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प्रश्नोत्तर , र्ूलयाांकन एिां श्यार्पट्ट काया :-
प्रश्न 1. नीचे विए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चनु ें।
(i) ककक रे खा वकस राज्य से नहीं गजु रती?
(क) राजस्थान
(ख) उडीसा
(ग) छत्तीसगढ़
(घ) विपरु ा
(ii) भारत को सबसे पिू ी िेशाांतर कौन सा है ?
(क) चीन
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(ख) भटू ान
(ग) नेपाल
(घ) मयाांमार
(iv) ग्रीष्मािकाश में आप यवि किरत्ती जाना चाहते हैं तो वकस कें द्र शावसत क्षेि में जाएँगे?
(क) पडु ु च्चेरी।
(ख) लक्षद्वीप
(ग) अांडमान और वनकोबार
(घ) िीि और िमन
(v) मेरे वमि एक ऐसे िेश के वनिासी हैं वजस िेश की सीमा भारत के साथ नहीं लगती है। आप बताइए, िह कौन-सा
िेश है?
(क) भटू ान
(ख) तावजवकस्तान
(ग) बाांग्लािेश
(घ) नेपाल
उत्तर :
(i) (ख)
(ii) (क)
(iii) (ग)
(iv) (ख)
(v) (ख)
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• अरब सागर तथा बांगाल की खाडी में वस्थत द्वीप समहू के नाम बताइए। िवक्षण में कौन-कौन से द्वीपीय िेश हमारे
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पडोसी हैं?
• उन िेशों के नाम बताइए जो क्षेिफल में भारत से बडे हैं?
• हमारे उत्तर-पविमी, उत्तरी तथा उत्तर-पिू ी पडोसी िेशों के नाम बताइए।
• भारत में वकन-वकन राज्यों से ककक रे खा गजु रती है, उनके नाम बताइए।
उत्तर :
• अरब सागर में लक्षद्वीप तथा बांगाल की खाडी में अांडमान और वनकोबार द्वीप समहू वस्थत हैं। िवक्षण में श्रीलांका तथा
मालिीि द्वीपीय िेश हमारे पडोसी हैं।
• रूस, कनाडा, अमेररका, चीन, ब्राजील और आस्रेवलया क्षेिफल में भारत से बडे हैं।
• हमारे उत्तर-पविमी पडोसी िेश : पावकस्तान, अफगावनस्तान
हमारे उत्तरी पडोसी िेश : चीन (वतब्बत), नेपाल एिां भटू ान।
हमारे उत्तर-पिू ी पडोसी : मयामां ार और बाग्लािेश।
• ककक रे खा गजु रात, मध्य प्रिेश, छत्तीसगढ़, झारखांड, पविम बांगाल, विपरु ा एिां वमजोरम राज्यों से होकर गजु रती है।
प्रश्न 3. सयू ोिय अरुणाचल प्रिेश के पिू ी भाग में गजु रात के पविमी भाग की अपेक्षा 2 घांटे पहले कयों होता है, जबवक
िोनों राज्यों में घडी एक ही समय िशाकती है? स्पष्ट कीवजए।
उत्तर : गजु रात और अरूणाचल प्रिेश में समय का 2 घण्टे का अांतर है। गजु रात की अपेक्षा अरूणाचल प्रिेश में सयू क 2
घण्टे पहले उिय होता है वकन्तु वफर भी िोनों राज्यों में घवडयाँ एक ही समय विखाती हैं। पृथ्िी एक अक्षाश
ां घमू ने में 4
वमनट का समय लेती है। इसवलए, 15 अक्षाांश घूमने में पृथ्िी को 1 घण्टा लगता है। भारत का अक्षाांशीय विस्तार 30°
है। और इसवलए िेश के सबसे पिू ी तथा सबसे पविमी भाग के बीच समय का 2 घण्टे का अांतर है। वकन्तु भारत के
सभी भागों में घवडयाँ एक ही समय विखाती हैं कयोंवक भारतीय मानक समय 82, अक्षाांश के अनसु ार वनर्ाकररत वकया
गया है। इसवलए गजु रात और अरूणाचल प्रिेश िोनों ही राज्यों में घवडयाँ एक ही समय विखाती हैं।
प्रश्न 4. वहिां महासागर में भारत की कें द्रीय वस्थवत से इसे वकस प्रकार लाभ प्राप्त हुआ है?
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उत्तर : भारतीय भूखांड पिू ी एिां पविमी एवशया के के न्द्र में वस्थत है। जो भाग एवशया महाद्वीप से जडु ा है। (भू-मागक एिां
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पिकतीय िरों की सहायता से) िही भाग इसे उत्तर, पविम एिां पिू क विशा में इसके पडोसी िेशों से जोडता है।
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िवक्षण प्रायद्वीपीय भाग वहन्ि महासागर के अांिर िरू तक चला गया है वजससे भारत को पविमी तट से पविम एवशयाई,
अफ्रीका और यरू ोप तथा िवक्षणपिू ी एिां पिू ी तट से पिू क एवशया के िेशों के साथ नजिीकी सांबांर् बनाने में मिि
वमलती है। भारत की सामररक वस्थवत ने प्राचीन समय से ही जल एिां थल मागक से विचारों एिां सामान के आिान-प्रिान
में सहायता प्रिान की है। यही कारण है वक वहन्ि महासागर में भारत की वस्थवत अत्यांत महत्त्िपणू क है। उत्तर में पिकतों के
आर-पार जाने िाले विवभन्न िरों से प्राचीन यावियों को आने-जाने का मागक वमलता था। उपवनषिों, रामायण, पच ां तिां
की कहावनयों, भारतीय अांकों और िेश्मलि प्रणाली सांबांवर्त विचार इसी माध्यम से विश्व के अन्य भागों में पहुचँ ा
था।मसाले, मलमल और व्यापार का अन्य सामान भारत से अन्य िेशों में ले जाया जाता था। िसू री ओर यनू ानी
मवू तककला, पविम एवशया से विवभन्न प्रकार के गबांु ि एिां मीनार बनाने की भिनवनमाकण कला िेश के विवभन्न भागों में
िेखी जा सकती है। वहन्ि महासागर में वकसी भी अन्य िेश का समद्रु तट भारत वजतना बडा नहीं हैं और िास्ति में
वहन्ि महासागर में भारत की महत्त्िपणू क वस्थवत के कारण ही इस महासागर का नामकरण भारत के नाम पर वकए जाने
को सही ठहराता है।
मानवचि कौशल
प्रश्न 1: विए गए की मानवचि की सहायता से पहचान कीवजए :
• अरब सागर और बगां ाल की खाडी में वस्थत द्वीप समहू
• भारतीय उपमहाद्वीप वकन िेशों से वमलकर बनता है?
• ककक रे खा कौन-कौन से राज्यों से गजु रती हैं?
• भारतीय मुख्य भूभाग का िवक्षणी शीषक वबांि।ु
• भारत का सबसे उत्तरी अक्षाांश।
• भारत का सबसे पिू ी और पविमी िेशातां र।
• सबसे लांबी तट रे खा िाला राज्य।
• भारत और श्रीलांका को अलग करने िाली जलसांवर्।
• भारत के कें द्र शावसत क्षेि।
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उत्तर :
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• पावकस्तान, अफगावनस्तान, चीन (वतब्बत), नेपाल एिां भटू ान, मयाांमार और बाग्लािेश
• गजु रात, मध्य प्रिेश, छत्तीसगढ़, झारखांड, पविम बांगाल, विपरु ा एिां वमजोरम
• 37°6′
• 8°4′
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(क) अनाईमडु ी
(ख) महेंद्रवगरर
(ग) कांचनजांगा।
(घ) खासी
उत्तर :
(i) (ग)
(ii) (ग)
(iii) (ग)
(iv) (ग)
प्रश्न 2. वनमनवलवखत प्रश्नों के सक्ष
ां ेप में उत्तर िीवजए
में बाांटती हैं। इन भागों को टेकटोवनक या स्थलमांडल प्लेट कहा जाता है।
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(ii) गोंडिाना भवू म में ितकमान भारत, आस्रेवलया, िवक्षण अफ्रीका एिां िवक्षण अमेररका एक ही भख
ू ांड में शावमल थे।
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• महान या आांतररक वहमालय अथिा वहमाद्री : सबसे उत्तरी भाग वजसे महान या आांतररक वहमालय अथिा ‘वहमाद्री’
कहा जाता है।
• वहमाचल या वनमन वहमालय : वहमाद्री के िवक्षण में वस्थत श्रृख
ां ला वहमाचल या वनमन वहमालय के नाम से जानी जाती
है। यह श्रृांखला मख्ु यतः अत्यवर्क सांपीवडत कायाांतररत चट्टानों से बनी हैं। पीर पांजाल श्रृांखला सबसे बडी एिां
सिाकवर्क महत्त्िपणू क श्रृख
ां ला का वनमाकण करती है। कुछ अन्य महत्त्िपणू क श्रृख
ां लाएँ र्ौलार्ार और महाभारत शृांखलाएँ
हैं।
• वशिावलक : वहमालय की सबसे बाहरी श्रृांखला को वशिावलक कहा जाता है। यह वगरीपि श्रृांखला है तथा वहमालय
के सबसे िवक्षणी भाग का प्रवतवनवर्त्ि करती है।
(v) मालिा का पठार।
(vi) लक्षद्वीप समहू ।
प्रश्न 3. वनमनवलवखत में अांतर स्पष्ट कीवजए
उत्तर :
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उत्तर :
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• वहमालयी पिकत
• उत्तर के मैिान
• प्रायद्वीपीय पठार
• भारतीय मरुस्थल
• तटीय मैिान
• द्वीप समहू
वहमालयी क्षेि तथा प्रायद्वीपीय पठार के उच्चािच लक्षणों में अांतर नीचे विया गया है।
यह परू े राजस्थान में फै ला हुआ है। इसकी जलिायु शष्ु क है और यहाँ िनस्पवत भी बहुत कम है। िषाक ऋतु में कुछ
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समय तक कई सररताएँ नजर आती हैं जो िषाक रुकने के साथ ही विलप्तु हो जाती हैं। ‘लनू ी’ इस क्षेि की एकमाि बडी
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निी है। अर्कचांद्राकार रे त के वटब्बे वजन्हें बरकान कहा जाता है, भारतीय मरुस्थल की प्रमुख विशेषता है। ऊँ ट मरुस्थल
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प्रश्न 1. नीचे विए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चनु ें।
(i) वनमनवलवखत में से कौन सा िृक्ष की शाखाओ ां के समान अपिाह प्रवतरूप प्रणाली को िशाकता है ?
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(क) अरीय
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(क) नमकिा
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(ख) गोिािरी
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(ग) कृ ष्णा
(घ) महानिी
(vi) वनमनवलखत नवियों में से कौन-सी निी भ्रांश घाटी में होकर बहती है ?
(क) महानिी
(ख) कृ ष्णा
(ग) तांगु भद्रा
(घ) तापी
उत्तर :
(i) (ख)
(ii) (घ)
(iii) (ग)
(iv) (क)
(v) (ग)
(vi) (घ)
प्रश्न 2. वनमनवलवखत प्रश्नों के उत्तर सवां क्षप्त में िीवजए –
• गगां ा की िो मख्ु य र्ाराओ ां के नाम वलवखए? ये कहाँ पर एक-िसू रे से वमलकर गगां ा निी का वनमाकण करती हैं?
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• लबां ी र्ारा होने के बािजिू वतब्बत के क्षेिों में ब्रह्मपिु में कम गाि कयों है?
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• कौन-सी िो प्रायद्वीपीय नवियाँ गतक से होकर बहती हैं? समद्रु में प्रिेश करने के पहले िे वकस प्रकार की आकृ वतयों
का वनमाकण करती हैं?
• नवियों तथा झीलों के कुछ आवथकक महत्त्ि को बताएँ ।
उत्तर :
(i) कोई उच्चभवू म जैसे पिकत जो िो पडोसी अपिाह द्रोवणयों को अलग करता है उसे जल विभाजक कहा जाता है।
उिाहरणतः वसांर्ु और गांगा निी तांि के बीच का जल विभाजक। अांबाला इसके जल विभाजक पर वस्थत है।
(ii) गांगा निी की द्रोणी जो वक 2,500 वक0मी0 से अवर्क लांबी है; भारत में सबसे बडी है।
(iii) वसांर्ु निी वतब्बत में मानसरोिर झील के पास से वनकलती है। गांगा निी गांगोिी नामक वहमानी से वनकलती है जो
वहमालय की िवक्षणी ढलान पर वस्थत है।
(iv) गगां ा निी की िो मख्ु य र्ाराएँ भागीरथी और अलकनिां ा हैं। ये उत्तराखांड के िेिप्रयाग नामक स्थान पर एक-िसू रे
से वमलकर गांगा निी का वनमाकण करती हैं।
(v) वतब्बत में ब्रह्मपिु निी को साांपो कहा जाता है तथा वतब्बत में इसे बहुत कम पानी प्राप्त होता है इसवलए इसमें
वतब्बत के क्षेिों में कम गाि पाई जाती है। इसके विपरीत जब यह निी भारत में प्रिेश करती है तो यह ऐसे क्षेिों से
गजु रती है जहाँ बहुत अवर्क िषाक होती है। यहाँ निी बहुत अवर्क पानी लेकर जाती है और इसी कारण इसमें गाि की
मािा भी बढ़ जाती है। कयोंवक वतब्बत का मौसम ठण्डा ि शष्ु क है, इसवलए वतब्बत में इसे बहुत कम पानी प्राप्त होता है
और इस क्षेि में गाि भी कम पाई जाती है।
(vi) नमकिा एिां तापी नवियाँ िो ऐसी नवियाँ हैं जो गतक से होकर बहती हैं तथा ज्िारनिमख
ु का वनमाकण करती हैं।
(vii) नवियाँ एिां झीलें निी के बहाि को वनयवां ित करती हैं। ये अवत-िृवष्ट के समय बाढ़ को रोकती हैं। अनािृवष्ट के
समय ये पानी के बहाि को बनाए रखती हैं। इनका उपयोग जलविद्यतु उत्पािन के वलए वकया जाता है। ये आस-पास
की जलिायु को मृिु बनाती हैं तथा जलीय पररतांि का सांतल ु न बनाए रखती हैं। ये प्राकृ वतक सौंियक में िृवर्द् करती हैं
तथा पयकटन का विकास करने में सहायता प्रिान करती हैं और मनोरांजन करती हैं।
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प्रश्न 3. नीचे भारत की कुछ झीलों के नाम विए गए हैं। इन्हें प्राकृ वतक एिां मानि वनवमकत िगों में बाांवटए।
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(क) िल
ू र
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(ख) डल
(ग) नैनीताल
(घ) भीमताल
(ड.) गोविन्ि सागर
(च) लोकताक
(छ) बारापानी
(ज) वचल्का
(झ) साभां र
(ञ) राणा प्रताप सागर
(ट) वनजाम सागर
(ठ) पल
ु ीकट
(ड) नागाजकनु सागर
(ढ) हीराकुण्ड
उत्तर :
प्रश्न 4. वहमालयी एिां प्रायद्वीपीय नवियों के मख्ु य अतां रों को स्पष्ट कीवजए।
उत्तर :
• नवियों से हमें प्राकृ वतक ताजा मीठा पानी वमलता है जो मनष्ु य सवहत अवर्कतर जीि-जांतओ
ु ां के जीिन के वलए
आिश्यक है।
• ये नई मृिा वबछाकर उसे खेती योग्य बनाती हैं वजससे वबना अवर्क मेहनत के इस पर खेती की जा सके ।
• नवियों के तटों ने प्राचीनकाल से ही आवििावसयों को आकवषकत वकया है। ये बवस्तयाँ कालाांतर में बडे शहर बन गए।
• ये जल के बहाि को वनयांवित करने में सहायता करती हैं।
• ये भारी िषाक के समय बाढ़ को रोकती हैं।
• ये शष्ु क मौसम के िौरान पानी का एक समान बहाि बनाए रखती हैं।
• इनकी सहायता से जल-विद्युत पैिा की जाती है।
• ये आस-पास के िातािरण को मृिु बना िेती हैं।
• ये जलीय पररतांि को बनाए रखती हैं।
• ये प्राकृ वतक सौन्ियक में िृवर्द् करती हैं।
• ये पयकटन का विकास करने में सहायता प्रिान करती हैं और मनोरांजन करती हैं।
मानवचि कौशल
• भारत के रे खा मानवचि पर वनमनवलवखत नवियों को नामाांवकत कीवजए गांगा, सतलुज, िामोिर, कृ ष्णा, नमकिा, तापी,
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उत्तर :
वक्रयाकलाप
• वसांर्ु की सहायक निी वजसका उद्गम स्थल वहमाचल प्रिेश में है।
• भ्रांश अपिाह से होकर अरब सागर में वमलने िाली निी।
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उत्तर :
बाएँ से िाएँ:
• कृ ष्णा (KRISHNA)
• गगां ा (GANGA)
• ब्यास (BEAS)
• तापी (TAPI)
• िामोिर (DAMODAR)
• सतलजु (SATLUJ)
• रािी (RAVI)
• गोिािरी (GODAVARI)
ऊपर से नीचेः
• चेनाब (CHENAB)
• नमकिा (NARMADA)
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• कािेरी (KAVERI)
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• वसर्ां ु (INDUS)
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• लनू ी (LUNI)
• झेलम (JHELUM)
• यमनु ा (YAMUNA)
पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा : नौिीं निषय : भगू ोल
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प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपस्ु तक से
प्रश्न 1. बहुविकल्पीय प्रश्नः
नीचे विए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर का चयन करें :
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(i) नीचे विए गए स्थानों में वकस स्थान पर विश्व में सबसे अवर्क िषाक होती है?
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(क) वसलचर
(ख) चेरापांजू ी
(ग) मावसनराम
(घ) गिु ाहटी
(ii) ग्रीष्म ऋतु में उत्तरी मैिानों में बहने िाली पिन को वनमनवलवखत में से कया कहा जाता है?
(क) काल िैशाखी
(ख) व्यापाररक पिनें
(ग) लू
(घ) इनमें से कोई नहीं।
(iii) वनमनवलवखत में से कौन-सा कारण भारत के उत्तर-पविम भाग में शीत ऋतु में होने िाली िषाक के वलए उत्तरिायी
है?
(क) चक्रिातीय अििाब
(ख) पविमी विक्षोभ
(ग) मानसनू की िापसी
(घ) िवक्षण-पविम मानसनू
(iv) भारत में मानसनू का आगमन वनमनवलवखत में से कब होता है?
(क) मई के प्रारांभ में
(ख) जनू के प्रारांभ में
(ग) जुलाई के प्राांरभ में
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(v) वनमनवलवखत में से कौन-सी भारत में शीत ऋतु की विशेषता है?
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उत्तर:
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करती है। मानसनू िषाक कृ वष वक्रयाकलापों के वलए पानी उपलब्र् कराती है। िायु प्रिाह में ऋतओ ु ां के अनसु ार पररितकन
He
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एिां इससे जडु ी मौसम सांबांर्ी पररवस्थवतयाँ ऋतओ ु ां का एक लयबर्द् चक्र उपलब्र् कराती हैं जो परू े िेश को एकता के
Ku
सिू में बाांर्ती है। ये मानसनू ी पिनें हमें जल प्रिान कर कृ वष की प्रवक्रया में तेजी लाती हैं एिां सांपणू क िेश को एक सिू में
jay
Vi
बाँर्ती हैं। निी। घावटयाँ जो इन जलों का सांिहन करती हैं, उन्हें भी एक निी घाटी इकाई का नाम विया जाता है। भारत
के लोगों का सांपणू क जीिन मानसनू के इिक-वगिक घूमता है। इसवलए मानसनू को एक सिू में बाांर्ने िाला समझा जाता है।
प्रश्न 3. उत्तर भारत में पिू क से पविम की ओर िषाक की मािा कयों घटती जाती हैं?
उत्तरः हिाओ ां में वनरांतर कम होती आद्रकता के कारण उत्तर भारत में पिू क से पविम की ओर िषाक की मािा कम होती
जाती है। बांगाल की खाडी शाखा से उठने िाली आद्रक पिनें जैसे-जैसे आगे, और आगे। बढ़ती हुई िेश के आांतररक
भागों में जाती हैं, िे अपने साथ लाई गई अवर्कतर आद्रकता खोने लगती हैं। पररणामस्िरूप पिू क से पविम की ओर िषाक
र्ीरे -र्ीरे घटने लगती है। राजस्थान एिां गजु रात के कुछ भागों में बहुत कम िषाक होती है।
प्रश्न 4. कारण बताएँ ।
• भारतीय उपमहाद्वीप में िायु की विशा में मौसमी पररितकन कयों होता हैं?
• भारत में अवर्कतर िषाक कुछ ही महीनों में होती है।
• तवमलनाडु तट पर शीत ऋतु में िषाक होती है।
• पिू ी तट के डेल्टा िाले क्षेि में प्रायः चक्रिात आते हैं।
• राजस्थान, गजु रात के कुछ भाग तथा पविमी घाट का िृवष्ट छाया क्षेि सख
ू ा प्रभावित क्षेि है।
उत्तरः
(i) िायु की विशा में मौसमी पररितकन कोररआवलस बल के कारण होती है। भारत उत्तर-पिू ी पिनों के क्षेि में आता है।
ये पिनें उत्तरी गोलार्द्क की उपोष्ण कवटबांर्ीय उच्चिाब पेटी से उत्पन्न होती हैं। ये िवक्षण की ओर बहती, कोररआवलस
बल के कारण िावहनी ओर विक्षेवपत होकर विषिु तीय वनमन िाब िाले क्षेिों की ओर बढ़ती हैं। कोररआवलस बल को
‘फे रल का वनयम’ भी कहा जाता है तथा यह पृथ्िी के घणू कन के कारण उत्पन्न होता है। यह उत्तर-पिू ी व्यापाररक पिनों
को िवक्षण गोलार्द्क में बाएां ओर विक्षेवपत कर िेती हैं।
(ii) विषिु त रे खा को पार करने के उपरातां , िवक्षण पिू ी व्यापाररक पिनें िवक्षण-पविम की ओर बहने लगती हैं और
िवक्षणपविमी मानसनू के रूप में प्रायद्वीपीय भारत में प्रिेश करती हैं। ये पिनें गमक महासागरों के ऊपर से बहते हुए
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आद्रकता ग्रहण करती हैं और भारत की मख्ु यभवू म पर विस्तृत िषकण लाती हैं। इस प्रिेश में, ऊपरी िायु पररसांचरण
ma
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पविमी प्रिाह के प्रभाि में रहता है। भारत में होने िाली िषाक मख्ु यतः िवक्षणपविमी मानसनू पिनों के कारण होती हैं।
jay
Vi
मानसनू की अिवर् 100 से 120 विनों के बीच होती है। इसवलए िेश में होने िाली अवर्कतर िषाक कुछ ही महीनों में
कें वद्रत हैं।
(iii) सिक ऋतु में, िेश में उत्तर-पिू ी व्यापाररक पिनें प्रिावहत होती हैं। ये स्थल से समुद्र की ओर | बहती हैं इसवलए िेश
के अवर्कतर भाग में शष्ु क मौसम होता है। यद्यवप इन पिनों के कारण तवमलनाडु के तट पर िषाक होती है, कयोंवक िहाँ
ये पिनें समद्रु से स्थल की ओर बहती हैं और अपने साथ आद्रकता लाती हैं।
(iv) पिू ी तट के डेल्टा िाले क्षेि में प्रायः चक्रिात आते हैं। ऐसा इस कारण होता है कयोंवक अांडमान सागर पर पैिा
होने िाला चक्रिातीय िबाि मानसनू एिां अक्तूबर-निांबर के िौरान उपोष्ण कवटबांर्ीय जेट र्ाराओ ां द्वारा िेश के
आांतररक भागों की ओर स्थानाांतररत कर विया जाता है। ये चक्रिात विस्तृत क्षेि में भारी िषाक करते हैं। ये उष्ण
कवटबांर्ीय चक्रिात प्रायः विनाशकारी होते हैं। गोिािरी, कृ ष्णा एिां कािेरी नवियों के डेल्टा प्रिेशों में अकसर चक्रिात
आते हैं, वजसके कारण बडे पैमाने पर जान एिां माल की क्षवत होती है। कभी-कभी ये चक्रिात उडीसा, पविम बगां ाल
एिां बाांग्लािेश के तटीय क्षेिों में भी पहुचँ जाते हैं। कोरोमांडल तट पर अवर्कतर िषाक इन्हीं चक्रिातों तथा अििाबों से
होती हैं।
(v) राजस्थान, गजु रात के कुछ भाग तथा पविमी घाटों के िृवष्ट छाया प्रिेश सख ू ा सांभावित होते हैं कयोंवक इनमें
मानसनू के िौरान बहुत कम िषाक होती है। पिनें पिकतों पर आद्रकता वलए हुए आती हैं वकन्तु तापमान में कमी अवर्कतर
आद्रकता घाटों की पिनमख ु ी ढालों पर िषकण के रूप में खो िेती हैं और जब तक िे पिनविमख ु ी ढाल पर पहुचँ ती हैं तब
तक िे शष्ु क हो चक
ु ी होती हैं।
प्रश्न 5. भारत की जलिायु अिस्थाओ ां की क्षेिीय विवभन्नताओ ां को उिाहरण सवहत समझाएँ ।
उत्तरः उत्तर विशा में वहमालय पिकत के वनणाकयक प्रभाि तथा िवक्षण में महासागर होने के बािजिू भी तापमान,
आद्रकता एिां िषकण में वभन्नताएँ मौजिू हैं।
(क) उिाहरणतः, गवमकयों में राजस्थान के कुछ क्षेिों में, उत्तर-पविमी भारत में तापमान 50 वडग्री सेवल्सयस होता है
जबवक उसी समय िेश के उत्तर में जममू-कश्मीर के पहलगाम में तापमान 20 वडग्री सेवल्सयस हो सकता है। सविकयों की
वकसी रात में जमम-ू कश्मीर के द्रास में तापमान -45 वडग्री सेवल्सयस तक हो सकता है, जबवक वतरुिनांतपरु म् में यह 22
वडग्री सेवल्सयस हो सकता है।
(ख) अण्डमान ि वनकोबार एिां के रल में विन ि रात के तापमान में बहुत कम वभन्नता होती है।
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(ग) एक अन्य विवभन्नता िषकण में हैं। जबवक वहमालय के ऊपरी भागों में िषकण अवर्कतर वहम के रूप में होता है, िेश
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के शेष भागों में िषाक होती है। मेघालय में 400 से.मी. से लेकर लद्दाख एिां पविमी राजस्थान में िावषकक िषकण 10
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अिस्था में इस वनयतकावलक पररितकन को िवक्षणी िोलन के नाम से जाना जाता है। एलनीनो, िवक्षणी िोलन से जडु ा
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हुआ एक लक्षण है। यह एक गमक समुद्री जल र्ारा है, जो पेरू की ठांडी र्ारा के स्थान पर प्रत्येक 2 या 5 िषक के
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अांतराल में पेरू तट से होकर बहती है। िाब की अिस्था में पररितकन का सांबांर् एलनीनो से है।
Vi
हिाओ ां में वनरांतर कम होती आद्रकता के कारण उत्तर भारत में पिू क से पविम की ओर िषाक की मािा कम होती जाती है।
बांगाल की खाडी शाखा से उठने िाली आद्रक पिनें जैसे-जैसे आगे, और आगे बढती हुई िेश के आांतररक भागों में
जाती हैं, िे अपने साथ लाई गई अवर्कतर आद्रकता खोने लगती हैं। पररणामस्िरूप पिू क से पविम की ओर िषाक र्ीरे -
र्ीरे घटने लगती है। राजस्थान एिां गजु रात के कुछ भागों में बहुत कम िषाक होती है।
(ग) पविमी चक्रिाती विक्षोभः वहमालय के िवक्षण से बहने िाली उपोष्ण-कवटबर्ां ीय पविमी जेट र्ाराएँ सिी के
महीनों में िेश के उत्तर एिां उत्तर पविमी भागों में उत्पन्न होने िाले पविमी चक्रिातीय विक्षोभों के वलए वजममेिार हैं।
प्रश्न 7. शीत ऋतु की अिस्था एिां उसकी विशेषताएँ बताएँ ।
उत्तरः उत्तरी भारत में शीत ऋतु मध्य निबां र से आरांभ होकर फरिरी तक रहती है। इस मौसम में आसमान प्रायः साफ
रहता है, तापमान कम रहता है और मन्ि हिाएां चलती हैं। तापमान िवक्षण से उत्तर की ओर बढ़ने पर घटता जाता है।
विसांबर एिां जनिरी सबसे ठांडे महीने होते हैं। उत्तर में तषु ारापात सामान्य है तथा वहमालय के उपरी ढालों पर वहमपात
होता है। इस ऋतु में, िेश में उत्तर-पिू ी व्यापाररक पिनें प्रिावहत होती हैं। ये स्थल से समद्रु की ओर बहती हैं तथा
इसवलए िेश के अवर्कतर भाग में शष्ु क मौसम होता है। इन पिनों के कारण कुछ मािा में िषाक तवमलनाडु के तट पर
होती है, कयोंवक िहाँ ये पिनें समद्रु से स्थल की ओर बहती हैं वजससे ये अपने साथ आद्रकता लाती हैं। िेश के उत्तरी
भाग में, एक कमजोर उच्च िाब का क्षेि बन जाता है, वजसमें हल्की पिनें इस क्षेि से । बाहर की ओर प्रिावहत होती
हैं। उच्चािच से प्रभावित होकर ये पिन पविम तथा उत्तर-पविम से गगां ा घाटी में बहती हैं। शीत ऋतु में उत्तरी मैिानों में
पविम एिां उत्तर-पविम से चक्रिाती विक्षोभ का अांतिाकह विशेष लक्षण है। यह कम िाब िाली प्रणाली भमू ध्यसागर
एिां पविमी एवशया के ऊपर उत्पन्न होती है तथा पविमी पिनों के साथ भारत में प्रिेश करती है। इसके कारण
शीतकाल में मैिानों में िषाक होती है तथा पिकतों पर वहमपात, वजसकी उस समय बहुत अवर्क आिश्यकता होती है।
यद्यवप शीतकाल में िषाक की कुल मािा कम होती है, लेवकन ये रबी फसलों के वलए बहुत ही महत्त्िपणू क होती है।
प्रश्न 8. भारत में होने िाली मानसनू ी िषाक एिां उसकी विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर: भारत में होने िाली मानसनू ी िषाक की विशेषताएँ:
(क) मानसनू की अिवर् जनू के प्रारांभ से वसतांबर के मध्य तक 100 से 120 विन के बीच होती है।
(ख) इसके आगमन के आस-पास सामान्य िषकण में अचानक िृवर्द् हो जाती है। यह कई विनों तक लगातार होती रहती
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है। आद्रकतायक्त
ु पिनों के जोरिार गजकन ि वबजली चमकने के साथ अचानक आगमन को मानसनू ‘प्रस्फोट’ के नाम से
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(ग) मानसनू में आई एिां शष्ु क अिवर्याँ होती हैं वजन्हें िषकण में विराम कहा जाता है।
Vi
• (क) भारतीय कृ वष मुख्य रूप से मानसनू से प्राप्त पानी पर वनभकर है। िेरी से, कम या अवर्क मािा में िषाक का फसलों
पर नकारात्मक प्रभाि डालती है।
• (ख) िषाक के असमान वितरण के कारण िेश में कुछ सख
ू ा सांभावित क्षेि हैं जबवक कुछ बाढ़ से ग्रस्त रहते हैं।
• (ग) मानसनू भारत को एक विवशष्ट जलिायु पैटनक उपलब्र् कराती है। इसवलए विशाल क्षेिीय वभन्नताओ ां की
उपवस्थवत के बािजिू मानसनू िेश और इसके लोगों को एकता के सिू में वपरोने िाला प्रभाि डालती है।
मानवचि कौशल
भारत के रे खा मानवचि पर वनमनवलवखत को िशाकएँ
(क) 400 सें.मी. से अवर्क िषाक िाले क्षेि
(ख) 20 सें.मी. से कम िषाक िाले क्षेि
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पाठ योजना ननर्ााणकर्ाा : विजय कुमार हीर (टी0जी0टी0 कला ) कक्षा : नौिीं निषय : भगू ोल
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(क) टुांड्रा
(ख) वहमालय
(ग) मैंग्रोि
(घ) उष्ण कवटबर्ां ीय िषाक िन
(ii) वसनकोना के िृक्ष वकतनी िषाक िाले क्षेि में पाए जाते हैं?
(क) 100 से.मी.
(ख) 70 से.मी.
(ग) 50 से.मी.
(घ) 50 से.मी. से कम िषाक
(iii) वसमलीपाल जीि मडां ल वनचय कौन से राज्य में वस्थत है?
(क) पजां ाब
(ख) विल्ली
(ग) उडीसा
(घ) पविमी बांगाल
(iv) भारत में कौन-से जीि मांडल वनचय विश्व के जीि मांडल वनचयों के वलए नए हैं?
(क) मानस
(ख) मिार की खाडी।
(ग) विहाांग-विबाांग
(घ) नांिािेिी
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उत्तर:
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(i) (घ)
Vi
(ii) (क)
(iii) (ग)
(iv) (क)
प्रश्न 2. सांवक्षप्त उत्तर िाले प्रश्नः
(क) पाररवस्थवतक तिां वकसे कहते हैं?
(ख) भारत में पािपों तथा जीिों का वितरण वकन तत्त्िों द्वारा वनर्ाकररत होता है?
(ग) जीि मांडल वनचय से कया अवभप्राय है। कोई िो उिाहरण िो।
(घ) कोई िो िन्य प्रावणयों के नाम बताइए जो वक उष्ण कवटबांर्ीय िषाक और पिकतीय िनस्पवत में वमलते हैं।
उत्तरः (क) वकसी भी क्षेि के पािप तथा प्राणी आपस में तथा अपने भौवतक पयाकिरण से अतां कसबां वां र्त होते हैं और एक
पाररवस्थवतक तांि का वनमाकण करते हैं। पाररवस्थवतक तांि भौवतक पयाकिरण तथा इसमें वनिास करने िाले जीि जांतुओ ां
की पारस्पररक वनभकरता का तांि है। मनष्ु य भी इस पाररवस्थवतक तांि का अविवच्छन्न भाग है। िह िनस्पवत तथा िन्य
जीिों का प्रयोग करता है।
(ख) भारत में पािपों तथा जीिों का वितरण वनर्ाकररत करने िाले तत्त्ि हैं:
(ग) जीि मांडल वनचय (Bio-reserve): एक सांरवक्षत जीि मांडल वजसका सांरक्षण इस प्रकार वकया जाता है वक न
के िल इसकी जैविक वभन्नता सांरवक्षत की जाती है अवपतु इसके सांसार्नों का प्रयोग भी स्थानीय समिु ायों के लाभ हेतु
वटकाऊ तरीके से वकया जाता है। उिाहरण, नीलवगरी, सिांु रबन।
(घ) उष्ण कवटबांर्ीय िषाक िनों में पाये जाने िाले पशओु ां में हाथी, बांिर, लैमरू , एक सींग िाले गैंडे और वहरण हैं।
पिकतीय िनों में प्रायः कश्मीरी महामृग, वचतरा वहरण, जगां ली भेड, खरगोश, वतब्बतीय बारहवसघां ा, याक, वहम तेंिआ ु ,
वगलहरी, रीछ, आइबैकस, कहीं-कहीं लाल पाांडा, घने बालों िाली भेड तथा बकररयाँ पाई जाती हैं।
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(ख)
प्रश्न 4. भारत में विवभन्न प्रकार की पाई जाने िाली िनस्पवत के नाम बताएँ और अवर्क ऊँ चाई पर पाई जाने िाली
िनस्पवत का ब्यौरा िीवजए।
उत्तरः भारत में पाई जाने िाली विवभन्न प्रकार की िनस्पवत इस प्रकार है:
(क) उष्ण कवटबांर्ीय िषाक िन
(ख) उष्ण कवटबर्ां ीय पणकपाती िन
(ग) उष्ण कवटबर्ां ीय कांटीले िन तथा झावडयाँ
(घ) पिकतीय िन
(ङ) मैंग्रोि िन
उच्च प्रिेशों की िनस्पवतः
(क) पिकतीय क्षेिों में तापमान की कमी तथा ऊँ चाई के साथ-साथ प्राकृ वतक िनस्पवत में भी अतां र विखाई िेता है।
िनस्पवत में वजस प्रकार का अांतर हम उष्ण कवटबांर्ीय प्रिेशों से टुांड्रा की ओर िेखते हैं उसी प्रकार का अांतर पिकतीय
भागों में ऊँ चाई के साथ-साथ िेखने को वमलता है।
(ख) 1000 मी. से 2000 मी. तक की ऊँ चाई िाले क्षेिों में आई शीतोष्ण कवटबांर्ीय िन पाए जाते हैं। इनमें चौडी पत्ती
िाले ओक तथा चेस्टनट जैसे िृक्षों की प्रर्ानता होती है।
(ग) 1500 से 3000 मी. की ऊँ चाई के बीच शांकुर्ारी िृक्ष जैसे चीड, िेििार, वसल्िर–फर, स्पसू , सीडर आवि पाए
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जाते हैं।
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(घ) ये िन प्रायः वहमालय की िवक्षणी ढलानों, िवक्षण और उत्तर-पिू क भारत के अवर्क ऊँ चाई िाले भागों में पाए जाते
jay
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हैं।
(ङ) अवर्क ऊँ चाई पर प्रायः शीतोष्ण कवटबांर्ीय घास के मैिान पाए जाते हैं। प्रायः 3600 मी. से अवर्क ऊँ चाई पर
शीतोष्ण कवटबांर्ीय िनों तथा घास के मैिानों का स्थान अल्पाइन िनस्पवत ले लेती है। वसल्िर–फर, जवू नपर, पाइन ि
बचक इन िनों के मख्ु य िृक्ष हैं।
प्रश्न 5. भारत में बहुत सांख्या में जीि और पािप प्रजावतयाँ सांकटग्रस्त हैं। उिाहरण सवहत कारण िीवजए।
उत्तरः मनष्ु य के लालच के कारण जीिों तथा पािपों को अवत िोहन हो रहा है। मनष्ु य पेडों को काटकर तथा पशओ ु ां को
मारकर पाररवस्थवतक तांि में असांतल
ु न पैिा कर रहा है। इसके कारण बहुत से जीि और पािप प्रजावतयाँ सांकटग्रस्त हैं।
प्रश्न 6. भारत िनस्पवत जगत तथा प्राणी जगत की र्रोहर में र्नी कयों है?
उत्तरः भारत में पृथ्िी की लगभग सभी भौवतक विशेषताएां मौजिू हैं। जैसे–पिकत, मैिान, मरुस्थल, पठार एिां द्वीप आवि।
ये पाांचों कारक भारत में िनस्पवत जगत एिां प्राणी जगत की िृवर्द् एिां विकास के वलए या जैविक विविर्ता के वलए
अनक ु ू ल हैं। हमारा िेश भारत विश्व के मख्ु य 12 जैि विविर्ता िाले िेशों में से एक है। लगभग 47000 विवभन्न
जावतयों के पौर्े पाए जाने के कारण यह िेश विश्व में िसिें स्थान पर और एवशया के िेशों में चौथे स्थान पर है। भारत में
लगभग 15000 फूलों के पौर्े हैं जो वक विश्व में फूलों के पौर्े का 6 प्रवतशत है। इस िेश में बहुत से वबना फूलों के
पौर्े हैं। जैसे फनक, शिाल (एलेगी) तथा किक (फांजाई) भी पाए जाते हैं। भारत में लगभग 89000 जावतयों के जानिर
तथा ताजे तथा समद्री पानी की विवभन्न प्रकार की मछवलयाँ पाई जाती हैं। िेश के विवभन्न क्षेिों में विवभन्न प्रकार की
मृिा, आद्रकता एिां तापमान में अत्यवर्क वभन्नता के साथ अलग-अलग प्रकार का िातािरण पाया जाता है। परू े िेश में
िषाक का वितरण भी असमान है। िनस्पवत जगत एिां प्राणी की जगत की विवभन्न प्रजावतयों को अलग-अलग प्रकार
की िातािरण सबां र्ां ी पररवस्थवतयाँ, विवभन्न प्रकार की मृिा चावहए होती है। इसवलए भारत िनस्पवत जगत तथा प्राणी
जगत की र्रोहर में र्नी है।
मानवचि कौशल
प्रश्न 1. भारत के मानवचि पर वनमनवलवखत विखाएँ और अांवकत करें
(क) उष्ण कवटबांर्ीय िषाक िन
(ख) उष्ण कवटबांर्ीय पणकपाती िन
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(ग) िो जीि मांडल वनचय भारत के उत्तरी, िवक्षणी, पिू ी और पविमी भागों में।
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पाठ्यपस्ु तक से
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प्रश्न 1. नीचे विए गए चार विकल्पों में सही विकल्प चवु नए:
(i) वनमनवलवखत में से वकसी क्षेि में प्रिास, आबािी की सख्ां या, वितरण एिां सरां चना में पररितकन लाता है।
(क) प्रस्थान करने िाले क्षेि में
(ख) आगमन िाले क्षेि में
(ग) प्रस्थान एिां आगमन िोनों क्षेिों में
(घ) इनमें से कोई नहीं।
(ii) जनसख्ां या में बच्चों का एक बहुत बडा अनपु ात वनमनवलवखत में से वकसका पररणाम है?
(क) उच्च जन्म िर
(ख) उच्च मृत्यु िर
(ग) उच्च जीिन िर
(घ) अवर्क वििावहता जोडे
(iii) वनमनवलवखत में से कौन-सा एक जनसांख्या िृवर्द् का पररमाण िशाकता है?
(क) एक क्षेि की कुल जनसांख्या
(ख) प्रत्येक िषक लोगों की सांख्या में होने िाली िृवर्द्
(ग) जनसांख्या िृवर्द् की िर
(घ) प्रवत हजार परुु षों पर मवहलाओ ां की सख्ां या
(iv) 2001 की जनसांख्या के अनसु ार एक साक्षर व्यवक्त िह है।
(क) जो अपने नाम को पढ़ एिां वलख सकता है।
(ख) जो वकसी भी भाषा में पढ़ एिां वलख सकता है।
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(ग) वजसकी उम्र 7 िषक है तथा िह वकसी भी भाषा को समझ के साथ पढ़ एिां वलख सकता है।
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उत्तरः
(i) (ग)
(ii) (क)
(iii) (ख)
(iv) (ग)
प्रश्न 2. वनमनवलवखत के उत्तर सांक्षेप में िें।
(क) जनसांख्या िृवर्द् के महत्त्िपणू क घटकों की व्याख्या करें ।
(ख) 1981 से भारत में जनसांख्या की िृवर्द् िर कयों घट रही है?
(ग) आयु सांरचना, जन्म िर एि मृत्यु िर को पररभावषत करें ।
(घ) प्रिास, जनसांख्या पररितकन का एक कारक।
उत्तर : (क) जनसांख्या िृवर्द् के महत्त्िपणू क घटक जन्म िर, मृत्यु िर एिां प्रिास हैं।
• जन्म िर (Birth Rate): एक िषक के िौरान 1000 लोगों पर जीवित पैिा हुए बच्चों की सांख्या। यह जनसांख्या के
आकार तथा घनत्ि िोनों में िृवर्द् करती है। यवि वकसी िषक के िौरान जन्मों की सांख्या मृतकों की सांख्या से अवर्क हो
तो उस िषक के िौरान कुल जनसख्ां या में िृवर्द् हो जाएगी।
• मृत्यु िर (Death rate): यह एक िषक के िौरान 1000 लोगों पर मृतकों की सख्ां या को प्रिवशकत करती है। यह
जनसांख्या के आकार तथा घनत्ि िोनों में कमी ला िेता है। यवि वकसी िषक के िौरान मृतकों की सांख्या जन्मों की
सांख्या से अवर्क हो तो उस िषक के िौरान कुल जनसांख्या में कमी हो जाएगी।
• प्रिास (Migration): लोगों का एक क्षेि से िसू रे क्षेि में चले जाने को प्रिास कहते हैं। जनसांख्या वितरण एिां उसके
घटकों को पररिवतकत करने में प्रिास की महत्त्िपणू क भवू मका होती है कयोंवक यह आगमन तथा प्रस्थान िोनों ही स्थानों के
जनसावां ख्यकीय आक ां डों को प्रभावित करता है। प्रिास आांतररक (िेश के भीतर) या अांतराकष्रीय (िेशों के बीच) हो
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सकता है। आांतररक प्रिास जनसांख्या के आकार में पररितकन नहीं करता लेवकन िेश में जनसांख्या के वितरण को
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(ख) 1981 से भारत में जन्म िर र्ीरे -र्ीरे घट रही है। इसके पररणामस्िरूप जनसांख्या िृवर्द् में र्ीरे -र्ीरे कमी आ रही
है।
(ग) आयु सांरचनाः वकसी िेश में जनसांख्या की आयु सांरचना िहाँ के विवभन्न आयु समहू ों के लोगों की सांख्या को
बताता है। यह जनसांख्या की मूल विशेषताओ ां में से एक है।
• जन्म िर (Birth rate): एक िषक के िौरान 1000 लोगों पर जीवित पैिा हुए बच्चों की सांख्या ।
• मृत्यु िर (Death rate): एक िषक के िौरान 1000 लोगों पर मृतकों की सांख्या को प्रिवशकत करता है।
(घ) प्रिास (Migration): लोगों का एक क्षेि से िसू रे क्षेि में चले जाने को प्रिास कहते हैं। जनसांख्या वितरण एिां
उसके घटकों को पररिवतकत करने में प्रिास की महत्त्िपणू क भवू मका होती है कयोंवक यह आगमन तथा प्रस्थान िोनों ही
स्थानों के जनसाांवख्यकीय आांकडों को प्रभावित करता है। प्रिास आांतररक (िेश के भीतर) या अांतराकष्रीय (िेशों के
बीच) हो सकता है। आतां ररक प्रिास जनसख्ां या के आकार में पररितकन नहीं करता लेवकन िेश में जनसख्ां या के वितरण
को प्रभावित करता है।
• प्रिास जनसख्ां या के गठन एिां वितरण में बिलाि में महत्िपणू क भवू मका वनभाता है।
• भारत में अवर्कतर प्रिास ग्रामीण क्षेिों से ‘अपकषकण (Push) कारक प्रभािी होते हैं। ये ग्रामीण क्षेिों में गरीबी एिां
बेरोजगारी की प्रवतकूल अिस्थाएँ हैं तथा नगर का ‘कषकण’ (Pull) प्रभाि रोजगार में िृवर्द् एिां अच्छे जीिन स्तर को
िशाकता है। 1951 में शहरी जनसांख्या 17.29 प्रवतशत थी जो 2001 में बढ़कर 27.78 प्रवतशत हो गई।
• 1991 से 2001 के बीच एक ही िशक के िौरान “िस लाख से अवर्क” की जनसांख्या िाले महानगर 23 से बढकर
35 हो गए हैं।
प्रश्न 3. जनसांख्या िृवर्द् एिां जनसांख्या पररितकन के बीच अांतर स्पष्ट करें ।
उत्तरः
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उत्तरः विवभन्न प्रकार के व्यिसायों के अनसु ार वकए गए जनसांख्या के वितरण को व्यािसावयक सांरचना कहा जाता है।
व्यिसायों को सामान्यतः प्राथवमक, वद्वतीयक एिां तृतीयक श्रेवणयों में िगीकृ त वकया जाता है। व्यिसायों को प्रायः
प्राथवमक (कृ वष, खनन, मछलीपालन आवि) वद्वतीयक (उत्पािन करने िाले उद्योग, भिन एिां वनमाकण कायक) एिां
तृतीयक (पररिहन, सांचार, िावणज्य, प्रशासन तथा सेिाएँ) श्रेवणयों में िगीकृ त वकया जाता है। विकवसत एिां
विकासशील िेशों में वद्वतीयक एिां तृतीयक व्यिसायों में कायक करने िाले लोगों का अनपु ात अवर्क होता है।
विकासशील िेशों में प्राथवमक वक्रयाकलापों में कायकरत लोगों का अनपु ात अवर्क होता है। भारत में कुल जनसांख्या
का 64 प्रवतशत भाग के िल कृ वष कायक करता है। वद्वतीयि, एिां तृतीयक क्षेिों में कायकरत लोगों की सांख्या का अनपु ात
क्रमशः 13 तथा 20 प्रवतशत है। ितकमान समय में बढ़ते हुए औद्योगीकरण एिां शहरीकरण में िृवर्द् होने के कारण
वद्वतीयक एिां तृतीयक क्षेिों में व्यािसावयक पररितकन हुआ है।
प्रश्न 5. स्िस्थ जनसांख्या कै से लाभकारी है?
उत्तरः स्िास्थ्य जनसांख्या की सांरचना का एक महत्त्िपणू क घटक है जो वक विकास की प्रवक्रया को प्रभावित करता है।
स्िस्थ जनसख्ां या राष्र के वलए एक पररसपां वत्त होती है। एक अस्िस्थ व्यवक्त की अपेक्षाकृ त स्िस्थ व्यवक्त अवर्क
उत्पािनशील तथा िक्ष होता है। िह अपने सामथ्यक को वक्रयावन्ित कर सकता/सकती है तथा समाज एिां िेश के
विकास में अपना योगिान िे सकता/सकती है। सरकारी कायकक्रमों के वनरांतर प्रयास के द्वारा भारत की जनसांख्या के
स्िास्थ्य स्तर में महत्त्िपणू क सर्ु ार हुआ है। पररणामस्िरूप, मृत्यु िर जो 1951 में (प्रवत हजार) 25 थी, 2001 में घटकर
(प्रवत हजार) 8.1 रह गई है। जीिन प्रत्याशा जो वक 1951 में 36.7 िषक थी, बढ़कर 2001 में 64.6 िषक हो गई है।
प्रश्न 6. राष्रीय जनसांख्या नीवत की मख्ु य विशेषताएँ कया हैं?
उत्तर : भारत सरकार ने व्यवक्तगत स्िास्थ्य को सर्ु ारने तथा कल्याण एिां स्िैवच्छक आर्ार पर वजममेिार तथा
सवु नयोवजत वपतृत्ि को बढ़ािा िेने के वलए 1952 में विस्तृत पररिार वनयोजन कायकक्रम वकया। राष्रीय जनसख्ां या नीवत
2000 ने वकशोर / वकशोररयों की पहचान जनसांख्या के उस प्रमख ु भाग के रूप में की, वजस पर बहुत ध्यान िेने की
आिश्यकता है।
राष्रीय जनसांख्या नीवत 2000 के उद्देश्यः
(क) 14 िषक से कम आयु के बच्चों को वनःशल्ु क ि अवनिायक वशक्षा प्रिान करना।
(ख) वशशु मृत्यु िर को प्रवत 100 में 30 से कम करना।
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