkj o ioZr esa varj Li”V
fLFkfr dh le> fodflr djukA mRifr] foLrkj o fLFkfr dh dj ldrk gSA
tkudkjh nsxkA rFkk fufeZr fofHkUu
LFkykd`fr;ksa ls voxr djok,xkA okj[kku dh le> gSA
rVh; eSnkuksa o }hi leqgksa dks vjkoyh ioZr dh fLFkfr ls
Hkkjr ds js[kafdr ekufp= ij voxr gSA
n’kkZ,xk rFkk mls fofHkUu miHkkxksa
esa foHkkftr djsxkA

rVh; eSnku o }hi leqgksa mRifr] }hileqgksa dksa ekufp= ij if’pe o if’peh rVh; o iwoh rVh;
foLrkj o fLFkfr dh tkudkjh nsukA nf{k.k iwo esa vadfr djsxk rFkk eSnkuksa dks mifoHkkftr
mudh mRifr dh tkudjh nsxkA djus esa leFkZ gSA
dksjkseMa y o ekykokj rV
ls ifjfpr gSA
er
r He
ma

Lkfdz; Tokykeq[kh dh mRifr dks Lkfdz; Tokykeq[kh dh mRifr dh izoky dh mRifr ls voxr
Ku
jay

le>kukA vo/kkj.kk ls voxr djok,xk rFkk gSA


Vi

vaMes ku o fudksokj }hileqg esa Hkkjr ds }hileqgksa dh


fLFkr oSju }hi dk mnkgj.k nsxk le> gSA
rFkk bldh ekufp= ij fLFkfr ls Hkkjr ds lfdz; Tokykeq[kh
Hkh voxr djok,xkA dh tkudkjh gSA

प्रश्न 1. वनमनवलवखत विकल्पों में से सही उत्तर चवु नए ।


(i) एक स्थलीय भाग जो तीन ओर से समद्रु से वघरा हो
(क) तट
(ख) प्रायद्वीप
(ग) द्वीप
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
(ii) भारत के पिू ी भाग में मयाांमार की सीमा का वनर्ाकरण करने िाले पिकतों का सयां क्त
ु नाम
(क) वहमाचल
(ख) पिू ाांचल
(ग) उत्तराखण्ड
(घ) इनमें से कोई नहीं।
(iii) गोिा के िवक्षण में वस्थत पविम तटीय पट्टी
(क) कोरोमांडल
(ख) कन्नड
(ग) कोंकण
er
He

(घ) उत्तरी सरकार


r
ma
Ku
jay

(iv) पिू ी घाट का सिोच्च वशखर


Vi

(क) अनाईमडु ी
(ख) महेंद्रवगरर
(ग) कांचनजांगा।
(घ) खासी
उत्तर :
(i) (ग)
(ii) (ग)
(iii) (ग)
(iv) (ग)
प्रश्न 2. वनमनवलवखत प्रश्नों के सक्ष
ां ेप में उत्तर िीवजए

• भगू भीय प्लेटें कया हैं?


• आज के कौन से महाद्वीप गोंडिाना लैंड के भाग थे?
• ‘भाबर’ कया है?
• वहमालय के तीन प्रमख
ु विभागों के नाम उत्तर से िवक्षण के क्रम में बताइए?
• अरािली और विध्ां याचल की पहावडयों में कौन-सा पठार वस्थत है?
• भारत के उन द्वीपों के नाम बताइए जो प्रिाल वभवत्त के हैं।
उत्तर :
(i) भगू भीय प्लेटें पृथ्िी की ठोस परत के नीचे मौजिू पारांपररक र्ाराएां इसकी पपकटी या स्थलमांडल को कई बडे भागों
er
He

में बाांटती हैं। इन भागों को टेकटोवनक या स्थलमांडल प्लेट कहा जाता है।
r
ma
Ku

(ii) गोंडिाना भवू म में ितकमान भारत, आस्रेवलया, िवक्षण अफ्रीका एिां िवक्षण अमेररका एक ही भख
ू ांड में शावमल थे।
jay
Vi

यह िवक्षणी गोलार्द्क में वस्थत था।


(iii) ‘भाबर’ िह तांग पट्टी है वजसका वनमाकण कांकडों के जमा होने से होता है जो वशिावलक की ढलान
के समानाांतर वसन्र्ु एिां वतस्ता नवियों के बीच पाई जाती हैं। इस पट्टी का वनमाकण पहावडयों से नीचे उतरते समय
विवभन्न नवियों द्वारा वकया जाता है। सभी नवियाँ भाबर पट्टी में आकर विलप्तु हो जाती हैं।
(iv) वहमालय विश्व की सिाकवर्क ऊँ ची एिां मजबतू बार्ाओ ां को प्रवतवनवर्त्ि करता है। उत्तर विशा से िवक्षण की ओर
इसे 3 मख्ु य भागों में बाांटा जा सकता है:

• महान या आांतररक वहमालय अथिा वहमाद्री : सबसे उत्तरी भाग वजसे महान या आांतररक वहमालय अथिा ‘वहमाद्री’
कहा जाता है।
• वहमाचल या वनमन वहमालय : वहमाद्री के िवक्षण में वस्थत श्रृख
ां ला वहमाचल या वनमन वहमालय के नाम से जानी जाती
है। यह श्रृांखला मख्ु यतः अत्यवर्क सांपीवडत कायाांतररत चट्टानों से बनी हैं। पीर पांजाल श्रृांखला सबसे बडी एिां
सिाकवर्क महत्त्िपणू क श्रृख
ां ला का वनमाकण करती है। कुछ अन्य महत्त्िपणू क श्रृख
ां लाएँ र्ौलार्ार और महाभारत शृांखलाएँ
हैं।
• वशिावलक : वहमालय की सबसे बाहरी श्रृांखला को वशिावलक कहा जाता है। यह वगरीपि श्रृांखला है तथा वहमालय
के सबसे िवक्षणी भाग का प्रवतवनवर्त्ि करती है।
(v) मालिा का पठार।
(vi) लक्षद्वीप समहू ।
प्रश्न 3. वनमनवलवखत में अांतर स्पष्ट कीवजए

• अपसारी तथा अवभसारी भूगभीय प्लेटें


• बाांगर और खािर
• पिू ी घाट तथा पविमी घाट
er
He
r
ma

उत्तर :
Ku
jay
Vi

(i) अपसारी तथा अवभसारी भूगभीय प्लेटें

(ii) बाांगर और खािर

(iii) पिू ी घाट तथा पविमी घाट

प्रश्न 4. बताइए वहमालय का वनमाकण कै से हुआ था ?


उत्तर : िवक्षणी गोलार्द्क के विशाल महाद्वीप का काल्पवनक नाम गोंडिाना भवू म है। ऐसा माना जाता है वक लाखों िषक
पहले भारत एक बडे महाद्वीप गोंडिाना भूवम का भाग था। सबसे प्राचीन भख ू ांड (प्रायद्वीपीय भाग) गोंडिाना भवू म का
वहस्सा था । ितकमान आस्रेवलया, िवक्षण अफ्रीका एिां िवक्षण अमेररका भी इसी भख
ू डां में शावमल थे। यह िवक्षणी
गोलार्द्क में वस्थत था।
सिां हनीय र्ाराओ ां के कारण इसकी भ-ू पपकटी कई टुकडों में टूट गई वजससे इडां ो-आस्रेवलयाई प्लेट गोंडिानालैण्ड से
अलग होकर उत्तर की ओर सरक गई। प्लेट विितकन वसर्द्ाांत के अनसु ार भ-ू पपकटी पहले एक ही विशालकाय महाद्वीप
था वजसे पैंवजया कहा जाता था। उत्तरी भाग में अांगारा भवू म थी। िवक्षणी भाग में गोंडिाना भवू म। भपू पकटी के नीचे मौजिू
वपघले हुए पिाथक ने भपू पकटी या लीथोस्फीयर को कई बडे टुकडों में बाँट विया वजन्हें लीथोस्फे ररक या टैकटोवनक प्लेट
कहा जाता है। जो अिसािी
चट्टान टककर के कारण िवलत होकर इकट्ठे हो गए उन्हें टेथीस के नाम से जाना जाता है। गोंडिाना भवू म से अलग होने
के बाि इडां ो-आस्रेवलयाई प्लेट उत्तर में यरू े वशयन प्लेट की ओर वखसक गई। यह िो प्लेटों में टकराि का कारण बना
और इस टकराि के कारण टेथीस की अिसािी चट्टानें िवलत होकर पविमी एवशया की पिकतीय श्रृांखला तथा वहमालय
के रूप में उभर गई।
प्रश्न 5. भारत के प्रमख
ु भ-ू आकृ वतक विभाग कौन से हैं? वहमालय क्षेि तथा प्रायद्वीप पठार के उच्चािच लक्षणों में
कया अांतर है?
er
He
r

उत्तर :
ma
Ku
jay
Vi

• वहमालयी पिकत
• उत्तर के मैिान
• प्रायद्वीपीय पठार
• भारतीय मरुस्थल
• तटीय मैिान
• द्वीप समहू
वहमालयी क्षेि तथा प्रायद्वीपीय पठार के उच्चािच लक्षणों में अांतर नीचे विया गया है।

प्रश्न 6. भारत के उत्तरी मैिान का िणकन कीवजए।


उत्तर : यह मैिान जलोढ मृिा से बना हुआ है। लाखों िषों में वहमालय के वगरीपिों पर एक विशाल बेवसन में जलोढ का
वनक्षेप होने से इस उपजाऊ मैिान का वनमाकण हुआ है। यह मैिान 7 लाख िगक वक0मी0 में फै ला हुआ है। यह मैिान
2400 वक0मी0 लांबा तथा 240-320 वक0मी0 चौडा है। समृर्द् मृिा के आिरण, भरपरू पानी की आपवू तक एिां अनक ु ूल
जलिायु ने उत्तरी मैिान को कृ वष की दृवष्ट से भारत का अत्यवर्क उपजाऊ भाग बना विया है। इसी कारण यहाँ का
जनसांख्या घनत्ि भारत के सभी भौगोवलक विभाजनों की अपेक्षा इस क्षेि में सिाकवर्क है। उत्तरी मैिान के पविमी भाग
को पांजाब कहा जाता है। गगां ा का मैिान घग्घर एिां वतस्ता नवियों के बीच वस्थत है। यह उत्तर भारत के विवभन्न राज्यों
जैसे हररयाणा, विल्ली, उत्तर प्रिेश, वबहार तथा झारखडां के कुछ भाग एिां पविम बगां ाल के पिू क में फै ला हुआ है।
प्रश्न 7. वनमनवलवखत पर सांवक्षप्त वटप्पवणयाँ वलवखए
• भारतीय मरुस्थल • मध्य उच्च भवू म • भारत के द्वीप समहू
उत्तर :
(i) भारतीय मरुस्थल को थार मरुस्थल के नाम से भी जाना जाता है। यह अरािली की पहावडयों के िवक्षणी वकनारे की
ओर वस्थत है। यह बालू के वटब्बों से भरा हुआ रे तीला मैिान है। यहाँ परू े िषक में 150 वम0वम0 से भी कम िषाक होती है।
er

यह परू े राजस्थान में फै ला हुआ है। इसकी जलिायु शष्ु क है और यहाँ िनस्पवत भी बहुत कम है। िषाक ऋतु में कुछ
He
r

समय तक कई सररताएँ नजर आती हैं जो िषाक रुकने के साथ ही विलप्तु हो जाती हैं। ‘लनू ी’ इस क्षेि की एकमाि बडी
ma
Ku

निी है। अर्कचांद्राकार रे त के वटब्बे वजन्हें बरकान कहा जाता है, भारतीय मरुस्थल की प्रमुख विशेषता है। ऊँ ट मरुस्थल
jay
Vi

का सबसे महत्त्िपणू क जानिर है।


(ii) मध्य उच्च भवू म : प्रायद्वीपीय क्षेि का िह भाग जो नमकिा निी के उत्तर में पडता है और मालिा के पठार के एक
बडे वहस्से पर फै ला है उसे मध्य उच्चभवू म कहा जाता है। यह िवक्षण में विांध्य श्रेणी और उत्तर-पविम में अरािली की
पहावडयों से वघरा है। आगे जाकर यह पविम में भारतीय मरुस्थल से वमल जाता है जबवक पिू क विशा में इसका विस्तार
छोटानागपरु के पठार द्वारा प्रकट होता है। इस क्षेि में नवियाँ िवक्षण-पविम से उत्तर-पिू क की ओर बहती हैं। इस क्षेि के
पिू ी विस्तार को स्थानीय रूप से बन्ु िेलखण्ड, बाघेलखण्ड और छोटानागपरु पठार कहा जाता है। छोटानागपरु पठार
आग्नेय चट्टानों से बना है। आग्नेय चट्टानों में खवनज भरपरू मािा में होते हैं और इसवलए इस पठार को खवनजों का
भण्डार कहा जाता है।
(iii) भारत के द्वीप समहू : लक्षद्वीप मख्ु यभवू म के िवक्षण-पविम में अरब सागर में के रल के मालाबार तट के पास वस्थत
है। पहले इनको लकािीि, मीनीकाय तथा एमीनिीि के नाम से जाना जाता था। 1973 में इनका नाम लक्षद्वीप रखा
गया। लक्षद्वीप का प्रशासवनक मख्ु यालय कािारती में है। यह द्वीप समहू छोटे प्रिाल द्वीपों से बना है। यह 32 िगक
वक0मी0 के छोटे से क्षेि में फै ला हुआ है। इस द्वीप समहू पर पौर्ों एिां जीिों की बहुत सी प्रजावतयाँ पाई जाती हैं।
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा : नौिीं निषय : भगू ोल
ikB& 3 viokg
jpukRed ikB ;kstuk
ikB;dze vis{kk,a f’k{k.k vf/kxe izfdz;k vf/kxe lwpd
Curricular Pedagogical Learning Indicator
expectation Process
viokg ladYiuk ls voxr v/;kid viokg ra= dh tkudkjh viokg ra= को le>rk gSA
djokukA nsaxs rFkk blds fy, LFkkuh;
@izknsf’kd izokg ra= ds mnkgj.k
nsxkA

ty foHkktd dh ladYiuk ty foHkktd ds okjs esa ork,xkA ty foHkktd dh tkudkjh gSA


dks le>kuk A blds fy, og LFkkuh;@izknsf’kd
mnkgj.k izLrqr djsxk ;k f’keyk
dk fjt tks ty foHkktd ds :Ik
er
He

esa fla/kq o xaxk viokg ra= ds ohp


r
ma

ty oaVokjs dk dk;Z djrk gS] ds


Ku
jay

ckjs esa foLRkkj ls crk,aA


Vi

viokg nzk.s kh o izfr:iksa dh LFkkfu;@izknsf’kd@jk”Vªh; ufn;ksa viokg izfr:iksa dh mRifr ds


le> fodflr djukA dh nzkfs .k;kas o izfr:iksa HkkSxksfyd fy, dkjdksa tkudkjh gSA
n’kkvksa o v/k%LFky] ‘kSy lajpuk
ds izHkko dks le>kdj v/;kid
cPPkksa dks budh mRifr ds ckjs esa
crk,A

Ukfn;ksa dh fofHkUu voLFkkvksa Ukfn;ksa dh rhu voLFkkvksa ;qok] Uknh dh fofHkUu voLFkkvksa dh
o mu ds dk;Z ls voxr izksS<k o o`}k ls voxr djok,xk tkudkjh gksus ds dkj.k fofHkUu
djokukA rFkk fofHkUu voLFkkvksa esa vijnu] LFkykd`fr;kas dh igpku esa leFkZ
ifjogu rFkk fu{ksi.k dkjdksa dh gSA
{kerkvksa ls voxr djok,xk rFkk
LFkkuh; @ izknsf’kd unh viokg
{ks= dk Hkze.k djok, rFkk unh
}kjk fufeZr fofHkUu LFkykd`fr;ksa
dh lwfp cuokdj mudh igpku
djok, A

Lknkuhjk o ekSleh ufn;ksa ls Hkkjr ds ekufp= o v/;kiu


voxr djokukA lkexzh dh lgk;rk ls eq[;] Lknkuhjk o ekSleh ufn;ksa dk Kku
lgk;d o miufn;ksa dks n’kkZ,xk gS rFkk Hkkjr ds izeq[k viokg
rFkk ml ds mijkar fgeky; o ra=ksa dks crkus esa leFkZ gSA
izk;}hih; ufn;ksa dh lwph ouk
dj mUgsas ekSleh o lnkuhjk ufn;ksa
ls voxr djok,xk rFkk buds
ykHk gkfu;ksa ij cPpksa ls lkeqfgd
ppkZ djok,A

flU/kq ty le>kSrk laf/k dh flU/kq ty le>kSrk ty laf/k tks


er
He

le> fodflr djukA Hkkjr o ikfdLrku ds ohp esa gS ds fla/kq ty le>kSrs dh le> gSA
r
ma

vuqlkj Hkkjr fla/kq ds 20 izfr’kr


Ku
jay

ty dk iz;ksx dj ik,xk dh
Vi

tkudkjh nsxkA

>hyksa dh mRifr ,oe~~ >hyksa dh mRifr ls voxr


oxhZdj.k dk le>kukA djok,xk rFkk LFkkuh;@ >hyksa dh mRifr ds okjs esa tkurk
izknsf’kd@ jk”Vªh; >hyksa dh lwph gS rFkk mu dk {ks= ds fodkl esa
ouk dj mls d`f=e o izkd`frd esa ;ksxnku ls voxr gSA
foHkDr djok,xkA

Ukfn;kas ds d`f”k ij IkMus v/;kid unh ra= ds d`f”k ij


okys izHkkoksa ls voxr iMus okys lkdkjkRed izHkkoksa ds Uknh ra= ds lkdkjkRed o
djokukA okjs esa ork,xkA UkkdkjkRed igyqvksa dh tkudkjh
rFkk blds fy, og LFkkuh; @ gSA
izknsf’kd Lrj ij flapkbZ o ty
fo|qr ifj;kstukvksa ds mnkgj.k ns
ldrk gS rFkk budk d`f”k esa
;ksxnku dks crk ldrk gSA

Uknh प्रिषू ण o dkj.kksa ds v/;kid unh प्रिषू ण o blds


बkjs esa बrkukA fofHkUu dkj.kksa ls fo|kfFk;kaas dks Tky iznq”k.k o blds vo;oksa dks
voxr djok,xkA blds fy, o le>us esa leFkZ gSA
LFkkuh;@izknsf’kd Lrj ij ik,
tkus okys vof’k”Vksa ds mngkj.k ns
dj le>kxk blds fy, d{kk dks
fofHkUu leqgksa esa ckaV dj ppkZ
djokbZ tk, rkfd cPps blds
nq”izHkkoksa dks le> ldsA

प्रश्न 1. नीचे विए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चनु ें।
(i) वनमनवलवखत में से कौन सा िृक्ष की शाखाओ ां के समान अपिाह प्रवतरूप प्रणाली को िशाकता है ?
er
He
r
ma

(क) अरीय
Ku
jay
Vi

(ख) कें द्रावभमुख


(ग) द्रुमाकृ वतक
(घ) जालीनुमा
(ii) िल
ू र झील वनमनवलवखत में से वकस राज्य में वस्थत है?
(क) राजस्थान
(ख) पजां ाब
(ग) उत्तर प्रिेश
(घ) जमम-ू कश्मीर
(iii) नमकिा निी का उद्गम कहाँ से है?
(क) सतपडु ा
(ख) अमरकांटक
(ग) ब्रह्मवगरी
(घ) पविमी घाट के ढाल
(iv) वनमनवलवखत में से कौन-सी लिणीय झील है?
(क) साभां र
(ख) िल
ू र
(ग) डल
(घ) गोवबांि सागर
(v) वनमनवलवखत में से कौन-सी निी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बडी निी है ?
er
He

(क) नमकिा
r
ma
Ku
jay

(ख) गोिािरी
Vi

(ग) कृ ष्णा
(घ) महानिी
(vi) वनमनवलखत नवियों में से कौन-सी निी भ्रांश घाटी में होकर बहती है ?
(क) महानिी
(ख) कृ ष्णा
(ग) तांगु भद्रा
(घ) तापी
उत्तर :
(i) (ख)
(ii) (घ)
(iii) (ग)
(iv) (क)
(v) (ग)
(vi) (घ)
प्रश्न 2. वनमनवलवखत प्रश्नों के उत्तर सवां क्षप्त में िीवजए –

• जल विभाजक का कया अथक है? एक उिाहरण िीवजए।


• भारत में सबसे विशाल निी द्रोणी कौन सी है?
• वसांर्ु एिां गांगा नवियाँ कहाँ से वनकलती हैं?
er
He

• गगां ा की िो मख्ु य र्ाराओ ां के नाम वलवखए? ये कहाँ पर एक-िसू रे से वमलकर गगां ा निी का वनमाकण करती हैं?
r
ma
Ku
jay

• लबां ी र्ारा होने के बािजिू वतब्बत के क्षेिों में ब्रह्मपिु में कम गाि कयों है?
Vi

• कौन-सी िो प्रायद्वीपीय नवियाँ गतक से होकर बहती हैं? समद्रु में प्रिेश करने के पहले िे वकस प्रकार की आकृ वतयों
का वनमाकण करती हैं?
• नवियों तथा झीलों के कुछ आवथकक महत्त्ि को बताएँ ।
उत्तर :
(i) कोई उच्चभवू म जैसे पिकत जो िो पडोसी अपिाह द्रोवणयों को अलग करता है उसे जल विभाजक कहा जाता है।
उिाहरणतः वसांर्ु और गांगा निी तांि के बीच का जल विभाजक। अांबाला इसके जल विभाजक पर वस्थत है।
(ii) गांगा निी की द्रोणी जो वक 2,500 वक0मी0 से अवर्क लांबी है; भारत में सबसे बडी है।
(iii) वसांर्ु निी वतब्बत में मानसरोिर झील के पास से वनकलती है। गांगा निी गांगोिी नामक वहमानी से वनकलती है जो
वहमालय की िवक्षणी ढलान पर वस्थत है।
(iv) गगां ा निी की िो मख्ु य र्ाराएँ भागीरथी और अलकनिां ा हैं। ये उत्तराखांड के िेिप्रयाग नामक स्थान पर एक-िसू रे
से वमलकर गांगा निी का वनमाकण करती हैं।
(v) वतब्बत में ब्रह्मपिु निी को साांपो कहा जाता है तथा वतब्बत में इसे बहुत कम पानी प्राप्त होता है इसवलए इसमें
वतब्बत के क्षेिों में कम गाि पाई जाती है। इसके विपरीत जब यह निी भारत में प्रिेश करती है तो यह ऐसे क्षेिों से
गजु रती है जहाँ बहुत अवर्क िषाक होती है। यहाँ निी बहुत अवर्क पानी लेकर जाती है और इसी कारण इसमें गाि की
मािा भी बढ़ जाती है। कयोंवक वतब्बत का मौसम ठण्डा ि शष्ु क है, इसवलए वतब्बत में इसे बहुत कम पानी प्राप्त होता है
और इस क्षेि में गाि भी कम पाई जाती है।
(vi) नमकिा एिां तापी नवियाँ िो ऐसी नवियाँ हैं जो गतक से होकर बहती हैं तथा ज्िारनिमख
ु का वनमाकण करती हैं।
(vii) नवियाँ एिां झीलें निी के बहाि को वनयवां ित करती हैं। ये अवत-िृवष्ट के समय बाढ़ को रोकती हैं। अनािृवष्ट के
समय ये पानी के बहाि को बनाए रखती हैं। इनका उपयोग जलविद्यतु उत्पािन के वलए वकया जाता है। ये आस-पास
की जलिायु को मृिु बनाती हैं तथा जलीय पररतांि का सांतल ु न बनाए रखती हैं। ये प्राकृ वतक सौंियक में िृवर्द् करती हैं
तथा पयकटन का विकास करने में सहायता प्रिान करती हैं और मनोरांजन करती हैं।
er

प्रश्न 3. नीचे भारत की कुछ झीलों के नाम विए गए हैं। इन्हें प्राकृ वतक एिां मानि वनवमकत िगों में बाांवटए।
He
r
ma

(क) िल
ू र
Ku
jay
Vi

(ख) डल
(ग) नैनीताल
(घ) भीमताल
(ड.) गोविन्ि सागर
(च) लोकताक
(छ) बारापानी
(ज) वचल्का
(झ) साभां र
(ञ) राणा प्रताप सागर
(ट) वनजाम सागर
(ठ) पल
ु ीकट
(ड) नागाजकनु सागर
(ढ) हीराकुण्ड
उत्तर :

प्रश्न 4. वहमालयी एिां प्रायद्वीपीय नवियों के मख्ु य अतां रों को स्पष्ट कीवजए।
उत्तर :

प्रश्न 5. प्रायद्वीपीय पठार की पिू क एिां पविम की ओर बहने िाली नवियों की तल


ु ना कीवजए।
er
He

उत्तर : पिू क एिां पविम की ओर बहने िाली नवियों में अतां रः


r
ma
Ku
jay
Vi

प्रश्न 6. वकसी िेश की अथकव्यिस्था के वलए नवियाँ महत्त्िपणू क कयों हैं?


उत्तर : नवियाँ वकसी िेश की अथकव्यिस्था के वलए महत्त्िपूणक हैं। कुछ वबन्िु जो नवियों की महत्ता को प्रिवशकत करते हैं
िे नीचे विए गए हैं :

• नवियों से हमें प्राकृ वतक ताजा मीठा पानी वमलता है जो मनष्ु य सवहत अवर्कतर जीि-जांतओ
ु ां के जीिन के वलए
आिश्यक है।
• ये नई मृिा वबछाकर उसे खेती योग्य बनाती हैं वजससे वबना अवर्क मेहनत के इस पर खेती की जा सके ।
• नवियों के तटों ने प्राचीनकाल से ही आवििावसयों को आकवषकत वकया है। ये बवस्तयाँ कालाांतर में बडे शहर बन गए।
• ये जल के बहाि को वनयांवित करने में सहायता करती हैं।
• ये भारी िषाक के समय बाढ़ को रोकती हैं।
• ये शष्ु क मौसम के िौरान पानी का एक समान बहाि बनाए रखती हैं।
• इनकी सहायता से जल-विद्युत पैिा की जाती है।
• ये आस-पास के िातािरण को मृिु बना िेती हैं।
• ये जलीय पररतांि को बनाए रखती हैं।
• ये प्राकृ वतक सौन्ियक में िृवर्द् करती हैं।
• ये पयकटन का विकास करने में सहायता प्रिान करती हैं और मनोरांजन करती हैं।
मानवचि कौशल

• भारत के रे खा मानवचि पर वनमनवलवखत नवियों को नामाांवकत कीवजए गांगा, सतलुज, िामोिर, कृ ष्णा, नमकिा, तापी,
er
He

महानिी एिां ब्रह्मपिु ।


r
ma
Ku

• भारत के रे खा मानवचि पर वनमनवलवखत झीलों को नामाांवकत कीवजए वचल्का, िल


ू र, पुलीकट, कोलेरु।
jay
Vi

उत्तर :

वक्रयाकलाप

• नीचे िी गई िगक पहेली को हल करें ।


बाएां से िाएां:

• नागाजकनु सागर निी पररयोजना वकस निी पर है?


• भारत की सबसे लांबी निी ।
• ब्यास कुण्ड से उत्पन्न होने िाली निी।
• मध्य प्रिेश के बेतल
ु वजले से उत्पन्न होकर पविम की ओर बहने िाली निी।
• पविम बांगाल का ‘शोक’ के नाम से जानी जाने िाली निी।
• वकस निी से इवां िरा गाांर्ी नहर वनकाली गई है?
• रोहताांग िरे के पास वकस निी का स्त्रोत है।
• प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लबां ी निी।
ऊपर से नीचेः

• वसांर्ु की सहायक निी वजसका उद्गम स्थल वहमाचल प्रिेश में है।
• भ्रांश अपिाह से होकर अरब सागर में वमलने िाली निी।
er
He

• िवक्षण भारतीय निी, जो ग्रीष्म तथा सिक िोनों ऋतओ


ु ां में िषाक का जल प्राप्त करती है।
r
ma
Ku
jay

• लद्दाख, वगलवगत तथा पावकस्तान से बहने िाली निी।


Vi

• भारतीय मरुस्थल की एक महत्त्िपणू क निी।


• पावकस्तान में चेनाब से वमलने िाली निी।
• यमनु ोिी वहमानी से वनकलने िाली निी।

उत्तर :

बाएँ से िाएँ:

• कृ ष्णा (KRISHNA)
• गगां ा (GANGA)
• ब्यास (BEAS)
• तापी (TAPI)
• िामोिर (DAMODAR)
• सतलजु (SATLUJ)
• रािी (RAVI)
• गोिािरी (GODAVARI)
ऊपर से नीचेः
• चेनाब (CHENAB)
• नमकिा (NARMADA)
er
He

• कािेरी (KAVERI)
r
ma
Ku
jay

• वसर्ां ु (INDUS)
Vi

• लनू ी (LUNI)
• झेलम (JHELUM)
• यमनु ा (YAMUNA)
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा : नौिीं निषय : भगू ोल
IkkB & 4
tyok;q
jpukRed ikB ;kstuk
ikB;dze vis{kk,a f’k{k.k vf/kxe izfdz;k vf/kxe lwpd
Curricular expectation Pedagogical Process Learning
Indicator
ekSle ds ckjs esa crkuk ekulwu ‘kCn dh mRifr o ekSle ds ekSle ds okjs esa tkurk gSA
lEcU/k dks le>k, rFkk LFkkuh; ekSle ds
mnkgj.k nsdj bl ladYiuk dh le>
fodflr djsA
ekSle rFkk tyok;q esa
tyok;w ds rRoks dh le> fodflr tyok;w ds rRoks ds ckjs crkdj tyok;q vUrj djus esa leFkZ gSA
djukA rFkk ekSle es vUrj Li”V djuk rFkk
Hkkjr esa ik, tkus okys tuojh o twu ds
er

ekSle dks cPpksa ls Hkjokuk o cuokuk tks


rHe

i`”B la[;k 40 ij fn;k x;k gS rkfd cPps


ma
Ku

iouksa dh fn’kk fodflr gks ldsA


jay
Vi

Hkkjr ds fofHkUu jkT;ks ds rkieku o c”kZk Hkkjr dh tyok;q dks


Hkkjr dh tyok;w o bldks fu;af=r dh ek=k dk v/;;u dj Hkkjr dh tkurk gSA
djus okys dkjkdksa ds okjs tkudkjh tyok;q dh tkudkjh nsukA
nsukA

Xykso dh lgk;rk ls dZd o`r dh fLFkfr Rkki dfVoa/kksa dh le> gSA


Rkki dfVoa/kksa dh fLFkfr o fo’ks”krkvksa ls rFkk rki dfVcU/kks dh tkudkjh nsukA
voxr djokukA
QSjy ds fu;e ds vuqlkj iousa mrjh QSjy ds fu;e dh le>
xksyk}Z esa nka;h vksj rFkk nf{k.kh xksyk}Z gSA rFkk pdzokrksa dh mRifr
QSjy ds fu;e ls voxr djokuk rFkk esa viuh ckabZ vksj eqM+ tkrh gS] ds vk/kkj ds okjs esa tkurk gSA
pdzokr dh mRifr ds okjs esa orkukA ij ekulwuksa ds vkxeu o fuoZru ds okjs
esa orkuk rFkk pdzokrksa dh mRifr dks
le>kukA blds fy, fo|kfFkZ;ksa ls Hkkjr
dk ekufp= cuok;k tk, rFkk mlij
ekulwuksa ds vkxeu dh frfFk;kas dks vafdr
djok;k tk, ¼i`”B la[;k 40 fp= 4-4½

v/;kid d{kk esa ekufp= dh lgk;rk ls


,yuhuks ds ekulwu ij iM+us okys izHkko ,yuhuks izHkko ls voxr gSA
dh tkudjh nsxk rFkk bldk ekulwu ds
,yuhuks ds izHkko dh le> fodflr vkxeu ls lEcU/k dks O;Dr djsa A
djuk A
v?;kid ekufp= dh lgk;rk ls ok;qnko
o iouksa dh xfr ds lEcU/k dks c;Dr nf{k.k if’pe ekulwu o
djsxk rFkk ckn esa bl ij lkeqfgd ppkZ mrjh iwoh ekulwu ds okjs esa
djok,xk A tkurk gSA
Ekkulwuksa ds vyx vyx :iksa ls voxr
djokukA
ekulwuksa dh fn’kk ifjorZu esa
m”.kdfVoa/kh; vfHklj.k {ks= dh Hkqfedk ds m”.kdfVoa/kh; vfHklj.k {ks=
okjs esa ppkZ djukA dh le> gSA
er
He

m”.kdfVoa/kh; vfHklj.k {ks= ds okjs esa ‘kkhrdkyhu _rq esa Hkkjr ds mrjh if’pe
r
ma

orkukA Hkkx essa fo{kksHk ds dkj.k t;knkrj c”kkZ if’pe fo{kksHk dh le> gSA
Ku

gksrh gS ds okjs esa ork dj vFkZ O;oLFkk


jay
Vi

ij IkMus okys izHkko dh tkudkjh nsus esa


if’pe fo{kksHk ds okjs esa orkukA leFkZ gksxkA

Ekkufp= dh lgk;rk ls ekSle es ifjorZu _rqvksa ds okjs esa tkurk gS


dh voLFkkvks dks n’kkZ dj fofHkUu _rqvksa rFkk ftEesnkj dkjkdksa dh
dh tkudkjh nsuk rFkk Xykso dh lgk;rk le> gSA
ls fofHkUu {ks=ksa es gks jgs _rqvks ds
_rqvksa ds ckjs esa crkuk ifjorZu dks n’kkZuk rFkk ckn esa cPpksa ls
lkeqfge ppkZ djukA

fgeky; ioZr dk mnkgj.k nsdj ioZr ds


tyok;q dks fu;fU=r djus okys izHkko dks ioZr ds egRo dks le>rk
le>k, rFkk LFkkuh; {ks=ksa esa ik, tkus gS A
okyh rki fofHkUrk ds mnkgj.k nsdj cPpksa
ds lkFk lkeqfgd ppkZ dh tk,A
ioZr fdl izdkj tyok;q dks izHkkfor
djrs gS dks le>kuk Ekkulqu lEiw.kZ ns’k dks ,d lw= eas cka/krh
gS bl dks le>us ds fy, R;kSgkjks mRloks
vkSj d`f` ”kpdz dk mnkgj.k nsdj le>kuk Ekkulwu dh fofo/krk esa
rFkk cPpksa ls ekulwu ds ,drkdkjh izHkkoksa ,drk dh fo’ks”krk dk Kku
dh lwfp cuokdj vkil esa ppkZ djokukA gSA
v/;kid ikB ds vUr esa cPpksa ls leqg
ekulwu ds ,drkdkjh izHkko dks mtkxj ppkZ djokdj fofHkUu {ks=ksa esa gksus okys
djukA ekSleh ifjorZuksa dh le> fodflr
djok,xkA

Ikfj;kstuk dk;Z%& lekpkj i=ksa ds va’kks es of.kZr fofHkUu LFkkuks vkSj _rqvksa ds uke crkb,A
प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपस्ु तक से
प्रश्न 1. बहुविकल्पीय प्रश्नः
नीचे विए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर का चयन करें :
er
He
r
ma

(i) नीचे विए गए स्थानों में वकस स्थान पर विश्व में सबसे अवर्क िषाक होती है?
Ku
jay
Vi

(क) वसलचर
(ख) चेरापांजू ी
(ग) मावसनराम
(घ) गिु ाहटी
(ii) ग्रीष्म ऋतु में उत्तरी मैिानों में बहने िाली पिन को वनमनवलवखत में से कया कहा जाता है?
(क) काल िैशाखी
(ख) व्यापाररक पिनें
(ग) लू
(घ) इनमें से कोई नहीं।
(iii) वनमनवलवखत में से कौन-सा कारण भारत के उत्तर-पविम भाग में शीत ऋतु में होने िाली िषाक के वलए उत्तरिायी
है?
(क) चक्रिातीय अििाब
(ख) पविमी विक्षोभ
(ग) मानसनू की िापसी
(घ) िवक्षण-पविम मानसनू
(iv) भारत में मानसनू का आगमन वनमनवलवखत में से कब होता है?
(क) मई के प्रारांभ में
(ख) जनू के प्रारांभ में
(ग) जुलाई के प्राांरभ में
er
He

(घ) अगस्त के प्रारांभ में


r
ma
Ku

(v) वनमनवलवखत में से कौन-सी भारत में शीत ऋतु की विशेषता है?
jay
Vi

(क) गमक विन एिां गमक रातें


(ख) गमक विन एिां ठांडी रातें
(ग) ठांडा विन एिां रातें
(घ) ठांडा विन एिां गमक रातें
उत्तरः
(i) (ख)
(ii) (ख)
(iii) (ग)
(iv) (ग)
(v) (ख)
प्रश्न 2. वनमन प्रश्नों के उत्तर सक्ष
ां ेप में िीवजए।

• भारत की जलिायु को प्रभावित करने िाले कौन-कौन से कारक हैं?


• भारत में मानसनू ी प्रकार की जलिायु कयों है?
• भारत के वकस भाग में िैवनक तापामान अवर्क होता है एिां कयों?
• वकन पिनों के कारण मालाबार तट पर िषाक हाती है?
• जेट र्ाराएँ कया हैं तथा िे वकस प्रकार भारत की जलिायु को प्रभावित करती हैं?
• मानसनू को पररभावषत करें । मानसनू में विराम से आप कया समझते हैं?
• मानसनू को एक सिू में बाँर्ने िाला कयों समझा जाता है?
er
He

उत्तर:
r
ma
Ku
jay

(i) भारत की जलिायु को प्रभावित करने िाले कारक हैं – अक्षाश


ां , तगांु ता, ऊँ चाई, िायु िाब एिां पिन तिां , समद्रु से
Vi

िरू ी, महासागरीय र्ाराएँ तथा उच्चािच लक्षण।


(ii) भोरत की जलिायु मानसनू द्वारा अत्यवर्क प्रभावित है। इसवलए इसकी जलिायु मानसनू प्रकार की है।
(iii) भारत के उत्तर-पविमी भाग में वजसमें भारत का मरुस्थल भी शावमल है तथा जहाँ सिाकवर्क िैवनक तापमान होता
है। थार मरुस्थल में विन का तापमान 50°C तक जा सकता है जबवक उसी रात में यह 15°C तक वगर सकता है। ऐसा
इस कारण होता है कयोंवक रे त उष्मा को बहुत जल्िी अिशोवषत करती है और छोडती है। इस तथ्य के कारण इस क्षेि
में विन और रात के तापमान में बहुत अवर्क अांतर होता है।
(iv) मालाबार क्षेि पविमी तट पर वस्थत है। िवक्षण पविमी पिनों के कारण मालाबार तट पर िषाक होती है।
(v) क्षोभमांडल में अत्यवर्क ऊँ चाई पर एक सांकरी पट्टी में वस्थत हिाएँ होती हैं। इनकी गवत गमी में 110 वक.मी. प्रवत
घांटा एिां सिी में 184 वक.मी. प्रवत घांटा के बीच विचलन करती है। ग्रीष्म ऋतु में वहमालय के उत्तर-पविमी जेट र्ाराओ ां
का तथा भारतीय प्रायद्वीप के ऊपर उष्ण कवटबर्ां ीय पिू ी जेट र्ाराओ ां का प्रभाि होता है। वहमालय के िवक्षण में बहती
उपोष्ण पविमी जेट र्ाराएँ पविमी विक्षोभों के वलए वजममेिार हैं जो वक िेश के उत्तर एिां उत्तर-पविमी भागों में सविकयों
के महीनों में िषाक का कारण बनती हैं। िेश के प्रायद्वीपीय भाग पर बहने िाली उपोष्ण पिू ी जेट र्ाराएँ (उष्ण पिू ी जेट
र्ारा) ग्रीष्म ऋतु में उष्ण कवटबांर्ीय चक्रिातों के वलए वजममेिार हैं जो मानसनू सवहत अक्तूबर-निांबर की अिवर् के
िौरान भारत के पिू ी तटीय क्षेिों को प्रभावित करते हैं।
(vi) ऋतओ ु ां के अनसु ार हिाओ ां की विशा में पररितकन मानसनू है। मानसनू के आगमन के समय के आस-पास सामान्य
िषाक में अचानक िृवर्द् हो जाती है जो कई विनों तक होती रहती है। आद्रकतायक्त ु पिनों के जोरिार गजकन ि वबजली
चमकने के साथ अचानक आगमन को मानसनू ‘प्रस्फोट’ के नाम से जाना जाता है। िषाक में विराम का अथक है वक
मानसनू ी िषाक एक समय में कुछ विनों तक ही होती है। मानसनू में आने िाले ये विराम मानसनू ी गतक की गवत से
सांबांवर्त होते हैं।
(vii) विवभन्न अक्षाशों में वस्थत होने एिां उच्चािच लक्षणों के कारण भारत की मौसम सांबांर्ी पररवस्थवतयों में बहुत
अवर्क वभन्नताएँ पाई जाती हैं। वकन्तु ये वभन्नताएँ मानसनू के कारण कम हो जाती हैं कयोंवक मानसनू परू े भारत में
बहती हैं। सपां णू क भारतीय भदृू श्य, इसके जीि तथा िनस्पवत, इसका कृ वष-चक्र, मानि-जीिन तथा उनके त्योहार-उत्सि,
सभी इस मानसूनी लय के चारों ओर घूम रहे हैं। मानसनू के आगमन का परू े िेश में भरपरू स्िागत होता है। भारत में
मानसनू के आगमन का स्िागत करने के वलए विवभन्न त्योहार मनाए जाते हैं। मानसनू झल ू साती गमी से राहत प्रिान
er

करती है। मानसनू िषाक कृ वष वक्रयाकलापों के वलए पानी उपलब्र् कराती है। िायु प्रिाह में ऋतओ ु ां के अनसु ार पररितकन
He
r
ma

एिां इससे जडु ी मौसम सांबांर्ी पररवस्थवतयाँ ऋतओ ु ां का एक लयबर्द् चक्र उपलब्र् कराती हैं जो परू े िेश को एकता के
Ku

सिू में बाांर्ती है। ये मानसनू ी पिनें हमें जल प्रिान कर कृ वष की प्रवक्रया में तेजी लाती हैं एिां सांपणू क िेश को एक सिू में
jay
Vi

बाँर्ती हैं। निी। घावटयाँ जो इन जलों का सांिहन करती हैं, उन्हें भी एक निी घाटी इकाई का नाम विया जाता है। भारत
के लोगों का सांपणू क जीिन मानसनू के इिक-वगिक घूमता है। इसवलए मानसनू को एक सिू में बाांर्ने िाला समझा जाता है।
प्रश्न 3. उत्तर भारत में पिू क से पविम की ओर िषाक की मािा कयों घटती जाती हैं?
उत्तरः हिाओ ां में वनरांतर कम होती आद्रकता के कारण उत्तर भारत में पिू क से पविम की ओर िषाक की मािा कम होती
जाती है। बांगाल की खाडी शाखा से उठने िाली आद्रक पिनें जैसे-जैसे आगे, और आगे। बढ़ती हुई िेश के आांतररक
भागों में जाती हैं, िे अपने साथ लाई गई अवर्कतर आद्रकता खोने लगती हैं। पररणामस्िरूप पिू क से पविम की ओर िषाक
र्ीरे -र्ीरे घटने लगती है। राजस्थान एिां गजु रात के कुछ भागों में बहुत कम िषाक होती है।
प्रश्न 4. कारण बताएँ ।

• भारतीय उपमहाद्वीप में िायु की विशा में मौसमी पररितकन कयों होता हैं?
• भारत में अवर्कतर िषाक कुछ ही महीनों में होती है।
• तवमलनाडु तट पर शीत ऋतु में िषाक होती है।
• पिू ी तट के डेल्टा िाले क्षेि में प्रायः चक्रिात आते हैं।
• राजस्थान, गजु रात के कुछ भाग तथा पविमी घाट का िृवष्ट छाया क्षेि सख
ू ा प्रभावित क्षेि है।
उत्तरः
(i) िायु की विशा में मौसमी पररितकन कोररआवलस बल के कारण होती है। भारत उत्तर-पिू ी पिनों के क्षेि में आता है।
ये पिनें उत्तरी गोलार्द्क की उपोष्ण कवटबांर्ीय उच्चिाब पेटी से उत्पन्न होती हैं। ये िवक्षण की ओर बहती, कोररआवलस
बल के कारण िावहनी ओर विक्षेवपत होकर विषिु तीय वनमन िाब िाले क्षेिों की ओर बढ़ती हैं। कोररआवलस बल को
‘फे रल का वनयम’ भी कहा जाता है तथा यह पृथ्िी के घणू कन के कारण उत्पन्न होता है। यह उत्तर-पिू ी व्यापाररक पिनों
को िवक्षण गोलार्द्क में बाएां ओर विक्षेवपत कर िेती हैं।
(ii) विषिु त रे खा को पार करने के उपरातां , िवक्षण पिू ी व्यापाररक पिनें िवक्षण-पविम की ओर बहने लगती हैं और
िवक्षणपविमी मानसनू के रूप में प्रायद्वीपीय भारत में प्रिेश करती हैं। ये पिनें गमक महासागरों के ऊपर से बहते हुए
er
He
r

आद्रकता ग्रहण करती हैं और भारत की मख्ु यभवू म पर विस्तृत िषकण लाती हैं। इस प्रिेश में, ऊपरी िायु पररसांचरण
ma
Ku

पविमी प्रिाह के प्रभाि में रहता है। भारत में होने िाली िषाक मख्ु यतः िवक्षणपविमी मानसनू पिनों के कारण होती हैं।
jay
Vi

मानसनू की अिवर् 100 से 120 विनों के बीच होती है। इसवलए िेश में होने िाली अवर्कतर िषाक कुछ ही महीनों में
कें वद्रत हैं।
(iii) सिक ऋतु में, िेश में उत्तर-पिू ी व्यापाररक पिनें प्रिावहत होती हैं। ये स्थल से समुद्र की ओर | बहती हैं इसवलए िेश
के अवर्कतर भाग में शष्ु क मौसम होता है। यद्यवप इन पिनों के कारण तवमलनाडु के तट पर िषाक होती है, कयोंवक िहाँ
ये पिनें समद्रु से स्थल की ओर बहती हैं और अपने साथ आद्रकता लाती हैं।
(iv) पिू ी तट के डेल्टा िाले क्षेि में प्रायः चक्रिात आते हैं। ऐसा इस कारण होता है कयोंवक अांडमान सागर पर पैिा
होने िाला चक्रिातीय िबाि मानसनू एिां अक्तूबर-निांबर के िौरान उपोष्ण कवटबांर्ीय जेट र्ाराओ ां द्वारा िेश के
आांतररक भागों की ओर स्थानाांतररत कर विया जाता है। ये चक्रिात विस्तृत क्षेि में भारी िषाक करते हैं। ये उष्ण
कवटबांर्ीय चक्रिात प्रायः विनाशकारी होते हैं। गोिािरी, कृ ष्णा एिां कािेरी नवियों के डेल्टा प्रिेशों में अकसर चक्रिात
आते हैं, वजसके कारण बडे पैमाने पर जान एिां माल की क्षवत होती है। कभी-कभी ये चक्रिात उडीसा, पविम बगां ाल
एिां बाांग्लािेश के तटीय क्षेिों में भी पहुचँ जाते हैं। कोरोमांडल तट पर अवर्कतर िषाक इन्हीं चक्रिातों तथा अििाबों से
होती हैं।
(v) राजस्थान, गजु रात के कुछ भाग तथा पविमी घाटों के िृवष्ट छाया प्रिेश सख ू ा सांभावित होते हैं कयोंवक इनमें
मानसनू के िौरान बहुत कम िषाक होती है। पिनें पिकतों पर आद्रकता वलए हुए आती हैं वकन्तु तापमान में कमी अवर्कतर
आद्रकता घाटों की पिनमख ु ी ढालों पर िषकण के रूप में खो िेती हैं और जब तक िे पिनविमख ु ी ढाल पर पहुचँ ती हैं तब
तक िे शष्ु क हो चक
ु ी होती हैं।
प्रश्न 5. भारत की जलिायु अिस्थाओ ां की क्षेिीय विवभन्नताओ ां को उिाहरण सवहत समझाएँ ।
उत्तरः उत्तर विशा में वहमालय पिकत के वनणाकयक प्रभाि तथा िवक्षण में महासागर होने के बािजिू भी तापमान,
आद्रकता एिां िषकण में वभन्नताएँ मौजिू हैं।
(क) उिाहरणतः, गवमकयों में राजस्थान के कुछ क्षेिों में, उत्तर-पविमी भारत में तापमान 50 वडग्री सेवल्सयस होता है
जबवक उसी समय िेश के उत्तर में जममू-कश्मीर के पहलगाम में तापमान 20 वडग्री सेवल्सयस हो सकता है। सविकयों की
वकसी रात में जमम-ू कश्मीर के द्रास में तापमान -45 वडग्री सेवल्सयस तक हो सकता है, जबवक वतरुिनांतपरु म् में यह 22
वडग्री सेवल्सयस हो सकता है।
(ख) अण्डमान ि वनकोबार एिां के रल में विन ि रात के तापमान में बहुत कम वभन्नता होती है।
er
He
r

(ग) एक अन्य विवभन्नता िषकण में हैं। जबवक वहमालय के ऊपरी भागों में िषकण अवर्कतर वहम के रूप में होता है, िेश
ma
Ku

के शेष भागों में िषाक होती है। मेघालय में 400 से.मी. से लेकर लद्दाख एिां पविमी राजस्थान में िावषकक िषकण 10
jay
Vi

से.मी. से भी कम होती है।


(घ) िेश के अवर्कतर भागों में जनू से वसतांबर तक िषाक होती है, लेवकन कुछ क्षेिों जैसे तवमलनाडु तट पर अवर्कतर
िषाक अकटूबर एिां निांबर में होती है।
(ङ) उत्तरी मैिान में िषाक की मािा सामान्यतः पिू क से पविम की ओर घटती जाती है।
प्रश्न 6. मानसनू अवभवक्रया की व्याख्या करें ।
उत्तरः वकसी भी क्षेि को िायु िाब एिां उसकी पिनें उस क्षेि की अक्षाांशीय वस्थवत एिां ऊँ चाई पर वनभकर करती है। इस
प्रकार यह तापमान एिां िषकण के पैटनक को भी प्रभावित करती है। भारत में जलिायु तथा सांबांवर्त मौसमी अिस्थाएँ
वनमनवलवखत िायुमांडलीय अिस्थाओ ां से सांचावलत होती हैं:
(क) िायु िाब एिां र्रातलीय पिनेंः पिनें उच्च-िायिु ाब क्षेि से कम-िायिु ाब क्षेि की ओर बहती हैं। सविकयों में
वहमालय के उत्तर में उच्च-िायिु ाब क्षेि होता है। ठण्डी शष्ु क हिाएँ इस क्षेि से िवक्षण में सागर के ऊपर कम िायिु ाब
क्षेि की ओर बहती हैं। गवमकयों के िौरान मध्य एवशया के साथ-साथ उत्तर-पविमी भारत के ऊपर कम िायिु ाब क्षेि
विकवसत हो जाता है। पररणामस्िरूप, कम िायिु ाब प्रणाली िवक्षण गोलार्द्क की िवक्षणपिू ी व्यापाररक पिनों को
आकवषकत करती है। ये व्यापाररक पिने विषिु त रे खा को पार करने के उपराांत कोररआवलस बल के कारण िावहनी ओर
मडु ते हुए भारतीय उपमहाद्वीप पर वस्थत वनमन िाब की ओर बहने लगती हैं। विषुित रे खा को पार करने के बाि ये पिनें
िवक्षण-पविमी विशा में बहने लगती हैं और भारतीय प्रायद्वीप में िवक्षणपविमी मानसनू के रूप में प्रिेश करती हैं। इन्हें
िवक्षण पविमी मानसनू के नाम से जाना जाता है। ये पिनें गमक महासागरों के ऊपर से बहते हुए आद्रकता ग्रहण करती हैं
और भारत की मख्ु यभवू म पर विस्तृत िषकण लाती हैं। इस प्रिेश में, ऊपरी िायु पररसांचरण पविमी प्रिाह के प्रभाि में
रहता है। भारत में होने िाली िषाक मख्ु यतः िवक्षणपविमी मानसनू पिनों के कारण होती हैं। मानसनू की अिवर् 100 से
120 विनों के बीच होती है। इसवलए िेश में होने िाली अवर्कतर िषाक कुछ ही महीनों में कें वद्रत हैं।
(ख) जेट र्ाराएँ: क्षोभमडां ल में अत्यवर्क ऊँ चाई पर एक सक ां री पट्टी में वस्थत हिाएँ होती हैं। इनकी गवत गमी में 110
वक.मी. प्रवत घांटा एिां सिी में 184 वक.मी. प्रवत घांटा के बीच विचलन करती है। वहमालय के उत्तर की ओर पविमी जेट
र्ाराओ ां की गवतविवर्यों एिां गवमकयों के िौरान भारतीय प्रायद्वीप पर बहने िाली पविमी जेट र्ाराओ ां की उपवस्थवत
मानसनू को प्रभावित करती है। जब उष्णकवटबर्ां ीय पिू ी िवक्षण प्रशातां महासागर में उच्च िायिु ाब होता है तो
उष्णकवटबांर्ीय पिू ी वहन्ि महासागर में वनमन िायिु ाब होता है। वकन्तु कुछ वनवित िषों में िायिु ाब पररवस्थवतयाँ
विपरीत हो जाती हैं और पिू ी प्रशाांत महासागर में पिू ी वहन्ि महासागर की अपेक्षाकृ त वनमन िायिु ाब होता है। िाब की
er
He

अिस्था में इस वनयतकावलक पररितकन को िवक्षणी िोलन के नाम से जाना जाता है। एलनीनो, िवक्षणी िोलन से जडु ा
r
ma
Ku

हुआ एक लक्षण है। यह एक गमक समुद्री जल र्ारा है, जो पेरू की ठांडी र्ारा के स्थान पर प्रत्येक 2 या 5 िषक के
jay

अांतराल में पेरू तट से होकर बहती है। िाब की अिस्था में पररितकन का सांबांर् एलनीनो से है।
Vi

हिाओ ां में वनरांतर कम होती आद्रकता के कारण उत्तर भारत में पिू क से पविम की ओर िषाक की मािा कम होती जाती है।
बांगाल की खाडी शाखा से उठने िाली आद्रक पिनें जैसे-जैसे आगे, और आगे बढती हुई िेश के आांतररक भागों में
जाती हैं, िे अपने साथ लाई गई अवर्कतर आद्रकता खोने लगती हैं। पररणामस्िरूप पिू क से पविम की ओर िषाक र्ीरे -
र्ीरे घटने लगती है। राजस्थान एिां गजु रात के कुछ भागों में बहुत कम िषाक होती है।
(ग) पविमी चक्रिाती विक्षोभः वहमालय के िवक्षण से बहने िाली उपोष्ण-कवटबर्ां ीय पविमी जेट र्ाराएँ सिी के
महीनों में िेश के उत्तर एिां उत्तर पविमी भागों में उत्पन्न होने िाले पविमी चक्रिातीय विक्षोभों के वलए वजममेिार हैं।
प्रश्न 7. शीत ऋतु की अिस्था एिां उसकी विशेषताएँ बताएँ ।
उत्तरः उत्तरी भारत में शीत ऋतु मध्य निबां र से आरांभ होकर फरिरी तक रहती है। इस मौसम में आसमान प्रायः साफ
रहता है, तापमान कम रहता है और मन्ि हिाएां चलती हैं। तापमान िवक्षण से उत्तर की ओर बढ़ने पर घटता जाता है।
विसांबर एिां जनिरी सबसे ठांडे महीने होते हैं। उत्तर में तषु ारापात सामान्य है तथा वहमालय के उपरी ढालों पर वहमपात
होता है। इस ऋतु में, िेश में उत्तर-पिू ी व्यापाररक पिनें प्रिावहत होती हैं। ये स्थल से समद्रु की ओर बहती हैं तथा
इसवलए िेश के अवर्कतर भाग में शष्ु क मौसम होता है। इन पिनों के कारण कुछ मािा में िषाक तवमलनाडु के तट पर
होती है, कयोंवक िहाँ ये पिनें समद्रु से स्थल की ओर बहती हैं वजससे ये अपने साथ आद्रकता लाती हैं। िेश के उत्तरी
भाग में, एक कमजोर उच्च िाब का क्षेि बन जाता है, वजसमें हल्की पिनें इस क्षेि से । बाहर की ओर प्रिावहत होती
हैं। उच्चािच से प्रभावित होकर ये पिन पविम तथा उत्तर-पविम से गगां ा घाटी में बहती हैं। शीत ऋतु में उत्तरी मैिानों में
पविम एिां उत्तर-पविम से चक्रिाती विक्षोभ का अांतिाकह विशेष लक्षण है। यह कम िाब िाली प्रणाली भमू ध्यसागर
एिां पविमी एवशया के ऊपर उत्पन्न होती है तथा पविमी पिनों के साथ भारत में प्रिेश करती है। इसके कारण
शीतकाल में मैिानों में िषाक होती है तथा पिकतों पर वहमपात, वजसकी उस समय बहुत अवर्क आिश्यकता होती है।
यद्यवप शीतकाल में िषाक की कुल मािा कम होती है, लेवकन ये रबी फसलों के वलए बहुत ही महत्त्िपणू क होती है।
प्रश्न 8. भारत में होने िाली मानसनू ी िषाक एिां उसकी विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर: भारत में होने िाली मानसनू ी िषाक की विशेषताएँ:
(क) मानसनू की अिवर् जनू के प्रारांभ से वसतांबर के मध्य तक 100 से 120 विन के बीच होती है।
(ख) इसके आगमन के आस-पास सामान्य िषकण में अचानक िृवर्द् हो जाती है। यह कई विनों तक लगातार होती रहती
er

है। आद्रकतायक्त
ु पिनों के जोरिार गजकन ि वबजली चमकने के साथ अचानक आगमन को मानसनू ‘प्रस्फोट’ के नाम से
He
r

जाना जाता है।


ma
Ku
jay

(ग) मानसनू में आई एिां शष्ु क अिवर्याँ होती हैं वजन्हें िषकण में विराम कहा जाता है।
Vi

(घ) िावषकक िषाक प्रवतिषक अत्यवर्क वभन्नता होती है।


(ङ) यह कुछ पिनविमख
ु ी ढलानों एिां मरुस्थल को छोडकर भारत के शेष क्षिों को पानी उपलब्र् कराती है।
(च) िषाक का वितरण भारतीय भदृू श्य में अत्यवर्क असमान है। मौसम के प्रारांभ में पविमी घाटों की पिनमुखी ढालों
पर भारी िषाक होती है अथाकत् 250 से0मी0 से अवर्क। िककन के पठार के िृवष्ट छाया क्षेिों एिां मध्य प्रिेश, राजस्थान,
गजु रात, लेह में बहुत कम िषाक होती है। सिाकवर्क िषाक िेश के उत्तरपिू ी क्षेिों में होती है।
(छ) उष्णकवटबांर्ीय िबाि की आिृवत्त एिां प्रबलता मानसनू िषकण की मािा एिां अिवर् को वनर्ाकररत करते हैं।
(ज) भारत के उत्तर पविमी राज्यों से मानसनू वसतांबर के प्रारांभ में िापसी शरू
ु कर िेती हैं। अक्तूबर के मध्य तक यह
िेश के उत्तरी वहस्से से परू ी तरह लौट जाती है। और विसांबर तक शेष भारत से भी मानसनू लौट जाता है।
(झ) मानसनू को इसकी अवनवितता के कारण भी जाना जाता है। जहाँ एक ओर यह िेश के कुछ वहस्सों में बाढ़ ला
िेता है, िहीं िसू री ओर यह िेश के कुछ वहस्सों में सख
ू े का कारण बन जाता है।
भारत में मानसनू ी िषाक के प्रभाि

• (क) भारतीय कृ वष मुख्य रूप से मानसनू से प्राप्त पानी पर वनभकर है। िेरी से, कम या अवर्क मािा में िषाक का फसलों
पर नकारात्मक प्रभाि डालती है।
• (ख) िषाक के असमान वितरण के कारण िेश में कुछ सख
ू ा सांभावित क्षेि हैं जबवक कुछ बाढ़ से ग्रस्त रहते हैं।
• (ग) मानसनू भारत को एक विवशष्ट जलिायु पैटनक उपलब्र् कराती है। इसवलए विशाल क्षेिीय वभन्नताओ ां की
उपवस्थवत के बािजिू मानसनू िेश और इसके लोगों को एकता के सिू में वपरोने िाला प्रभाि डालती है।
मानवचि कौशल
भारत के रे खा मानवचि पर वनमनवलवखत को िशाकएँ
(क) 400 सें.मी. से अवर्क िषाक िाले क्षेि
(ख) 20 सें.मी. से कम िषाक िाले क्षेि
er
He
r
ma

(ग) भारत में िवक्षण-पविम मानसनू की विशा


Ku
jay
Vi

उत्तरः (क) और (ख)


पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा : नौिीं निषय : भगू ोल
ikB& 5
izkd`frd ouLifr rFkk oU; izk.kh
jpukRed ikB ;kstuk
ikB;dze vis{kk,a f’k{k.k vf/kxe izfdz;k vf/kxe lwpd
Curricular Pedagogical Process Learning
expectation Indicator
Nk= dh izkd`frd ouLifr ds ckjs v/;kid }kjk ouLifr dh tkudkjh ouLifr txr o izk.kh
esa le> fodflr djukA LFkkuh; isM&iks/kkS ds lnZHk eas nsuk txr ds okjs esa tkurk
rFkk cPpksa dks fofHkUu leqgksa esa ckaVdj gSA
vius&vius {ks= esa ikbZ tkus okyh
ouLifr ds lwph cuokukA

ns’kt o fons’t ikS/kksa ls voxr v/;kid cPpksa ls fofHkUu izdkj ds ns’kt o fons’kt IkkS/kksa dks
er
He

djokukA ns’kt o fons’kt isM iks/kkS dh lwph tkurk gSA


r
ma
Ku

ouk,xk rFkk blds i;kZoj.k ij iM+us


jay

okys ukdkjkRed o lkdkjkRed izHkkoksa


Vi

dh lkeqfgd ppkZ djok,axs A

ouLifr dks izHkkfor djus okys dkjdks


ouLifr dks izHkkfor djus okys dks /;ku eas j[krs gq, LFkkuh;@ ouLifr dks izHkkfor djus
dkjdks ls voxr djokukA izknsf’kd ouLifr dk v/;;u okys dkjdksa dh le> gSA
djok;xk rFkk ouLifr dh fofo/krk
dks fu;fU=r djus okys dkjdksa dh
lwph cuokdj ppkZ djok,A blds
vykok v/;kid Nk=ksa ls Hkkjr dk
ekufp= cuok, rFkk ml ij Hkkjr dh
izkd`frd ouLifr ds forj.k dks n’kkZus
ds fy, dgsA

v/;kid }kjk ikfjfLFkfrd r=a eas


ikfjfLFkrhd ra= es ouLifr ds ouLifr ds egRo dks orkus ds fy, ifjfLFkrhd ra= dh
egRo ij izdk’k MkyukA lkeqfgd ppkZ djokdj cPpksa ds vo/kkj.kk dk Kku gSA
Nk=ksa dks ouLifr ds izdkjks ls fopkjksa dks lfefyr dj ldrk gSA
voxr djokukA v/;kid ouLifr ds fofHkUu izdkjks eas
foHkkftr djsxsa blds fy, ekufp= dh ouksa dks oxhfd`r djus esa
lgk;rk o ldSp dk iz;ksx dj ldrk leFkZ gSA
gSA

fofo/krk esa ,drk ij oU; izk.kh


OkU; izk.kh ds okjs esa orkukA laj{k.k ds ;ksxnku ij izdk’k Mkysxk oU; tho gkl ds dkj.kksa
rFkk ekuo ds vfLrRo esa blds dks tkurk gSA
;kxnku ls voxr djok,xkA v/;kid oU; thoksa ds vlUrqyu ls
cPpksa ls Hkkjr ds oU; izk.kh fup; dks ekuo ij iM+us okys izHkkoksa
Hkkjr ds js[kkafdr ekufp= ij n’kkZus dh le> gS A
dks dgsxkA
पाठ्यपस्ु तक से प्रश्न
er
rHe

प्रश्न 1. िैकवल्पक प्रश्न


ma
Ku
jay

(i) रबड का सांबांर् वकस प्रकार की िनस्पवत से है?


Vi

(क) टुांड्रा
(ख) वहमालय
(ग) मैंग्रोि
(घ) उष्ण कवटबर्ां ीय िषाक िन
(ii) वसनकोना के िृक्ष वकतनी िषाक िाले क्षेि में पाए जाते हैं?
(क) 100 से.मी.
(ख) 70 से.मी.
(ग) 50 से.मी.
(घ) 50 से.मी. से कम िषाक
(iii) वसमलीपाल जीि मडां ल वनचय कौन से राज्य में वस्थत है?
(क) पजां ाब
(ख) विल्ली
(ग) उडीसा
(घ) पविमी बांगाल
(iv) भारत में कौन-से जीि मांडल वनचय विश्व के जीि मांडल वनचयों के वलए नए हैं?
(क) मानस
(ख) मिार की खाडी।
(ग) विहाांग-विबाांग
(घ) नांिािेिी
er
He

उत्तर:
r
ma
Ku
jay

(i) (घ)
Vi

(ii) (क)
(iii) (ग)
(iv) (क)
प्रश्न 2. सांवक्षप्त उत्तर िाले प्रश्नः
(क) पाररवस्थवतक तिां वकसे कहते हैं?
(ख) भारत में पािपों तथा जीिों का वितरण वकन तत्त्िों द्वारा वनर्ाकररत होता है?
(ग) जीि मांडल वनचय से कया अवभप्राय है। कोई िो उिाहरण िो।
(घ) कोई िो िन्य प्रावणयों के नाम बताइए जो वक उष्ण कवटबांर्ीय िषाक और पिकतीय िनस्पवत में वमलते हैं।
उत्तरः (क) वकसी भी क्षेि के पािप तथा प्राणी आपस में तथा अपने भौवतक पयाकिरण से अतां कसबां वां र्त होते हैं और एक
पाररवस्थवतक तांि का वनमाकण करते हैं। पाररवस्थवतक तांि भौवतक पयाकिरण तथा इसमें वनिास करने िाले जीि जांतुओ ां
की पारस्पररक वनभकरता का तांि है। मनष्ु य भी इस पाररवस्थवतक तांि का अविवच्छन्न भाग है। िह िनस्पवत तथा िन्य
जीिों का प्रयोग करता है।
(ख) भारत में पािपों तथा जीिों का वितरण वनर्ाकररत करने िाले तत्त्ि हैं:

(ग) जीि मांडल वनचय (Bio-reserve): एक सांरवक्षत जीि मांडल वजसका सांरक्षण इस प्रकार वकया जाता है वक न
के िल इसकी जैविक वभन्नता सांरवक्षत की जाती है अवपतु इसके सांसार्नों का प्रयोग भी स्थानीय समिु ायों के लाभ हेतु
वटकाऊ तरीके से वकया जाता है। उिाहरण, नीलवगरी, सिांु रबन।
(घ) उष्ण कवटबांर्ीय िषाक िनों में पाये जाने िाले पशओु ां में हाथी, बांिर, लैमरू , एक सींग िाले गैंडे और वहरण हैं।
पिकतीय िनों में प्रायः कश्मीरी महामृग, वचतरा वहरण, जगां ली भेड, खरगोश, वतब्बतीय बारहवसघां ा, याक, वहम तेंिआ ु ,
वगलहरी, रीछ, आइबैकस, कहीं-कहीं लाल पाांडा, घने बालों िाली भेड तथा बकररयाँ पाई जाती हैं।
er
He

प्रश्न 3. वनमनवलवखत में अांतर कीवजए:


r
ma
Ku

(क) िनस्पवत जगत तथा प्राणी जगत


jay
Vi

(ख) सिाबहार और पणकपाती िन


उत्तरः (क)

(ख)

प्रश्न 4. भारत में विवभन्न प्रकार की पाई जाने िाली िनस्पवत के नाम बताएँ और अवर्क ऊँ चाई पर पाई जाने िाली
िनस्पवत का ब्यौरा िीवजए।
उत्तरः भारत में पाई जाने िाली विवभन्न प्रकार की िनस्पवत इस प्रकार है:
(क) उष्ण कवटबांर्ीय िषाक िन
(ख) उष्ण कवटबर्ां ीय पणकपाती िन
(ग) उष्ण कवटबर्ां ीय कांटीले िन तथा झावडयाँ
(घ) पिकतीय िन
(ङ) मैंग्रोि िन
उच्च प्रिेशों की िनस्पवतः
(क) पिकतीय क्षेिों में तापमान की कमी तथा ऊँ चाई के साथ-साथ प्राकृ वतक िनस्पवत में भी अतां र विखाई िेता है।
िनस्पवत में वजस प्रकार का अांतर हम उष्ण कवटबांर्ीय प्रिेशों से टुांड्रा की ओर िेखते हैं उसी प्रकार का अांतर पिकतीय
भागों में ऊँ चाई के साथ-साथ िेखने को वमलता है।
(ख) 1000 मी. से 2000 मी. तक की ऊँ चाई िाले क्षेिों में आई शीतोष्ण कवटबांर्ीय िन पाए जाते हैं। इनमें चौडी पत्ती
िाले ओक तथा चेस्टनट जैसे िृक्षों की प्रर्ानता होती है।
(ग) 1500 से 3000 मी. की ऊँ चाई के बीच शांकुर्ारी िृक्ष जैसे चीड, िेििार, वसल्िर–फर, स्पसू , सीडर आवि पाए
er
He

जाते हैं।
r
ma
Ku

(घ) ये िन प्रायः वहमालय की िवक्षणी ढलानों, िवक्षण और उत्तर-पिू क भारत के अवर्क ऊँ चाई िाले भागों में पाए जाते
jay
Vi

हैं।
(ङ) अवर्क ऊँ चाई पर प्रायः शीतोष्ण कवटबांर्ीय घास के मैिान पाए जाते हैं। प्रायः 3600 मी. से अवर्क ऊँ चाई पर
शीतोष्ण कवटबांर्ीय िनों तथा घास के मैिानों का स्थान अल्पाइन िनस्पवत ले लेती है। वसल्िर–फर, जवू नपर, पाइन ि
बचक इन िनों के मख्ु य िृक्ष हैं।
प्रश्न 5. भारत में बहुत सांख्या में जीि और पािप प्रजावतयाँ सांकटग्रस्त हैं। उिाहरण सवहत कारण िीवजए।
उत्तरः मनष्ु य के लालच के कारण जीिों तथा पािपों को अवत िोहन हो रहा है। मनष्ु य पेडों को काटकर तथा पशओ ु ां को
मारकर पाररवस्थवतक तांि में असांतल
ु न पैिा कर रहा है। इसके कारण बहुत से जीि और पािप प्रजावतयाँ सांकटग्रस्त हैं।
प्रश्न 6. भारत िनस्पवत जगत तथा प्राणी जगत की र्रोहर में र्नी कयों है?
उत्तरः भारत में पृथ्िी की लगभग सभी भौवतक विशेषताएां मौजिू हैं। जैसे–पिकत, मैिान, मरुस्थल, पठार एिां द्वीप आवि।
ये पाांचों कारक भारत में िनस्पवत जगत एिां प्राणी जगत की िृवर्द् एिां विकास के वलए या जैविक विविर्ता के वलए
अनक ु ू ल हैं। हमारा िेश भारत विश्व के मख्ु य 12 जैि विविर्ता िाले िेशों में से एक है। लगभग 47000 विवभन्न
जावतयों के पौर्े पाए जाने के कारण यह िेश विश्व में िसिें स्थान पर और एवशया के िेशों में चौथे स्थान पर है। भारत में
लगभग 15000 फूलों के पौर्े हैं जो वक विश्व में फूलों के पौर्े का 6 प्रवतशत है। इस िेश में बहुत से वबना फूलों के
पौर्े हैं। जैसे फनक, शिाल (एलेगी) तथा किक (फांजाई) भी पाए जाते हैं। भारत में लगभग 89000 जावतयों के जानिर
तथा ताजे तथा समद्री पानी की विवभन्न प्रकार की मछवलयाँ पाई जाती हैं। िेश के विवभन्न क्षेिों में विवभन्न प्रकार की
मृिा, आद्रकता एिां तापमान में अत्यवर्क वभन्नता के साथ अलग-अलग प्रकार का िातािरण पाया जाता है। परू े िेश में
िषाक का वितरण भी असमान है। िनस्पवत जगत एिां प्राणी की जगत की विवभन्न प्रजावतयों को अलग-अलग प्रकार
की िातािरण सबां र्ां ी पररवस्थवतयाँ, विवभन्न प्रकार की मृिा चावहए होती है। इसवलए भारत िनस्पवत जगत तथा प्राणी
जगत की र्रोहर में र्नी है।
मानवचि कौशल
प्रश्न 1. भारत के मानवचि पर वनमनवलवखत विखाएँ और अांवकत करें
(क) उष्ण कवटबांर्ीय िषाक िन
(ख) उष्ण कवटबांर्ीय पणकपाती िन
er
He

(ग) िो जीि मांडल वनचय भारत के उत्तरी, िवक्षणी, पिू ी और पविमी भागों में।
r
ma
Ku

उत्तरः (क) और (ख)।


jay
Vi
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा : नौिीं निषय : भगू ोल
ikB&6
tula[;k
jpukRed ikB ;kstuk
ikB;dze vis{kk,a f’k{k.k vf/kxe izfdz;k vf/kxe lwpd
Curricular Pedagogical Process Learning
expectation Indicator
Tkux.kuk o tula[;k dh vo/kkj.k IkzR;sd n’kd mijkUr gksus okyh Tkux.kuk ds okjs esa
ls voxr djokukA tux.kuk ds okjs esa ork dj ns’k ds tkurk gSA
fuekZ.k esa tula[;k ds lkdkjkRed o Tkula[;k ds fodkl ij
ukdkjkRed igywvksa ls voxr iMus okys ukdkjkRed o
djok,xkA blds fy, tula[;k dks lkdkjkRed izHkkoksa ls
,d lalk/ku o fouk’kd ds :Ik esa voxr gSA
rF;ksa lfgr cPpksa ds lkeus j[ksxk
er

rFkk cPpksa ls okrkZyko djsxkA


He
r
ma
Ku

Tkula[;k ?kuRo o vleku forj.k Tkula[;k ds LFkkuh;@ izknsf’kd@ Tkula[lk ?kuRo dh le>
jay
Vi

dks le>kukA jk”Vªh; x.kuk ,ao {ks=Qy ds laoU/k gSA


dks fn[kk ldrk gSA rFkk izknsf’kd ;k Tkula[;k ds forj.k dks
LFkkuh;Lrj ij tula[;k ds fy, izHkkfor djus okys dkjdksa
vleku forj.k ds fy, ftEesokj ls ifjfpr gSA
Ik;Zkoj.kh;] lekftd] vkfFkZd]
lkaLd`frd ,ao ,sfrgkfld dkjdksa dh
lgk;rk ls crk,xkA vius {ks= ds
fofHkUu xkaoksa dh la?ku o fojy
tula[;k ds forj.k dks fu;fU=r
djus okys dkjdksa dh lwph cuok,
rFkk ckn esa buds izHkkoksa ij cPpksa ls
ppkZ djs A

Tkula[;k o`f) ds okjs esa orkukA Tkula[;k o`f) dks le>kus ds fy, izkd`frd o`f) nj rFkk
tUe nj] e`R;q nj o izokl ds o`f) nj dh le> gSA
LFkkuh;@ izknsf’kd mnkgj.k ns dj
le>k;xkA izokl ds fofHkUu igywvksa
ls voxr gSA
izkokl o blds igywvksa ls voxr Ikzokl dh vo/kkj.kk ls voxr
djokukA djok,xk rFkk izokl dks izHkkfor djus
oky vdZ”k.k o dZ”k.k dkjdksa dh lwph
ouk dj ml ij leqg ppkZ djok,xkA
rFkk okn izR;sd dkj.k dh mngkj.k
lfgr O;k[;k djsxk rFkk tula[;k
o`f) ij iM+us okys izHkkoksa ij lkeqfgd
ppkZ djok,A

vk;q lajpuk dh vo/kkj.kk dks vk;q lajpuk dks le>kus ds fy, vius vk;q lajpuk ls ifjfpr
le>kukA xkao@ftyk dh tula[;k ds vkadMksa gSA
dks rhu oxkasZ 0&14] 15&59 o 60 ls
vf/kd esa foHkkftr djok,xk rFkk mls
er
He

vkfJr o dk;Z’khy esa foHkkftr dj


r
ma

mudk vFkZ O;oLFkk ij iMus okys


Ku
jay

izHkko ls voxr djok,xkA blds fy,


Vi

og ftyk@ jkT; @ ns’k ds vkadM+kas


dh lkg;rk ys ldrk gS rFkk
dk;Z’khy o vkfJr tula[;k ds
vFkZO;oLFkk ij iM+us okys izHkkoksa ij
cPpksa ls ,d ifj;kstuk dk;Z Hkh djok
ldrk gS A

Lkk{kjrk o fyax vuqikr ds lao/k ds lk{kjrk o fyax vuqikr dks le>kus fyaxkuqikr dh le> gS
okjs esa tkudkjh nsxkA ds fy, d{kk esa Nk= o Nk=kvksa dh rFkk blds ukdkjkRed o
x.kuk ds vykok izknsf’kd@ jk”V+ªh; LkdkjkRed igywvksa dk
mnkgj.k fn;s tk ldrss gSA Kku gSA
lao/k dks O;Dr djus ds fy, dsjyk o
jktLFkku dks mnkgj.k ds :Ik esa
izLrqr fd;k tk ldrk gSA
Hkkjr dh vFkZ O;oLFkk ds

O;kolf;d lajpuk dks le>ukA izknsf’kd@jk”Vªh; O;kolkf;d lajpuk fofHkUu fdz;k dykiksa ls
dks le>kus ds fy, cPpksa ls vius ifjfpr gSA
vius xkao dh tula[;k dks izkFkfed] fdz;k dykiksa o fodkl ds
f}rh;d] r`rh;d fdz;kvksa esa foHkDr vkilh lao/k ls ifjfpr
djok;k tk ldrk gSA gSA

fd’kksjkoLFkk ,ao jk”Vªh; tula[;k fd’kksj fdlh Hkh ns’k dh tula[;k dk fd’kksjkoLFkk dh le> gSA
uhfr ls voxr djokukA egRo iw.kZ ekuoh; lalk/ku gSA ;fn jk”Vªh; tula[;k uhfr ds
;g dqiks”k.k dk f’kdkj gksaxs rks og fofHkUu igywvksa ls ifjfpr
izns’k o ns’k ds fy, lgh ugha gS bl gSA
fy, jk”Vªh; tula[;k uhfr ds fofHkUu
igywvksa ls Nk=ksa dks voxr djok,xkA
‘’
er
r He
ma
Ku
jay

पाठ्यपस्ु तक से
Vi

प्रश्न 1. नीचे विए गए चार विकल्पों में सही विकल्प चवु नए:
(i) वनमनवलवखत में से वकसी क्षेि में प्रिास, आबािी की सख्ां या, वितरण एिां सरां चना में पररितकन लाता है।
(क) प्रस्थान करने िाले क्षेि में
(ख) आगमन िाले क्षेि में
(ग) प्रस्थान एिां आगमन िोनों क्षेिों में
(घ) इनमें से कोई नहीं।
(ii) जनसख्ां या में बच्चों का एक बहुत बडा अनपु ात वनमनवलवखत में से वकसका पररणाम है?
(क) उच्च जन्म िर
(ख) उच्च मृत्यु िर
(ग) उच्च जीिन िर
(घ) अवर्क वििावहता जोडे
(iii) वनमनवलवखत में से कौन-सा एक जनसांख्या िृवर्द् का पररमाण िशाकता है?
(क) एक क्षेि की कुल जनसांख्या
(ख) प्रत्येक िषक लोगों की सांख्या में होने िाली िृवर्द्
(ग) जनसांख्या िृवर्द् की िर
(घ) प्रवत हजार परुु षों पर मवहलाओ ां की सख्ां या
(iv) 2001 की जनसांख्या के अनसु ार एक साक्षर व्यवक्त िह है।
(क) जो अपने नाम को पढ़ एिां वलख सकता है।
(ख) जो वकसी भी भाषा में पढ़ एिां वलख सकता है।
er
He

(ग) वजसकी उम्र 7 िषक है तथा िह वकसी भी भाषा को समझ के साथ पढ़ एिां वलख सकता है।
r
ma
Ku
jay

(घ) जो पढ़ना-वलखना एिां अांकगवणत, तीनों जानता है।


Vi

उत्तरः
(i) (ग)
(ii) (क)
(iii) (ख)
(iv) (ग)
प्रश्न 2. वनमनवलवखत के उत्तर सांक्षेप में िें।
(क) जनसांख्या िृवर्द् के महत्त्िपणू क घटकों की व्याख्या करें ।
(ख) 1981 से भारत में जनसांख्या की िृवर्द् िर कयों घट रही है?
(ग) आयु सांरचना, जन्म िर एि मृत्यु िर को पररभावषत करें ।
(घ) प्रिास, जनसांख्या पररितकन का एक कारक।
उत्तर : (क) जनसांख्या िृवर्द् के महत्त्िपणू क घटक जन्म िर, मृत्यु िर एिां प्रिास हैं।

• जन्म िर (Birth Rate): एक िषक के िौरान 1000 लोगों पर जीवित पैिा हुए बच्चों की सांख्या। यह जनसांख्या के
आकार तथा घनत्ि िोनों में िृवर्द् करती है। यवि वकसी िषक के िौरान जन्मों की सांख्या मृतकों की सांख्या से अवर्क हो
तो उस िषक के िौरान कुल जनसख्ां या में िृवर्द् हो जाएगी।
• मृत्यु िर (Death rate): यह एक िषक के िौरान 1000 लोगों पर मृतकों की सख्ां या को प्रिवशकत करती है। यह
जनसांख्या के आकार तथा घनत्ि िोनों में कमी ला िेता है। यवि वकसी िषक के िौरान मृतकों की सांख्या जन्मों की
सांख्या से अवर्क हो तो उस िषक के िौरान कुल जनसांख्या में कमी हो जाएगी।
• प्रिास (Migration): लोगों का एक क्षेि से िसू रे क्षेि में चले जाने को प्रिास कहते हैं। जनसांख्या वितरण एिां उसके
घटकों को पररिवतकत करने में प्रिास की महत्त्िपणू क भवू मका होती है कयोंवक यह आगमन तथा प्रस्थान िोनों ही स्थानों के
जनसावां ख्यकीय आक ां डों को प्रभावित करता है। प्रिास आांतररक (िेश के भीतर) या अांतराकष्रीय (िेशों के बीच) हो
er
He

सकता है। आांतररक प्रिास जनसांख्या के आकार में पररितकन नहीं करता लेवकन िेश में जनसांख्या के वितरण को
r
ma

प्रभावित करता है।


Ku
jay
Vi

(ख) 1981 से भारत में जन्म िर र्ीरे -र्ीरे घट रही है। इसके पररणामस्िरूप जनसांख्या िृवर्द् में र्ीरे -र्ीरे कमी आ रही
है।
(ग) आयु सांरचनाः वकसी िेश में जनसांख्या की आयु सांरचना िहाँ के विवभन्न आयु समहू ों के लोगों की सांख्या को
बताता है। यह जनसांख्या की मूल विशेषताओ ां में से एक है।

• जन्म िर (Birth rate): एक िषक के िौरान 1000 लोगों पर जीवित पैिा हुए बच्चों की सांख्या ।
• मृत्यु िर (Death rate): एक िषक के िौरान 1000 लोगों पर मृतकों की सांख्या को प्रिवशकत करता है।
(घ) प्रिास (Migration): लोगों का एक क्षेि से िसू रे क्षेि में चले जाने को प्रिास कहते हैं। जनसांख्या वितरण एिां
उसके घटकों को पररिवतकत करने में प्रिास की महत्त्िपणू क भवू मका होती है कयोंवक यह आगमन तथा प्रस्थान िोनों ही
स्थानों के जनसाांवख्यकीय आांकडों को प्रभावित करता है। प्रिास आांतररक (िेश के भीतर) या अांतराकष्रीय (िेशों के
बीच) हो सकता है। आतां ररक प्रिास जनसख्ां या के आकार में पररितकन नहीं करता लेवकन िेश में जनसख्ां या के वितरण
को प्रभावित करता है।

• प्रिास जनसख्ां या के गठन एिां वितरण में बिलाि में महत्िपणू क भवू मका वनभाता है।
• भारत में अवर्कतर प्रिास ग्रामीण क्षेिों से ‘अपकषकण (Push) कारक प्रभािी होते हैं। ये ग्रामीण क्षेिों में गरीबी एिां
बेरोजगारी की प्रवतकूल अिस्थाएँ हैं तथा नगर का ‘कषकण’ (Pull) प्रभाि रोजगार में िृवर्द् एिां अच्छे जीिन स्तर को
िशाकता है। 1951 में शहरी जनसांख्या 17.29 प्रवतशत थी जो 2001 में बढ़कर 27.78 प्रवतशत हो गई।
• 1991 से 2001 के बीच एक ही िशक के िौरान “िस लाख से अवर्क” की जनसांख्या िाले महानगर 23 से बढकर
35 हो गए हैं।
प्रश्न 3. जनसांख्या िृवर्द् एिां जनसांख्या पररितकन के बीच अांतर स्पष्ट करें ।
उत्तरः
er
rHe
ma
Ku

प्रश्न 4. व्यािसावयक सांरचना एिां विकास के बीच कया सांबांर् है?


jay
Vi

उत्तरः विवभन्न प्रकार के व्यिसायों के अनसु ार वकए गए जनसांख्या के वितरण को व्यािसावयक सांरचना कहा जाता है।
व्यिसायों को सामान्यतः प्राथवमक, वद्वतीयक एिां तृतीयक श्रेवणयों में िगीकृ त वकया जाता है। व्यिसायों को प्रायः
प्राथवमक (कृ वष, खनन, मछलीपालन आवि) वद्वतीयक (उत्पािन करने िाले उद्योग, भिन एिां वनमाकण कायक) एिां
तृतीयक (पररिहन, सांचार, िावणज्य, प्रशासन तथा सेिाएँ) श्रेवणयों में िगीकृ त वकया जाता है। विकवसत एिां
विकासशील िेशों में वद्वतीयक एिां तृतीयक व्यिसायों में कायक करने िाले लोगों का अनपु ात अवर्क होता है।
विकासशील िेशों में प्राथवमक वक्रयाकलापों में कायकरत लोगों का अनपु ात अवर्क होता है। भारत में कुल जनसांख्या
का 64 प्रवतशत भाग के िल कृ वष कायक करता है। वद्वतीयि, एिां तृतीयक क्षेिों में कायकरत लोगों की सांख्या का अनपु ात
क्रमशः 13 तथा 20 प्रवतशत है। ितकमान समय में बढ़ते हुए औद्योगीकरण एिां शहरीकरण में िृवर्द् होने के कारण
वद्वतीयक एिां तृतीयक क्षेिों में व्यािसावयक पररितकन हुआ है।
प्रश्न 5. स्िस्थ जनसांख्या कै से लाभकारी है?
उत्तरः स्िास्थ्य जनसांख्या की सांरचना का एक महत्त्िपणू क घटक है जो वक विकास की प्रवक्रया को प्रभावित करता है।
स्िस्थ जनसख्ां या राष्र के वलए एक पररसपां वत्त होती है। एक अस्िस्थ व्यवक्त की अपेक्षाकृ त स्िस्थ व्यवक्त अवर्क
उत्पािनशील तथा िक्ष होता है। िह अपने सामथ्यक को वक्रयावन्ित कर सकता/सकती है तथा समाज एिां िेश के
विकास में अपना योगिान िे सकता/सकती है। सरकारी कायकक्रमों के वनरांतर प्रयास के द्वारा भारत की जनसांख्या के
स्िास्थ्य स्तर में महत्त्िपणू क सर्ु ार हुआ है। पररणामस्िरूप, मृत्यु िर जो 1951 में (प्रवत हजार) 25 थी, 2001 में घटकर
(प्रवत हजार) 8.1 रह गई है। जीिन प्रत्याशा जो वक 1951 में 36.7 िषक थी, बढ़कर 2001 में 64.6 िषक हो गई है।
प्रश्न 6. राष्रीय जनसांख्या नीवत की मख्ु य विशेषताएँ कया हैं?
उत्तर : भारत सरकार ने व्यवक्तगत स्िास्थ्य को सर्ु ारने तथा कल्याण एिां स्िैवच्छक आर्ार पर वजममेिार तथा
सवु नयोवजत वपतृत्ि को बढ़ािा िेने के वलए 1952 में विस्तृत पररिार वनयोजन कायकक्रम वकया। राष्रीय जनसख्ां या नीवत
2000 ने वकशोर / वकशोररयों की पहचान जनसांख्या के उस प्रमख ु भाग के रूप में की, वजस पर बहुत ध्यान िेने की
आिश्यकता है।
राष्रीय जनसांख्या नीवत 2000 के उद्देश्यः
(क) 14 िषक से कम आयु के बच्चों को वनःशल्ु क ि अवनिायक वशक्षा प्रिान करना।
(ख) वशशु मृत्यु िर को प्रवत 100 में 30 से कम करना।
er
r He

(ग) व्यापक स्तर पर टीकारोर्ी बीमाररयों से बच्चों को छुटकारा विलाना।


ma
Ku
jay

(घ) लडवकयों की शािी की उम्र को बढ़ाने के वलए प्रोत्सावहत करना।


Vi

(ङ) पररिार वनयोजन को एक जन कें वद्रत कायकक्रम बनाना।


(च) वकशोरों को पोषण सेिाएँ तथा खाद्य सांपरू क सेिाएँ उपलब्र् कराना।
(छ) गभक वनरोर्क सेिाओ ां को पहुचँ और खरीि के भीतर बनाना।
(झ) बाल-वििाह को रोकने के काननू ों को सदृु ढ़ करना।

S-ar putea să vă placă și